"मनाली हिमाचल प्रदेश": अवतरणों में अंतर
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'''मनाली''' [[हिमाचल प्रदेश]] राज्य में स्थित कुल्लू घाटी का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। मनाली [[कुल्लू]] से उत्तर दिशा में केवल 40 किमी की दूरी पर [[लेह]] की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर घाटी के सिरे के पास स्थित है। मनाली [[भारत]] का प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल है। समुद्र तल से 2050 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मनाली [[व्यास नदी]] के किनारे बसा हुआ है। सर्दियों में मनाली का [[तापमान]] 0° से नीचे पहुँच जाता है। मनाली में आप यहाँ के ख़ूबसूरत प्राकृतिक [[दृश्य|दृश्यों]] के अलावा हाइकिंग, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कायकिंग जैसे खेलों का भी आनंद उठा सकते हैं। मनाली के जंगली [[भारत के पुष्प|फूलों]] और [[सेब]] के बगीचों से छनकर आती सुंगंधित हवाएँ दिलो दिमाग को ताज़गी से भर देती हैं। सबसे पहले बर्फ़ से ढकी हुई पहाडियाँ, | |चित्र=Manali-Himachal-Pradesh.jpg | ||
|चित्र का नाम=मनाली का एक दृश्य | |||
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'''मनाली''' [[हिमाचल प्रदेश]] राज्य में स्थित कुल्लू घाटी का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। मनाली [[कुल्लू]] से उत्तर दिशा में केवल 40 किमी की दूरी पर [[लेह]] की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर घाटी के सिरे के पास स्थित है। मनाली [[भारत]] का प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल है। समुद्र तल से 2050 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मनाली [[व्यास नदी]] के किनारे बसा हुआ है। सर्दियों में मनाली का [[तापमान]] 0° से नीचे पहुँच जाता है। मनाली में आप यहाँ के ख़ूबसूरत प्राकृतिक [[दृश्य|दृश्यों]] के अलावा हाइकिंग, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कायकिंग जैसे खेलों का भी आनंद उठा सकते हैं। मनाली के जंगली [[भारत के पुष्प|फूलों]] और [[सेब]] के बगीचों से छनकर आती सुंगंधित हवाएँ दिलो दिमाग को ताज़गी से भर देती हैं। सबसे पहले बर्फ़ से ढकी हुई पहाडियाँ, साफ़ पानी वाली व्यास नदी दिखाई देती है। दूसरी ओर [[देवदार]] और पाइन के पेड़, छोटे छोटे खेत और फलों के बागान दिखाई देते हैं। | |||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
मनाली का नामकरण प्रथम पुरुष [[मनु]] के नाम पर किया गया है। कहा जाता है कि जब सारा संसार प्रलय में डूब गया था तो एकमात्र मनु ही जीवित बचे थे। मनाली में आकर ही उन्होंनें मनुष्य की पुर्नरचना की। इसलिए मनाली को [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का पवित्र तीर्थस्थल भी माना जाता है। | मनाली का नामकरण प्रथम पुरुष [[मनु]] के नाम पर किया गया है। कहा जाता है कि जब सारा संसार प्रलय में डूब गया था तो एकमात्र मनु ही जीवित बचे थे। मनाली में आकर ही उन्होंनें मनुष्य की पुर्नरचना की। इसलिए मनाली को [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का पवित्र तीर्थस्थल भी माना जाता है। | ||
==यातायात और परिवहन== | ==यातायात और परिवहन== | ||
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मनाली से 50 किलोमीटर की दूरी पर भुंटार में नज़दीकी हवाई अड्डा है। मनाली पहुँचने के लिए यहाँ से बस या टैक्सी की सेवाएँ ली सकती हैं। | मनाली से 50 किलोमीटर की दूरी पर भुंटार में नज़दीकी हवाई अड्डा है। मनाली पहुँचने के लिए यहाँ से बस या टैक्सी की सेवाएँ ली सकती हैं। | ||
====रेलमार्ग==== | ====रेलमार्ग==== | ||
जोगिन्दर नगर नैरो गैज रेलवे स्टेशन मनाली का नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जो मनाली से 135 किलोमीटर की दूरी पर है। मनाली से 310 किलोमीटर दूर [[चंडीगढ़]] नज़दीकी ब्रॉड गेज रेलवे स्टेशन है। | जोगिन्दर नगर नैरो गैज रेलवे स्टेशन मनाली का नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जो मनाली से 135 किलोमीटर की दूरी पर है। मनाली से 310 किलोमीटर दूर [[चंडीगढ़]] नज़दीकी ब्रॉड गेज रेलवे स्टेशन है। | ||
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मनाली हिमाचल और आसपास के शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें अनेक शहरों से मनाली जाती हैं। | मनाली हिमाचल और आसपास के शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें अनेक शहरों से मनाली जाती हैं। | ||
==पर्यटन== | ==पर्यटन== | ||
मनाली छुट्टियाँ बिताने के लिए आदर्श स्थान है और लाहुल, स्पीति, बारा भंगल ([[कांगड़ा]]) और जनस्कर पर्वत श्रृंखला पर चढ़ाई करने वालों के लिए यह एक मनपसंद स्थान है। मनाली के मनोरम दृश्य और रोमांचकारी गतिविधियाँ मनाली को हर मौसम और सभी प्रकार के यात्रियों के बीच लोकप्रिय बनाती हैं। मनाली में स्थित प्रसिद्ध हिडिम्बा मंदिर का निर्माण महाराजा बहादुर सिंह ने 1553 में किया था। मनाली से मात्र तीन किलोमीटर दूर स्थित वशिष्ठ में [[महर्षि वसिष्ठ]] का प्रसिद्ध आश्रम तथा एक छोटा-सा मंदिर है। वशिष्ठ में गर्म जल के चश्मे भी हैं। मनाली के उत्तर में 4,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित [[रोहतांग दर्रा]] पीरपंजाल पर्वत श्रेणी में अवस्थित है। रोहतांग से 7 किलोमीटर उत्तर में अवस्थित '''त्रिलोकीनाथ''' के समीप चंद्रा और भागा नदियों का संगम होता है तथा व्यास नदी का उद्गम होता है। | मनाली छुट्टियाँ बिताने के लिए आदर्श स्थान है और लाहुल, स्पीति, बारा भंगल ([[कांगड़ा]]) और जनस्कर पर्वत श्रृंखला पर चढ़ाई करने वालों के लिए यह एक मनपसंद स्थान है। मनाली के मनोरम दृश्य और रोमांचकारी गतिविधियाँ मनाली को हर मौसम और सभी प्रकार के यात्रियों के बीच लोकप्रिय बनाती हैं। मनाली में स्थित प्रसिद्ध हिडिम्बा मंदिर का निर्माण महाराजा बहादुर सिंह ने 1553 में किया था। मनाली से मात्र तीन किलोमीटर दूर स्थित वशिष्ठ में [[महर्षि वसिष्ठ]] का प्रसिद्ध आश्रम तथा एक छोटा-सा मंदिर है। वशिष्ठ में गर्म जल के चश्मे भी हैं। मनाली के उत्तर में 4,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित [[रोहतांग दर्रा]] पीरपंजाल पर्वत श्रेणी में अवस्थित है। रोहतांग से 7 किलोमीटर उत्तर में अवस्थित '''त्रिलोकीनाथ''' के समीप चंद्रा और भागा नदियों का संगम होता है तथा व्यास नदी का उद्गम होता है। इसी स्थान पर [[शिव]] के त्रिलोकीनाथ रूप का मंदिर है, जहाँ हमेशा दो अखंड ज्योतियाँ प्रज्जवलित रहती हैं। मनाली से 16 किलोमीटर दूर स्थित '''राहला जल-प्रपात''' एक अन्य प्रसिद्ध स्थल है। मनाली से 6 किलोमीटर दूर [[व्यास नदी]] की बायीं ओर अवस्थित '''जगतसुख''' भगवान शिव तथा सांध्य [[गायत्री]] के शिखर कला के प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। | ||
====जीप सफारी==== | ====जीप सफारी==== | ||
अनछुए स्थानों तक पहुँचने का बेहतरीन | अनछुए स्थानों तक पहुँचने का बेहतरीन ज़रिया जीप सफारी है। जीप मज़बूत वाहन होने के नाते दुष्कर स्थान तक आसानी से पहुंच सकती है। इसमें [[थार मरुस्थल|थार के मरुस्थल]] को पार कर सकते हैं और [[हिमालय]] पर जीप सफारी में मनाली से [[लेह]] तक का सफर तय किया जा सकता है। जीप सफारी के कुछ प्रमुख रुट हैं। लेह और [[लद्दाख]], [[कुमाऊँ]] और [[गढ़वाल]] तथा [[राजस्थान]]। | ||
==ख़रीददारी== | ==ख़रीददारी== | ||
मनाली से हस्तशिल्प का सामान और कालीन (कारपेट) की ख़रीददारी सैलानी अक्सर करते हैं। मनाली के ऊन के शॉल भी काफ़ी लोकप्रिय हैं। इन शॉलों को कशीदाकारी से सजाया जाता है। मनाली के बाज़ारों में तिब्बती हस्तशिल्प का सामान बड़ी मात्रा में मिलता है। घर की सजावट, उपहार और स्मारिकाओं की निशानी के तौर पर इन्हें ख़रीदा जा सकता है। | मनाली से हस्तशिल्प का सामान और कालीन (कारपेट) की ख़रीददारी सैलानी अक्सर करते हैं। मनाली के ऊन के शॉल भी काफ़ी लोकप्रिय हैं। इन शॉलों को कशीदाकारी से सजाया जाता है। मनाली के बाज़ारों में तिब्बती हस्तशिल्प का सामान बड़ी मात्रा में मिलता है। घर की सजावट, उपहार और स्मारिकाओं की निशानी के तौर पर इन्हें ख़रीदा जा सकता है। | ||
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चित्र:Kullu-Valley-and-Beas-River.jpg|कुल्लु वेली और बीसा नदी, मनाली [[हिमाचल प्रदेश]] | |||
चित्र:Manali-Kullu-Valley.jpg|कुल्लु वेली, मनाली [[हिमाचल प्रदेश]] | |||
चित्र:Manali-Jana-Fall.jpg| मनाली [[हिमाचल प्रदेश]] | |||
चित्र:Manali-Gayatri-Temple.jpg|गायत्री मन्दिर,मनाली [[हिमाचल प्रदेश]] | |||
चित्र:Manali-2.jpg|मनाली [[हिमाचल प्रदेश]] | |||
चित्र:Hidimba-Devi-Temple-2.jpg|हिडिंबा मन्दि, मनाली [[हिमाचल प्रदेश]] | |||
चित्र:Manali-Pir-Panjal-Range.jpg|मनाली [[हिमाचल प्रदेश]] | |||
चित्र:Van-Vihar-Manali.jpg|वन विहार, मनाली | |||
चित्र:Manali-Leh-Highway.jpg|लह को जाने वाला रास्ता, मनाली | |||
चित्र:Hidimba-Devi-Temple.jpg|हिडिंबा मन्दि, मनाली [[हिमाचल प्रदेश]] | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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10:45, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
मनाली हिमाचल प्रदेश
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विवरण | मनाली हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित कुल्लू घाटी का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। मनाली कुल्लू से उत्तर दिशा में केवल 40 किमी की दूरी पर लेह की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर घाटी के सिरे के पास स्थित है। मनाली भारत का प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल है। |
राज्य | हिमाचल प्रदेश |
ज़िला | मनाली |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर-32°16'12.0, पूर्व-77°10'12.0 |
मार्ग स्थिति | राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या–मनाली हिमाचल और आसपास के शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें अनेक शहरों से मनाली जाती हैं।दिल्ली, चंडीगढ़, शिमला आदि होते हुए भी मनाली पहुँचा जा सकता हैं। |
कब जाएँ | मई से अक्टूबर |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज, रेल, बस, टैक्सी |
नज़दीकी भुंटार हवाई अड्डा | |
रेलवे स्टेशन कालका, चंडीगढ़ और पठानकोट | |
मनाली बस अड्डा | |
क्या देखें | मनाली के जंगली फूलों और सेब के बगीचों से छनकर आती सुगंधित हवाएँ दिलो दिमाग को ताज़गी से भर देती हैं। |
कहाँ ठहरें | होटल, अतिथि-ग्रह, धर्मशाला |
क्या ख़रीदें | शॉल, टोपी, हस्तशिल्प वस्तुएँ |
एस.टी.डी. कोड | 01901 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
मनाली गूगल मानचित्र | |
अद्यतन | 13:24, 9 अगस्त 2016 (IST)
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मनाली हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित कुल्लू घाटी का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। मनाली कुल्लू से उत्तर दिशा में केवल 40 किमी की दूरी पर लेह की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर घाटी के सिरे के पास स्थित है। मनाली भारत का प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल है। समुद्र तल से 2050 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मनाली व्यास नदी के किनारे बसा हुआ है। सर्दियों में मनाली का तापमान 0° से नीचे पहुँच जाता है। मनाली में आप यहाँ के ख़ूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के अलावा हाइकिंग, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कायकिंग जैसे खेलों का भी आनंद उठा सकते हैं। मनाली के जंगली फूलों और सेब के बगीचों से छनकर आती सुंगंधित हवाएँ दिलो दिमाग को ताज़गी से भर देती हैं। सबसे पहले बर्फ़ से ढकी हुई पहाडियाँ, साफ़ पानी वाली व्यास नदी दिखाई देती है। दूसरी ओर देवदार और पाइन के पेड़, छोटे छोटे खेत और फलों के बागान दिखाई देते हैं।
इतिहास
मनाली का नामकरण प्रथम पुरुष मनु के नाम पर किया गया है। कहा जाता है कि जब सारा संसार प्रलय में डूब गया था तो एकमात्र मनु ही जीवित बचे थे। मनाली में आकर ही उन्होंनें मनुष्य की पुर्नरचना की। इसलिए मनाली को हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल भी माना जाता है।
यातायात और परिवहन
वायुमार्ग
मनाली से 50 किलोमीटर की दूरी पर भुंटार में नज़दीकी हवाई अड्डा है। मनाली पहुँचने के लिए यहाँ से बस या टैक्सी की सेवाएँ ली सकती हैं।
रेलमार्ग
जोगिन्दर नगर नैरो गैज रेलवे स्टेशन मनाली का नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जो मनाली से 135 किलोमीटर की दूरी पर है। मनाली से 310 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ नज़दीकी ब्रॉड गेज रेलवे स्टेशन है।
सड़क मार्ग
मनाली हिमाचल और आसपास के शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें अनेक शहरों से मनाली जाती हैं।
पर्यटन
मनाली छुट्टियाँ बिताने के लिए आदर्श स्थान है और लाहुल, स्पीति, बारा भंगल (कांगड़ा) और जनस्कर पर्वत श्रृंखला पर चढ़ाई करने वालों के लिए यह एक मनपसंद स्थान है। मनाली के मनोरम दृश्य और रोमांचकारी गतिविधियाँ मनाली को हर मौसम और सभी प्रकार के यात्रियों के बीच लोकप्रिय बनाती हैं। मनाली में स्थित प्रसिद्ध हिडिम्बा मंदिर का निर्माण महाराजा बहादुर सिंह ने 1553 में किया था। मनाली से मात्र तीन किलोमीटर दूर स्थित वशिष्ठ में महर्षि वसिष्ठ का प्रसिद्ध आश्रम तथा एक छोटा-सा मंदिर है। वशिष्ठ में गर्म जल के चश्मे भी हैं। मनाली के उत्तर में 4,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित रोहतांग दर्रा पीरपंजाल पर्वत श्रेणी में अवस्थित है। रोहतांग से 7 किलोमीटर उत्तर में अवस्थित त्रिलोकीनाथ के समीप चंद्रा और भागा नदियों का संगम होता है तथा व्यास नदी का उद्गम होता है। इसी स्थान पर शिव के त्रिलोकीनाथ रूप का मंदिर है, जहाँ हमेशा दो अखंड ज्योतियाँ प्रज्जवलित रहती हैं। मनाली से 16 किलोमीटर दूर स्थित राहला जल-प्रपात एक अन्य प्रसिद्ध स्थल है। मनाली से 6 किलोमीटर दूर व्यास नदी की बायीं ओर अवस्थित जगतसुख भगवान शिव तथा सांध्य गायत्री के शिखर कला के प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।
जीप सफारी
अनछुए स्थानों तक पहुँचने का बेहतरीन ज़रिया जीप सफारी है। जीप मज़बूत वाहन होने के नाते दुष्कर स्थान तक आसानी से पहुंच सकती है। इसमें थार के मरुस्थल को पार कर सकते हैं और हिमालय पर जीप सफारी में मनाली से लेह तक का सफर तय किया जा सकता है। जीप सफारी के कुछ प्रमुख रुट हैं। लेह और लद्दाख, कुमाऊँ और गढ़वाल तथा राजस्थान।
ख़रीददारी
मनाली से हस्तशिल्प का सामान और कालीन (कारपेट) की ख़रीददारी सैलानी अक्सर करते हैं। मनाली के ऊन के शॉल भी काफ़ी लोकप्रिय हैं। इन शॉलों को कशीदाकारी से सजाया जाता है। मनाली के बाज़ारों में तिब्बती हस्तशिल्प का सामान बड़ी मात्रा में मिलता है। घर की सजावट, उपहार और स्मारिकाओं की निशानी के तौर पर इन्हें ख़रीदा जा सकता है।
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वीथिका
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कुल्लु वेली और बीसा नदी, मनाली हिमाचल प्रदेश
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कुल्लु वेली, मनाली हिमाचल प्रदेश
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मनाली हिमाचल प्रदेश
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गायत्री मन्दिर,मनाली हिमाचल प्रदेश
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मनाली हिमाचल प्रदेश
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हिडिंबा मन्दि, मनाली हिमाचल प्रदेश
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मनाली हिमाचल प्रदेश
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वन विहार, मनाली
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लह को जाने वाला रास्ता, मनाली
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हिडिंबा मन्दि, मनाली हिमाचल प्रदेश