"मदीना": अवतरणों में अंतर
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'''मदीना''' या '''अल-मदीना''' ([[अरबी भाषा|अरबी]]: المدينة, [[अंग्रेज़ी]]: Al Madinah), जिसे सम्मानपूर्वक 'अल-मदीना अल-मुनव्वरा' बुलाया जाता है, [[अरब देश|सऊदी अरब]] के पश्चिमी हिजाज़ क्षेत्र में स्थित एक शहर है जो मदीना प्रान्त की राजधानी भी है। यह अरब का एक प्रसिद्ध नगर है। यहां मुहम्मद साहब की समाधि बनी है। [[मक्का (अरब)|मक्का]] और मदीना दोनों ही मुसलमानों के प्रधान तीर्थ हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणा प्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=563, परिशिष्ट 'घ'|url=}}</ref> | |||
* सउदी अरब गणतंत्र के हिजाज़ प्रदेश में, [[मक्का (अरब)|मक्का]] से 200 मील उत्तर, 2,200 फुट की ऊँचाई पर स्थित नगर हैं। | |||
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06:44, 11 मई 2018 के समय का अवतरण
मदीना
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विवरण | यह मक्का के बाद इस्लाम धर्म का दूसरा पवित्र नगर एवं तीर्थ स्थान है। |
स्थान | सऊदी अरब |
अन्य जानकारी | मुहम्मद साहब ने मक्का से आने के बाद (622 ई.) यहाँ निवास किया था। |
मदीना या अल-मदीना (अरबी: المدينة, अंग्रेज़ी: Al Madinah), जिसे सम्मानपूर्वक 'अल-मदीना अल-मुनव्वरा' बुलाया जाता है, सऊदी अरब के पश्चिमी हिजाज़ क्षेत्र में स्थित एक शहर है जो मदीना प्रान्त की राजधानी भी है। यह अरब का एक प्रसिद्ध नगर है। यहां मुहम्मद साहब की समाधि बनी है। मक्का और मदीना दोनों ही मुसलमानों के प्रधान तीर्थ हैं।[1]
- सउदी अरब गणतंत्र के हिजाज़ प्रदेश में, मक्का से 200 मील उत्तर, 2,200 फुट की ऊँचाई पर स्थित नगर हैं।
- यह मक्का के बाद इस्लाम धर्म का दूसरा पवित्र नगर एवं तीर्थ स्थान है।
- मुहम्मद साहब ने मक्का से आने के बाद (622 ई.) यहाँ निवास किया था।
- पुराने नगर की पैगंबर मस्जिद के विस्तृत प्रांगण में मुहम्मद तथा प्रथम दो कट्टर धर्मानुयायी खलीफाओं- आबू बकर एवं उमर-की क़ब्रों का होना माना जाता है। इसके समीप में ही फातिमा की प्रसिद्ध क़ब्र है। आठवीं शताब्दी में इस मस्जिद का विस्तार किया गया था। सन् 1256 ई. एवं 1481 ई. में इसे जला दिया गया था।
- मूल रूप में इस नगर को यथरिब कहा जाता था। मदीना पहले यहूदियों का एक उपनिवेश था।
- मदीना को नबी का नगर[2], भगवान के दूत का नगर[3] या मद्रीत एल मुनब्बर आदि नामों से अभिहित किया जाता था।
- 1908 ई. में दमिश्क से यहाँ तक हैज़ाज रेलमार्ग के निर्माण के कारण इसकी उन्नति होने लगी और प्रथम विश्वयुद्ध काल तक बढ़े हुए तीर्थयात्रियों के कारण इसने पर्याप्त संपत्ति अर्जित की।
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