"भूलों का विश्लेषण -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’": अवतरणों में अंतर
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हमको तो निर्विघ्न मार्ग भी खलता है | हमको तो निर्विघ्न मार्ग भी खलता है | ||
क्या होगा अनगिन रोड़े हैं रस्ते में | क्या होगा अनगिन रोड़े हैं रस्ते में | ||
चिंतन, मनन, अध्ययन में | चिंतन, मनन, अध्ययन में रुचि नहीं रही | ||
फिर हम ज्ञानी पंडित होंगे तो कैसे | फिर हम ज्ञानी पंडित होंगे तो कैसे | ||
बंजर धरती..................................................... | बंजर धरती..................................................... |
07:47, 3 जनवरी 2016 के समय का अवतरण
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टीका टिप्पणी और संदर्भबाहरी कड़ियाँसंबंधित लेख
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