"सोरठा": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''सोरठा''' मात्रिक छंद है और यह 'दोहा' का ठीक उल्टा हो...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
;उदाहरण
;उदाहरण


<blockquote><poem>जो सुमिरत सिधि होय, गननायक करिबर बदन।
<blockquote><poem>जो सुमिरत सिधि होय, गन नायक करिबर बदन।
करहु अनुग्रह सोय, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन॥
करहु अनुग्रह सोय, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन॥


पंक्ति 12: पंक्ति 12:
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.kavitakosh.org/kk/%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%A0%E0%A4%BE#.UrGeFyfy4dU सोरठा]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{छन्द}}{{साहित्य की विधाएँ}}
{{छन्द}}{{साहित्य की विधाएँ}}

10:50, 5 जनवरी 2016 के समय का अवतरण

सोरठा मात्रिक छंद है और यह 'दोहा' का ठीक उल्टा होता है। इसके विषम चरणों (प्रथम और तृतीय) में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 13-13 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है।

उदाहरण

जो सुमिरत सिधि होय, गन नायक करिबर बदन।
करहु अनुग्रह सोय, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन॥

रहिमन हमें न सुहाय, अमिय पियावत मान विनु।
जो विष देय पिलाय, मान सहित मरिबो भलो।।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख