"रामलला नहछू -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "९" to "9") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ") |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 79: | पंक्ति 79: | ||
करि सिँगार अति लोन तो बिहसति आई हो।। | करि सिँगार अति लोन तो बिहसति आई हो।। | ||
कनक-चुनिन सों लसित नहरनी लिये कर हो। | कनक-चुनिन सों लसित नहरनी लिये कर हो। | ||
आनँद हिय न समाइ देखि रामहि बर हो | आनँद हिय न समाइ देखि रामहि बर हो ।।10।। | ||
काने कनक तरीवन, बेसरि सोहइ हो। | काने कनक तरीवन, बेसरि सोहइ हो। | ||
पंक्ति 113: | पंक्ति 113: | ||
भरि गाड़ी निवछावरि नाऊ लेइ आवइ हो। | भरि गाड़ी निवछावरि नाऊ लेइ आवइ हो। | ||
परिजन करहिं निहाल असीसत आवइ हो।। | परिजन करहिं निहाल असीसत आवइ हो।। | ||
तापर करहिं सुमौज बहुत | तापर करहिं सुमौज बहुत दु:ख खोवहिँ हो। | ||
होइ सुखी सब लोग अधिक सुख सोवहिं हो ।।17।। | होइ सुखी सब लोग अधिक सुख सोवहिं हो ।।17।। | ||
पंक्ति 129: | पंक्ति 129: | ||
तुलसिदास बलि जाहि देखि रघुराजहि हो।। | तुलसिदास बलि जाहि देखि रघुराजहि हो।। | ||
जे यह नहछू गावैं गाइ सुनावइँ हो। | जे यह नहछू गावैं गाइ सुनावइँ हो। | ||
ऋद्धि सिद्धि कल्यान मुक्ति नर पावइँ हो | ऋद्धि सिद्धि कल्यान मुक्ति नर पावइँ हो ।।20।। | ||
| | ||
14:02, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
| ||||||||||||||||||
|
आदि सारदा गनपति गौरि मनाइय हो। |
संबंधित लेख |