"कीर्तिवर्मन": अवतरणों में अंतर
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*कीर्तिवर्मन [[चन्देल वंश]] का सफल शासक सिद्ध हुआ था। उसने | *कीर्तिवर्मन [[चन्देल वंश]] का सफल शासक सिद्ध हुआ था। उसने 'चेदि वंश' के कर्ण को परास्त किया। | ||
*'प्रबोध चन्द्रोदय' नामक [[नाटक]] की रचना कृष्ण मिश्र ने कीर्तिवर्मन के दरबार में ही की थी। | *'प्रबोध चन्द्रोदय' नामक [[नाटक]] की रचना कृष्ण मिश्र ने कीर्तिवर्मन के दरबार में ही की थी। | ||
*[[महोबा]] के निकट 'कीरत सागर' नामक एक [[झील]] का निर्माण कीर्तिवर्मन ने करवाया था। | *[[महोबा]] के निकट 'कीरत सागर' नामक एक [[झील]] का निर्माण कीर्तिवर्मन ने करवाया था। |
10:51, 23 जुलाई 2013 का अवतरण
कीर्तिवर्मन (1060 से 1100 ई.) चन्देल वंश में विद्याधर के बाद होने वाले शासकों में से एक था। वह चन्देल वंश का ख्यातिप्राप्त शासक बना। कीर्तिवर्मन ने 'चेदी वंश' के कर्ण को परास्त किया था।
- चन्देल शासक विद्याधर के बाद अन्य चन्देल शासक निम्नलिखित थे-
- विजयपाल (1030 से 1050 ई.)
- देववर्मन (1050 से 1060 ई.)
- कीर्तिवर्मन (1060 से 1100 ई.)
- सल्लक्षण वर्मन (1100 से 1115 ई.)
- जयवर्मन
- पृथ्वीवर्मन
- कीर्तिवर्मन चन्देल वंश का सफल शासक सिद्ध हुआ था। उसने 'चेदि वंश' के कर्ण को परास्त किया।
- 'प्रबोध चन्द्रोदय' नामक नाटक की रचना कृष्ण मिश्र ने कीर्तिवर्मन के दरबार में ही की थी।
- महोबा के निकट 'कीरत सागर' नामक एक झील का निर्माण कीर्तिवर्मन ने करवाया था।
- मदन वर्मन (1129 से 1163 ई.) चंदेल वंश का अन्य पराक्रमी राजा था।
- परमार्दि ने 1173 ई. में चालुक्यों से भिलसा को छीन लिया।
- 1203 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने परमार्दि को पराजित कर कालिंजर पर अधिकार कर लिया और अंततः 1305 ई. में चन्देल राज्य दिल्ली में मिल गया।
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