"कूमामोतो": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
*जापान के इस नगर में फौजी छावनी भी है। द्वितीय महायुद्ध में यह नगर जलकर नष्ट हो गया था। | *जापान के इस नगर में फौजी छावनी भी है। द्वितीय महायुद्ध में यह नगर जलकर नष्ट हो गया था। | ||
*सन [[1952]] ई. की भीषण [[बाढ़]] में भी यह क्षतिग्रस्त हुआ था। दोनों बार इस नगर का निर्माण नए ढंग से किया गया। | *सन [[1952]] ई. की भीषण [[बाढ़]] में भी यह क्षतिग्रस्त हुआ था। दोनों बार इस नगर का निर्माण नए ढंग से किया गया। | ||
*सन [[1954]] में यहाँ [[बुद्ध|बुद्ध भगवान]] की स्मृति में ग्रेनाइट पत्थर की एक मीनार का निर्माण किया गया था, जो [[एशिया]] में अद्वितीय है। | *सन [[1954]] में यहाँ [[बुद्ध|बुद्ध भगवान]] की स्मृति में ग्रेनाइट पत्थर की एक [[मीनार]] का निर्माण किया गया था, जो [[एशिया]] में अद्वितीय है। | ||
*कूमामोतो में 16वीं [[शताब्दी]] का एक विशाल [[दुर्ग]] है, जो देखने योग्य है। | *कूमामोतो में 16वीं [[शताब्दी]] का एक विशाल [[दुर्ग]] है, जो देखने योग्य है। | ||
13:33, 5 अक्टूबर 2014 का अवतरण
कूमामोतो जापान के क्यूशू द्वीप के पश्चिम की ओर बहने वाली शीरो नदी के दाहिने किनारे पर समुद्र तट से आठ किलोमीटर दूर स्थित एक नगर है। वह कूमामोतो ज़िला तथा ह्योगो प्रांत की राजधानी है। जापान का यह नगर व्यापार तथा विद्या का केंद्र है।[1]
- 'मीशूमी' (अंग्रेज़ी: Misumi) पत्तन, जो कूमामोतो एवं आशो ज़िले का द्वार है, इस नगर के निकट ही दक्षिण पश्चिम में स्थित है।
- यह क्षेत्र रेशमी वस्त्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध है तथा समृद्ध हीरो क्षेत्र के चावल का व्यापारिक केंद्र है।
- जापान के इस नगर में फौजी छावनी भी है। द्वितीय महायुद्ध में यह नगर जलकर नष्ट हो गया था।
- सन 1952 ई. की भीषण बाढ़ में भी यह क्षतिग्रस्त हुआ था। दोनों बार इस नगर का निर्माण नए ढंग से किया गया।
- सन 1954 में यहाँ बुद्ध भगवान की स्मृति में ग्रेनाइट पत्थर की एक मीनार का निर्माण किया गया था, जो एशिया में अद्वितीय है।
- कूमामोतो में 16वीं शताब्दी का एक विशाल दुर्ग है, जो देखने योग्य है।
|
|
|
|
|