"भारत का संविधान- परिशिष्ट 1": अवतरणों में अंतर

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[[राष्ट्रपति]], संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, जम्मू-कश्मीर राज्य की सरकार की सहमति से, निम्नलिखित आदेश करते हैं :-- <br />
[[राष्ट्रपति]], संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, जम्मू-कश्मीर राज्य की सरकार की सहमति से, निम्नलिखित आदेश करते हैं :-- <br />
1.  
1. (1) इस आदेश का संक्षिप्त नाम संविधान ([[जम्मू-कश्मीर]] को लागू होना) आदेश, 1954 है ।  
(1) इस आदेश का संक्षिप्त नाम संविधान ([[जम्मू-कश्मीर]] को लागू होना) आदेश, 1954 है ।  
(2) यह 14 मई, 1954 को प्रवृत्त होगा, और ऐसा होने पर संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1950 को अधिक्रांत कर देगा ।  
(2) यह 14 मई, 1954 को प्रवृत्त होगा, और ऐसा होने पर संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1950 को अधिक्रांत कर देगा ।  
2. <ref>प्रारंभ में आने वाले शब्द संविधान आदेश 56, संविधान आदेश 74, संविधान आदेश 76, संविधान आदेश 79, संविधान आदेश 89, संविधान आदेश 91, संविधान आदेश 94, संविधान आदेश 98, संविधान आदेश 103, संविधान आदेश 104, संविधान आदेश 105, संविधान आदेश 108, संविधान आदेश 136 और तत्पश्चात् संविधान आदेश 141 द्वारा संशोधित होकर उपरोक्त रूप में आए ।</ref>संविधान के अनुच्छेद 1 तथा अनुच्छेद 370 के अतिरिक्त उसके 20 जून, 1964 को यथा प्रवृत्त और संविधान (उन्नीसवां संशोधन) अधिनियम, 1966, संविधान (इक्कीसवां संशोधन) अधिनियम, 1967, संविधान (तेईसवां संशोधन) अधिनियम, 1969 की धारा 5, संविधान (चौबीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971, संविधान (पच्चीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971 की धारा 2, संविधान (छब्बीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971, संविधान (तीसवां संशोधन) अधिनियम, 1972, संविधान (इकतीसवां संशोधन) अधिनियम, 1973 की धारा 2, संविधान (तैंतीसवां संशोधन) अधिनियम, 1974 की धारा 2, संविधान (अड़तीसवां संशोधन) अधिनियम, 1975 की धारा 2, 5, 6 और 7, संविधान (उनतालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1975, संविधान (चालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976, संविधान (बावनवां संशोधन) अधिनियम, 1985 की धारा 2, 3 और 6 और संविधान (इकसठवां संशोधन) अधिनियम, 1988 द्वारा यथासंशोधित, जो उपबंध जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में लागू होने और वे अपवाद और उपांतरण जिनके अधीन वे इस प्रकार लागू होंगे, निम्नलिखित होंगे :-  
2. <ref>प्रारंभ में आने वाले शब्द संविधान आदेश 56, संविधान आदेश 74, संविधान आदेश 76, संविधान आदेश 79, संविधान आदेश 89, संविधान आदेश 91, संविधान आदेश 94, संविधान आदेश 98, संविधान आदेश 103, संविधान आदेश 104, संविधान आदेश 105, संविधान आदेश 108, संविधान आदेश 136 और तत्पश्चात् संविधान आदेश 141 द्वारा संशोधित होकर उपरोक्त रूप में आए ।</ref>संविधान के अनुच्छेद 1 तथा अनुच्छेद 370 के अतिरिक्त उसके 20 जून, 1964 को यथा प्रवृत्त और संविधान (उन्नीसवां संशोधन) अधिनियम, 1966, संविधान (इक्कीसवां संशोधन) अधिनियम, 1967, संविधान (तेईसवां संशोधन) अधिनियम, 1969 की धारा 5, संविधान (चौबीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971, संविधान (पच्चीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971 की धारा 2, संविधान (छब्बीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971, संविधान (तीसवां संशोधन) अधिनियम, 1972, संविधान (इकतीसवां संशोधन) अधिनियम, 1973 की धारा 2, संविधान (तैंतीसवां संशोधन) अधिनियम, 1974 की धारा 2, संविधान (अड़तीसवां संशोधन) अधिनियम, 1975 की धारा 2, 5, 6 और 7, संविधान (उनतालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1975, संविधान (चालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976, संविधान (बावनवां संशोधन) अधिनियम, 1985 की धारा 2, 3 और 6 और संविधान (इकसठवां संशोधन) अधिनियम, 1988 द्वारा यथासंशोधित, जो उपबंध जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में लागू होने और वे अपवाद और उपांतरण जिनके अधीन वे इस प्रकार लागू होंगे, निम्नलिखित होंगे :-  
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(2) भाग 1  
(2) भाग 1  
अनुच्छेद 3 में निम्नलिखित और परंतुक जोड़ा जाएगा, अर्थात् :--  
अनुच्छेद 3 में निम्नलिखित और परंतुक जोड़ा जाएगा, अर्थात् :--  
  “परंतु यह और कि जम्मू-कश्मीर राज्य के क्षेत्र को बढ़ाने या घटाने या उस राज्य के नाम या उसकी सीमा में परिवर्तन करने का उपबंध करने वाला कोई विधेयक उस राज्य के विधान-मंडल की सहमति के बिना संसद् में पुर:स्थापित नहीं किया जाएगा ।“ ।  
  “परंतु यह और कि जम्मू-कश्मीर राज्य के क्षेत्र को बढ़ाने या घटाने या उस राज्य के नाम या उसकी सीमा में परिवर्तन करने का उपबंध करने वाला कोई विधेयक उस राज्य के विधान-मंडल की सहमति के बिना संसद में पुर:स्थापित नहीं किया जाएगा ।“ ।  
(3) भाग 2  
(3) भाग 2  
(क) यह भाग जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में 26 जनवरी, 1950 से लागू समझा जाएगा ।  
(क) यह भाग जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में 26 जनवरी, 1950 से लागू समझा जाएगा ।  
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(4) भाग 3
(4) भाग 3
(क) अनुच्छेद 13 में, संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश है ।  
(क) अनुच्छेद 13 में, संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश है ।  
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1. संविधान आदेश 124 द्वारा (4-2-1985 से) खंड (ख) का लोप किया गया ।
(ग) अनुच्छेद 16 के खंड (3) में, राज्य के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रति निर्देश नहीं है ।
(घ) अनुच्छेद 19 में, इस आदेश के प्रारंभ से <ref>संविधान आदेश 69 द्वारा “दस वर्ष”  के स्थान पर प्रतिस्थापित।</ref>[<ref>संविधान आदेश 97 द्वारा “बीस” के स्थान पर प्रतिस्थापित।</ref>[पच्चीस] वर्ष] की अवधि के लिए,--
(i) खंड (3) और (4) में, “अधिकार के प्रयोग पर” शब्दों के पश्चात् “राज्य की सुरक्षा या” शब्द अंत:स्थापित किए जाएंगे;
(ii) खंड (5) में, “या किसी अनुसूचित जनजाति के हितों के संरक्षण के लिए” शब्दों के स्थान पर “अथवा राज्य की सुरक्षा के हितों के लिए” शब्द रखे जाएंगे; और
(iii) निम्नलिखित नया खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्:--
‘(7) खंड (2), (3), (4) और (5) में आने वाले “युक्तियुक्त निर्बंधन” शब्दों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे निर्बंधन ऐसे हैं जिन्हें समुचित विधान-मंडल युक्तियुक्त समझता है ।‘।
(ङ) अनुच्छेद 22 के खंड (4) में “संसद् शब्द के स्थान पर “राज्य विधान-मंडल”शब्द रखे जाएंगे और खंड (7) में “संसद् विधि द्वारा विहित कर सकेगी” शब्दों के स्थान पर “राज्य विधान-मंडल विधि द्वारा विहित कर सकेगा” शब्द रखे जाएंगे ।
(च) अनुच्छेद 31 में, खंड (3), (4) और (6) का लोप किया जाएगा, और खंड (5) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रखा जाएगा, अर्थात्:--
“(5) खंड (2) की कोई बात--
(क) किसी वर्तमान विधि के उपबंधों पर, अथवा
(ख) किसी ऐसी विधि के उपबंधों पर, जिसे राज्य इसके पश्चात्--
(i) किसी कर या शास्ति के अधिरोपण या अद्ग्रहण के प्रयोजन के लिए; अथवा
(ii) सार्वजनिक स्वास्थ्य की अभिवृद्धि या प्राण या संपत्ति के संकट-निवारण के लिए; अथवा
(iii) ऐसी संपत्ति की बाबत, जो विधि द्वारा निष्क्रांत संपत्ति घोषित की गई है,
बनाए,
कोई प्रभाव नहीं डालेगी ।‘’।
(छ) अनुच्छेद 31क में खंड (1) के परन्तुक का लोप किया जाएगा; और खंड (2) के उपखंड (क) के स्थान पर निम्नलिखित उपखंड रखा जाएगा, अर्थात्:--
(क) “संपदा” से ऐसी भूमि अभिप्रेत होगी जो कृषि के प्रयोजनों के लिए या कृषि के सहायक प्रयोजनों के लिए या चरागाह के लिए अधिभोग में है या पट्टे पर दी गई है और इसके अंतर्गत निम्नलिखित भी हैं, अर्थात्:---
(i) ऐसी भूमि पर भवनों के स्थल और अन्य संरचनाएं;
(ii) ऐसी भूमि पर खड़े वृक्ष ;
(iii) वन भूमि और वन्य बंजर भूमि;
(iv) जल से ढके क्षेत्र और जल पर तैरते हुए खेत ;
(v) जंदर और घराट स्थल;
(vi) कोई जागीर, इनाम, मुआफी या मुकर्ररी या इसी प्रकार का अन्य अनुदान,
किन्तु इसके अंतर्गत निम्नलिखित नहीं हैं:-
(i) किसी नगर, या नगरक्षेत्र या ग्राम आबादी में कोई भवन-स्थल या किसी ऐसे भवन या स्थल से अनुलग्न कोई भूमि;
(ii) कोई भूमि जो किसी नगर या ग्राम के स्थल के रूप में अधिभोग में है; या
(iii) किसी नगरपालिका या अधिसूचित क्षेत्र या छावनी या नगरक्षेत्र में या किसी क्षेत्र में, जिसके लिए कोई नगर योजना स्कीम मंजूर की गई है, भवन निर्माण के प्रयोजनों के लिए आरक्षित कोई भूमि ।‘।
[(ज) अनुच्छेद 32 में, खंड (3) का लोप किया जाएगा ।]<ref>संविधान आदेश 89 द्वारा खंड (ज) के स्थान पर प्रतिस्थापित । </ref>
(झ) अनुच्छेद 35 में,---
(i) संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश हैं;
(ii) खंड (क) (i) में, “अनुच्छेद 16 के खंड (3), अनुच्छेद 32 के खंड (3)” शब्दों, केष्ठकों और अंकों का लोप किया जाएगा; और
(iii) खंड (ख) के पश्चात् निम्नलिखित खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्:---
“(ग) संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 के प्रारंभ के पूर्व या पश्चात्, निवारक निरोध की बाबत जम्मू-कश्मीर राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई कोई विधि इस आधार पर शून्य नहीं होगी कि वह इस भाग के उपबंधों में से किसी से असंगत है, किन्तु ऐसी कोई विधि उक्त आदेश के प्रारंभ से <ref>संविधान आदेश 69 द्वारा  “दस वर्ष”  के स्थान पर प्रतिस्थापित । </ref>[<ref>संविधान आदेश 97 द्वारा  “बीस” के स्थान पर प्रतिस्थापित ।  </ref>[पच्चीस वर्ष के अवसान पर, ऐसी असंगति की मात्रा तक, उन बातों के सिवाय प्रभावहीन हो जाएगी जिन्हें उनके अवसान के पूर्व किया गया है या करने का लोप किया गया है ।“।
(ञ) अनुच्छेद 35 के पश्चात् निम्नलिखित नया अनुच्छेद जोड़ा जाएगा, अर्थात्:---
“35क. स्थायी निवासियों और उनके अधिकारों की बाबत विधियों की व्यावृत्ति---इस संविधान में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जम्मू-कश्मीर राज्य में प्रवृत्त ऐसी कोई विद्यमान विधि और इसके पश्चात् राज्य के विधाम-मंडल द्वारा अधिनियमित ऐसी कोई विधि--
(क) जो उन व्यिक्तयों के वर्गों को परिभाषित करती है जो जम्मू-कश्मीर राज्य के स्थायी निवासी हैं या होंगे, या
(ख) जो---
(i) राज्य सरकार के अधीन नियोजन ;
(ii) राज्य में स्थावर संपत्ति के अर्जन ;
(iii) राज्य में बस जाने; या
(iv) छात्रवृत्तियों के या ऐसी अन्य प्रकार की सहायता के जो राज्य सरकार प्रदान करे अधिकार, की बाबत ऐसे स्थायी निवासियों को कोई विशेष अधिकार और विशेषाधिकार प्रदत्त करती है या अन्य व्यक्तियों पर कोई निर्बंधन अधिरोपित करती है, इस आधार पर शून्य नहीं होगी कि वह इस भाग के किसी उपबंध द्वारा भारत के अन्य नागरिकों को प्रदत्त किन्हीं अधिकारों से असंगत है या उनको छीनती या न्यून करती है ।“।
(5) भाग 5
<ref>संविधान आदेश 98 द्वारा खंड (क) और खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।  </ref>[(क) अनुच्छेद 55 के प्रयोजनों के लिए जम्मू-कश्मीर राज्य की जनसंख्या तिरसठ लाख समझी जाएगी ;
(ख) अनुच्छेद 81 में, खंड (2) और (3) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रखे जाएंगे, अर्थात् :---
“(2) खंड (1) के उपखंड (क) के प्रयोजनों के लिए,---
(क) लोक सभा में राज्य को छह स्थान आबंटित किए जाएंगे ;
(ख) परिसीमन अधिनियम, 1972 के अधीन गठित परिसीमन आयोग द्वारा राज्य को ऐसी प्रक्रिया के अनुसार, जो आयोग उचित समझे, एक सदस्यीय प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा;
(ग) निर्वाचन-क्षेत्र में, यथासाध्य, भौगोलिक रूप से संहत क्षेत्र होंगे और उनका परिसीमन करते समय प्राकृतिक विशेषताओं, प्रशासनिक इकाइयों की विद्यमान सीमाओं, संचार की सुविधाओं और लोक सुविधा को ध्यान में रखा जाएगा;
(घ) उन निर्वाचन-क्षेत्रों में, जिनमें राज्य विभाजित किया जाए, पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र समाविष्ट नहीं होंगे ।
(3) खंड (2) की कोई बात लोक सभा में राज्य के प्रतिनिधित्व पर तब तक प्रभाव नहीं डालेगी जब तक परिसीमन अधिनियम, 1972 के अधीन संसदीय निर्वाचन-क्षेत्रों के परिसीमन से संबंधित परिसीमन आयोग के अंतिम आदेश या आदेशों के भारत के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख को विद्यमान सदन का विघटन न हो जाए ।
(4) (क) परिसीमन आयोग राज्य की बाबत अपने कर्तव्यों में अपनी सहायता करने के प्रयोजन के लिए अपने साथ पांच व्यक्तियों को सहयोजित करेगा जो राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले लोक सभा के सदस्य होंगे ।
(ख) राज्य से इस प्रकार सहयोजित किए जाने वाले व्यक्ति सदन की संरचना का सम्यक् ध्यान रखते हुए लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा नामनिर्दिष किए जाएंगे ।
(ग) उपखंड (ख) के अधीन किए जाने वाले प्रथम नामनिर्देशन लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) दूसरा संशोधन आदेश, 1974 के प्रारंभ से दो मास के भीतर किए जाएंगे ।
(घ) किसी भी सहयोजित सदस्य को परिसीमन आयोग के किसी विनिश्चय पर मत देने या हस्ताक्षर करने का अधिकार नहीं होगा ।
(ङ) यदि मृत्यु या पदत्याग के कारण किसी सहयोजित सदस्य का पद रिक्त हो जाता है तो उसे लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा और उपखंड (क) और (ख) के उपबंधों के अनुसार यथाशक्य शीघ्र भरा जाएगा ।“।
<ref>संविधान आदेश 98 द्वारा अंत:स्थापित । </ref>[(ग) अनुच्छेद 133 में खंड (1) के पश्चात् निम्नलिखित खंड अंत:स्थापित किया जाएगा, अर्थात्:---
‘(1क) संविधान (तीसवां संशोधन) अधिनियम, 1972 की धारा 3 के उपबंध जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में इस उपांतरण के अधीन लागू होंगे कि उसमें  “इस अधिनियम”,  “यह अधिनियम पारित नहीं किया गया हो” और  “इस अधिनियम द्वारा यथा संशोधित उस खंड के उपबंधों की” के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे क्रमश:  “संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) दूसरा संशोधन आदेश, 1974,  “उक्त आदेश के प्रारंभ,  उक्त आदेश पारित नहीं किया गया हो और  उक्त खंड के उपबंधों, जैसे कि वे उक्त आदेश के प्रारंभ के पश्चात् हों” के प्रति निर्देश हैं] ।
<ref>संविधान आदेश 98 द्वारा खंड (ग) और खंड (घ) को खंड (घ) और खंड (ङ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया । </ref>[(घ)] अनुच्छेद 134 के खंड (2) में “संसद्” शब्द के पश्चात् “राज्य के विधान-मंडल के अनुरोध पर” शब्द अंत:स्थापित किए जाएंगे ।
<ref>संविधान आदेश 98 द्वारा खंड (ग) और खंड (घ) को खंड (घ) और खंड (ङ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया । </ref>[(ङ)] अनुच्छेद 135  <ref>संविधान आदेश 60 द्वारा अंक “136” का लोप किया गया । </ref>**** और 139 का लोप किया जाएगा ।
<ref>संविधान आदेश 56 द्वारा खंड (च) और खंड (छ) का लोप किया गया । </ref>'' *          *          *          *          *          *''
<ref>संविधान आदेश 60 द्वारा (26-1-1960 से) अंत:स्थापित । </ref>[(5क) भाग 6
<ref>संविधान आदेश 98 द्वारा खंड (क) के स्थान पर प्रतिस्थापित । </ref>[(क) अनुच्छेद 153 से 217 तक, अनुच्छेद 219, अनुच्छेद 221, अनुच्छेद 223, 224, 224क और 225 तथा अनुच्छेद 227 से 237 तक का लोप किया जाएगा।]
(ख) अनुच्छेद 220 में, संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) संशोधन आदेश, 1960 के प्रति निर्देश हैं ।
<ref>संविधान आदेश 74 द्वारा (24-11-1965 से) खंड (ग) के स्थान पर प्रतिस्थापित । </ref>[(ग) अनुच्छेद 222 में, खंड (1) के पश्चात् निम्नलिखित नया खंड अंत:स्थापित किया जाएगा, अर्थात्:---
“(1क) प्रत्येक ऐसा अंतरण जो जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालय से अथवा उस उच्च न्यायालय को हो, राज्यपाल के परामर्श के पश्चात् किया जाएगा ।“]]
(6) भाग 11
<ref>संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (क) के स्थान पर प्रतिस्थापित । </ref>[(क) अनुच्छेद 246 के खंड (1) में आने वाले “खंड (2) और खंड (3)” शब्दों, कोष्टकों और अंकों के स्थान पर “खंड (2)” शब्द, कोष्ठक और अंक रखे जाएंगे और खंड (2) में आने वाले “खंड (3) में किसी बात के होते हुए भी” शब्दों, कोष्ठक और अंक का तथा संपूर्ण खंड (3) और खंड (4) का लोप किया जाएगा ।]
<ref>संविधान आदेश 85 द्वारा खंड (ख) और खंड (खख), मूल खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित । </ref>[<ref>संविधान आदेश 93 द्वारा खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित । </ref>[(ख) अनुच्छेद 248 के स्थान पर निम्नलिखित अनुच्छेद रखा जाएगा, अर्थात्:--- 
“248. अवशिष्ट विधायी शक्तियां--संसद को,--
<ref>संविधान आदेश 122 द्वारा अंत:स्थापित। </ref>[(क) विधि द्वारा स्थापित सरकार को आतंकित करने या जनता या जनता के किसी अनुभाग में आतंक उत्पन्न करने या जनता के किसी अनुभाग को पृथक करने या जनता के विभिन्न अनुभागों के बीच समरसता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले आतंकवादी कार्यों को अंतर्वलित करने वाले क्रियाकलाप को रोकने के संबंध में ;]
<ref>संविधान आदेश 122 द्वारा खंड (क) को खंड (कक) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया। </ref>[(कक) भारत की प्रभुता तथा प्रादेशिक अखंडता को अनअंगीकृत, प्रश्नगत या विच्छिन्न करने अथवा भारत राज्यक्षेत्र के किसी भाग का अध्यर्पण कराने अथवा भारत राज्यक्षेत्र के किसी भाग को संघ से विलग कराने वाले अथवा भारत के राष्ट्रीय ध्वज, भारतीय राष्ट्रगान और इस संविधान का अपमान करने वाले <ref>संविधान आदेश 122 द्वारा “क्रियाकलापों को रोकने” के स्थान पर प्रतिस्थापित । </ref>[अन्य क्रियाकलाप को रोकने के संबंध में; और
(ख) (i) समुद्र या वायु द्वारा विदेश यात्रा पर ;
(ii) अंतर्देशीय विमान यात्रा पर ;
(iii) मनीआर्डर, फोनतार और तार को सम्मिलित करते हुए, डाक वस्तुओं पर,
कर लगाने के संबंध में,
विधि बनाने की अनन्य शक्ति है ।“ ।]
<ref>संविधान आदेश 122 द्वारा अंत:स्थापित । </ref>[स्पष्टीकरण---इस अनुच्छेद में, “आतंकवादी कार्य" से बमों, डायनामाइट या अन्य विस्फोटक पदार्थों या ज्वंलनशील पदार्थों या अग्न्यायुधों या अन्य प्राणहर आयुधों या विषों का या अपायकर गैसों या अन्य रसायनों या परिसंकटमय प्रकृति के किन्हीं अन्य पदार्थों का (चाहे वे जैव हों या अन्य) उपयोग करके किया गया कोई कार्य या बात अभिप्रेत है ।]
<ref>संविधान आदेश 129 द्वारा खंड (खख) के स्थान पर प्रतिस्थापित । </ref>[(खख) अनुच्छेद 249 के खंड (1) में, “राज्य सूची में प्रगणित ऐसे विषय के संबंध में, जो उस संकल्प में विनिर्दिष्ट है,” शब्दों के स्थान पर उस संकल्प में विनिर्दिष्ट ऐसे विषय के संबंध में, जो संघ सूची या समवर्ती सूची में प्रगणित विषय नहीं है,” शब्द रखे जाएंगे ।]]
(ग) अनुच्छेद 250 में, “राज्य-सूची में प्रगणित किसी भी विषय के संबंध में” शब्दों के स्थान पर “संघ-सूची में प्रगणित न किए गए विषयों के संबंध में भी” शब्द रखे जाएंगे ।
(घ) संविधान आदेश 129 द्वारा खंड (घ) का लोप किया गया ।
(ङ) अनुच्छेद 253 में निम्नलिखित परन्तुक जोड़ा जाएगा, अर्थात्:---
“परन्तु संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 के प्रारंभ के पश्चात्, जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में व्यवस्था के प्रभावित करने वाला कोई विनिश्चय भारत सरकार द्वारा उस राज्य की सरकार की सहमति से ही किया जाएगा ।"।
(च) संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (च) का लोप किया गया ।   
<ref>संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (छ) और खंड (ज) को खंड (च) और खंड (छ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया ।  </ref> [(च)] अऩुच्छेद 255 का लोप किया जाएगा ।
<ref>संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (छ) और खंड (ज) को खंड (च) और खंड (छ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया ।  </ref> [(छ)] अनुच्छेद 256 को उसके खंड (1) के रूप में पुन:संख्यांकित किया जाएगा और उसमें निम्नलिखित नया खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्:---
“(2) जम्मू-कश्मीर राज्य अपनी कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग करेगा जिससे उस राज्य के संबंध में संविधान के अधीन संघ के कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का संघ द्वारा निर्वहन सुगम हो, और विशिष्टतया उक्त राज्य यदि संघ वैसी अपेक्षा करे, संघ की ओर से और उसके व्यय पर संपत्ति का
 
</poem>





09:21, 30 जुलाई 2014 का अवतरण

भारत का संविधान- परिशिष्ट 1

संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954[1]

सं. आ. 48

राष्ट्रपति, संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, जम्मू-कश्मीर राज्य की सरकार की सहमति से, निम्नलिखित आदेश करते हैं :--

1. (1) इस आदेश का संक्षिप्त नाम संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 है ।
(2) यह 14 मई, 1954 को प्रवृत्त होगा, और ऐसा होने पर संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1950 को अधिक्रांत कर देगा ।
2. [2]संविधान के अनुच्छेद 1 तथा अनुच्छेद 370 के अतिरिक्त उसके 20 जून, 1964 को यथा प्रवृत्त और संविधान (उन्नीसवां संशोधन) अधिनियम, 1966, संविधान (इक्कीसवां संशोधन) अधिनियम, 1967, संविधान (तेईसवां संशोधन) अधिनियम, 1969 की धारा 5, संविधान (चौबीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971, संविधान (पच्चीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971 की धारा 2, संविधान (छब्बीसवां संशोधन) अधिनियम, 1971, संविधान (तीसवां संशोधन) अधिनियम, 1972, संविधान (इकतीसवां संशोधन) अधिनियम, 1973 की धारा 2, संविधान (तैंतीसवां संशोधन) अधिनियम, 1974 की धारा 2, संविधान (अड़तीसवां संशोधन) अधिनियम, 1975 की धारा 2, 5, 6 और 7, संविधान (उनतालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1975, संविधान (चालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976, संविधान (बावनवां संशोधन) अधिनियम, 1985 की धारा 2, 3 और 6 और संविधान (इकसठवां संशोधन) अधिनियम, 1988 द्वारा यथासंशोधित, जो उपबंध जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में लागू होने और वे अपवाद और उपांतरण जिनके अधीन वे इस प्रकार लागू होंगे, निम्नलिखित होंगे :-
(1) उद्देशिका
(2) भाग 1
अनुच्छेद 3 में निम्नलिखित और परंतुक जोड़ा जाएगा, अर्थात् :--
 “परंतु यह और कि जम्मू-कश्मीर राज्य के क्षेत्र को बढ़ाने या घटाने या उस राज्य के नाम या उसकी सीमा में परिवर्तन करने का उपबंध करने वाला कोई विधेयक उस राज्य के विधान-मंडल की सहमति के बिना संसद में पुर:स्थापित नहीं किया जाएगा ।“ ।
(3) भाग 2
(क) यह भाग जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में 26 जनवरी, 1950 से लागू समझा जाएगा ।
(ख) अनुच्छेद 7 में निम्नलिखित और परंतुक जोड़ा जाएगा, अर्थात् :-
 ‘’परंतु यह और कि इस अनुच्छेद की कोई बात जम्मू-कश्मीर राज्य के ऐसे स्थायी निवासी को लागू नहीं होगी जो ऐसे राज्यक्षेत्र को जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, प्रव्रजन करने के पश्चात् उस राज्य के क्षेत्र को ऐसी अनुज्ञा के अधीन लौट आया है जो उस राज्य में पुनर्वास के लिए या स्थायी रूप से लौटने के लिए उस राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के प्राधिकार द्वारा या उसके अधीन दी गई है, तथा ऐसा प्रत्येक व्यिक्त भारत का नागरिक समझा जाएगा ।‘’ ।
(4) भाग 3
(क) अनुच्छेद 13 में, संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश है ।
1. संविधान आदेश 124 द्वारा (4-2-1985 से) खंड (ख) का लोप किया गया ।
(ग) अनुच्छेद 16 के खंड (3) में, राज्य के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रति निर्देश नहीं है ।
(घ) अनुच्छेद 19 में, इस आदेश के प्रारंभ से [3][[4][पच्चीस] वर्ष] की अवधि के लिए,--
(i) खंड (3) और (4) में, “अधिकार के प्रयोग पर” शब्दों के पश्चात् “राज्य की सुरक्षा या” शब्द अंत:स्थापित किए जाएंगे;
(ii) खंड (5) में, “या किसी अनुसूचित जनजाति के हितों के संरक्षण के लिए” शब्दों के स्थान पर “अथवा राज्य की सुरक्षा के हितों के लिए” शब्द रखे जाएंगे; और
(iii) निम्नलिखित नया खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्:--
‘(7) खंड (2), (3), (4) और (5) में आने वाले “युक्तियुक्त निर्बंधन” शब्दों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे निर्बंधन ऐसे हैं जिन्हें समुचित विधान-मंडल युक्तियुक्त समझता है ।‘।
(ङ) अनुच्छेद 22 के खंड (4) में “संसद् शब्द के स्थान पर “राज्य विधान-मंडल”शब्द रखे जाएंगे और खंड (7) में “संसद् विधि द्वारा विहित कर सकेगी” शब्दों के स्थान पर “राज्य विधान-मंडल विधि द्वारा विहित कर सकेगा” शब्द रखे जाएंगे ।
(च) अनुच्छेद 31 में, खंड (3), (4) और (6) का लोप किया जाएगा, और खंड (5) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रखा जाएगा, अर्थात्:--
 “(5) खंड (2) की कोई बात--
(क) किसी वर्तमान विधि के उपबंधों पर, अथवा
(ख) किसी ऐसी विधि के उपबंधों पर, जिसे राज्य इसके पश्चात्--
(i) किसी कर या शास्ति के अधिरोपण या अद्ग्रहण के प्रयोजन के लिए; अथवा
(ii) सार्वजनिक स्वास्थ्य की अभिवृद्धि या प्राण या संपत्ति के संकट-निवारण के लिए; अथवा
(iii) ऐसी संपत्ति की बाबत, जो विधि द्वारा निष्क्रांत संपत्ति घोषित की गई है,
बनाए,
कोई प्रभाव नहीं डालेगी ।‘’।
(छ) अनुच्छेद 31क में खंड (1) के परन्तुक का लोप किया जाएगा; और खंड (2) के उपखंड (क) के स्थान पर निम्नलिखित उपखंड रखा जाएगा, अर्थात्:--
(क) “संपदा” से ऐसी भूमि अभिप्रेत होगी जो कृषि के प्रयोजनों के लिए या कृषि के सहायक प्रयोजनों के लिए या चरागाह के लिए अधिभोग में है या पट्टे पर दी गई है और इसके अंतर्गत निम्नलिखित भी हैं, अर्थात्:---
(i) ऐसी भूमि पर भवनों के स्थल और अन्य संरचनाएं;
(ii) ऐसी भूमि पर खड़े वृक्ष ;
(iii) वन भूमि और वन्य बंजर भूमि;
(iv) जल से ढके क्षेत्र और जल पर तैरते हुए खेत ;
(v) जंदर और घराट स्थल;
(vi) कोई जागीर, इनाम, मुआफी या मुकर्ररी या इसी प्रकार का अन्य अनुदान,
किन्तु इसके अंतर्गत निम्नलिखित नहीं हैं:-
(i) किसी नगर, या नगरक्षेत्र या ग्राम आबादी में कोई भवन-स्थल या किसी ऐसे भवन या स्थल से अनुलग्न कोई भूमि;
(ii) कोई भूमि जो किसी नगर या ग्राम के स्थल के रूप में अधिभोग में है; या
(iii) किसी नगरपालिका या अधिसूचित क्षेत्र या छावनी या नगरक्षेत्र में या किसी क्षेत्र में, जिसके लिए कोई नगर योजना स्कीम मंजूर की गई है, भवन निर्माण के प्रयोजनों के लिए आरक्षित कोई भूमि ।‘।
[(ज) अनुच्छेद 32 में, खंड (3) का लोप किया जाएगा ।][5]
(झ) अनुच्छेद 35 में,---
(i) संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस आदेश के प्रारंभ के प्रति निर्देश हैं;
(ii) खंड (क) (i) में, “अनुच्छेद 16 के खंड (3), अनुच्छेद 32 के खंड (3)” शब्दों, केष्ठकों और अंकों का लोप किया जाएगा; और
(iii) खंड (ख) के पश्चात् निम्नलिखित खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्:---
“(ग) संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 के प्रारंभ के पूर्व या पश्चात्, निवारक निरोध की बाबत जम्मू-कश्मीर राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई कोई विधि इस आधार पर शून्य नहीं होगी कि वह इस भाग के उपबंधों में से किसी से असंगत है, किन्तु ऐसी कोई विधि उक्त आदेश के प्रारंभ से [6][[7][पच्चीस वर्ष के अवसान पर, ऐसी असंगति की मात्रा तक, उन बातों के सिवाय प्रभावहीन हो जाएगी जिन्हें उनके अवसान के पूर्व किया गया है या करने का लोप किया गया है ।“।
(ञ) अनुच्छेद 35 के पश्चात् निम्नलिखित नया अनुच्छेद जोड़ा जाएगा, अर्थात्:---
 “35क. स्थायी निवासियों और उनके अधिकारों की बाबत विधियों की व्यावृत्ति---इस संविधान में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जम्मू-कश्मीर राज्य में प्रवृत्त ऐसी कोई विद्यमान विधि और इसके पश्चात् राज्य के विधाम-मंडल द्वारा अधिनियमित ऐसी कोई विधि--
(क) जो उन व्यिक्तयों के वर्गों को परिभाषित करती है जो जम्मू-कश्मीर राज्य के स्थायी निवासी हैं या होंगे, या
(ख) जो---
(i) राज्य सरकार के अधीन नियोजन ;
(ii) राज्य में स्थावर संपत्ति के अर्जन ;
(iii) राज्य में बस जाने; या
(iv) छात्रवृत्तियों के या ऐसी अन्य प्रकार की सहायता के जो राज्य सरकार प्रदान करे अधिकार, की बाबत ऐसे स्थायी निवासियों को कोई विशेष अधिकार और विशेषाधिकार प्रदत्त करती है या अन्य व्यक्तियों पर कोई निर्बंधन अधिरोपित करती है, इस आधार पर शून्य नहीं होगी कि वह इस भाग के किसी उपबंध द्वारा भारत के अन्य नागरिकों को प्रदत्त किन्हीं अधिकारों से असंगत है या उनको छीनती या न्यून करती है ।“।
(5) भाग 5
[8][(क) अनुच्छेद 55 के प्रयोजनों के लिए जम्मू-कश्मीर राज्य की जनसंख्या तिरसठ लाख समझी जाएगी ;
(ख) अनुच्छेद 81 में, खंड (2) और (3) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रखे जाएंगे, अर्थात् :---
 “(2) खंड (1) के उपखंड (क) के प्रयोजनों के लिए,---
(क) लोक सभा में राज्य को छह स्थान आबंटित किए जाएंगे ;
(ख) परिसीमन अधिनियम, 1972 के अधीन गठित परिसीमन आयोग द्वारा राज्य को ऐसी प्रक्रिया के अनुसार, जो आयोग उचित समझे, एक सदस्यीय प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा;
(ग) निर्वाचन-क्षेत्र में, यथासाध्य, भौगोलिक रूप से संहत क्षेत्र होंगे और उनका परिसीमन करते समय प्राकृतिक विशेषताओं, प्रशासनिक इकाइयों की विद्यमान सीमाओं, संचार की सुविधाओं और लोक सुविधा को ध्यान में रखा जाएगा;
(घ) उन निर्वाचन-क्षेत्रों में, जिनमें राज्य विभाजित किया जाए, पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र समाविष्ट नहीं होंगे ।
(3) खंड (2) की कोई बात लोक सभा में राज्य के प्रतिनिधित्व पर तब तक प्रभाव नहीं डालेगी जब तक परिसीमन अधिनियम, 1972 के अधीन संसदीय निर्वाचन-क्षेत्रों के परिसीमन से संबंधित परिसीमन आयोग के अंतिम आदेश या आदेशों के भारत के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख को विद्यमान सदन का विघटन न हो जाए ।
(4) (क) परिसीमन आयोग राज्य की बाबत अपने कर्तव्यों में अपनी सहायता करने के प्रयोजन के लिए अपने साथ पांच व्यक्तियों को सहयोजित करेगा जो राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले लोक सभा के सदस्य होंगे ।
(ख) राज्य से इस प्रकार सहयोजित किए जाने वाले व्यक्ति सदन की संरचना का सम्यक् ध्यान रखते हुए लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा नामनिर्दिष किए जाएंगे ।
(ग) उपखंड (ख) के अधीन किए जाने वाले प्रथम नामनिर्देशन लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) दूसरा संशोधन आदेश, 1974 के प्रारंभ से दो मास के भीतर किए जाएंगे ।
(घ) किसी भी सहयोजित सदस्य को परिसीमन आयोग के किसी विनिश्चय पर मत देने या हस्ताक्षर करने का अधिकार नहीं होगा ।
(ङ) यदि मृत्यु या पदत्याग के कारण किसी सहयोजित सदस्य का पद रिक्त हो जाता है तो उसे लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा और उपखंड (क) और (ख) के उपबंधों के अनुसार यथाशक्य शीघ्र भरा जाएगा ।“।
[9][(ग) अनुच्छेद 133 में खंड (1) के पश्चात् निम्नलिखित खंड अंत:स्थापित किया जाएगा, अर्थात्:---
‘(1क) संविधान (तीसवां संशोधन) अधिनियम, 1972 की धारा 3 के उपबंध जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में इस उपांतरण के अधीन लागू होंगे कि उसमें “इस अधिनियम”, “यह अधिनियम पारित नहीं किया गया हो” और “इस अधिनियम द्वारा यथा संशोधित उस खंड के उपबंधों की” के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे क्रमश: “संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) दूसरा संशोधन आदेश, 1974, “उक्त आदेश के प्रारंभ, उक्त आदेश पारित नहीं किया गया हो और उक्त खंड के उपबंधों, जैसे कि वे उक्त आदेश के प्रारंभ के पश्चात् हों” के प्रति निर्देश हैं] ।
[10][(घ)] अनुच्छेद 134 के खंड (2) में “संसद्” शब्द के पश्चात् “राज्य के विधान-मंडल के अनुरोध पर” शब्द अंत:स्थापित किए जाएंगे ।
[11][(ङ)] अनुच्छेद 135 [12]**** और 139 का लोप किया जाएगा ।
[13] * * * * * *
[14][(5क) भाग 6
[15][(क) अनुच्छेद 153 से 217 तक, अनुच्छेद 219, अनुच्छेद 221, अनुच्छेद 223, 224, 224क और 225 तथा अनुच्छेद 227 से 237 तक का लोप किया जाएगा।]
(ख) अनुच्छेद 220 में, संविधान के प्रारंभ के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) संशोधन आदेश, 1960 के प्रति निर्देश हैं ।
[16][(ग) अनुच्छेद 222 में, खंड (1) के पश्चात् निम्नलिखित नया खंड अंत:स्थापित किया जाएगा, अर्थात्:---
 “(1क) प्रत्येक ऐसा अंतरण जो जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालय से अथवा उस उच्च न्यायालय को हो, राज्यपाल के परामर्श के पश्चात् किया जाएगा ।“]]
(6) भाग 11
[17][(क) अनुच्छेद 246 के खंड (1) में आने वाले “खंड (2) और खंड (3)” शब्दों, कोष्टकों और अंकों के स्थान पर “खंड (2)” शब्द, कोष्ठक और अंक रखे जाएंगे और खंड (2) में आने वाले “खंड (3) में किसी बात के होते हुए भी” शब्दों, कोष्ठक और अंक का तथा संपूर्ण खंड (3) और खंड (4) का लोप किया जाएगा ।]
[18][[19][(ख) अनुच्छेद 248 के स्थान पर निम्नलिखित अनुच्छेद रखा जाएगा, अर्थात्:---
 “248. अवशिष्ट विधायी शक्तियां--संसद को,--
[20][(क) विधि द्वारा स्थापित सरकार को आतंकित करने या जनता या जनता के किसी अनुभाग में आतंक उत्पन्न करने या जनता के किसी अनुभाग को पृथक करने या जनता के विभिन्न अनुभागों के बीच समरसता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले आतंकवादी कार्यों को अंतर्वलित करने वाले क्रियाकलाप को रोकने के संबंध में ;]
[21][(कक) भारत की प्रभुता तथा प्रादेशिक अखंडता को अनअंगीकृत, प्रश्नगत या विच्छिन्न करने अथवा भारत राज्यक्षेत्र के किसी भाग का अध्यर्पण कराने अथवा भारत राज्यक्षेत्र के किसी भाग को संघ से विलग कराने वाले अथवा भारत के राष्ट्रीय ध्वज, भारतीय राष्ट्रगान और इस संविधान का अपमान करने वाले [22][अन्य क्रियाकलाप को रोकने के संबंध में; और
(ख) (i) समुद्र या वायु द्वारा विदेश यात्रा पर ;
(ii) अंतर्देशीय विमान यात्रा पर ;
(iii) मनीआर्डर, फोनतार और तार को सम्मिलित करते हुए, डाक वस्तुओं पर,
कर लगाने के संबंध में,
विधि बनाने की अनन्य शक्ति है ।“ ।]
[23][स्पष्टीकरण---इस अनुच्छेद में, “आतंकवादी कार्य" से बमों, डायनामाइट या अन्य विस्फोटक पदार्थों या ज्वंलनशील पदार्थों या अग्न्यायुधों या अन्य प्राणहर आयुधों या विषों का या अपायकर गैसों या अन्य रसायनों या परिसंकटमय प्रकृति के किन्हीं अन्य पदार्थों का (चाहे वे जैव हों या अन्य) उपयोग करके किया गया कोई कार्य या बात अभिप्रेत है ।]
[24][(खख) अनुच्छेद 249 के खंड (1) में, “राज्य सूची में प्रगणित ऐसे विषय के संबंध में, जो उस संकल्प में विनिर्दिष्ट है,” शब्दों के स्थान पर उस संकल्प में विनिर्दिष्ट ऐसे विषय के संबंध में, जो संघ सूची या समवर्ती सूची में प्रगणित विषय नहीं है,” शब्द रखे जाएंगे ।]]
(ग) अनुच्छेद 250 में, “राज्य-सूची में प्रगणित किसी भी विषय के संबंध में” शब्दों के स्थान पर “संघ-सूची में प्रगणित न किए गए विषयों के संबंध में भी” शब्द रखे जाएंगे ।
(घ) संविधान आदेश 129 द्वारा खंड (घ) का लोप किया गया ।
(ङ) अनुच्छेद 253 में निम्नलिखित परन्तुक जोड़ा जाएगा, अर्थात्:---
“परन्तु संविधान (जम्मू-कश्मीर को लागू होना) आदेश, 1954 के प्रारंभ के पश्चात्, जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में व्यवस्था के प्रभावित करने वाला कोई विनिश्चय भारत सरकार द्वारा उस राज्य की सरकार की सहमति से ही किया जाएगा ।"।
(च) संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (च) का लोप किया गया ।
[25] [(च)] अऩुच्छेद 255 का लोप किया जाएगा ।
[26] [(छ)] अनुच्छेद 256 को उसके खंड (1) के रूप में पुन:संख्यांकित किया जाएगा और उसमें निम्नलिखित नया खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात्:---
 “(2) जम्मू-कश्मीर राज्य अपनी कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग करेगा जिससे उस राज्य के संबंध में संविधान के अधीन संघ के कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का संघ द्वारा निर्वहन सुगम हो, और विशिष्टतया उक्त राज्य यदि संघ वैसी अपेक्षा करे, संघ की ओर से और उसके व्यय पर संपत्ति का


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विधि मंत्रालय की अधिसूचना सं.का.नि.आ. 1610, तारीख 14 मई, 1954 भारत का राजपत्र, असाधारण, भाग 2, धारा 3, पृष्ठ 821 में प्रकाशित ।
  2. प्रारंभ में आने वाले शब्द संविधान आदेश 56, संविधान आदेश 74, संविधान आदेश 76, संविधान आदेश 79, संविधान आदेश 89, संविधान आदेश 91, संविधान आदेश 94, संविधान आदेश 98, संविधान आदेश 103, संविधान आदेश 104, संविधान आदेश 105, संविधान आदेश 108, संविधान आदेश 136 और तत्पश्चात् संविधान आदेश 141 द्वारा संशोधित होकर उपरोक्त रूप में आए ।
  3. संविधान आदेश 69 द्वारा “दस वर्ष” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  4. संविधान आदेश 97 द्वारा “बीस” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
  5. संविधान आदेश 89 द्वारा खंड (ज) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  6. संविधान आदेश 69 द्वारा “दस वर्ष” के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  7. संविधान आदेश 97 द्वारा “बीस” के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  8. संविधान आदेश 98 द्वारा खंड (क) और खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  9. संविधान आदेश 98 द्वारा अंत:स्थापित ।
  10. संविधान आदेश 98 द्वारा खंड (ग) और खंड (घ) को खंड (घ) और खंड (ङ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया ।
  11. संविधान आदेश 98 द्वारा खंड (ग) और खंड (घ) को खंड (घ) और खंड (ङ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया ।
  12. संविधान आदेश 60 द्वारा अंक “136” का लोप किया गया ।
  13. संविधान आदेश 56 द्वारा खंड (च) और खंड (छ) का लोप किया गया ।
  14. संविधान आदेश 60 द्वारा (26-1-1960 से) अंत:स्थापित ।
  15. संविधान आदेश 98 द्वारा खंड (क) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  16. संविधान आदेश 74 द्वारा (24-11-1965 से) खंड (ग) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  17. संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (क) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  18. संविधान आदेश 85 द्वारा खंड (ख) और खंड (खख), मूल खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  19. संविधान आदेश 93 द्वारा खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  20. संविधान आदेश 122 द्वारा अंत:स्थापित।
  21. संविधान आदेश 122 द्वारा खंड (क) को खंड (कक) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया।
  22. संविधान आदेश 122 द्वारा “क्रियाकलापों को रोकने” के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  23. संविधान आदेश 122 द्वारा अंत:स्थापित ।
  24. संविधान आदेश 129 द्वारा खंड (खख) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
  25. संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (छ) और खंड (ज) को खंड (च) और खंड (छ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया ।
  26. संविधान आदेश 66 द्वारा खंड (छ) और खंड (ज) को खंड (च) और खंड (छ) के रूप में पुन:अक्षरांकित किया गया ।

बाहरी कड़ियाँ

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