"माधवजू मोसम मंद न कोऊ -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
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जद्यपि मीन पतंग हीनमति, मोहि नहिं पूजैं ओऊ॥1॥ | जद्यपि मीन पतंग हीनमति, मोहि नहिं पूजैं ओऊ॥1॥ | ||
रुचिर रूप-आहार-बस्य उन्ह, पावक लोह न जान्यो। | रुचिर रूप-आहार-बस्य उन्ह, पावक लोह न जान्यो। | ||
देखत बिपति बिषय न तजत हौं ताते अधिक | देखत बिपति बिषय न तजत हौं ताते अधिक अयान्यो॥2॥ | ||
महामोह सरिता अपार महँ, संतत फिरत बह्यो। | महामोह सरिता अपार महँ, संतत फिरत बह्यो। | ||
श्रीहरि चरनकमल-नौका तजि फिरि फिरि फेन गह्यो॥३॥ | श्रीहरि चरनकमल-नौका तजि फिरि फिरि फेन गह्यो॥३॥ |
10:03, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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माधवजू मोसम मंद न कोऊ। |
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