"यों मन कबहूँ तुमहिं न लाग्यो -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "२" to "2") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "३" to "3") |
||
पंक्ति 36: | पंक्ति 36: | ||
त्यों न साधु, सुरसरि-तरंग-निर्मल गुनगुन रघुबरके॥2॥ | त्यों न साधु, सुरसरि-तरंग-निर्मल गुनगुन रघुबरके॥2॥ | ||
ज्यों नासा सुगंध-रस-बस, रसना षटरसरति मानी। | ज्यों नासा सुगंध-रस-बस, रसना षटरसरति मानी। | ||
राम-प्रसाद-माल, जूठनि लगि, त्यों न ललकि | राम-प्रसाद-माल, जूठनि लगि, त्यों न ललकि ललचानी॥3॥ | ||
चंदन-चंदबदनि-भूषन-पट ज्यों चह पाँवर परस्यो। | चंदन-चंदबदनि-भूषन-पट ज्यों चह पाँवर परस्यो। | ||
त्यों रघुपति-पद-पदुम-परसको तनु पातकी न तरस्यो॥४॥ | त्यों रघुपति-पद-पदुम-परसको तनु पातकी न तरस्यो॥४॥ |
10:11, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
| ||||||||||||||||||
|
यों मन कबहूँ तुमहिं न लाग्यो। |
संबंधित लेख |