"प्रद्योत": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
*'[[भविष्यपुराण]]' में प्रद्योत को क्षेमक का पुत्र कहा गया है एवं इसे ‘म्लेच्छहंता’ उपाधि दी गयी है।<ref>भवि.प्रति.1.4.</ref> इसके पिता क्षेमक अथवा शुनक का म्लेच्छों ने वध किया। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए [[नारद मुनि|नारद]] की सलाह से इसने ‘म्लेच्छयज्ञ’ आरम्भ किया। उस [[यज्ञ]] के लिए इसने सोलह मील लम्बा एक यज्ञकुंण्ड तैयार करवाया। इसके पश्चात इसने [[वेद]] [[मंत्र|मंत्रों]] के साथ निम्नलिखित म्लेच्छ जातियों को जलाकर भस्म कर दिया- | *'[[भविष्यपुराण]]' में प्रद्योत को क्षेमक का पुत्र कहा गया है एवं इसे ‘म्लेच्छहंता’ उपाधि दी गयी है।<ref>भवि.प्रति.1.4.</ref> इसके पिता क्षेमक अथवा शुनक का म्लेच्छों ने वध किया। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए [[नारद मुनि|नारद]] की सलाह से इसने ‘म्लेच्छयज्ञ’ आरम्भ किया। उस [[यज्ञ]] के लिए इसने सोलह मील लम्बा एक यज्ञकुंण्ड तैयार करवाया। इसके पश्चात इसने [[वेद]] [[मंत्र|मंत्रों]] के साथ निम्नलिखित म्लेच्छ जातियों को जलाकर भस्म कर दिया- | ||
हारहूण, [[बर्बर]], गुरुंड, [[शक]], [[खस जाति|खस]], [[यवन]], [[पल्लव]], रोमज, खरसंभव द्वीप के कामस, तथा [[सागर द्वीप|सागर]] के मध्य भाग में स्थित [[चीन]] के म्लेच्छ लोग। इसी यज्ञ के कारण इसे ‘म्लेच्छहंता’ उपाधि प्राप्त हुयी।<ref>{{cite web |url= http://www.transliteral.org/dictionary/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%A4-ii/word|title= प्रद्योत|accessmonthday= 18 जून|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= हिन्दी}}</ref> | हारहूण, [[बर्बर]], गुरुंड, [[शक]], [[खस जाति|खस]], [[यवन]], [[पल्लव]], रोमज, खरसंभव द्वीप के कामस, तथा [[सागर द्वीप|सागर]] के मध्य भाग में स्थित [[चीन]] के म्लेच्छ लोग। इसी यज्ञ के कारण इसे ‘म्लेच्छहंता’ उपाधि प्राप्त हुयी।<ref>{{cite web |url= http://www.transliteral.org/dictionary/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%A4-ii/word|title= प्रद्योत|accessmonthday= 18 जून|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=ट्रांसलिटरल फाउंडेशन|language= हिन्दी}}</ref> | ||
*राजा प्रद्योत अपने समकालीन समस्त राजाओं में प्रमुख था, इसलिए उसे 'चण्ड' कहा जाता था। उसके समय अवन्ति की उन्नति चरमोत्कर्ष पर थी। | *राजा प्रद्योत अपने समकालीन समस्त राजाओं में प्रमुख था, इसलिए उसे 'चण्ड' कहा जाता था। उसके समय अवन्ति की उन्नति चरमोत्कर्ष पर थी। | ||
*चण्ड प्रद्योत का [[वत्स महाजनपद|वत्स]] नरेश [[उदयन]] के साथ दीर्घकालीन संघर्ष हुआ, किंतु बाद में उसने अपनी पुत्री [[वासवदत्ता]] का [[विवाह]] उदयन से कर मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किया। | *चण्ड प्रद्योत का [[वत्स महाजनपद|वत्स]] नरेश [[उदयन]] के साथ दीर्घकालीन संघर्ष हुआ, किंतु बाद में उसने अपनी पुत्री [[वासवदत्ता]] का [[विवाह]] उदयन से कर मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किया। |
09:53, 18 जून 2015 का अवतरण
प्रद्योत प्राचीन भारत के प्रद्योत राजवंश का प्रथम राजा था। वह शुनक का पुत्र था।[1] इसका पिता शुनक सूर्य वंश के अंतिम राजा रिपुंजय अथवा अरिंजय का महामात्य था। उसने रिपुंजय का वध कर राजगद्दी पर अपने पुत्र प्रद्योत को बिठाया था, जिससे आगे चलकर 'प्रद्योत राजवंश' की स्थापना हुई।
- पुराणों से प्रमाण मिलता है कि गौतम बुद्ध के समय अमात्य पुलिक[2] ने समस्त क्षत्रियों के सम्मुख अपने स्वामी की हत्या करके अपने पुत्र प्रद्योत को अवन्ति के सिंहासन पर बैठाया था। 'हर्षचरित' के अनुसार इस अमात्य का नाम पुणक या पुणिक था। इस प्रकार वीतिहोत्र कुल के शासन की समाप्ति हो गई तथा 546 ई. पू. यहाँ प्रद्योत राजवंश का शासन स्थापित हो गया।[3]
- 'भविष्यपुराण' में प्रद्योत को क्षेमक का पुत्र कहा गया है एवं इसे ‘म्लेच्छहंता’ उपाधि दी गयी है।[4] इसके पिता क्षेमक अथवा शुनक का म्लेच्छों ने वध किया। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए नारद की सलाह से इसने ‘म्लेच्छयज्ञ’ आरम्भ किया। उस यज्ञ के लिए इसने सोलह मील लम्बा एक यज्ञकुंण्ड तैयार करवाया। इसके पश्चात इसने वेद मंत्रों के साथ निम्नलिखित म्लेच्छ जातियों को जलाकर भस्म कर दिया-
हारहूण, बर्बर, गुरुंड, शक, खस, यवन, पल्लव, रोमज, खरसंभव द्वीप के कामस, तथा सागर के मध्य भाग में स्थित चीन के म्लेच्छ लोग। इसी यज्ञ के कारण इसे ‘म्लेच्छहंता’ उपाधि प्राप्त हुयी।[5]
- राजा प्रद्योत अपने समकालीन समस्त राजाओं में प्रमुख था, इसलिए उसे 'चण्ड' कहा जाता था। उसके समय अवन्ति की उन्नति चरमोत्कर्ष पर थी।
- चण्ड प्रद्योत का वत्स नरेश उदयन के साथ दीर्घकालीन संघर्ष हुआ, किंतु बाद में उसने अपनी पुत्री वासवदत्ता का विवाह उदयन से कर मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किया।
- बौद्ध ग्रंथ 'विनयपिटक' के अनुसार चण्ड प्रद्योत के मगध नरेश बिम्बिसार के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध थे। जब चण्ड प्रद्योत पीलिया रोग से ग्रसित था, तब बिम्बिसार ने अपने राजवैद्य जीवक को उज्जयिनी भेजकर उसका उपचार कराया था, परंतु उसके उत्तराधिकारी अजातशत्रु के अवन्ति नरेश से संबंध अच्छे नहीं थे।
- 'मंझिमनिकाय' से ज्ञात होता है कि चण्ड प्रद्योत के सम्भावित आक्रमण के भय से अजातशत्रु ने अपनी राजधानी राजगृह की सुदृढ़ क़िलेबंदी कर ली थी।
- प्रद्योत राजवंश में कुल पाँच राजा हुए, जिनके नाम क्रम से इस प्रकार थे-
- प्रद्योत
- पालक
- विशाखयूप
- जनक (अजक)
- नंदवर्धन (नंदिवर्धन अथवा वर्तिवर्धन)
- इन सभी राजाओं ने कुल एक सौ अड़तीस वर्षों तक राज्य किया।[6] इस वंश का राज्यकाल संभवतः 745 ई. पू. से 690 ई. पू. के बीच माना जाता है। उक्त राजाओं के नाम सभी पुराणों में एक से मिलते हैं। जनक तथा नंदवर्धन राजाओं के नामांतर केवल वायुपुराण में प्राप्त है। चण्ड प्रद्योत के पश्चात उसका पुत्र 'पालक' संभवतः अपने अग्रज गोपाल को हटाकर उज्जयिनी के राजसिंहासन पर बैठा था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वायुपुराण में इसे सुनीक का पुत्र कहा गया है।
- ↑ सुनिक
- ↑ मालवा के विभिन्न राजवंश (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 18 जून, 2015।
- ↑ भवि.प्रति.1.4.
- ↑ प्रद्योत (हिन्दी) ट्रांसलिटरल फाउंडेशन। अभिगमन तिथि: 18 जून, 2015।
- ↑ विष्णुपुराण 4.22.24