"हेमचंद जोशी": अवतरणों में अंतर

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'''हेमचंद जोशी''' ([[21 जून]],[[1894]] ई.) [[हिंदी]] के प्रमुख भाषाशास्त्री तथा इतिहासज्ञ थे। वह प्राय: सभी प्रमुख भारतीय भाषाएँ जानते थे। ग्रीक, लैटिन, इतालवी आदि भाषाओं के भी यह अच्छे ज्ञाता थे। मासिक विश्वमित्र (पत्र), विश्ववाणी तथा [[धर्मयुग]] का संपादन कर उन्‍होंने [[हिंदी पत्रकारिता]] को नवीन दिशा प्रदान की। हिंदी भाषा तथा साहित्य के क्षेत्र में आपकी सेवाएँ चिरस्मरणीय रहेंगी।
'''हेमचंद जोशी''' ([[21 जून]],[[1894]] ई.) [[हिंदी]] के प्रमुख भाषाशास्त्री तथा इतिहासज्ञ थे। वह प्राय: सभी प्रमुख भारतीय भाषाएँ जानते थे। ग्रीक, लैटिन, इतालवी आदि भाषाओं के भी यह अच्छे ज्ञाता थे। मासिक विश्वमित्र (पत्र), विश्ववाणी तथा [[धर्मयुग]] का संपादन कर उन्‍होंने [[हिंदी पत्रकारिता]] को नवीन दिशा प्रदान की। हिंदी भाषा तथा साहित्य के क्षेत्र में आपकी सेवाएँ चिरस्मरणीय रहेंगी।
==परिचय==
==परिचय==
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==आंदोलन==
==आंदोलन==
भारत के स्वाधीनता आंदोलन में भी आपने प्रारंभ में भाग लिया था। [[महात्मा गांधी|गांधीजी]] की अपेक्षा [[बालगंगाधर तिलक|तिलक]] का इन पर अधिक प्रभाव था।  
भारत के स्वाधीनता आंदोलन में भी आपने प्रारंभ में भाग लिया था। [[महात्मा गांधी|गांधीजी]] की अपेक्षा [[बालगंगाधर तिलक|तिलक]] का इन पर अधिक प्रभाव था।  
==भाषाएँ==
==भाषाएँ==

10:12, 25 जुलाई 2015 का अवतरण

हेमचंद जोशी
हेमचंद जोशी
हेमचंद जोशी
पूरा नाम हेमचंद जोशी
जन्म 21 जून,1894 ई
जन्म भूमि वाराणसी
भाषा हिंदी
शिक्षा एम. ए
विद्यालय काशी हिंदू विश्वविद्यालय

हेमचंद जोशी (21 जून,1894 ई.) हिंदी के प्रमुख भाषाशास्त्री तथा इतिहासज्ञ थे। वह प्राय: सभी प्रमुख भारतीय भाषाएँ जानते थे। ग्रीक, लैटिन, इतालवी आदि भाषाओं के भी यह अच्छे ज्ञाता थे। मासिक विश्वमित्र (पत्र), विश्ववाणी तथा धर्मयुग का संपादन कर उन्‍होंने हिंदी पत्रकारिता को नवीन दिशा प्रदान की। हिंदी भाषा तथा साहित्य के क्षेत्र में आपकी सेवाएँ चिरस्मरणीय रहेंगी।

परिचय

इनका जन्म नैनीताल में 21 जून सन् 1894 ई. को हुआ था। इनकी शिक्षा दीक्षा अल्मोड़ा, प्रयाग तथा वाराणसी में हुई। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से इतिहास में एम. ए. किया। बर्लिन विश्वविद्यालय में भी आपने उच्च अध्ययन किया और पैरिस विश्वविद्यालय से ऋग्वेद काल में आर्थिक राजनीतिक स्थिति पर शोधप्रबंध प्रस्तुत कर डी. लिट्. की उपाधि ली। फ्रांस तथा जर्मनी में आप अनेक वर्ष रहे तथा वहाँ भाषा एवं साहित्य का गहन अध्ययन किया।[1]

आंदोलन

भारत के स्वाधीनता आंदोलन में भी आपने प्रारंभ में भाग लिया था। गांधीजी की अपेक्षा तिलक का इन पर अधिक प्रभाव था।

भाषाएँ

वह प्राय: सभी प्रमुख भारतीय भाषाएँ जानते थे। ग्रीक, लैटिन, इतालवी आदि भाषाओं के भी यह अच्छे ज्ञाता थे।

सन् 1922 में आपकी 'स्वाधीनता के सिद्धांत' नामक पुस्तक प्रकाशित हुई। सन् 40 में 'भारत का इतिहास' और 44 में 'विक्रमादित्य' नामक पुस्तकें प्रकाशित हुईं। रिचर्ड पिशेल के 'प्राकृत भाषा के व्याकरण' का अनुवाद आपकी उल्लेख्य कृति है। आपने संस्मरण, यात्रा विवरण तथा प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में सैकड़ों महत्वपूर्ण निबंध लिखे हैं। मासिक विश्वमित्र (पत्र), विश्ववाणी तथा धर्मयुग का संपादन कर उन्‍होंने हिंदी पत्रकारिता को नवीन दिशा प्रदान की। हिंदी भाषा तथा साहित्य के क्षेत्र में आपकी सेवाएँ चिरस्मरणीय रहेंगी।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 हेमचंद जोशी (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 22 जुलाई, 2015।