"तिरुमलाई कृष्णामाचार्य": अवतरणों में अंतर
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'''तिरुमलाई कृष्णामाचार्य''' ([[अंग्रेज़ी]]: Tirumalai Krishnamacharya, जन्म- [[18 नवंबर]], [[1888]]; मृत्यु- [[28 फ़रवरी]], [[1989]]) को 'आधुनिक योग का पिता' कहा जाता है। हठयोग और विन्यास को फिर से जीवित करने का पूरा श्रेय उन्हें ही जाता है। तिरुमलाई कृष्णामाचार्य को [[आयुर्वेद]] की भी जानकारी थी। इलाज के लिए उनके पास आए लोगों को वह [[योग]] और आयुर्वेद की मदद से ही ठीक किया करते थे। उन्होंने [[मैसूर]] के महाराजा के राज के समय पूरे [[भारत]] में योग को एक नई पहचान दिलाई।<br/> | {{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व | ||
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}}'''तिरुमलाई कृष्णामाचार्य''' ([[अंग्रेज़ी]]: Tirumalai Krishnamacharya, जन्म- [[18 नवंबर]], [[1888]]; मृत्यु- [[28 फ़रवरी]], [[1989]]) को 'आधुनिक योग का पिता' कहा जाता है। हठयोग और विन्यास को फिर से जीवित करने का पूरा श्रेय उन्हें ही जाता है। तिरुमलाई कृष्णामाचार्य को [[आयुर्वेद]] की भी जानकारी थी। इलाज के लिए उनके पास आए लोगों को वह [[योग]] और आयुर्वेद की मदद से ही ठीक किया करते थे। उन्होंने [[मैसूर]] के महाराजा के राज के समय पूरे [[भारत]] में योग को एक नई पहचान दिलाई।<br/> | |||
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06:19, 25 जुलाई 2022 का अवतरण
तिरुमलाई कृष्णामाचार्य
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पूरा नाम | तिरुमलाई कृष्णामाचार्य |
जन्म | 18 नवंबर, 1888 |
जन्म भूमि | ज़िला चित्रदुर्ग, मैसूर राज्य (वर्तमान कर्नाटक) |
मृत्यु | 28 फ़रवरी, 1989 |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | योग |
प्रसिद्धि | भारतीय योगाचार्य |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | बी. के. एस. अयंगर, कृष्ण पट्टाभि जोइस |
अन्य जानकारी | तिरुमलाई कृष्णामाचार्य ने लोगों का ध्यान योग की तरफ खींचा। अपनी सिद्धियों के जरिए नाड़ी रोककर, हाथों से कार खींचकर और दातों से भारी वस्तुओं को उठाकर दिखाया। |
तिरुमलाई कृष्णामाचार्य (अंग्रेज़ी: Tirumalai Krishnamacharya, जन्म- 18 नवंबर, 1888; मृत्यु- 28 फ़रवरी, 1989) को 'आधुनिक योग का पिता' कहा जाता है। हठयोग और विन्यास को फिर से जीवित करने का पूरा श्रेय उन्हें ही जाता है। तिरुमलाई कृष्णामाचार्य को आयुर्वेद की भी जानकारी थी। इलाज के लिए उनके पास आए लोगों को वह योग और आयुर्वेद की मदद से ही ठीक किया करते थे। उन्होंने मैसूर के महाराजा के राज के समय पूरे भारत में योग को एक नई पहचान दिलाई।
- तिरुमलाई कृष्णामाचार्य का जन्म ज़िला चित्रदुर्ग, मैसूर राज्य (वर्तमान कर्नाटक) में 18 नवम्बर सन 1888 को हुआ था। भारत में वैसे तो योग की परंपरा पुरातन काल से ही चली आ रही है। योग गुरु पतंजलि द्वारा योग पर किया गया काम अतुलनीय है लेकिन आधुनिक काल में योग को फिर से मुख्यधारा में लाने वाली शख्सियतों में तिरुमलाई कृष्णामाचार्य का नाम अगली कतार में आता है। वी. के. एस. अयंगर जैसे योग गुरु उनके शिष्य थे। उन्होंने योग को घर-घर पहुंचाने का काम किया था।
- तिरुमलाई कृष्णामाचार्य ने लोगों का ध्यान योग की तरफ खींचा। अपनी सिद्धियों के जरिए नाड़ी रोककर, हाथों से कार खींचकर और दातों से भारी वस्तुओं को उठाकर दिखाया।
- उन्होंने योगमकरंद, योगासानगलु, योगरहस्य और योगवाली सहित कई निबंध भी लिखे। सीधे तौर पर देखें तो इसे योग का दस्तावेजीकरण कहा जा सकता है।
- महान योगी योगेश्वर राममोहन ब्रह्मचारी से मिलने और योग सीखने के लिए उन्होंने नंगे पैर कैलाश पर्वत तक की यात्रा की।
- उनके जाने-माने शिष्यों में टीकेवी देसीकचर, इंदिरा देवी, बी. के. एस. अयंगर, कृष्णा पट्टाभि जोइस, ए. जी. मोहन और श्रीवास्तव रामास्वामी को शुमार किया जा सकता है।
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