"लक्ष्मण सेन": अवतरणों में अंतर

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*कुछ समय तक उसके राज्य सीमा दक्षिण-पूर्व में [[उड़ीसा]] और पश्चिम में [[वाराणसी]], [[इलाहाबाद]] तक थी।  
*कुछ समय तक उसके राज्य सीमा दक्षिण-पूर्व में [[उड़ीसा]] और पश्चिम में [[वाराणसी]], [[इलाहाबाद]] तक थी।  
*उसके शासनकाल के अन्तिम चरण में उसके कई सामन्तों ने विद्रोह करके स्वतंत्र राज्य की स्थापना कर ली।  
*उसके शासनकाल के अन्तिम चरण में उसके कई सामन्तों ने विद्रोह करके स्वतंत्र राज्य की स्थापना कर ली।  
*1202 ई. में इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने लक्ष्मण सेन की राजधानी लखनौती पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दिया।  
*1202 ई. में [[इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद|इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी]] ने लक्ष्मण सेन की राजधानी लखनौती पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दिया।  
*इस घटना का वर्णन मिनहाज ने 'तबकाते-नासिरी' में किया है।  
*इस घटना का वर्णन मिनहाज ने 'तबकाते-नासिरी' में किया है।  
*लक्ष्मण सेन स्वयं विद्वान था। उसने बल्लाल सेन द्वारा प्रारम्भ किये गये 'उद्भुत सागर' नामक ग्रन्थ की रचना को पूरा किया।  
*लक्ष्मण सेन स्वयं विद्वान था। उसने बल्लाल सेन द्वारा प्रारम्भ किये गये 'उद्भुत सागर' नामक ग्रन्थ की रचना को पूरा किया।  

06:42, 3 दिसम्बर 2010 का अवतरण

  • बल्ला सेन का उत्तराधिकारी लक्ष्मण सेन 1178 ई. में राजगद्दी पर बैठा।
  • उसका शासन सम्पूर्ण बंगाल पर विस्तृत था।
  • कुछ समय तक उसके राज्य सीमा दक्षिण-पूर्व में उड़ीसा और पश्चिम में वाराणसी, इलाहाबाद तक थी।
  • उसके शासनकाल के अन्तिम चरण में उसके कई सामन्तों ने विद्रोह करके स्वतंत्र राज्य की स्थापना कर ली।
  • 1202 ई. में इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने लक्ष्मण सेन की राजधानी लखनौती पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दिया।
  • इस घटना का वर्णन मिनहाज ने 'तबकाते-नासिरी' में किया है।
  • लक्ष्मण सेन स्वयं विद्वान था। उसने बल्लाल सेन द्वारा प्रारम्भ किये गये 'उद्भुत सागर' नामक ग्रन्थ की रचना को पूरा किया।
  • श्रीधरदास उसका दरबारी कवि था।
  • इसके अतिरिक्त जयदेव, जलायुध, धोई तथा गोवर्धन उसके दरबार को सुशोभित करते थे।
  • हलायुध उसका प्रधान न्यायाधीश तथा मुख्यमंत्री था।
  • लक्ष्मणसेन वैष्णव धर्म का अनुयायी था।
  • लेखों में उसे 'परम भागवत' की उपाधि प्रदान की गयी है।
  • लक्ष्मणसेन के बाद विश्वरूप सेन तथा केशव सेन कमजोर उत्तराधिकारी के रूप में शासन किये।
  • लक्ष्मणसेन के राजदरबार में गीत गोविन्द के लेखक जयदेव, ब्राह्मण सर्वस्व के लेखक हलायुध एवं 'पवनदूतम्' के लेखक धोई रहते थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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