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*उसका शासन काल 100 ईस्वी से 108 ईस्वी के लगभग तक रहा। | *उसका शासन काल 100 ईस्वी से 108 ईस्वी के लगभग तक रहा। | ||
*इस राजा का कोई सिक्का अब तक उपलब्ध नहीं हुआ है, पर उसके साथ सम्बन्ध रखने वाले कतिपय उत्कीर्ण लेख प्राप्त हुए हैं, जिससे उसके इतिहास के सम्बन्ध में अनेक | *इस राजा का कोई सिक्का अब तक उपलब्ध नहीं हुआ है, पर उसके साथ सम्बन्ध रखने वाले कतिपय उत्कीर्ण लेख प्राप्त हुए हैं, जिससे उसके इतिहास के सम्बन्ध में अनेक महत्त्वपूर्ण बातें ज्ञात होती हैं। | ||
*वासिष्क के शासन काल में कनिष्क द्वारा स्थापित कुषाण साम्राज्य अक्षुष्ण दशा में रहा, और उसमें कोई क्षीणता नहीं आई। | *वासिष्क के शासन काल में कनिष्क द्वारा स्थापित कुषाण साम्राज्य अक्षुष्ण दशा में रहा, और उसमें कोई क्षीणता नहीं आई। | ||
*सम्भवतः वासिष्क ने कुषाण साम्राज्य को और भी अधिक विस्तृत किया, क्योंकि [[साँची]] में प्राप्त एक लेख से सूचित होता है, कि [[विदिशा]] भी '''राजतिराज देवपुत्र शाहि वासष्क''' की अधीनता में था। | *सम्भवतः वासिष्क ने कुषाण साम्राज्य को और भी अधिक विस्तृत किया, क्योंकि [[साँची]] में प्राप्त एक लेख से सूचित होता है, कि [[विदिशा]] भी '''राजतिराज देवपुत्र शाहि वासष्क''' की अधीनता में था। |
13:48, 4 जनवरी 2011 का अवतरण
- कनिष्क के बाद विशाल कुषाण साम्राज्य का स्वामी वासिष्क बना।
- उसका शासन काल 100 ईस्वी से 108 ईस्वी के लगभग तक रहा।
- इस राजा का कोई सिक्का अब तक उपलब्ध नहीं हुआ है, पर उसके साथ सम्बन्ध रखने वाले कतिपय उत्कीर्ण लेख प्राप्त हुए हैं, जिससे उसके इतिहास के सम्बन्ध में अनेक महत्त्वपूर्ण बातें ज्ञात होती हैं।
- वासिष्क के शासन काल में कनिष्क द्वारा स्थापित कुषाण साम्राज्य अक्षुष्ण दशा में रहा, और उसमें कोई क्षीणता नहीं आई।
- सम्भवतः वासिष्क ने कुषाण साम्राज्य को और भी अधिक विस्तृत किया, क्योंकि साँची में प्राप्त एक लेख से सूचित होता है, कि विदिशा भी राजतिराज देवपुत्र शाहि वासष्क की अधीनता में था।
- इस समय दो राजशक्तियाँ प्रधान थीं।
- उत्तरापथ कुषाणों के अधीन था, और दक्षिणापथ पर सातवाहन वंश का शासन था।
- पहले विदिशा सातवाहनों के अधीन थी, पर वासिष्क के समय में उस पर भी कुषाण वंश का आधिपत्य स्थापित हो गया था।
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