"कुमारगुप्त द्वितीय": अवतरणों में अंतर

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*सम्राट [[स्कन्दगुप्त]] के बाद दस वर्षों में [[गुप्त वंश]] के तीन राजा हुए।  
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*इससे स्पष्ट प्रतीत होता है, कि यह काल अव्यवस्था और अशान्ति का था।  
*इससे स्पष्ट प्रतीत होता है, कि यह काल अव्यवस्था और अशान्ति का था।  
*अपने चार वर्ष के शासन काल में कुमारगुप्त द्वितीय 'विक्रमादित्य' ने अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए।  
*अपने चार वर्ष के शासन काल में कुमारगुप्त द्वितीय 'विक्रमादित्य' ने अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किए।  
*कुमारगुप्त द्वितीय ने वाकाटक राजा से युद्ध किए, और [[मालवा]] के प्रदेश को जीतकर फिर से अपने साम्राज्य में मिला लिया।  
*कुमारगुप्त द्वितीय ने वाकाटक राजा से युद्ध किए, और [[मालवा]] के प्रदेश को जीतकर फिर से अपने साम्राज्य में मिला लिया।  
*वाकाटकों की शक्ति अब फिर से क्षीण होने लगी।
*वाकाटकों की शक्ति अब फिर से क्षीण होने लगी।

13:26, 4 जनवरी 2011 का अवतरण

  • नरसिंह गुप्त के बाद कुमारगुप्त द्वितीय पाटलिपुत्र के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ।
  • कुमारगुप्त द्वितीय ने भी 'विक्रमादित्य' की उपाधि ग्रहण की।
  • कुमारगुप्त द्वितीय अन्य गुप्त सम्राटों के समान वैष्णव धर्म का अनुयायी था, और उसे भी 'परम भागवत्' लिखा गया है।
  • कुमारगुप्त द्वितीय ने कुल चार वर्ष राज्य किया।
  • 477 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।
  • सम्राट स्कन्दगुप्त के बाद दस वर्षों में गुप्त वंश के तीन राजा हुए।
  • इससे स्पष्ट प्रतीत होता है, कि यह काल अव्यवस्था और अशान्ति का था।
  • अपने चार वर्ष के शासन काल में कुमारगुप्त द्वितीय 'विक्रमादित्य' ने अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किए।
  • कुमारगुप्त द्वितीय ने वाकाटक राजा से युद्ध किए, और मालवा के प्रदेश को जीतकर फिर से अपने साम्राज्य में मिला लिया।
  • वाकाटकों की शक्ति अब फिर से क्षीण होने लगी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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साँचा:गुप्त राजवंश