"कर्णदेव": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
{{प्रचार}} | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= |
11:47, 10 जनवरी 2011 का अवतरण
1040 से 1070 ई.
- गांगेय देव के बाद उसका पुत्र कर्ण देव अथवा लक्ष्मी कर्ण सिंहसानारूढ़ हुआ।
- उसने चालुक्य नरेश भीम के साथ मिल कर मालवा के परमार वंश के शासक भोज को परास्त किया।
- कलिंग विजय के उपरान्त उसने 'त्रिकलिंगाधिपति' की उपाधि धारण की ।
- चन्देल नरेश कीर्तिवर्मन से पराजित होने पर उसकी शक्ति कमजोर हो गई और यही से कलचुरी साम्राज्य लड़खड़ाने लगा, जिसका अन्त चन्देल शासक त्रैलोक्य वर्मन ने विजयसिंह को परास्त करके त्रिपुरी को अपने राज्य में मिलाकर कर दिय।
- कर्णदेव एवं विजयसिंह के मध्य कुछ अन्य कलचुरी शासक यश:कर्ण, गयकर्ण, नरसिंह, जयसिंह आदि थे।
|
|
|
|
|