"लक्ष्मण सेन": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
*लक्ष्मणसेन के राजदरबार में गीत गोविन्द के लेखक जयदेव, ब्राह्मण सर्वस्व के लेखक हलायुध एवं 'पवनदूतम्' के लेखक धोई रहते थे। | *लक्ष्मणसेन के राजदरबार में गीत गोविन्द के लेखक जयदेव, ब्राह्मण सर्वस्व के लेखक हलायुध एवं 'पवनदूतम्' के लेखक धोई रहते थे। | ||
{{प्रचार}} | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार=आधार1 | |आधार=आधार1 |
13:30, 10 जनवरी 2011 का अवतरण
- बल्ला सेन का उत्तराधिकारी लक्ष्मण सेन 1178 ई. में राजगद्दी पर बैठा।
- उसका शासन सम्पूर्ण बंगाल पर विस्तृत था।
- कुछ समय तक उसके राज्य सीमा दक्षिण-पूर्व में उड़ीसा और पश्चिम में वाराणसी, इलाहाबाद तक थी।
- उसके शासनकाल के अन्तिम चरण में उसके कई सामन्तों ने विद्रोह करके स्वतंत्र राज्य की स्थापना कर ली।
- 1202 ई. में इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने लक्ष्मण सेन की राजधानी लखनौती पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दिया।
- इस घटना का वर्णन मिनहाज ने 'तबकाते-नासिरी' में किया है।
- लक्ष्मण सेन स्वयं विद्वान था। उसने बल्लाल सेन द्वारा प्रारम्भ किये गये 'उद्भुत सागर' नामक ग्रन्थ की रचना को पूरा किया।
- श्रीधरदास उसका दरबारी कवि था।
- इसके अतिरिक्त जयदेव, जलायुध, धोई तथा गोवर्धन उसके दरबार को सुशोभित करते थे।
- हलायुध उसका प्रधान न्यायाधीश तथा मुख्यमंत्री था।
- लक्ष्मणसेन वैष्णव धर्म का अनुयायी था।
- लेखों में उसे 'परम भागवत' की उपाधि प्रदान की गयी है।
- लक्ष्मणसेन के बाद विश्वरूप सेन तथा केशव सेन कमजोर उत्तराधिकारी के रूप में शासन किये।
- लक्ष्मणसेन के राजदरबार में गीत गोविन्द के लेखक जयदेव, ब्राह्मण सर्वस्व के लेखक हलायुध एवं 'पवनदूतम्' के लेखक धोई रहते थे।
|
|
|
|
|