"नंदि वर्मन द्वितीय": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Adding category Category:पल्लव साम्राज्य (को हटा दिया गया हैं।))
पंक्ति 22: पंक्ति 22:
{{भारत के राजवंश}}
{{भारत के राजवंश}}
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:पल्लव साम्राज्य]]
__INDEX__
__INDEX__

06:59, 14 फ़रवरी 2011 का अवतरण

  • नंदि वर्मन द्वितीय (731-795 ई.) के शासन काल में पल्लवों का चालुक्यों, पाण्ड्यों तथा राष्ट्रकूटों से संघर्ष हुआ।
  • यद्यपि पूर्वी चालुक्य राज्य पर नंदि वर्मन द्वितीय ने कब्जा कर लिया, किन्तु राष्ट्रकूटों ने कांची को विजित कर लिया।
  • गोविन्द तृतीय के अभिलेख से यह प्रमाणित होता है कि, राष्ट्रकूट नरेश दंतिदुर्ग ने पल्लवों की राजधानी कांची पर विजय प्राप्त कर अपनी पुत्री का विवाह नंदि वर्मन द्वितीय से कर दिया था।
  • इन दोनों के संयोग से दंति वर्मन नामक पुत्र ने जन्म लिया।
  • उदय चन्द्र नरसिंह वर्मन द्वितीय का योग्य सेनापति था।
  • नंदि वर्मन द्वितीय वैष्णव धर्म का अनुयायी था।
  • उसके समय में समकालीन वैष्णव सन्त तिरुमंगै अलवार ने वैष्णव धर्म का प्रचार-प्रसार किया।
  • नंदि वर्मन द्वितीय ने बैकुंठ, पेरुमल एवं मुक्तेश्वर मन्दिर का निर्माण करवाया था।
  • कशाक्कुण्डि लेख में इसके लिए पल्लवमल्ल, क्षत्रिय मल्ल, राजाधिराज, परमेश्वर एवं महाराज आदि उपाधियों का प्रयोग किया गया है।
  • इसने पल्लव राजाओं में सबसे अधिक समय (65 वर्ष) तक शासन किया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख