"शिवस्कन्द वर्मन": अवतरणों में अंतर
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*[[प्राकृत भाषा]] के ताम्रलेखों से पता चलता है कि प्रथम [[पल्लव]] शासक सिंह वर्मा था। | *[[प्राकृत भाषा]] के ताम्रलेखों से पता चलता है कि प्रथम [[पल्लव]] शासक सिंह वर्मा था। | ||
*प्रारम्भिक [[पल्लव वंश|पल्लव वंशी]] शासक शिवस्कन्द वर्मन के विषय में हमें मायिडवोलु एवं हरि हड्डगलि ताम्र अनुदान पत्र से जानकारी मिलती है। | *प्रारम्भिक [[पल्लव वंश|पल्लव वंशी]] शासक शिवस्कन्द वर्मन के विषय में हमें मायिडवोलु एवं हरि हड्डगलि ताम्र अनुदान पत्र से जानकारी मिलती है। | ||
*उसे अग्निष्टोम, वाजयपेय एवं अश्वमेघ आदि यज्ञों का यज्ञकर्ता माना जाता है। | *उसे अग्निष्टोम, वाजयपेय एवं [[अश्वमेघ यज्ञ|अश्वमेघ]] आदि [[यज्ञ|यज्ञों]] का यज्ञकर्ता माना जाता है। | ||
*उसने [[कांची]] को अपनी राजधानी बनाया था। | *उसने [[कांची]] को अपनी राजधानी बनाया था। | ||
10:19, 14 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- प्राकृत भाषा के ताम्रलेखों से पता चलता है कि प्रथम पल्लव शासक सिंह वर्मा था।
- प्रारम्भिक पल्लव वंशी शासक शिवस्कन्द वर्मन के विषय में हमें मायिडवोलु एवं हरि हड्डगलि ताम्र अनुदान पत्र से जानकारी मिलती है।
- उसे अग्निष्टोम, वाजयपेय एवं अश्वमेघ आदि यज्ञों का यज्ञकर्ता माना जाता है।
- उसने कांची को अपनी राजधानी बनाया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ