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*असीरगढ़ खानदेश में [[ताप्ती नदी]] के तट पर स्थित यह दुर्जेयगढ़ क़िला काफ़ी अरसे तक महत्त्वपूर्ण बना रहा।  
*असीरगढ़ खानदेश में [[ताप्ती नदी]] के तट पर स्थित यह दुर्जेयगढ़ क़िला काफ़ी अरसे तक महत्त्वपूर्ण बना रहा।  
*इसका प्राचीन नाम '''अश्वत्थामागिरि''' था। यह [[बुरहानपुर]] ([[मध्य प्रदेश]]) के निकट स्थित है।  
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11:55, 7 मार्च 2011 का अवतरण

असीरगढ़ क़िला

  • असीरगढ़ खानदेश में ताप्ती नदी के तट पर स्थित यह दुर्जेयगढ़ क़िला काफ़ी अरसे तक महत्त्वपूर्ण बना रहा।
  • इसका प्राचीन नाम अश्वत्थामागिरि था। यह बुरहानपुर (मध्य प्रदेश) के निकट स्थित है।
  • बुरहानपुर मध्यकाल में दक्षिण भारत पहुँचने का द्वार समझा जाता था।
  • यह क़िला 850 फुट ऊँची पहाड़ी पर बना है। प्रारम्भ में यह मालवा के हिन्दू राजाओं के अधीन था।
  • उसके बाद इस पर दिल्ली के सुल्तानों का अधिकार हो गया।
  • मुहम्मद तुग़लक़ की मृत्यु के बाद इस क़िले पर खानदेश के फारुखी राजवंश का अधिकार हो गया।
  • सन 1601 ई. में अकबर ने इस पर आधिपत्य जमाया।
  • अकबर की इस सफलता के बाद में मुग़ल शासकों के लिए दक्षिण में साम्राज्य फैलाने के रास्ते खुल गए।
  • मराठा शाक्ति के उदय होने पर यह मराठा अधिकार में आ गया। 19वीं शताब्दी के प्रारम्भ में इस दुर्ग पर अंग्रेजों का आधिपत्य हो गया।


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