"बुक्का प्रथम": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('*हरिहर प्रथम का उत्तराधिकारी उसका भाई '''बुक्का प्र...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भारत के राजवंश}} | |||
[[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:इतिहास कोश]] | ||
[[Category:विजयनगर साम्राज्य]] | [[Category:विजयनगर साम्राज्य]] | ||
[[Category:संगम वंश]] | [[Category:संगम वंश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
07:22, 24 मार्च 2011 का अवतरण
- हरिहर प्रथम का उत्तराधिकारी उसका भाई बुक्का प्रथम (1356-1377 ई.) सिंहासन पर बैठा।
- उसने मदुरा को अपने साम्राज्य में शामिल किया।
- सर्वप्रथम बुक्का ने ही बहमनी वंश और विजयनगर साम्राज्य के मध्य बने विवाद के कारण कृष्णा नदी को दोनों साम्राज्य की सीमा माना।
- बुक्का ने ‘वेदमार्ग प्रतिष्ठापक’ की उपाधि ग्रहण की।
- उसने वेद और अन्य धार्मिक ग्रन्थों की नवीन टीकाएँ लिखवायीं।
- हरिहर प्रथम ने तेलुगु साहित्य को प्रोत्साहन दिया था।
- 1374 ई. में हरिहर पथम की मृत्यु हो गई।
- हरिहर एवं बुक्का ने राजा एवं महाराजा की उपाधि ग्रहण नही की थी।
- तीन समुद्रों का अधिपति की उपाधि 'बुक्का प्रथम' ने धारण की थी।
|
|
|
|
|