"काकतीय वंश": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Text replace - "रूद्र" to "रुद्र")
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
*गणपति ने विदेश व्यापार को अत्यधिक प्रोत्साहन प्रदान किया था।
*गणपति ने विदेश व्यापार को अत्यधिक प्रोत्साहन प्रदान किया था।
*उसने विभिन्न बाधक तटकरों को समाप्त कर दिया। 'मोरपल्ली' ([[आंध्र प्रदेश]]) उसके काल का प्रमुख बंदरगाह था।
*उसने विभिन्न बाधक तटकरों को समाप्त कर दिया। 'मोरपल्ली' ([[आंध्र प्रदेश]]) उसके काल का प्रमुख बंदरगाह था।
*गणपति के बाद उसकी पुत्री 'रूद्राम्बा' [[वारंगल]] की शासिका बनी।
*गणपति के बाद उसकी पुत्री 'रुद्राम्बा' [[वारंगल]] की शासिका बनी।
*रूद्राम्बा का उत्तराधिकारी उसका पुत्र 'प्रतापरुद्र देव' था।
*रुद्राम्बा का उत्तराधिकारी उसका पुत्र 'प्रतापरुद्र देव' था।
*इसी के काल में [[ख़िलजी वंश|ख़िलजी]] एवं [[तुग़लक़ वंश|तुग़लक़]] शासकों ने वारंगल पर आक्रमण किया।
*इसी के काल में [[ख़िलजी वंश|ख़िलजी]] एवं [[तुग़लक़ वंश|तुग़लक़]] शासकों ने वारंगल पर आक्रमण किया।
*चौदहवीं सदी के प्रारम्भ में जब [[अफ़ग़ान]] सुल्तान [[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]] का प्रसिद्ध सेनापति [[मलिक काफ़ूर]] दक्षिण विजय के लिए निकला, तो [[देवगिरि का यादव वंश|देवगिरि के यादवों]] और [[द्वारसमुद्र]] के [[होयसल वंश|होयसलों]] के समान वारंगल के काकतीयों की भी उसने विजय की।
*चौदहवीं सदी के प्रारम्भ में जब [[अफ़ग़ान]] सुल्तान [[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]] का प्रसिद्ध सेनापति [[मलिक काफ़ूर]] दक्षिण विजय के लिए निकला, तो [[देवगिरि का यादव वंश|देवगिरि के यादवों]] और [[द्वारसमुद्र]] के [[होयसल वंश|होयसलों]] के समान वारंगल के काकतीयों की भी उसने विजय की।

07:40, 20 जुलाई 2011 का अवतरण

  • आधुनिक समय में हैदराबाद क्षेत्र के पूर्वी भाग तेलंगाना में काकतीय वंश का शासन था, और उसकी राजधानी वारंगल थी।
  • कल्याणी के चालुक्य वंश के उत्कर्ष काल में काकतीय वंश के राजा चालुक्यों के सामन्तों के रूप में अपने राज्य का शासन करते थे।
  • चालुक्य वंश के पतन के बाद 'चोल द्वितीय' एवं 'रुद्र प्रथम' ने 'काकतीय राजवंश' की स्थापना की।
  • रुद्र प्रथम ने वारंगल को काकतीय राज्य की राजधानी बनाया था।
  • रुद्र प्रथम के बाद 'महादेव' वा 'गणपति' शासक बने।
  • रुद्र प्रथम काकतीय वंश का सबसे योग्य व साहसी राजाओं में से एक था, उसने अपने राज्य की सीमा का बहुत विस्तार किया।
  • गणपति ने विदेश व्यापार को अत्यधिक प्रोत्साहन प्रदान किया था।
  • उसने विभिन्न बाधक तटकरों को समाप्त कर दिया। 'मोरपल्ली' (आंध्र प्रदेश) उसके काल का प्रमुख बंदरगाह था।
  • गणपति के बाद उसकी पुत्री 'रुद्राम्बा' वारंगल की शासिका बनी।
  • रुद्राम्बा का उत्तराधिकारी उसका पुत्र 'प्रतापरुद्र देव' था।
  • इसी के काल में ख़िलजी एवं तुग़लक़ शासकों ने वारंगल पर आक्रमण किया।
  • चौदहवीं सदी के प्रारम्भ में जब अफ़ग़ान सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलज़ी का प्रसिद्ध सेनापति मलिक काफ़ूर दक्षिण विजय के लिए निकला, तो देवगिरि के यादवों और द्वारसमुद्र के होयसलों के समान वारंगल के काकतीयों की भी उसने विजय की।
  • ग़यासुद्दीन तुग़लक़ के पुत्र 'उलगू ख़ाँ' (मुहम्मद बिन तुग़लक़) ने 1332 ई. में वारंगल पर आक्रमण कर प्रतापरुद्र देव को बंदी बना लिया
  • इसके बाद काकातीय वंश को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख