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राजशेखर [[कन्नौज]] के [[गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य|प्रतिहारवंशीय]] [[महेन्द्र पाल|राजा महेन्द्रपाल]] (890-908) तथा उसके पुत्र [[महिपाल]] (910-940) की राज्यसभा में रहते थे। वे [[संस्कृत]] के प्रसिद्ध कवि तथा नाटककार थे।
*राजशेखर [[कन्नौज]] के [[गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य|प्रतिहारवंशीय]] [[महेन्द्र पाल|राजा महेन्द्रपाल]] (890-908) तथा उसके पुत्र [[महिपाल]] (910-940) की राज्यसभा में रहते थे।  
*वे [[संस्कृत]] के प्रसिद्ध कवि तथा नाटककार थे।  
*राजशेखर ने पाँच ग्रंथों की रचना की थी। इनमें चार नाटक तथा एक अंलकार शास्त्र का ग्रंथ है। इनका उल्लेख निम्न है -
#[[बाल रामायण]]
#[[बाल भारत]]
#[[विद्वशाभञ्जिका]]
#[[कर्पूर मञ्जरी]]
#[[काव्यमीमांसा]]
*राजेशेखर नाटककार कम, कवि अधिक थे। उनके ग्रंथों में काव्यात्मकता अधिक है।
*वे शब्द कवि हैं। [[भवभूति]] के समान राजशेखर के शब्दों में अर्थ की प्रतिध्वनि निकलती है।
*उन्होंने लोकोक्तियों तथा मुहावरों का खुलकर प्रयोग किया।
*उनके नाटक रंगमंच के लिए उपयुक्त नहीं हैं अपितु वे पढ़ने में ही विशेष रोचक हैं।
 





08:24, 24 जुलाई 2011 का अवतरण

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  1. बाल रामायण
  2. बाल भारत
  3. विद्वशाभञ्जिका
  4. कर्पूर मञ्जरी
  5. काव्यमीमांसा
  • राजेशेखर नाटककार कम, कवि अधिक थे। उनके ग्रंथों में काव्यात्मकता अधिक है।
  • वे शब्द कवि हैं। भवभूति के समान राजशेखर के शब्दों में अर्थ की प्रतिध्वनि निकलती है।
  • उन्होंने लोकोक्तियों तथा मुहावरों का खुलकर प्रयोग किया।
  • उनके नाटक रंगमंच के लिए उपयुक्त नहीं हैं अपितु वे पढ़ने में ही विशेष रोचक हैं।



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