"वंशकाव्य-परम्परा और रघुवंश": अवतरणों में अंतर

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*[[रघुवंश]] की रचना के द्वारा एक नायक के स्थान पर पूरे वंश को विषय बनाने वाले महाकाव्यों की परम्परा प्रवर्तित हुई।  
*[[रघुवंश]] की रचना के द्वारा एक नायक के स्थान पर पूरे वंश को विषय बनाने वाले महाकाव्यों की परम्परा प्रवर्तित हुई।  
*भोज ने तो इसके आधार पर 'वंशकाव्य' नामक काव्यकोटि का निर्धारण भी किया तथा इस काव्य विधा के रघुवंश के अतिरिक्त [[अश्मक वंश]], [[यदु वंश]], [[दिलीप वंश]] - ये उदाहरण दिये हैं।<ref>श्रृंगारप्रकाश, भाग-2 पृ.470</ref> आगे चलकर ऐतिहासिक महाकाव्यों की धारा में भी इस प्रकार के अनेक वंशकाव्य लिखे गये।
*भोज ने तो इसके आधार पर 'वंशकाव्य' नामक काव्य कोटि का निर्धारण भी किया तथा इस काव्य विधा के रघुवंश के अतिरिक्त अश्मक वंश, [[यदु वंश]], दिलीप वंश - ये उदाहरण दिये हैं।<ref>श्रृंगारप्रकाश, भाग-2 पृ.470</ref> आगे चलकर ऐतिहासिक महाकाव्यों की धारा में भी इस प्रकार के अनेक वंशकाव्य लिखे गये।





10:33, 25 जुलाई 2011 का अवतरण

  • रघुवंश की रचना के द्वारा एक नायक के स्थान पर पूरे वंश को विषय बनाने वाले महाकाव्यों की परम्परा प्रवर्तित हुई।
  • भोज ने तो इसके आधार पर 'वंशकाव्य' नामक काव्य कोटि का निर्धारण भी किया तथा इस काव्य विधा के रघुवंश के अतिरिक्त अश्मक वंश, यदु वंश, दिलीप वंश - ये उदाहरण दिये हैं।[1] आगे चलकर ऐतिहासिक महाकाव्यों की धारा में भी इस प्रकार के अनेक वंशकाव्य लिखे गये।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्रृंगारप्रकाश, भाग-2 पृ.470

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