"सदस्य:DrMKVaish": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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==धैर्य, सब्र, सहनशीलता (Patience)== | ==धैर्य, सब्र, सहनशीलता (Patience)== | ||
धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है | ~ डिजराइली | * धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है | ~ डिजराइली | ||
वह व्यक्ति महान है,जो शांतचित्त होकर धैर्यपूर्वक कार्य करता है | ~ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | * वह व्यक्ति महान है,जो शांतचित्त होकर धैर्यपूर्वक कार्य करता है | ~ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | ||
धैर्य और परिश्रम से हम वह प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं कर सकते | ~ ला फाण्टेन | * धैर्य और परिश्रम से हम वह प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं कर सकते | ~ ला फाण्टेन | ||
==शांति, अमन, चैन (Peace)== | ==शांति, अमन, चैन (Peace)== | ||
शांति, बौद्धिक क्षमता में कई गुना इजाफा करती है | ~ अज्ञात | * शांति, बौद्धिक क्षमता में कई गुना इजाफा करती है | ~ अज्ञात | ||
==व्यक्तिगत, निजी, आत्म (Personal)== | ==व्यक्तिगत, निजी, आत्म (Personal)== | ||
मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कदर नहीं करता, वह हमेश उस चीज की आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है | ~ हेलेन केलर | * मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कदर नहीं करता, वह हमेश उस चीज की आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है | ~ हेलेन केलर | ||
कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं | ~ बालगंगाधर तिलक | * कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं | ~ बालगंगाधर तिलक | ||
जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते | ~ महात्मा बुद्ध | * जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते | ~ महात्मा बुद्ध | ||
मन की दुर्बलता से अधिक भयंकर और कोई पाप नहीं है। -स्वामी विवेकानंद | * मन की दुर्बलता से अधिक भयंकर और कोई पाप नहीं है। -स्वामी विवेकानंद | ||
अपने विचारों पर नजर रखिए | | * अपने विचारों पर नजर रखिए | | ||
किसी से यह अपेक्षा मत कीजिए की वह आपकी सहायता करेगा | | * किसी से यह अपेक्षा मत कीजिए की वह आपकी सहायता करेगा | | ||
आपका जन्म किसी अन्य की सनक को पूरा करने के लिए नहीं हुआ हैं | | * आपका जन्म किसी अन्य की सनक को पूरा करने के लिए नहीं हुआ हैं | | ||
अपने विचारो और बातों मैं तालमेल रखें | | * अपने विचारो और बातों मैं तालमेल रखें | | ||
हम हमेशा खुद को खोजते हुए दूसरों की कहानियों में प्रवेश कर जाते हैं | ~ एमरे करतेश | * हम हमेशा खुद को खोजते हुए दूसरों की कहानियों में प्रवेश कर जाते हैं | ~ एमरे करतेश | ||
सिद्धांत न त्यागें, चाहे ऐसा करने वाले आप अकेले क्यों न हों | ~ जॉन एडम्स | * सिद्धांत न त्यागें, चाहे ऐसा करने वाले आप अकेले क्यों न हों | ~ जॉन एडम्स | ||
मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे। | * मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे। | ||
कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है। – डा. राधाकृष्ण | * कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है। – डा. राधाकृष्ण | ||
==राजनीतिक, सियासी (Political)== | ==राजनीतिक, सियासी (Political)== | ||
चुनाव जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का विश्वविधालय है | ~ जवाहरलाल नेहरू | * चुनाव जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का विश्वविधालय है | ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
==गरीबी, निर्धनता, तंगी (Poverty)== | ==गरीबी, निर्धनता, तंगी (Poverty)== | ||
कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है | ~ चाणक्य | * कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है | ~ चाणक्य | ||
गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी | ~ एनॉन | * गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी | ~ एनॉन | ||
गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है । ~ महात्मा गाँधी | * गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है । ~ महात्मा गाँधी | ||
गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं । ~ डेनियल | * गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं । ~ डेनियल | ||
निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है । निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है । ~ वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में | * निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है । निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है । ~ वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में | ||
==प्रशंसा, बड़ाई (Praise)== | ==प्रशंसा, बड़ाई (Praise)== | ||
आत्म-प्रशंसा ओछेपन का चिन्ह है | ~ वैस्कल | * आत्म-प्रशंसा ओछेपन का चिन्ह है | ~ वैस्कल | ||
जिन्हें कहीं से प्रशंसा नहीं मिलती, वे आत्म-प्रशंसा करते हैं | ~ अज्ञात | * जिन्हें कहीं से प्रशंसा नहीं मिलती, वे आत्म-प्रशंसा करते हैं | ~ अज्ञात | ||
अपनी प्रशंसा के गीत गाना स्वयं को हीन साबित करना है | | * अपनी प्रशंसा के गीत गाना स्वयं को हीन साबित करना है | | ||
सच्ची बड़ाई उसी की है, जिसकी शत्रु भी प्रशंसा करे | ~ अज्ञात | * सच्ची बड़ाई उसी की है, जिसकी शत्रु भी प्रशंसा करे | ~ अज्ञात | ||
जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है | ~ महात्मा गांधी | * जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है | ~ महात्मा गांधी | ||
==समस्या, मसला (Problem)== | ==समस्या, मसला (Problem)== | ||
विपत्ति मनुष्य को विचित्र साथियों से मिलाती है | | * विपत्ति मनुष्य को विचित्र साथियों से मिलाती है | | ||
मैं अति प्रतिभाशाली व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन में निचित तौर पर अधिक जिज्ञासु हूं और किसी भी समस्या को सुलझाने में अधिक देर तक लगा रहता हूं | ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | * मैं अति प्रतिभाशाली व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन में निचित तौर पर अधिक जिज्ञासु हूं और किसी भी समस्या को सुलझाने में अधिक देर तक लगा रहता हूं | ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
आपतियां हमें आत्म-ज्ञान कराती हैं,ये हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं | ~ जवाहरलाल नेहरु | * आपतियां हमें आत्म-ज्ञान कराती हैं,ये हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं | ~ जवाहरलाल नेहरु | ||
आपदा ही एक ऐसी स्थिति है,जो हमारे जीवन कि गहराइयों में अन्तर्दृष्टि पैदा करती है | ~ विवेकानन्द | * आपदा ही एक ऐसी स्थिति है,जो हमारे जीवन कि गहराइयों में अन्तर्दृष्टि पैदा करती है | ~ विवेकानन्द | ||
हमारी अधिकतर बाधाएं पिघल जाएंगी, अगर उनके सामने दुबकने की बजाय हम उनसे निडरतापूर्वक निपटने का मानस बनाएं| ~ ओरिसन स्वेट मार्डन | * हमारी अधिकतर बाधाएं पिघल जाएंगी, अगर उनके सामने दुबकने की बजाय हम उनसे निडरतापूर्वक निपटने का मानस बनाएं| ~ ओरिसन स्वेट मार्डन | ||
हम अपनी समस्याओं को उसी सोच के साथ नहीं सुलझा सकतें, जिस सोच के साथ हमने उनका निर्माण किया था| ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | * हम अपनी समस्याओं को उसी सोच के साथ नहीं सुलझा सकतें, जिस सोच के साथ हमने उनका निर्माण किया था| ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
इस दुनिया की असली समस्या यह है कि मूर्ख और अड़ियल लोग तो अपने बारे में हमेशा पक्के होते हैं ( कि वे सही हैं ) किंतु बुद्धिमान लोग हमेशा संदेह में रहते हैं ( कि मैं गलत तो नहीं हूं ) | | * इस दुनिया की असली समस्या यह है कि मूर्ख और अड़ियल लोग तो अपने बारे में हमेशा पक्के होते हैं ( कि वे सही हैं ) किंतु बुद्धिमान लोग हमेशा संदेह में रहते हैं ( कि मैं गलत तो नहीं हूं ) | | ||
विकट परिस्थितियां ही महापुरुषों का विधालय है | ~ अरस्तू | * विकट परिस्थितियां ही महापुरुषों का विधालय है | ~ अरस्तू | ||
आनंद विनोद के सामने कठिनाईयां पिघल जाती है | ~ स्वेट मार्डेन | * आनंद विनोद के सामने कठिनाईयां पिघल जाती है | ~ स्वेट मार्डेन | ||
आपात स्थिति में, मन को डांवाडोल नहीं होने देना चाहिए | ~ महावीर स्वामी | * आपात स्थिति में, मन को डांवाडोल नहीं होने देना चाहिए | ~ महावीर स्वामी | ||
मुसीबतों से दुखी न् हो, क्योंकि दुखी होना मूर्खों का काम है | ~ हजरत अली | * मुसीबतों से दुखी न् हो, क्योंकि दुखी होना मूर्खों का काम है | ~ हजरत अली | ||
विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई विद्यालय आज तक नहीं खुला | ~ मुंशी प्रेमचंद | * विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई विद्यालय आज तक नहीं खुला | ~ मुंशी प्रेमचंद | ||
जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते हैं, परिस्थितियों से कोई फर्क नहीं पड़ता | * जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते हैं, परिस्थितियों से कोई फर्क नहीं पड़ता है | | ||
* बेहतर विकल्प के लिए समस्याओं से मुकाबला करना चाहिए | तभी आप में ‘स्किल’ आते हैं | परेशानियों से डरकर किसी दूसरे का सहारा लेने कि आदत न पाले तो बेहतर है | | |||
==वादा, वचन, प्रतिज्ञा (Promise)== | ==वादा, वचन, प्रतिज्ञा (Promise)== | ||
शाशक के पास वचन तोड़ने के हमेशा वैधानिक कारण होते हैं| ~ मैकियावेली | * शाशक के पास वचन तोड़ने के हमेशा वैधानिक कारण होते हैं| ~ मैकियावेली | ||
==अभिमानी, घमंडी, दंभी, गर्व (Proud)== | ==अभिमानी, घमंडी, दंभी, गर्व (Proud)== | ||
वीर का असली दुश्मन उसका अहंकार है | ~ अज्ञात | * वीर का असली दुश्मन उसका अहंकार है | ~ अज्ञात | ||
आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गरूर है | ~ प्रेमचन्द | * आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गरूर है | ~ प्रेमचन्द | ||
जिसने गर्व किया, उसका पतन अवश्य हुआ है | ~ स्वामी दयानन्द सरस्वती | * जिसने गर्व किया, उसका पतन अवश्य हुआ है | ~ स्वामी दयानन्द सरस्वती | ||
मनुष्य जितना छोटा होता है, उसका अंहकार उतना ही बड़ा होता है | ~ वाल्टेयर | * मनुष्य जितना छोटा होता है, उसका अंहकार उतना ही बड़ा होता है | ~ वाल्टेयर | ||
ज्यों-ज्यों अभिमान कम होता है, कीर्ति बढ़ती है | ~ यंग | * ज्यों-ज्यों अभिमान कम होता है, कीर्ति बढ़ती है | ~ यंग | ||
जो अहंकारपूर्वक प्रातः जलपान करता है, उसको सायंकाल का भोजन तिरस्कार से मिलता है | ~ फ्रेंकलिन | * जो अहंकारपूर्वक प्रातः जलपान करता है, उसको सायंकाल का भोजन तिरस्कार से मिलता है | ~ फ्रेंकलिन | ||
==सज़ा, दंड (Punishment)== | ==सज़ा, दंड (Punishment)== | ||
दंड द्वारा प्रजा की रक्षा की जानी चाहिए लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिए | ~ रामायण | * दंड द्वारा प्रजा की रक्षा की जानी चाहिए लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिए | ~ रामायण | ||
==धर्म, मज़हब (Religion)== | ==धर्म, मज़हब (Religion)== | ||
जो उपकार करे, उसका प्रत्युपकार करना चाहिए, यही सनातन धर्म है | ~ वाल्मीकि | * जो उपकार करे, उसका प्रत्युपकार करना चाहिए, यही सनातन धर्म है | ~ वाल्मीकि | ||
प्रलोभन और भय का मार्ग बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है| लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं होती| ~ आचार्य तुलसी | * प्रलोभन और भय का मार्ग बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है| लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं होती| ~ आचार्य तुलसी | ||
मनुष्य की धार्मिक वृत्ति ही उसकी सुरक्षा करती है| ~ आचार्य तुलसी | * मनुष्य की धार्मिक वृत्ति ही उसकी सुरक्षा करती है| ~ आचार्य तुलसी | ||
धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है| ~ आचार्य तुलसी | * धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है| ~ आचार्य तुलसी | ||
धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता| ~ आचार्य तुलसी | * धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता| ~ आचार्य तुलसी | ||
अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है | ~ महात्मा गांधी | * अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है | ~ महात्मा गांधी | ||
अभागा वह है, जो संसार के सबसे पवित्र धर्म कृतज्ञता को भूल जाती है | ~ जयशंकर प्रसाद | * अभागा वह है, जो संसार के सबसे पवित्र धर्म कृतज्ञता को भूल जाती है | ~ जयशंकर प्रसाद | ||
==संकल्प, प्रण (Resolution)== | ==संकल्प, प्रण (Resolution)== | ||
इस संसार में प्रत्येक वस्तु संकल्प शक्ति पर निर्भर है | ~ डिजरायली | * इस संसार में प्रत्येक वस्तु संकल्प शक्ति पर निर्भर है | ~ डिजरायली | ||
==सम्मान, प्रतिष्ठा, आदर (Respect)== | ==सम्मान, प्रतिष्ठा, आदर (Respect)== | ||
आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है | ~ प्रेमचन्द | * आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है | ~ प्रेमचन्द | ||
यदि सम्मान खोकर आय बढती हो, तो उससे निर्धनता श्रेयस्कर है | ~ शेख सादी | * यदि सम्मान खोकर आय बढती हो, तो उससे निर्धनता श्रेयस्कर है | ~ शेख सादी | ||
दूसरों का सम्मान करो, लोग तुम्हारा भी सम्मान करेंगे | ~ कन्फ्यूशियस | * दूसरों का सम्मान करो, लोग तुम्हारा भी सम्मान करेंगे | ~ कन्फ्यूशियस | ||
==क्रांति (Revolution)== | ==क्रांति (Revolution)== | ||
क्रांति का उदय सदा पीड़ितों के हृदय एवं त्रस्त व्यक्तियों के अन्तःकरण में हुआ करता है | ~ अज्ञात | * क्रांति का उदय सदा पीड़ितों के हृदय एवं त्रस्त व्यक्तियों के अन्तःकरण में हुआ करता है | ~ अज्ञात | ||
क्रांति का अर्थ होता है अतीत और भविष्य के बीच एक जबर्दस्त संघर्ष | ~ फिदेल कास्त्रो | * क्रांति का अर्थ होता है अतीत और भविष्य के बीच एक जबर्दस्त संघर्ष | ~ फिदेल कास्त्रो | ||
कुशासन के प्रति विद्रोह करना, ईश्वर की आज्ञा मानना है | ~ फ्रेंकलिन | * कुशासन के प्रति विद्रोह करना, ईश्वर की आज्ञा मानना है | ~ फ्रेंकलिन | ||
जहां कहीं अन्याय के चरण पड़ते हैं, वहां अंततः विद्रोह का ज्वालामुखी फूटता है | ~ अज्ञात | * जहां कहीं अन्याय के चरण पड़ते हैं, वहां अंततः विद्रोह का ज्वालामुखी फूटता है | ~ अज्ञात | ||
* 'घूस का च्यवनप्राश खा कर न दीर्घायु बनो, ईमान की मिसाल अब मशाल बनके जल उठी' ~ राजीव चतुर्वेदी | |||
ईमान की मिसाल अब मशाल बनके जल | |||
==त्याग, न्योछावर, बलिदान (Sacrifice)== | ==त्याग, न्योछावर, बलिदान (Sacrifice)== | ||
प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है | ~ जयशंकर प्रसाद | * प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है | ~ जयशंकर प्रसाद | ||
महान त्याग से ही महान कार्य सम्भव है | ~ स्वामी विवेकानंद | * महान त्याग से ही महान कार्य सम्भव है | ~ स्वामी विवेकानंद | ||
यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं | ~ प्रेमचन्द | * यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं | ~ प्रेमचन्द | ||
अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है | ~ एमर्सन | * अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है | ~ एमर्सन | ||
==दुख, उदास, म्लान (Sad)== | ==दुख, उदास, म्लान (Sad)== | ||
दुःख की उपेक्षा करो, वह कम हो जाएगा | ~ सद्गुरु श्रीब्रह्मचेतन्य | * दुःख की उपेक्षा करो, वह कम हो जाएगा | ~ सद्गुरु श्रीब्रह्मचेतन्य | ||
अन्याय सहने वाले से ज्यादा दुःखी, अन्याय करने वाला होता है | ~ प्लेटो | * अन्याय सहने वाले से ज्यादा दुःखी, अन्याय करने वाला होता है | ~ प्लेटो | ||
किसी दुःखी व्यक्ति के लिए थोड़ी सहायता, ढेरों उपदेशों से कहीं ज्यादा अच्छी है | ~ बुलवर | * किसी दुःखी व्यक्ति के लिए थोड़ी सहायता, ढेरों उपदेशों से कहीं ज्यादा अच्छी है | ~ बुलवर | ||
==विज्ञान (Science)== | ==विज्ञान (Science)== | ||
धर्म, कला और विज्ञान वास्तव में एक ही वृक्ष की शाखा – प्रशाखाएं हैं | ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | * धर्म, कला और विज्ञान वास्तव में एक ही वृक्ष की शाखा – प्रशाखाएं हैं | ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
==शांत, चुप, ख़ामोश (Silent)== | ==शांत, चुप, ख़ामोश (Silent)== | ||
प्रत्येक स्थान और समय बोलने के योग्य नहीं होते, कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं | * प्रत्येक स्थान और समय बोलने के योग्य नहीं होते, कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं | | ||
* वाणी का वर्चस्व रजत है किंतु मौन का मूल्य स्वर्ण के समान है | | |||
* कभी-कभी मौन रह जाना, सबसे तीखी आलोचना होती है | ~ अज्ञात | |||
* धनुष से छूटा हुआ तीर ओर मुख से निकला हुआ शब्द कभी वापस नहीं लौटता | ~ अज्ञात | |||
* इसका खेद अनेक बार हुआ कि में बोल क्यों पड़ा | ~ पाइथोगोरस | |||
* बोलने में समझदारी से काम लेना, वाक्पटुता से अच्छा है | ~ बेकन | |||
* थोड़ा पढ़ना और अधिक सोचना, कम बोलना और अधिक सुनना, यही बुद्धिमान बनने का उपाय है | | |||
* जो झुकना जानता है, दुनिया उसे उठाती है, जो केवल अकड़ना जानता है, दुनिया उसे उखाड़ फेंकती है | | |||
* खामोश रहो या ऐसी बात कहो जो ख़ामोशी से बेहतर हो | ~ पाइथोगोरस | |||
* मौन बातचीत की एक महान् कला है | ~ हैजलिट | |||
* तुम्हे प्रत्येक का उपदेश सुनना चाहिए जबकि अपना उपदेश कुछ ही व्यक्तियों को दो | | |||
* जितना दिखाते हो उससे ज्यादा तुम्हारे पास होना चाहिए, जितना जानते हो उससे कम तुम्हें बोलना चाहिए | | |||
==मुसकान, मुसकुराहट (Smile)== | ==मुसकान, मुसकुराहट (Smile)== | ||
मुस्कान प्रेम की भाषा है | ~ हेवर | * मुस्कान प्रेम की भाषा है | ~ हेवर | ||
मुस्कान एक शक्तिशाली हथियार हैं आप इस से फोलाद भी तोड़ सकते हैं| | * मुस्कान एक शक्तिशाली हथियार हैं आप इस से फोलाद भी तोड़ सकते हैं| | ||
हंसी प्रकृति की सबसे बड़ी नियामत है | ~ डॉ. लक्ष्मणपति वार्ष्णेय | * हंसी प्रकृति की सबसे बड़ी नियामत है | ~ डॉ. लक्ष्मणपति वार्ष्णेय | ||
हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है | ~ महात्मा गांधी | * हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है | ~ महात्मा गांधी | ||
==आत्मा, रूह (Soul)== | ==आत्मा, रूह (Soul)== | ||
सबसे खतरनाक वह दिशा होती है, जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए | ~ अवतार सिंह पाश | * सबसे खतरनाक वह दिशा होती है, जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए | ~ अवतार सिंह पाश | ||
अन्तरात्मा हमें न्यायाधीश के समान दण्ड देने से पूर्व मित्र की भांति चेतावनी देती है | ~ अज्ञात | * अन्तरात्मा हमें न्यायाधीश के समान दण्ड देने से पूर्व मित्र की भांति चेतावनी देती है | ~ अज्ञात | ||
आवेश कोई भावनात्मक ऊर्जा नहीं, बल्कि आत्मा और बाहरी दुनिया का टकराव है।- आंद्रेई तारकोव्स्की | * आवेश कोई भावनात्मक ऊर्जा नहीं, बल्कि आत्मा और बाहरी दुनिया का टकराव है।- आंद्रेई तारकोव्स्की | ||
हमेशा अपनी आत्मा की आवाज सुनो | | * हमेशा अपनी आत्मा की आवाज सुनो | | ||
शरीर के मामले में जो स्थान साबुन का है, वही आत्मा के संदर्भ में आंसू का है | ~ यहूदी कहावत | * शरीर के मामले में जो स्थान साबुन का है, वही आत्मा के संदर्भ में आंसू का है | ~ यहूदी कहावत | ||
जो अवगुण तुम्हे दूसरों में दृष्टिगत होते हैं, उसे अपने भीतर न रहने दो | ~ स्प्रैट | * जो अवगुण तुम्हे दूसरों में दृष्टिगत होते हैं, उसे अपने भीतर न रहने दो | ~ स्प्रैट | ||
कोई अभियोक्ता इतना शक्तिशाली नहीं है, जितना कि अपना अन्तःकरण | ~ सोफोक्लीज | * कोई अभियोक्ता इतना शक्तिशाली नहीं है, जितना कि अपना अन्तःकरण | ~ सोफोक्लीज | ||
अन्तःकरण आत्मा की वाणी है | ~ जे. जे. रूसो | * अन्तःकरण आत्मा की वाणी है | ~ जे. जे. रूसो | ||
सबसे उत्तम तीर्थ निश्चल मन है | ~ शंकराचार्य | * सबसे उत्तम तीर्थ निश्चल मन है | ~ शंकराचार्य | ||
हमें लोहे के पुट्ठे और इस्पात के स्नायु चाहिए, जिनमें वज्र सा मन निवास करे |~ स्वामी विवेकानंद | * हमें लोहे के पुट्ठे और इस्पात के स्नायु चाहिए, जिनमें वज्र सा मन निवास करे |~ स्वामी विवेकानंद | ||
==अध्ययन, पढ़ना (Study)== | ==अध्ययन, पढ़ना (Study)== | ||
दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही जरूरत है,जितनी शरीर को व्यायाम कि | ~ जोसफ एडिसन | * दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही जरूरत है,जितनी शरीर को व्यायाम कि | ~ जोसफ एडिसन | ||
इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है | ~ बेकन | * इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है | ~ बेकन | ||
चरित्रहीन शिक्षा, मानवताविहीन विज्ञान ओर नैतिकताविहीन व्यापार खतरनाक होते हैं | ~ सत्य साईंबाबा | * चरित्रहीन शिक्षा, मानवताविहीन विज्ञान ओर नैतिकताविहीन व्यापार खतरनाक होते हैं | ~ सत्य साईंबाबा | ||
अध्ययन से सरल कोई मनोरंजन नहीं, न कोई आनन्द इतना चिरस्थायी है | ~ लेडी मौण्टेग्यू | * अध्ययन से सरल कोई मनोरंजन नहीं, न कोई आनन्द इतना चिरस्थायी है | ~ लेडी मौण्टेग्यू | ||
सरस्वती से बढ़कर कोई वैध नहीं और उसकी साधना से बढ़कर कोई औषध नहीं | ~ अज्ञात | * सरस्वती से बढ़कर कोई वैध नहीं और उसकी साधना से बढ़कर कोई औषध नहीं | ~ अज्ञात | ||
वस्तुएं बल से छीनी या धन से खरीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है | | * वस्तुएं बल से छीनी या धन से खरीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है | | ||
जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है | ~ स्वामी विवेकानंद | * जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है | ~ स्वामी विवेकानंद | ||
प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य महान बने हैं | ~ सिसरो | * प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य महान बने हैं | ~ सिसरो | ||
भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत का अध्ययन करो | ~ कन्फ्यूशियस | * भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत का अध्ययन करो | ~ कन्फ्यूशियस | ||
==सफलता, विजय (Success)== | ==सफलता, विजय (Success)== | ||
समस्त सफलताएं कर्म की नींव पर आधारित होती हैं | ~ एंथनी रॉबिन्स | * समस्त सफलताएं कर्म की नींव पर आधारित होती हैं | ~ एंथनी रॉबिन्स | ||
जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते | ~ गौत्तम बुद्ध | * जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते | ~ गौत्तम बुद्ध | ||
जो अकले चलते हैं, वे शीघ्रता से बढ़ते हैं | ~ नेपोलियन | * जो अकले चलते हैं, वे शीघ्रता से बढ़ते हैं | ~ नेपोलियन | ||
सफलता का कोई रहस्य नहीं है, वह केवल अत्यधिक परिश्रम चाहती है | ~ हेनरी | * सफलता का कोई रहस्य नहीं है, वह केवल अत्यधिक परिश्रम चाहती है | ~ हेनरी | ||
जिस व्यक्ति में सफलता के लिए आशा और आत्मविश्वास है, वही व्यक्ति उच्च शिखर पर पहुंचते हैं | | * जिस व्यक्ति में सफलता के लिए आशा और आत्मविश्वास है, वही व्यक्ति उच्च शिखर पर पहुंचते हैं | | ||
लगातार प्रयत्न करने वाले लोगों की गोद में सफलता स्वयं आकर बैठ जाती हैं | ~ भारवि | * लगातार प्रयत्न करने वाले लोगों की गोद में सफलता स्वयं आकर बैठ जाती हैं | ~ भारवि | ||
कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं| ~ महात्मा गांधी | * कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं| ~ महात्मा गांधी | ||
सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता | ~ विल्सन | * सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता | ~ विल्सन | ||
वही सफल होता है, जिसका काम उसे निरन्तर आनन्द देता है | ~ थोरो | * वही सफल होता है, जिसका काम उसे निरन्तर आनन्द देता है | ~ थोरो | ||
ध्येय की सफलता के लिए पूर्ण एकाग्रता और समर्पण आवश्यक है | ~ ब्राउन | * ध्येय की सफलता के लिए पूर्ण एकाग्रता और समर्पण आवश्यक है | ~ ब्राउन | ||
सफलता में दोषों को मिटाने की विलक्षण शक्ति है | ~ प्रेमचन्द | * सफलता में दोषों को मिटाने की विलक्षण शक्ति है | ~ प्रेमचन्द | ||
अपने ऊपर विजय प्राप्त करना, सबसे बड़ी विजय है | ~ अज्ञात | * अपने ऊपर विजय प्राप्त करना, सबसे बड़ी विजय है | ~ अज्ञात | ||
एक सफ़ल मनुष्य होने के लिये सुदृढ़ व्यक्तित्व की आवश्यकता है | ~ अज्ञात | * एक सफ़ल मनुष्य होने के लिये सुदृढ़ व्यक्तित्व की आवश्यकता है | ~ अज्ञात | ||
असफलता का मतलब यह नहीं कि आप असफल हैं, इसका मतलब सिर्फ इतना है कि आप अब तक सफल नहीं हो पाए हैं| ~ रॉबर्ट शुलर | * असफलता का मतलब यह नहीं कि आप असफल हैं, इसका मतलब सिर्फ इतना है कि आप अब तक सफल नहीं हो पाए हैं| ~ रॉबर्ट शुलर | ||
हमें अपनी असफलताओं पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए | सफलता के बारे में दूसरे बात करें तो ज्यादा अच्छा होता है| लोग आपसे आपकी असफलता के बारें में नहीं पूछते, यह सवाल तो आपको अपने आप से पूछना होता है| ~ बोमन ईरानी | * हमें अपनी असफलताओं पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए | सफलता के बारे में दूसरे बात करें तो ज्यादा अच्छा होता है| लोग आपसे आपकी असफलता के बारें में नहीं पूछते, यह सवाल तो आपको अपने आप से पूछना होता है| ~ बोमन ईरानी | ||
ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है। | * ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है। | ||
महान संकल्प ही महान फल का जनक होता है | ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | * महान संकल्प ही महान फल का जनक होता है | ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | ||
एकाग्रता से ही विजय मिलती है। | * एकाग्रता से ही विजय मिलती है। | ||
सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है। | * सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है। | ||
जीवन में सफलता का रहस्य, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना है | ~ डिजरायली | * जीवन में सफलता का रहस्य, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना है | ~ डिजरायली | ||
आत्मविश्वास सफलता का प्रमुख रहस्य है | ~ इमर्सन | * आत्मविश्वास सफलता का प्रमुख रहस्य है | ~ इमर्सन | ||
असफलता केवल यह सिद्ध करती है कि प्रयत्न पूरे मन से नहीं हुआ | ~ श्रीराम शर्मा आचार्य | * असफलता केवल यह सिद्ध करती है कि प्रयत्न पूरे मन से नहीं हुआ | ~ श्रीराम शर्मा आचार्य | ||
जो पढ़ते हो, उसे अमल में लाना सीखो, यही उन्नति का मार्ग है | ~ स्वामी रामतीर्थ | * जो पढ़ते हो, उसे अमल में लाना सीखो, यही उन्नति का मार्ग है | ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
सिर्फ सपनों से कुछ नहीं होता, सफलता प्रयासों से हासिल होती है | ~ अज्ञात | * सिर्फ सपनों से कुछ नहीं होता, सफलता प्रयासों से हासिल होती है | ~ अज्ञात | ||
पारस्परिक व्यवहार प्रगति का सार है | ~ बक्टन | * पारस्परिक व्यवहार प्रगति का सार है | ~ बक्टन | ||
यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो अपना ध्यान समस्या खोजने में नहीं समाधान खोजने में लगाइए | | * यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो अपना ध्यान समस्या खोजने में नहीं समाधान खोजने में लगाइए | | ||
सफलता कर्म करने से मिलती है | | * सफलता कर्म करने से मिलती है | | ||
अपनी असफलताओं को खुद पर हावी मत होने दो, बल्कि असफलताओं को ही अपनी सफलता की सीढी के रूप में इस्तेमाल करो | | * अपनी असफलताओं को खुद पर हावी मत होने दो, बल्कि असफलताओं को ही अपनी सफलता की सीढी के रूप में इस्तेमाल करो | | ||
दुनिया आपको मुफ्त में कुछ नहीं देती | सफलता जैसी बेशकीमती चीज तो बिलकुल नहीं | अतः सफलता का पकवान चखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी | | * दुनिया आपको मुफ्त में कुछ नहीं देती | सफलता जैसी बेशकीमती चीज तो बिलकुल नहीं | अतः सफलता का पकवान चखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी | | ||
सफल व्यक्ति वही है जो सुबह उठकर पहले यह तय करता है कि आज उसे क्या-क्या काम करने है और रात तक वह उन सारे कामों को कई परेशानियों के बाद भी पूरा कर लेता है | | * सफल व्यक्ति वही है जो सुबह उठकर पहले यह तय करता है कि आज उसे क्या-क्या काम करने है और रात तक वह उन सारे कामों को कई परेशानियों के बाद भी पूरा कर लेता है | | ||
==प्रतिभा, योग्यता, कौशल (Talent)== | ==प्रतिभा, योग्यता, कौशल (Talent)== | ||
जब जादू के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं होता तो वह कला बन जाता हैं | ~ बेन ओकरी | * जब जादू के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं होता तो वह कला बन जाता हैं | ~ बेन ओकरी | ||
एश्वर्य उपाधि में नहीं वरन् इस चेतना में है कि हम उसके योग्य हैं | ~ अरस्तू | * एश्वर्य उपाधि में नहीं वरन् इस चेतना में है कि हम उसके योग्य हैं | ~ अरस्तू | ||
वास्तव में बड़ा वह है जो, उदार है | | * वास्तव में बड़ा वह है जो, उदार है | | ||
==लक्ष्य, योजना, गंतव्य (Target)== | ==लक्ष्य, योजना, गंतव्य (Target)== | ||
लक्ष्य प्राप्ति के लिये सहज प्रव्त्तियों को होम कर देना होता है | ~ सम्पूर्णानन्द | * लक्ष्य प्राप्ति के लिये सहज प्रव्त्तियों को होम कर देना होता है | ~ सम्पूर्णानन्द | ||
सब मनुष्यों के कर्मों का लक्ष्य उन्नति कि चरम सीमा को प्राप्त करना है | ~ सत्य साईं बाबा | * सब मनुष्यों के कर्मों का लक्ष्य उन्नति कि चरम सीमा को प्राप्त करना है | ~ सत्य साईं बाबा | ||
अपने लक्ष्यों को पूरा होते देखने का सिद्धान्त जीवन के सभी क्षेत्रों में काम करता है | | * अपने लक्ष्यों को पूरा होते देखने का सिद्धान्त जीवन के सभी क्षेत्रों में काम करता है | | ||
जब भी लक्ष्य तय करो, उसके लिए जुनूनी होना होगा | नाकामियों का आप पर नकारात्मक असर नहीं होना चाहिए | लक्ष्य को हासिल करने में कितना समय लग रहा है, उससे विचलित होने की जरुरत नहीं है | | * जब भी लक्ष्य तय करो, उसके लिए जुनूनी होना होगा | नाकामियों का आप पर नकारात्मक असर नहीं होना चाहिए | लक्ष्य को हासिल करने में कितना समय लग रहा है, उससे विचलित होने की जरुरत नहीं है | | ||
सार्थकता हासिल करने के लिए स्पष्ट तस्वीर बिल्कुल अनिवार्य है | | * सार्थकता हासिल करने के लिए स्पष्ट तस्वीर बिल्कुल अनिवार्य है | | ||
जहां संकल्प बड़ा होता हैं, वहां विपदा और संकट बड़े नहीं हो सकते | ~ मैकियावेली | * जहां संकल्प बड़ा होता हैं, वहां विपदा और संकट बड़े नहीं हो सकते | ~ मैकियावेली | ||
लक्ष्य जितना बड़ा होता है, उसका रास्ता भी उतना ही लंबा और बीहड़ होता है | ~ साने गुरूजी | * लक्ष्य जितना बड़ा होता है, उसका रास्ता भी उतना ही लंबा और बीहड़ होता है | ~ साने गुरूजी | ||
सबकी सुनने और मानने वाला किसी नतीजे पर नहीं पहुंचता | | * सबकी सुनने और मानने वाला किसी नतीजे पर नहीं पहुंचता | | ||
अपने जीवन का कोई लक्ष्य बनाइये, क्योंकि लक्ष्यविहीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान इधर-उधर भटकता रहता है | | * अपने जीवन का कोई लक्ष्य बनाइये, क्योंकि लक्ष्यविहीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान इधर-उधर भटकता रहता है | | ||
हमारा जीवन पक्षी है, केवल थोड़ी ही दूर तक उड़ सकता है, इसने पंख फैला दिए है, देखो, जल्दी से इसकी दिशा सोच लो | | * हमारा जीवन पक्षी है, केवल थोड़ी ही दूर तक उड़ सकता है, इसने पंख फैला दिए है, देखो, जल्दी से इसकी दिशा सोच लो | | ||
==शिक्षक, अध्यापक, उस्ताद, गुरु (Teacher)== | ==शिक्षक, अध्यापक, उस्ताद, गुरु (Teacher)== | ||
माता-पिता जीवन देते हैं, लेकिन जीने की कला तो शिक्षक ही सिखाते हैं | ~ अरस्तु | * माता-पिता जीवन देते हैं, लेकिन जीने की कला तो शिक्षक ही सिखाते हैं | ~ अरस्तु | ||
गुरु की डांट-डपट पिता के प्यार से अच्छी है | ~ शेख सादी | * गुरु की डांट-डपट पिता के प्यार से अच्छी है | ~ शेख सादी | ||
* अपने विवेक को अपना शिक्षक बनाओ | | |||
==सोच, ख़याल, विचार, मत (Thinking)== | ==सोच, ख़याल, विचार, मत (Thinking)== | ||
उस विचार को रोक पाना नामुमकिन है, जिसका वक्त आ गया हो | ~ विक्टर ह्यूगो | * उस विचार को रोक पाना नामुमकिन है, जिसका वक्त आ गया हो | ~ विक्टर ह्यूगो | ||
संसार में न कोई तुम्हारा मित्र है न शत्रु | तुम्हारा अपना विचार ही, इसके लिए उत्तरदायी है | ~ चाणक्य | * संसार में न कोई तुम्हारा मित्र है न शत्रु | तुम्हारा अपना विचार ही, इसके लिए उत्तरदायी है | ~ चाणक्य | ||
व्यक्ति के पास जितने अधिक विचार होते हैं, उतने ही कम शब्दों में वह उनको अभिव्यक्त कर देता है | | * व्यक्ति के पास जितने अधिक विचार होते हैं, उतने ही कम शब्दों में वह उनको अभिव्यक्त कर देता है | | ||
अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है | ~ स्वामी रामतीर्थ | * अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है | ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
मनुष्य अपने ह्रदय में जैसा विचारता है, वैसा ही बन जाता है | ~ बाइबिल | * मनुष्य अपने ह्रदय में जैसा विचारता है, वैसा ही बन जाता है | ~ बाइबिल | ||
महान विचार कार्यरूप में परिणत होकर महान कृतियां बन जाते हैं | ~ हेजलिट | * महान विचार कार्यरूप में परिणत होकर महान कृतियां बन जाते हैं | ~ हेजलिट | ||
अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है। | * अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है। | ||
कंजूस : वह व्यक्ति जो जिंदगी भर गरीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके। | * कंजूस : वह व्यक्ति जो जिंदगी भर गरीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके। | ||
अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो गलती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे। | * अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो गलती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे। | ||
अनुभव : भूतकाल में की गई गलतियों का दूसरा नाम । | * अनुभव : भूतकाल में की गई गलतियों का दूसरा नाम । | ||
कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं। | * कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं। | ||
दूसरी शादी : अनुभव पर आशा की विजय। | * दूसरी शादी : अनुभव पर आशा की विजय। | ||
मनोवैज्ञानिक : वह व्यक्ति, जो किसी खूबसूरत लड़की के कमरे में दाखिल होने पर उस लड़की के सिवाय बाकी सबको गौर से देखता है। | * मनोवैज्ञानिक : वह व्यक्ति, जो किसी खूबसूरत लड़की के कमरे में दाखिल होने पर उस लड़की के सिवाय बाकी सबको गौर से देखता है। | ||
नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है। | * नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है। | ||
आशावादी : वह शख्स है जो सिगरेट मांगने पहले अपनी दियासलाई जला ले। | * आशावादी : वह शख्स है जो सिगरेट मांगने पहले अपनी दियासलाई जला ले। | ||
राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और गरीबों से वोट इस वादे पर बटोरता है कि वह एक की दूसरे से रक्षा करेगा। | * राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और गरीबों से वोट इस वादे पर बटोरता है कि वह एक की दूसरे से रक्षा करेगा। | ||
आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके। | * आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके। | ||
सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना । | * सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना । | ||
ज्ञानी : वह शख्स जिसे प्रभावी ढंग से, सीधी बात को उलझाना आता है। | * ज्ञानी : वह शख्स जिसे प्रभावी ढंग से, सीधी बात को उलझाना आता है। | ||
मनोचिकित्सक : जो भारी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है, जैसे आपकी पत्नी आपसे यूं ही पूछती रहती है| | * मनोचिकित्सक : जो भारी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है, जैसे आपकी पत्नी आपसे यूं ही पूछती रहती है| | ||
समिति : वह व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, लेकिन यह निर्णय मिलकर करते है की साथ-साथ कुछ नहीं किया जा सकता| | * समिति : वह व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, लेकिन यह निर्णय मिलकर करते है की साथ-साथ कुछ नहीं किया जा सकता| | ||
ईमानदार नेता : वह जिसे एक बार ख़रीद लिया जाए तो फिर जाए तो फिर वह ख़रीदा हुआ ही रहे| | * ईमानदार नेता : वह जिसे एक बार ख़रीद लिया जाए तो फिर जाए तो फिर वह ख़रीदा हुआ ही रहे| | ||
जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता | ~स्वामी विवेकानंद | * जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता | ~स्वामी विवेकानंद | ||
हम दुनिया को नहीं बदल सकते, मगर दुनिया के प्रति अपना दृष्टिकोण तो बदल सकते हैं | ~ स्वामी रामदास | * हम दुनिया को नहीं बदल सकते, मगर दुनिया के प्रति अपना दृष्टिकोण तो बदल सकते हैं | ~ स्वामी रामदास | ||
==समय, काल, वक़्त (Time)== | ==समय, काल, वक़्त (Time)== | ||
समय पर कार्य नहीं करने से व्यक्ति लाभ और उन्नति से कोसों दूर हो जाता है | ~ बाबा फरीद | * समय पर कार्य नहीं करने से व्यक्ति लाभ और उन्नति से कोसों दूर हो जाता है | ~ बाबा फरीद | ||
भविष्य वर्तमान के द्वारा क्रय किया जाता है | ~ जॉनसन | * भविष्य वर्तमान के द्वारा क्रय किया जाता है | ~ जॉनसन | ||
जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है | ~ महात्मा गांधी | * जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है | ~ महात्मा गांधी | ||
जो समय का ज्यादा दुरुपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज्यादा शिकायत करते हैं | ~ ब्रूयर | * जो समय का ज्यादा दुरुपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज्यादा शिकायत करते हैं | ~ ब्रूयर | ||
समय पर किया हुआ थोड़ा सा भी कार्य उपकारी होता है | ~ योगवशिष्ठ | * समय पर किया हुआ थोड़ा सा भी कार्य उपकारी होता है | ~ योगवशिष्ठ | ||
बिता हुआ समय और मुख से निकले शब्द कदापि वापस नहीं आते | ~ कहावत | * बिता हुआ समय और मुख से निकले शब्द कदापि वापस नहीं आते | ~ कहावत | ||
जो अपने समय का सबसे ज्यादा दुरूपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज्यादा शिकायत करते हैं। -ब्रूयर | * जो अपने समय का सबसे ज्यादा दुरूपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज्यादा शिकायत करते हैं। -ब्रूयर | ||
जीवन छोटा ही क्यों न हो, समय की बर्बादी से वह और भी छोटा हो जाता है | ~ जॉनसन | * जीवन छोटा ही क्यों न हो, समय की बर्बादी से वह और भी छोटा हो जाता है | ~ जॉनसन | ||
वर्तमान परिस्थिति में हम क्या करते, सोचते और विश्वास करते हैं, उसी से हमारा भविष्य तय होता है | | * वर्तमान परिस्थिति में हम क्या करते, सोचते और विश्वास करते हैं, उसी से हमारा भविष्य तय होता है | | ||
सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं हैं| | * सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं हैं| | ||
सोने का प्रत्येक धागा मूल्यवान होता है, इसी प्रकार समय का प्रत्येक क्षण भी मूल्यवान होता है। -मेसन | * सोने का प्रत्येक धागा मूल्यवान होता है, इसी प्रकार समय का प्रत्येक क्षण भी मूल्यवान होता है। -मेसन | ||
समय किसी की प्रतीक्षा नही करता। | * समय किसी की प्रतीक्षा नही करता। | ||
बीता हुआ समय और कहे हुए शब्द कदापि वापस नहीं आ सकते। -कहावत | * बीता हुआ समय और कहे हुए शब्द कदापि वापस नहीं आ सकते। -कहावत | ||
प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है। | * प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है। | ||
समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना है। -बेकन | * समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना है। -बेकन | ||
समय महान चिकित्सक है। | * समय महान चिकित्सक है। | ||
एक युग विशाल नगरों का निर्माण करता है, एक क्षण उसका ध्वंस कर देता है। -सेनेका | * एक युग विशाल नगरों का निर्माण करता है, एक क्षण उसका ध्वंस कर देता है। -सेनेका | ||
हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है। | * हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है। | ||
राजा: कुछ ऐसा लिखो जिसे पढ़ कर ख़ुशी में गम हो और गम में पढ़ो तो ख़ुशी हो? वजीर: यह समय बीत जायेगा! | * राजा: कुछ ऐसा लिखो जिसे पढ़ कर ख़ुशी में गम हो और गम में पढ़ो तो ख़ुशी हो? वजीर: यह समय बीत जायेगा! | ||
दौड़ना काफी नहीं है, समय पर चल पड़ना चाहिए | ~ फ़्रान्सीसी कहावत | * दौड़ना काफी नहीं है, समय पर चल पड़ना चाहिए | ~ फ़्रान्सीसी कहावत | ||
समय पर थोड़ा सा प्रयत्न भी आगे की बहुत-से परेशानियों को बचाता है। -कहावत | * समय पर थोड़ा सा प्रयत्न भी आगे की बहुत-से परेशानियों को बचाता है। -कहावत | ||
बुद्धिमान लोग अतीत की घटनाओं पर नहीं पछताते, वे भविष्य की चिन्ता नहीं करते, केवल वर्तमान जगत में पूर्णतया कर्म करते हैं | | * बुद्धिमान लोग अतीत की घटनाओं पर नहीं पछताते, वे भविष्य की चिन्ता नहीं करते, केवल वर्तमान जगत में पूर्णतया कर्म करते हैं | | ||
सही काम करने के लिए समय हर वक्त ही ठीक होता हैं | – मार्टिन लूथर किंग जूनीयर | * सही काम करने के लिए समय हर वक्त ही ठीक होता हैं | – मार्टिन लूथर किंग जूनीयर | ||
जैसे नदी बह जाती है और लौटकर नहीं आती, उसी प्रकार रात और दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते। – महाभारत | * जैसे नदी बह जाती है और लौटकर नहीं आती, उसी प्रकार रात और दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते। – महाभारत | ||
मैंने समय को नष्ट किया है। अब समय मुझको नष्ट कर रहा है। -शेक्सपीयर | * मैंने समय को नष्ट किया है। अब समय मुझको नष्ट कर रहा है। -शेक्सपीयर | ||
समय फिरने पर मित्र भी शत्रु हो जाते हैं। -गोस्वामी तुलसीदास | * समय फिरने पर मित्र भी शत्रु हो जाते हैं। -गोस्वामी तुलसीदास | ||
हर संत का एक अतीत होता है और हर पापी का एक भविष्य| ~ ऑस्कर वाइल्ड | * हर संत का एक अतीत होता है और हर पापी का एक भविष्य| ~ ऑस्कर वाइल्ड | ||
सही टाइमिंग पर लगभग हर बात सकारात्मक तरीके से कही जा सकती है | | * सही टाइमिंग पर लगभग हर बात सकारात्मक तरीके से कही जा सकती है | | ||
हम आज अच्छे हैं, ये भी एक किस्म का पागलपन है | ~ एडवर्ड यंग | * हम आज अच्छे हैं, ये भी एक किस्म का पागलपन है | ~ एडवर्ड यंग | ||
वक्त को बर्बाद न् करो, क्योंकि जिन्दगी इसी से बनी है | ~ फ्रेंकलिन | * वक्त को बर्बाद न् करो, क्योंकि जिन्दगी इसी से बनी है | ~ फ्रेंकलिन | ||
==विश्वास, यक़ीन, भरोसा (Trust)== | ==विश्वास, यक़ीन, भरोसा (Trust)== | ||
विश्वास से आश्चर्य-जनक प्रोत्साहन मिलता है। | * विश्वास से आश्चर्य-जनक प्रोत्साहन मिलता है। | ||
विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है | ~ महात्मा गांधी | * विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है | ~ महात्मा गांधी | ||
असन्तोष अपने ऊपर अविश्वास का फल है, यह कमजोर इच्छा का रूप है | ~ एमर्सन | * असन्तोष अपने ऊपर अविश्वास का फल है, यह कमजोर इच्छा का रूप है | ~ एमर्सन | ||
वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता | ~ स्वामी विवेकानंद | * वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता | ~ स्वामी विवेकानंद | ||
वे ही विजयी हो सकते है, जिन्हें विश्वास है कि वे विजयी होंगे | ~ वर्जिल | * वे ही विजयी हो सकते है, जिन्हें विश्वास है कि वे विजयी होंगे | ~ वर्जिल | ||
विश्वास का अभाव अज्ञान है | ~ स्वामी रामतीर्थ | * विश्वास का अभाव अज्ञान है | ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
विश्वास जीवन कि शक्ति है | ~ टालस्टाय | * विश्वास जीवन कि शक्ति है | ~ टालस्टाय | ||
==सच, सत्य, साँच (Truth)== | ==सच, सत्य, साँच (Truth)== | ||
अगर आप सच बोलते हैं, तो आपको ज्यादा कुछ याद रखने की जरुरत नहीं है | ~ मार्क ट्वेन | * अगर आप सच बोलते हैं, तो आपको ज्यादा कुछ याद रखने की जरुरत नहीं है | ~ मार्क ट्वेन | ||
सत्य स्वयं सिद्ध नहीं है, उसे सिद्ध करना पड़ता है | | * सत्य स्वयं सिद्ध नहीं है, उसे सिद्ध करना पड़ता है | | ||
वस्तुगत यथार्थ वास्तव में स्वप्न के भीतर एक और स्वप्न की तरह है | ~ एडगर एलन पो | * वस्तुगत यथार्थ वास्तव में स्वप्न के भीतर एक और स्वप्न की तरह है | ~ एडगर एलन पो | ||
डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है | ~ प्रेमचंद | * डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है | ~ प्रेमचंद | ||
असत् का अस्तित्व नहीं है और सत् का नाश नहीं है | ~ योगीराज श्रीकृष्ण | * असत् का अस्तित्व नहीं है और सत् का नाश नहीं है | ~ योगीराज श्रीकृष्ण | ||
पंक्ति 2,177: | पंक्ति 2,172: | ||
==समझना, सुबोध (Understanding)== | ==समझना, सुबोध (Understanding)== | ||
ईश्वर ने समझ की कोई सीमा नहीं रखी है। - बेकन | * ईश्वर ने समझ की कोई सीमा नहीं रखी है। - बेकन | ||
संघर्ष और उथल-पुथल के बिना जीवन बिल्कुल नीरस हो जाता है। इसलिए जीवन में आने वाली विषमताओं को सह लेना ही समझदारी है। – विनोबा भावे | * संघर्ष और उथल-पुथल के बिना जीवन बिल्कुल नीरस हो जाता है। इसलिए जीवन में आने वाली विषमताओं को सह लेना ही समझदारी है। – विनोबा भावे | ||
समझ मस्तिष्क का प्रकाश है। – विल्स | * समझ मस्तिष्क का प्रकाश है। – विल्स | ||
==एकता, योग, मेल (Unity)== | ==एकता, योग, मेल (Unity)== | ||
एकता से हमारा अस्तित्व कायम रहता है, विभाजन से हमारा पतन होता है | ~ जॉन डिकिन्सन | * एकता से हमारा अस्तित्व कायम रहता है, विभाजन से हमारा पतन होता है | ~ जॉन डिकिन्सन | ||
==विजेता, विजय, जीत (Winner)== | ==विजेता, विजय, जीत (Winner)== | ||
जीतता वह है जिसमें शौर्य,धैर्य,साहस,सत्व और धर्म होता है | ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | * जीतता वह है जिसमें शौर्य,धैर्य,साहस,सत्व और धर्म होता है | ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | ||
==अक़्लमंद, चतुर, होशियार (Wise)== | ==अक़्लमंद, चतुर, होशियार (Wise)== | ||
सतर्कता तभी सार्थक होती है, जब सदैव बरती जाए | | * सतर्कता तभी सार्थक होती है, जब सदैव बरती जाए | | ||
उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन | ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | * उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन | ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | ||
दुसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है | ~ जवाहरलाल नेहरू | * दुसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है | ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
रोग, शत्रु और कर्ज अपने आप बढ़ते हैं। इन्हें तुंरत जड़ से ख़त्म कर देना चाहिए। | * रोग, शत्रु और कर्ज अपने आप बढ़ते हैं। इन्हें तुंरत जड़ से ख़त्म कर देना चाहिए। | ||
आदत को अगर नहीं रोका जाय तो शीघ्र ही वे लत बन जाती हैं। | * आदत को अगर नहीं रोका जाय तो शीघ्र ही वे लत बन जाती हैं। | ||
प्रतिष्ठा बनाने में कई वर्ष लग जाते हैं, कलंक एक क्षण में लग जाता है | ~ अज्ञात | * प्रतिष्ठा बनाने में कई वर्ष लग जाते हैं, कलंक एक क्षण में लग जाता है | ~ अज्ञात | ||
गुस्सा आपको छोटा बनाता है, क्षमा आपको विस्तार देती है। | * गुस्सा आपको छोटा बनाता है, क्षमा आपको विस्तार देती है। | ||
परामर्श तो अनेक प्राप्त करते है,किन्तु उससे लाभ उठाना बुद्धिमानों को ही आता है | ~ साइरस | * परामर्श तो अनेक प्राप्त करते है,किन्तु उससे लाभ उठाना बुद्धिमानों को ही आता है | ~ साइरस | ||
सावधानी बुद्धिमानी की सबसे बड़ी संतान है | ~ विक्टर ह्यूगो | * सावधानी बुद्धिमानी की सबसे बड़ी संतान है | ~ विक्टर ह्यूगो | ||
निन्दा से बचने का अचूक एवं शीघ्र उपचार स्वयं को सुधार लेना ही है | ~ डिमास्थनीज | * निन्दा से बचने का अचूक एवं शीघ्र उपचार स्वयं को सुधार लेना ही है | ~ डिमास्थनीज | ||
किसी मित्र को अपना ऐसा भेद मत बताओ , जिसके जाहिर हो जाने पर बदनामी हो | ~ थेल्स | * किसी मित्र को अपना ऐसा भेद मत बताओ , जिसके जाहिर हो जाने पर बदनामी हो | ~ थेल्स | ||
नीतिसम्मत है कि स्वार्थवश भी दुर्जन व्यक्ति को साथ नहीं लेना चाहिए | ~ अज्ञात | * नीतिसम्मत है कि स्वार्थवश भी दुर्जन व्यक्ति को साथ नहीं लेना चाहिए | ~ अज्ञात | ||
चतुर मनुष्य अपना ज्ञान छिपाकर रखता है, पर मूर्ख अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करता है | ~ बाइबिल | * चतुर मनुष्य अपना ज्ञान छिपाकर रखता है, पर मूर्ख अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करता है | ~ बाइबिल | ||
ना तो इतने कड़वे बनो की कोई थूक दे और ना ही इतने मीठे बनो की कोई निगल जाये | ~ टॉल्स्टॉय | * ना तो इतने कड़वे बनो की कोई थूक दे और ना ही इतने मीठे बनो की कोई निगल जाये | ~ टॉल्स्टॉय | ||
प्रेम सबसे करो, विश्वास कुछ पर करो, बुरा किसी का मत करो | | * प्रेम सबसे करो, विश्वास कुछ पर करो, बुरा किसी का मत करो | | ||
==महिला, स्री (Woman)== | ==महिला, स्री (Woman)== | ||
जीवन की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है, नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार है | | * जीवन की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है, नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार है | | ||
स्त्री की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्भर है | ~ अरस्तू | * स्त्री की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्भर है | ~ अरस्तू | ||
सुयोग्य स्त्री परिवार की शोभा तथा गृह की लक्ष्मी है | ~ मनु | * सुयोग्य स्त्री परिवार की शोभा तथा गृह की लक्ष्मी है | ~ मनु | ||
स्त्रियों की मान-हानि साक्षात् लक्ष्मी और सरस्वती की मान हानि है | ~ सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला | * स्त्रियों की मान-हानि साक्षात् लक्ष्मी और सरस्वती की मान हानि है | ~ सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला | ||
==काम, कार्य, कृत्य (Work)== | ==काम, कार्य, कृत्य (Work)== | ||
परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है | ~ चाणक्य | * परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है | ~ चाणक्य | ||
किसी कार्य को खूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिए | ~ नेपोलियन | * किसी कार्य को खूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिए | ~ नेपोलियन | ||
ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता | ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | * ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता | ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | ||
मनुष्य जन्म से नहीं बल्कि कर्म से शूद्र या ब्राह्मण होता है | ~ गौतम बुद्ध | * मनुष्य जन्म से नहीं बल्कि कर्म से शूद्र या ब्राह्मण होता है | ~ गौतम बुद्ध | ||
जो श्रम से लजाता है, वह सदैव परतंत्र रहता है | ~ शरण | * जो श्रम से लजाता है, वह सदैव परतंत्र रहता है | ~ शरण | ||
कार्य की अधिकता से उकताने वाला व्यक्ति, कभी कोई बड़ा कार्य नहीं कर सकता | ~ अब्राहम लिंकन | * कार्य की अधिकता से उकताने वाला व्यक्ति, कभी कोई बड़ा कार्य नहीं कर सकता | ~ अब्राहम लिंकन | ||
अपने से हो सके, वह काम दूसरे से न कराना | ~ महात्मा गांधी | * अपने से हो सके, वह काम दूसरे से न कराना | ~ महात्मा गांधी | ||
सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता | ~ स्वामी रामतीर्थ | * सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता | ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है | ~ महात्मा गांधी | * काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है | ~ महात्मा गांधी | ||
महान कार्य शक्ति से नहीं, अपितु उधम से सम्पन्न होते हैं | ~ जॉनसन | * महान कार्य शक्ति से नहीं, अपितु उधम से सम्पन्न होते हैं | ~ जॉनसन | ||
पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है | ~ अज्ञात | * पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है | ~ अज्ञात | ||
कमजोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण | ~ मदनमोहन मालवीय | * कमजोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण | ~ मदनमोहन मालवीय | ||
प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत श्रम है | ~ एडीसन | * प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत श्रम है | ~ एडीसन | ||
अच्छे कार्य करने के लिए कभी शुभ मुहूर्त मत पूछो | ~ अज्ञात | * अच्छे कार्य करने के लिए कभी शुभ मुहूर्त मत पूछो | ~ अज्ञात | ||
बड़े कार्य, छोटे कार्यों से आरम्भ करना चाहिए | ~ शेक्सपियर | * बड़े कार्य, छोटे कार्यों से आरम्भ करना चाहिए | ~ शेक्सपियर | ||
स्वतंत्र वही है, जो अपना काम स्वयं कर लेता है | ~ विनोबा भावे | * स्वतंत्र वही है, जो अपना काम स्वयं कर लेता है | ~ विनोबा भावे | ||
योग्यता से बिताए हुए जीवन को,हमें वर्षों से नहीं बल्कि कर्मों के पैमाने से तौलना चाहिए | ~ शेरिडेन | * योग्यता से बिताए हुए जीवन को,हमें वर्षों से नहीं बल्कि कर्मों के पैमाने से तौलना चाहिए | ~ शेरिडेन | ||
जागरण का अर्थ है कर्म में अवतीर्ण करना | ~ जयशंकर प्रसाद | * जागरण का अर्थ है कर्म में अवतीर्ण करना | ~ जयशंकर प्रसाद | ||
जो काम आ पड़े, साधना समझ कर पूरा करो | ~ स्वामी रामदास | * जो काम आ पड़े, साधना समझ कर पूरा करो | ~ स्वामी रामदास | ||
कहने की प्रकृति छोडो, करने का अभ्यास करो | ~ अज्ञात | * कहने की प्रकृति छोडो, करने का अभ्यास करो | ~ अज्ञात | ||
प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है। | * प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है। | ||
जो अपने योग्य कर्म में जी जान से लगा रहता है,वही संसार में प्रशंसा का पात्र होता है | ~ ब्राह्मण ग्रन्थ | * जो अपने योग्य कर्म में जी जान से लगा रहता है,वही संसार में प्रशंसा का पात्र होता है | ~ ब्राह्मण ग्रन्थ | ||
कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही। | * कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही। | ||
गलत काम करने का कोई सही तरीका नहीं हैं | | * गलत काम करने का कोई सही तरीका नहीं हैं | | ||
जीवन में सबसे ज्यादा आनंद उसी काम को करने में है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते हो। | * जीवन में सबसे ज्यादा आनंद उसी काम को करने में है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते हो। | ||
आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है। | * आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है। | ||
कीर्ति वीरोचित कार्यो की सुगन्ध है। | * कीर्ति वीरोचित कार्यो की सुगन्ध है। | ||
जीवन में ऐसा काम करो कि परिवार, गुरु और परमात्मा तीनों तुमसे खुश रहें। – स्वामी ज्योतिनंद | * जीवन में ऐसा काम करो कि परिवार, गुरु और परमात्मा तीनों तुमसे खुश रहें। – स्वामी ज्योतिनंद | ||
कर्म करने मे ही अधिकार है, फल मे नही। | * कर्म करने मे ही अधिकार है, फल मे नही। | ||
कर्म सरल है, विचार कठिन। | * कर्म सरल है, विचार कठिन। | ||
अपने काम में सुन्दरता तलाशो| उससे सुंदर और कुछ हों ही नहीं सकता| ~ रूमी | * अपने काम में सुन्दरता तलाशो| उससे सुंदर और कुछ हों ही नहीं सकता| ~ रूमी | ||
हमारे लिए चींटी से बढ़कर और कोई उपदेशक नहीं है। वह काम करती है और खामोश रहती है। | * हमारे लिए चींटी से बढ़कर और कोई उपदेशक नहीं है। वह काम करती है और खामोश रहती है। | ||
अगर कुछ महत्व रखता है तो वह है कर्म और प्रेम| ~ सिगमंड फ्रोयड | * अगर कुछ महत्व रखता है तो वह है कर्म और प्रेम| ~ सिगमंड फ्रोयड | ||
==चिंता, आकुलता (Worry)== | ==चिंता, आकुलता (Worry)== | ||
कार्य की अधिकता मनुष्य को नहीं मारती, बल्कि चिंता मारती है। – स्वेट मार्डेन | * कार्य की अधिकता मनुष्य को नहीं मारती, बल्कि चिंता मारती है। – स्वेट मार्डेन | ||
अगर इन्सान सुख-दुःख की चिंता से ऊपर उठ जाए, तो आसमान की ऊंचाई भी उसके पैरों तले आ जाय। – शेख सादी | * अगर इन्सान सुख-दुःख की चिंता से ऊपर उठ जाए, तो आसमान की ऊंचाई भी उसके पैरों तले आ जाय। – शेख सादी | ||
चिंताएं, परेशानियां, दुःख और तकलीफें परिस्थितियों से लड़ने से नहीं दूर हो सकतीं, वे दूर होंगी अपनी अंदरूनी कमजोरी दूर करने से जिसके कारण ही वे सचमुच पैदा हुईं है। – स्वामी रामतीर्थ | * चिंताएं, परेशानियां, दुःख और तकलीफें परिस्थितियों से लड़ने से नहीं दूर हो सकतीं, वे दूर होंगी अपनी अंदरूनी कमजोरी दूर करने से जिसके कारण ही वे सचमुच पैदा हुईं है। – स्वामी रामतीर्थ | ||
प्राणियों के लिए चिंता ही ज्वर है। – शंकराचार्य | * प्राणियों के लिए चिंता ही ज्वर है। – शंकराचार्य | ||
बिस्तर पर चिंताओं को ले जाना, पीठ पर गट्ठर बाँध कर सोना है। -हैली बर्टन | * बिस्तर पर चिंताओं को ले जाना, पीठ पर गट्ठर बाँध कर सोना है। -हैली बर्टन | ||
चिंता रोग का मूल है। – प्रेमचंद | * चिंता रोग का मूल है। – प्रेमचंद | ||
चिंता करता हूँ मैं जितनी उस अतीत की, उस सुख की, उतनी ही अनंत में बनती जातीं रेखाएं दुःख की। – जयशंकर प्रसाद | * चिंता करता हूँ मैं जितनी उस अतीत की, उस सुख की, उतनी ही अनंत में बनती जातीं रेखाएं दुःख की। – जयशंकर प्रसाद | ||
चिंता एक काली दिवार की भांति चारों ओर से घेर लेती है, जिसमें से निकलने की फिर कोई गली नहीं सूझती। – प्रेमचंद | * चिंता एक काली दिवार की भांति चारों ओर से घेर लेती है, जिसमें से निकलने की फिर कोई गली नहीं सूझती। – प्रेमचंद | ||
==युवा, जवानी (Youth)== | ==युवा, जवानी (Youth)== | ||
युवा होने का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि भावनाओं का पुंज और उत्साह का स्त्रोत हो | ~ गणेश शंकर | * युवा होने का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि भावनाओं का पुंज और उत्साह का स्त्रोत हो | ~ गणेश शंकर | ||
==Other Quotes== | ==Other Quotes== | ||
स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है | ~ गुरु गोविन्द सिंह | * स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है | ~ गुरु गोविन्द सिंह | ||
* स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है | ~ प्रेमचंद | |||
* गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है | ~ सरदार वल्लभभाई पटेल | |||
* महान वह है जो दृढतम निश्चय के साथ सत्य का अनुसरण करता है | ~ सेनेका | |||
* महापुरुष की महत्ता इसी में है कि वह कभी भी निराश न हो | ~ थॉमसन | |||
* जिसने कष्ट नहीं भोगा, वह अपनी शक्ति से अनभिज्ञ रहता है | | |||
किसी | * क्षमा से बढ़कर ओर किसी बात में पाप को पुण्य बनाने की शक्ति नहीं है | ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* ईर्ष्या अपनी हीनता के बोध से जन्म लेती है | वह उसे दूर नहीं करती, सिर्फ दबाती है | ~ जैनेन्द्र | |||
* अपराध करने के बाद भय उत्पन्न होता है ओर यही उसका दण्ड है | ~ वाल्टेयर | |||
* किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ | शांतिपूर्वक जियो ओर दूसरों को भी जीने दो | ~ महावीर स्वामी | |||
* आपके पास जो है, उसके लिए कृतज्ञ रहने का विकल्प चुने……… आज ही, अभी | | |||
* दुर्भाग्य घोड़े पर सवार होकर आता है और पैदल वापस जाता है | ~ फ़्रांसीसी लोकोक्ति | |||
* आवश्यकता आविष्कार की जननी है | ~ कहावत | |||
* संतुलित व्यक्ति दूसरों के गुणों को स्वीकार करते हैं, परंतु अपने महत्व को भी कम नहीं आंकते | | |||
* संकल्प और सकारात्मक आत्म-चर्चा तभी तक उपयोगी है, जब तक कि हम अपनी अराधना ही न करने लगें | | |||
* पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने के बजाय तारीफ़ करना ज्यादा अच्छा होता है | | |||
* सच तो यह है कि आशावाद और अपेक्षा के एहसास से भरे लोग शायद ही कभी निराश होते हैं | | |||
* हमारी रूचि हमारे जीवन कि परख और हमारे मनुष्यत्व की पहचान है | ~ रस्किन | |||
* अधिकारों का उपयोग नहीं करना, खुद के शोषण को आमंत्रण देना है | ~ विलियम पिट | |||
* उपहार और विरोध तो सुधारक के पुरस्कार हैं | ~ प्रेमचंद | |||
* प्रेम के बाद सहानुभूति मानव ह्रदय की पवित्रतम भावना है | ~ बर्क | |||
* पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने की बजाए तारीफ करना ज्यादा अच्छा होता है | | |||
* जो दान अपनी कीर्ति-गाथा गाने को उतावला हो उठता है, वह अहंकार एवं आडम्बर मात्र रह जाता है | ~ हुट्टन | |||
* उड़ान भरने की अपेक्षा, जब हम झुकते हैं, तब विवेक के अधिक निकट होते हैं | ~ वर्ड्सवर्थ | |||
* बातचीत प्रिय हो, पर ओछी न हो, आश्चर्यजनक हो, पर असत्य न हो | ~ शेक्सपियर | |||
* विश्व, रेखागणित के लिए भारत का ऋणी है, यूनान का नहीं | ~ डॉ. थिवो | |||
* स्वयं को वश में रखने से ही मनुष्यत्व प्राप्त होता है | ~ हर्बर्ट स्पेन्सर | |||
* विश्व ही महापुरुष हो खोजता है न कि महापुरुष विश्व को | ~ कालिदास | |||
* महान लेखक, अपने पाठक का मित्र और शुभचिन्तक होता है | ~ मेकाले | |||
* सद्व्यवहार से अच्छी और सस्ती कोई अन्य वस्तु नहीं | ~ एनन | |||
* शक्ति का उपयोग परहित में करना चाहिए | ~ अज्ञात | |||
* शब्द की शक्ति, हमारी सारी उन्नति का आधार है | ~ जैनेन्द्र कुमार | |||
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11:41, 1 अक्टूबर 2011 का अवतरण
माँ तुझे सलाम
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
- महात्मा गांधी
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National Anthem =
मेरे पृष्ट पर आप का स्वागत है !
Hello.
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मेरा पसंदीदा चित्र संग्रह |
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शोध क्षेत्र |
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मुझे हिन्दुस्तानी, हिन्दू और हिन्दी भाषी होने का गर्व है | |