"सदस्य:DrMKVaish": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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* केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है। ~ प्रेमचंद | * केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है। ~ प्रेमचंद | ||
* कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। ~ प्रेमचंद | * कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। ~ प्रेमचंद | ||
* गुण छोटे लोगों में द्वेष और महान व्यक्तियों में स्पर्धा पैदा करता है। ~ फील्डिंग | * गुण छोटे लोगों में द्वेष और महान व्यक्तियों में स्पर्धा पैदा करता है। ~ फील्डिंग | ||
* कार्यकुशल व्यक्ति के लिए यश और धन की कमी नहीं है। ~ अज्ञात | * कार्यकुशल व्यक्ति के लिए यश और धन की कमी नहीं है। ~ अज्ञात | ||
* मनुष्य अपने गुणों से आगे बढता है न कि दूसरों कि कृपा से। ~ लाला लाजपतराय | * मनुष्य अपने गुणों से आगे बढता है न कि दूसरों कि कृपा से। ~ लाला लाजपतराय | ||
* यदि तुम अपने आपको योग्य बना लो, तो सहायता स्वयमेव तुम्हे आ मिलेगी। ~ स्वामी रामतीर्थ | * यदि तुम अपने आपको योग्य बना लो, तो सहायता स्वयमेव तुम्हे आ मिलेगी। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* महान व्यक्ति न किसी का अपमान करता है ओर न उसको सहता है। ~ होम | * महान व्यक्ति न किसी का अपमान करता है ओर न उसको सहता है। ~ होम | ||
* नैतिक बल के द्वारा ही मनुष्य दूसरों पर अधिकार कर सकता है। ~ स्वामी रामदास | * नैतिक बल के द्वारा ही मनुष्य दूसरों पर अधिकार कर सकता है। ~ स्वामी रामदास | ||
* मनुष्य धन अथवा कुल से नहीं, दिव्य स्वभाव और भव्य आचरण से महान बनता है। ~ आविद | * मनुष्य धन अथवा कुल से नहीं, दिव्य स्वभाव और भव्य आचरण से महान बनता है। ~ आविद | ||
* ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे। ~ विनोबा भावे | * ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे। ~ विनोबा भावे | ||
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* बिना मांगे किसी को हरगिज नसीहत मत दो। ~ जर्मन कहावत | * बिना मांगे किसी को हरगिज नसीहत मत दो। ~ जर्मन कहावत | ||
* जब हम किसी नई परियोजना पर विचार करते हैं तो बड़े गौर से उसका अध्ययन करते हैं – महज सतही तौर पर नहीं, बल्कि उसके हर एक पहलू का। – वाल्ट डिज्नी | * जब हम किसी नई परियोजना पर विचार करते हैं तो बड़े गौर से उसका अध्ययन करते हैं – महज सतही तौर पर नहीं, बल्कि उसके हर एक पहलू का। – वाल्ट डिज्नी | ||
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* क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है। ~ महात्मा गांधी | * क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है। ~ महात्मा गांधी | ||
* मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है। ~ बाइबिल | * मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है। ~ बाइबिल | ||
* क्रोध करने का मतलब है, दूसरों की गलतियों कि सजा स्वयं को देना। | * क्रोध करने का मतलब है, दूसरों की गलतियों कि सजा स्वयं को देना। | ||
* जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर विचार करो। ~ कन्फ्यूशियस | * जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर विचार करो। ~ कन्फ्यूशियस | ||
* क्रोध से धनि व्यक्ति घृणा और निर्धन तिरस्कार का पात्र होता है। ~ कहावत | * क्रोध से धनि व्यक्ति घृणा और निर्धन तिरस्कार का पात्र होता है। ~ कहावत | ||
* क्रोध मूर्खता से प्रारम्भ और पश्चाताप पर खत्म होता है। ~ पाईथागोरस | * क्रोध मूर्खता से प्रारम्भ और पश्चाताप पर खत्म होता है। ~ पाईथागोरस | ||
* क्रोध के सिंहासनासीन होने पर बुद्धि वहां से खिसक जाती है। ~ एम. हेनरी | * क्रोध के सिंहासनासीन होने पर बुद्धि वहां से खिसक जाती है। ~ एम. हेनरी | ||
* जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में नहीं कह सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है। ~ रवीन्द्रनाथ ठाकुर | * जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में नहीं कह सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है। ~ रवीन्द्रनाथ ठाकुर | ||
* क्रोध मस्तिष्क के दीपक को बुझा देता है। अतः हमें सदैव शांत व स्थिरचित्त रहना चाहिए। ~ इंगरसोल | * क्रोध मस्तिष्क के दीपक को बुझा देता है। अतः हमें सदैव शांत व स्थिरचित्त रहना चाहिए। ~ इंगरसोल | ||
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* सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है। ~ सादी | * सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है। ~ सादी | ||
* वास्तविक सोन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है। ~ महात्मा गांधी | * वास्तविक सोन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है। ~ महात्मा गांधी | ||
* सुन्दर वही हो सकता है जो कल्याणकारी हो। ~ भगवतीचरण वर्मा | * सुन्दर वही हो सकता है जो कल्याणकारी हो। ~ भगवतीचरण वर्मा | ||
* सोंदर्य आकार और सममिति पर निर्भर होता है। चाहे कोई जीव छोटा हो या बेहद बड़ा वह खूबसूरती को परिभाषित नहीं करता, क्योंकि उसको एक दृष्टि मात्र में देखने पर उसकी स्पष्ट नहीं होती है, इसलिए वे परिपूर्ण की श्रेणी में नहीं आते। ~ अरस्तु | * सोंदर्य आकार और सममिति पर निर्भर होता है। चाहे कोई जीव छोटा हो या बेहद बड़ा वह खूबसूरती को परिभाषित नहीं करता, क्योंकि उसको एक दृष्टि मात्र में देखने पर उसकी स्पष्ट नहीं होती है, इसलिए वे परिपूर्ण की श्रेणी में नहीं आते। ~ अरस्तु | ||
* मेरी नजर में मेरा करीबी दोस्त कभी भी वृद्ध नहीं हो सकता। वह वैसा ही रहेगा जैसा मैंने उसे पहली बार देखा था, उसकी खुबसूरती वैसी ही दिखेगी जैसी मैंने पहली नजर में देखी थी। ~ विलियम शेक्सपियर | * मेरी नजर में मेरा करीबी दोस्त कभी भी वृद्ध नहीं हो सकता। वह वैसा ही रहेगा जैसा मैंने उसे पहली बार देखा था, उसकी खुबसूरती वैसी ही दिखेगी जैसी मैंने पहली नजर में देखी थी। ~ विलियम शेक्सपियर | ||
* अतिशय सुंदरता कभी-कभी हमें भयानक रूप से ठेस भी पहुंचा सकती है। - एदुआर्दो गैलियानो | * अतिशय सुंदरता कभी-कभी हमें भयानक रूप से ठेस भी पहुंचा सकती है। - एदुआर्दो गैलियानो | ||
* खूबसूरती एक अनुभव है, इसके सिवा कुछ भी नही| इसे बयां करने के लिए स्थापित मानक नही हैं, न ही नाक – नक्श का वणर्न करना काफी है। ~ डी. एच. लॉरेंस़ | * खूबसूरती एक अनुभव है, इसके सिवा कुछ भी नही| इसे बयां करने के लिए स्थापित मानक नही हैं, न ही नाक – नक्श का वणर्न करना काफी है। ~ डी. एच. लॉरेंस़ | ||
* खूबसूरती चेहरे पर नही होती| ये तो दिल की रोशनी है, बहुत ध्यान से देखनी पड़ती है। ~ खलील जिब्रान | * खूबसूरती चेहरे पर नही होती| ये तो दिल की रोशनी है, बहुत ध्यान से देखनी पड़ती है। ~ खलील जिब्रान | ||
* जो सुंदरता आंखों द्वारा देखी जाती है, वह कुछ ही पल कि होती है, यह जरूरी भी नहीं कि हमारे भीतर से भी वही खूबसूरती दिखाई दे। ~ जॉर्ज सेंड | * जो सुंदरता आंखों द्वारा देखी जाती है, वह कुछ ही पल कि होती है, यह जरूरी भी नहीं कि हमारे भीतर से भी वही खूबसूरती दिखाई दे। ~ जॉर्ज सेंड | ||
* दुनिया की सबसे अच्छी और खूबसूरत चीजें कभी देखी या छुई नहीं गई, वे बस दिल के साथ घुल – मिल गईं। ~ हेलेन कलर | * दुनिया की सबसे अच्छी और खूबसूरत चीजें कभी देखी या छुई नहीं गई, वे बस दिल के साथ घुल – मिल गईं। ~ हेलेन कलर | ||
* सुंदर चीजों पर यकीन बनाये रखिये| याद रहे- सूरज डूब गया तो वसंत भी नहीं आएगा। ~ गिल्सन| | * सुंदर चीजों पर यकीन बनाये रखिये| याद रहे- सूरज डूब गया तो वसंत भी नहीं आएगा। ~ गिल्सन| | ||
* एक शख्स हर दिन संगीत सुने, थोड़ी सी कविता पढ़े और अपने जीवन की सुंदर तस्वीर रोज देखे … उसे सुंदरता की परिभाषा तलाशने की ज़रूरत ही नहीं, क्योंकि भगवान ने सरे संसार का सौंदर्य उसकी झोली में डाल रखा है। ~ गोयथे| | * एक शख्स हर दिन संगीत सुने, थोड़ी सी कविता पढ़े और अपने जीवन की सुंदर तस्वीर रोज देखे … उसे सुंदरता की परिभाषा तलाशने की ज़रूरत ही नहीं, क्योंकि भगवान ने सरे संसार का सौंदर्य उसकी झोली में डाल रखा है। ~ गोयथे| | ||
* खूबसूरती में मानव खुद को पूर्णता के स्तर पर देखता है, कुछ परिस्थितियों में वह खुद की पूजा करता है, मनुष्य यह मान लेता कि यह पूरा विश्व खूबसूरती से भरा हुआ है यह भूल जाता है कि जो सुंदरता वह देख रहा है वह उसके द्वारा बनाई हुई है। मानव ने अकेले ही इस जहान को खूबसूरती अर्पित कि है। ~ फ्रेडरिक नीत्शे | * खूबसूरती में मानव खुद को पूर्णता के स्तर पर देखता है, कुछ परिस्थितियों में वह खुद की पूजा करता है, मनुष्य यह मान लेता कि यह पूरा विश्व खूबसूरती से भरा हुआ है यह भूल जाता है कि जो सुंदरता वह देख रहा है वह उसके द्वारा बनाई हुई है। मानव ने अकेले ही इस जहान को खूबसूरती अर्पित कि है। ~ फ्रेडरिक नीत्शे | ||
* सुंदरता जब आपको आकर्षित कर रही होती है, व्यक्तित्व तब तक आपके दिल पर कब्ज़ा कर चुका होता है। ~ अज्ञात | * सुंदरता जब आपको आकर्षित कर रही होती है, व्यक्तित्व तब तक आपके दिल पर कब्ज़ा कर चुका होता है। ~ अज्ञात | ||
* हम सारी दुनिया घूमते और खूबसूरती तलाशते रहते हैं.. कभी मुड़ के भी नहीं देखते.. अपने पास ही छुपी हुई खूबसूरती की और। ~ इमर्सन | * हम सारी दुनिया घूमते और खूबसूरती तलाशते रहते हैं.. कभी मुड़ के भी नहीं देखते.. अपने पास ही छुपी हुई खूबसूरती की और। ~ इमर्सन | ||
* कभी भी कुछ सुंदर देखने का मौका मत छोडो, सच तो यह है कि खूबसूरती भगवान की लिखावट है.. हर चेहरे पर, धुले-धुले आसमान में, हर फूल में उसकी लिखावट नज़र आएगी.. और हे भगवान, इस सौंदर्य के लिये हम आपके आभारी हैं। ~ राल्फ वाल्डो इमर्सन| | * कभी भी कुछ सुंदर देखने का मौका मत छोडो, सच तो यह है कि खूबसूरती भगवान की लिखावट है.. हर चेहरे पर, धुले-धुले आसमान में, हर फूल में उसकी लिखावट नज़र आएगी.. और हे भगवान, इस सौंदर्य के लिये हम आपके आभारी हैं। ~ राल्फ वाल्डो इमर्सन| | ||
* सुंदरता सबको चाहिए। इसके लिये आओ, बाहर आओ। पूजाघर में और खेल के मैदानों में सौंदर्य बिखरा पड़ा है .. उससे अपना तन और मन भर लो। ~ जोन मुइर | * सुंदरता सबको चाहिए। इसके लिये आओ, बाहर आओ। पूजाघर में और खेल के मैदानों में सौंदर्य बिखरा पड़ा है .. उससे अपना तन और मन भर लो। ~ जोन मुइर | ||
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* सभी अच्छी पुस्तकों को पढ़ना पिछली शताब्दियों के बेहतरीन व्यक्तियों के साथ संवाद करने जैसा है। ~ रेने डकार्टेस | * सभी अच्छी पुस्तकों को पढ़ना पिछली शताब्दियों के बेहतरीन व्यक्तियों के साथ संवाद करने जैसा है। ~ रेने डकार्टेस | ||
* जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अधिक सहायक हैं। ~ जवाहरलाल नेहरू | * जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अधिक सहायक हैं। ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
* किताबों में इतना खजाना छुपा हैं, जितना कोई लुटेरा कभी लूट नहीं सकता। ~ वाल्ट डिज्नी | * किताबों में इतना खजाना छुपा हैं, जितना कोई लुटेरा कभी लूट नहीं सकता। ~ वाल्ट डिज्नी | ||
* लोगों को मारा जा सकता है। लेखकों को भी, लेकिन किताबों को मारना संभव नहीं। ~ अमोस ओज | * लोगों को मारा जा सकता है। लेखकों को भी, लेकिन किताबों को मारना संभव नहीं। ~ अमोस ओज | ||
* किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना। ~ चाणक्य | * किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना। ~ चाणक्य | ||
* बिना ग्रंथों का कक्ष, बिना आत्मा की देह है। ~ शरण | * बिना ग्रंथों का कक्ष, बिना आत्मा की देह है। ~ शरण | ||
* पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं। ~ महात्मा गांधी | * पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं। ~ महात्मा गांधी | ||
* विचारों के युद्ध में, पुस्तकें ही अस्त्र हैं। ~ जार्ज बर्नार्ड शॉ | * विचारों के युद्ध में, पुस्तकें ही अस्त्र हैं। ~ जार्ज बर्नार्ड शॉ | ||
* आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक। ~ टसर | * आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक। ~ टसर | ||
* अच्छा ग्रंथ एक महान आत्मा का अमूल्य जीवन रक्त है। ~ मिल्टन | * अच्छा ग्रंथ एक महान आत्मा का अमूल्य जीवन रक्त है। ~ मिल्टन | ||
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* बदलाव से पूरी मुक्ति मतलब गलतियों से पूरी मुक्ति है, लेकिन यह तो अकेली सर्वज्ञता का विशेषाधिकार है। – सी सी काल्टन | * बदलाव से पूरी मुक्ति मतलब गलतियों से पूरी मुक्ति है, लेकिन यह तो अकेली सर्वज्ञता का विशेषाधिकार है। – सी सी काल्टन | ||
* परिवर्तन ही सृष्टि है,जीवन होना मृत्यु है। ~ अज्ञात | * परिवर्तन ही सृष्टि है,जीवन होना मृत्यु है। ~ अज्ञात | ||
* सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं है। | * सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं है। | ||
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* तुम बर्फ के समान विशुद्ध रहो और हिम के समान स्थिर तो भी लोक निन्दा से नहीं बच पाओगे। | * तुम बर्फ के समान विशुद्ध रहो और हिम के समान स्थिर तो भी लोक निन्दा से नहीं बच पाओगे। | ||
* अच्छी आदतों से शक्ति की बचत होती है, अवगुण से बर्बादी। ~ जेम्स एलन | * अच्छी आदतों से शक्ति की बचत होती है, अवगुण से बर्बादी। ~ जेम्स एलन | ||
* हमारी दुनिया को सबसे ज़्यादा एक नए नैतिक ढांचे की दरकार है। ~ ह्यूगो शावेज | * हमारी दुनिया को सबसे ज़्यादा एक नए नैतिक ढांचे की दरकार है। ~ ह्यूगो शावेज | ||
* चरित्र एक वृक्ष है, मान एक छाया। हम हमेशा छाया की सोचते हैं, लेकिन असलियत तो वृक्ष ही है। - अब्राहम लिंकन | * चरित्र एक वृक्ष है, मान एक छाया। हम हमेशा छाया की सोचते हैं, लेकिन असलियत तो वृक्ष ही है। - अब्राहम लिंकन | ||
* किसी व्यक्ति के चरित्र को उसके द्वारा प्रयुक्त विशेषणों से जाना जा सकता है। ~ मार्क ट्वेन | * किसी व्यक्ति के चरित्र को उसके द्वारा प्रयुक्त विशेषणों से जाना जा सकता है। ~ मार्क ट्वेन | ||
* बुद्धि के साथ सरलता, नम्रता तथा विनय के योग से ही सच्चा चरित्र बनता है। | * बुद्धि के साथ सरलता, नम्रता तथा विनय के योग से ही सच्चा चरित्र बनता है। | ||
* आचरण अच्छा हो तो मन में अच्छे विचार ही आते हैं। | * आचरण अच्छा हो तो मन में अच्छे विचार ही आते हैं। | ||
* सुन्दर आचरण, सुन्दर देह से अच्छा है। ~ इमर्सन | * सुन्दर आचरण, सुन्दर देह से अच्छा है। ~ इमर्सन | ||
* जैसे आचरण की तुम दूसरों से अपेक्षा रखते हो, वैसा ही आचरण तुम दूसरों के प्रति करो। ~ ल्यूक | * जैसे आचरण की तुम दूसरों से अपेक्षा रखते हो, वैसा ही आचरण तुम दूसरों के प्रति करो। ~ ल्यूक | ||
* अपकीर्ति दण्ड में नहीं, अपितु अपराध में है। ~ एलफिरी | * अपकीर्ति दण्ड में नहीं, अपितु अपराध में है। ~ एलफिरी | ||
* दूसरों को क्षति पंहुचाकर अपनी भलाई कि आशा नहीं करनी चाहिए। | * दूसरों को क्षति पंहुचाकर अपनी भलाई कि आशा नहीं करनी चाहिए। | ||
* चरित्रवान व्यक्ति अपने पद और शक्ति का अनुचित लाभ नहीं उठाते। | * चरित्रवान व्यक्ति अपने पद और शक्ति का अनुचित लाभ नहीं उठाते। | ||
* चरित्र आत्मसम्मान की नींव है। | * चरित्र आत्मसम्मान की नींव है। | ||
* अपने चारित्रिक सुधार का आर्किटेक्ट खुद को बनना होगा। | * अपने चारित्रिक सुधार का आर्किटेक्ट खुद को बनना होगा। | ||
* जैसा अन्न, वैसा मन। | * जैसा अन्न, वैसा मन। | ||
* अपकीर्ति अमर है, जब कोई उसे मृतक समझता है, तब भी वह जीवित रहती है। ~ प्ल्यूटस | * अपकीर्ति अमर है, जब कोई उसे मृतक समझता है, तब भी वह जीवित रहती है। ~ प्ल्यूटस | ||
* जो मानव अपने अवगुण और दूसरों के गुण देखता है, वही महान व्यक्ति बन सकता है। ~ सुकरात | * जो मानव अपने अवगुण और दूसरों के गुण देखता है, वही महान व्यक्ति बन सकता है। ~ सुकरात | ||
* बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं। ~ स्वामी विवेकानंद | |||
* बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं। | |||
* आत्म निर्भरता सद् व्यवहार की आधारशिला है। ~ इमर्सन | * आत्म निर्भरता सद् व्यवहार की आधारशिला है। ~ इमर्सन | ||
* वृक्ष, सरोवर, सज्जन और मेघ-ये चारों परमार्थ हेतु देह धारण करते हैं। ~ महात्मा कबीर | * वृक्ष, सरोवर, सज्जन और मेघ-ये चारों परमार्थ हेतु देह धारण करते हैं। ~ महात्मा कबीर | ||
* चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए। ~ महात्मा गांधी | * चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए। ~ महात्मा गांधी | ||
* संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं। ~ रूसो | * संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं। ~ रूसो | ||
* अच्छा स्वभाव, सोंदर्य के अभाव को पूरा कर देता है। ~ एडीसन | * अच्छा स्वभाव, सोंदर्य के अभाव को पूरा कर देता है। ~ एडीसन | ||
* व्यवहार वह दर्पण है, जिसमें प्रत्ये़क का प्रतिबिम्ब देखा जा सकता है। ~ गेटे | * व्यवहार वह दर्पण है, जिसमें प्रत्ये़क का प्रतिबिम्ब देखा जा सकता है। ~ गेटे | ||
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* हम सभी ईश्वर से दया की प्रार्थना करते हैं और वही प्रार्थना हमें दया करना भी सिखाती है। - शेक्सपियर | * हम सभी ईश्वर से दया की प्रार्थना करते हैं और वही प्रार्थना हमें दया करना भी सिखाती है। - शेक्सपियर | ||
* दयालु चेहरा सदैव सुंदर होता है। - बेली | * दयालु चेहरा सदैव सुंदर होता है। - बेली | ||
* मुझे दया के लिए भेजा है, शाप देने के लिए नहीं। – हजरत मोहम्मद | * मुझे दया के लिए भेजा है, शाप देने के लिए नहीं। – हजरत मोहम्मद | ||
* जो सचमुच दयालु है, वही सचमुच बुद्धिमान है, और जो दूसरों से प्रेम नहीं करता उस पर ईश्वर की कृपा नहीं होती। - होम | * जो सचमुच दयालु है, वही सचमुच बुद्धिमान है, और जो दूसरों से प्रेम नहीं करता उस पर ईश्वर की कृपा नहीं होती। - होम | ||
* दया के छोटे-छोटे से कार्य, प्रेम के जरा-जरा से शब्द हमारी पृथ्वी को स्वर्गोपम बना देते हैं। - जूलिया कार्नी | * दया के छोटे-छोटे से कार्य, प्रेम के जरा-जरा से शब्द हमारी पृथ्वी को स्वर्गोपम बना देते हैं। - जूलिया कार्नी | ||
* न्याय करना ईश्वर का काम है, आदमी का काम तो दया करना है। - फ्रांसिस | * न्याय करना ईश्वर का काम है, आदमी का काम तो दया करना है। - फ्रांसिस | ||
* दयालुता हमें ईश्वर तुल्य बनती है। - क्लाडियन | * दयालुता हमें ईश्वर तुल्य बनती है। - क्लाडियन | ||
* दया मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। - प्रेमचंद | * दया मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। - प्रेमचंद | ||
* दया सबसे बड़ा धर्म है। – महाभारत | * दया सबसे बड़ा धर्म है। – महाभारत | ||
* दया दोतरफी कृपा है। इसकी कृपा दाता पर भी होती है और पात्र पर भी। - शेक्सपियर | * दया दोतरफी कृपा है। इसकी कृपा दाता पर भी होती है और पात्र पर भी। - शेक्सपियर | ||
* जो असहायों पर दया नहीं करता, उसे शक्तिशालियों के अत्याचार सहने पड़ते हैं। - शेख सादी | * जो असहायों पर दया नहीं करता, उसे शक्तिशालियों के अत्याचार सहने पड़ते हैं। - शेख सादी | ||
* दयालुता दयालुता को जन्म देती है। - सोफोक्लीज | * दयालुता दयालुता को जन्म देती है। - सोफोक्लीज | ||
* परोपकारियों का मार्ग न समुद्र रोक सकता है और न पर्वत। ~ अज्ञात | * परोपकारियों का मार्ग न समुद्र रोक सकता है और न पर्वत। ~ अज्ञात | ||
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* आत्मविश्वास किसी भी कार्य के लिए आवश्यक तत्व है। क्योंकि एक बड़ी खाई को दो छोटी छलांगों में पार नहीं किया जा सकता। ~ अज्ञात | * आत्मविश्वास किसी भी कार्य के लिए आवश्यक तत्व है। क्योंकि एक बड़ी खाई को दो छोटी छलांगों में पार नहीं किया जा सकता। ~ अज्ञात | ||
* आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलिब्धयां भी पकड़ से परे हैं। ~ जिम लोहर | * आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलिब्धयां भी पकड़ से परे हैं। ~ जिम लोहर | ||
* पेड़ की शाखा पर बैठा पंछी कभी भी इसलिए नहीं डरता कि डाल हिल रही है, क्योंकि पंछी डाली में नहीं अपने पंखों पर भरोसा करता है। | * पेड़ की शाखा पर बैठा पंछी कभी भी इसलिए नहीं डरता कि डाल हिल रही है, क्योंकि पंछी डाली में नहीं अपने पंखों पर भरोसा करता है। | ||
* आत्मविश्वास हमारे उत्साह को जगाकर हमें जीवन में महान उपलब्धियों के मार्ग पर ले जाता है। | * आत्मविश्वास हमारे उत्साह को जगाकर हमें जीवन में महान उपलब्धियों के मार्ग पर ले जाता है। | ||
* अनुभूतियों के सरोवर में, आत्म-विश्वास के कमाल खिलते हैं। ~ अमृतलाल नागर | * अनुभूतियों के सरोवर में, आत्म-विश्वास के कमाल खिलते हैं। ~ अमृतलाल नागर | ||
* आत्मविश्वासी व्यक्ति अपने कार्य को पूरा करके ही छोड़ता है। ~ स्वेट मार्डेन | * आत्मविश्वासी व्यक्ति अपने कार्य को पूरा करके ही छोड़ता है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
* आत्मविश्वास वह संबल है, जो रास्ते की हर बाधा को धराशायी कर सकता है। | * आत्मविश्वास वह संबल है, जो रास्ते की हर बाधा को धराशायी कर सकता है। | ||
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==साहस, हिम्मत, पराक्रम (Courage)== | ==साहस, हिम्मत, पराक्रम (Courage)== | ||
* निराश हुए बिना पराजय को सह लेना, पृथ्वी पर साहस की सबसे बड़ी मिसाल है। | * निराश हुए बिना पराजय को सह लेना, पृथ्वी पर साहस की सबसे बड़ी मिसाल है। ~ इंगरसोल | ||
* हमारी सुरक्षा, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे ग्रह के लिए बदलाव लाने का हममें साहस और प्रतिबद्धता होनी चाहिए। ~ बराक ओबामा (अमेरिकी राष्ट्रपति) | |||
* हमारी सुरक्षा, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे ग्रह के लिए बदलाव लाने का हममें साहस और प्रतिबद्धता होनी चाहिए। ~ बराक ओबामा (अमेरिकी राष्ट्रपति) | |||
* मानव के सभी गुणों में साहस पहला गुण है, क्योंकि यह सभी गुणों की जिम्मेदारी लेता है। ~ चर्चिल | * मानव के सभी गुणों में साहस पहला गुण है, क्योंकि यह सभी गुणों की जिम्मेदारी लेता है। ~ चर्चिल | ||
* प्रेरणा कि हर अभिव्यक्ति में पुरुषार्थ और पराक्रम कि आवश्यकता है। ~ जैनेन्द्र कुमार | * प्रेरणा कि हर अभिव्यक्ति में पुरुषार्थ और पराक्रम कि आवश्यकता है। ~ जैनेन्द्र कुमार | ||
* जो हर झाड़ी की जांच करता है, वह वन में क्या घुस पाएगा। ~ जर्मन कहावत | * जो हर झाड़ी की जांच करता है, वह वन में क्या घुस पाएगा। ~ जर्मन कहावत | ||
* यह संकल्प कर लें कि यह जोखिम लेने योग्य है, तो आपको तत्काल कर्म करने का साहस जुटा लेना चाहिए। | * यह संकल्प कर लें कि यह जोखिम लेने योग्य है, तो आपको तत्काल कर्म करने का साहस जुटा लेना चाहिए। | ||
* सच्चा साहसी वह है, जो बड़ी से बड़ी विपत्ति को बुद्धिमत्तापूर्वक सह सकता है। ~ शेक्सपीयर | * सच्चा साहसी वह है, जो बड़ी से बड़ी विपत्ति को बुद्धिमत्तापूर्वक सह सकता है। ~ शेक्सपीयर | ||
* हर परिस्थिति में शांत रहने वाला निश्चित ही शिखर को छुता है। | * हर परिस्थिति में शांत रहने वाला निश्चित ही शिखर को छुता है। | ||
* साहस का अर्थ होता है यह पता होना कि किस बात से डरना नहीं चाहिए। ~ प्लेटो | * साहस का अर्थ होता है यह पता होना कि किस बात से डरना नहीं चाहिए। ~ प्लेटो | ||
* वह सच्चा साहसी है, जो कभी निराश नहीं होता। | * वह सच्चा साहसी है, जो कभी निराश नहीं होता। | ||
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* कायर तभी धमकी देता है, जब सुरक्षित होता है। ~ गेटे | * कायर तभी धमकी देता है, जब सुरक्षित होता है। ~ गेटे | ||
* जो दूसरों की स्वाधीनता छीनते हैं, वास्तव में कायर हैं। ~ अब्राहम लिंकन | * जो दूसरों की स्वाधीनता छीनते हैं, वास्तव में कायर हैं। ~ अब्राहम लिंकन | ||
* कायरता से कहीं ज्यादा अच्छा है, लड़ते-लड़ते मर जाना। ~ महात्मा गांधी | * कायरता से कहीं ज्यादा अच्छा है, लड़ते-लड़ते मर जाना। ~ महात्मा गांधी | ||
* कुरीति के अधीन होना कायरता है, उसका विरोध करना पुरुषार्थ है। ~ महात्मा गांधी | * कुरीति के अधीन होना कायरता है, उसका विरोध करना पुरुषार्थ है। ~ महात्मा गांधी | ||
* सौभाग्य वीर से डरता है और सिर्फ भीरु को भयभीत करता है। ~ सेनेका | * सौभाग्य वीर से डरता है और सिर्फ भीरु को भयभीत करता है। ~ सेनेका | ||
* कायर अपने जीवन काल में ही अनेक बार मरते है, परन्तु वीर पुरुष केवल एक ही बार मरते हैं। | * कायर अपने जीवन काल में ही अनेक बार मरते है, परन्तु वीर पुरुष केवल एक ही बार मरते हैं। | ||
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==मृत्यु, अंत, ख़तम, नाश (Death)== | ==मृत्यु, अंत, ख़तम, नाश (Death)== | ||
* मृत्यु और विनाश बिना बुलाए ही आया करते हैं। क्योंकि ये हमारे मित्र के रूप में नहीं शत्रु के रूप में आते हैं। – भगवतीचरण वर्मा | * मृत्यु और विनाश बिना बुलाए ही आया करते हैं। क्योंकि ये हमारे मित्र के रूप में नहीं शत्रु के रूप में आते हैं। – भगवतीचरण वर्मा | ||
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* हमारे कई सपने शुरू में असंभव लगते हैं, फिर असंभाव्य और फिर जब हमें संकल्पशक्ति आती है तो ये सपने अवश्यंभावी हो जाते हैं। ~ क्रिस्टोफर रीव | * हमारे कई सपने शुरू में असंभव लगते हैं, फिर असंभाव्य और फिर जब हमें संकल्पशक्ति आती है तो ये सपने अवश्यंभावी हो जाते हैं। ~ क्रिस्टोफर रीव | ||
* सपने देखना बेहद जरुरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंजिल को हासिल नहीं किया जा सकता, सबसे ज्यादा जरुरी है जिंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना। ~ डा. अब्दुल कलाम | * सपने देखना बेहद जरुरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंजिल को हासिल नहीं किया जा सकता, सबसे ज्यादा जरुरी है जिंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना। ~ डा. अब्दुल कलाम | ||
* स्वप्न दृष्टा और यथार्थ के सृष्टा बनिए। ~ अज्ञात | |||
* स्वप्न दृष्टा और यथार्थ के सृष्टा बनिए। ~अज्ञात | |||
* अभिलाषा तभी फलदायक होती है, जब वह दृढ निश्चय में परिणित कर दे जाती है। ~ स्वेट मार्डेन | * अभिलाषा तभी फलदायक होती है, जब वह दृढ निश्चय में परिणित कर दे जाती है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
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* सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं। ~ प्रेमचंद | * सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं। ~ प्रेमचंद | ||
* कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता। कर्तव्य-पालन में ही चित्त की शांति है। ~ प्रेमचंद | * कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता। कर्तव्य-पालन में ही चित्त की शांति है। ~ प्रेमचंद | ||
* कृतज्ञता एक कर्तव्य है,जिसे पूरा करना चाहिए। ~ रूसो | * कृतज्ञता एक कर्तव्य है,जिसे पूरा करना चाहिए। ~ रूसो | ||
* विदेश में विद्या ,घर में पत्नी ,रोगी के लिए औषधि और मृतक का मित्र धर्म है। ~ अज्ञात | * विदेश में विद्या ,घर में पत्नी ,रोगी के लिए औषधि और मृतक का मित्र धर्म है। ~ अज्ञात | ||
* कर्तव्य एक चुम्बक है, जिसकी ओर आकर्षित हुआ अधिकार दौड़ा आता है। ~ अज्ञात | * कर्तव्य एक चुम्बक है, जिसकी ओर आकर्षित हुआ अधिकार दौड़ा आता है। ~ अज्ञात | ||
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* शिक्षा जीवन की परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता का नाम है। ~ जॉन जी. हिबन | * शिक्षा जीवन की परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता का नाम है। ~ जॉन जी. हिबन | ||
* बच्चों को शिक्षित करना तो जरूरी है ही, उन्हें अपने आप को शिक्षित करने के लिए छोड़ देना भी उतना ही जरूरी है। ~ अर्नेस्ट डिमनेट | * बच्चों को शिक्षित करना तो जरूरी है ही, उन्हें अपने आप को शिक्षित करने के लिए छोड़ देना भी उतना ही जरूरी है। ~ अर्नेस्ट डिमनेट | ||
* संसार में जितने प्रकार की प्राप्तियां हैं, शिक्षा सब से बढ़कर है। ~ सूर्यकांत त्रिपाठी | * संसार में जितने प्रकार की प्राप्तियां हैं, शिक्षा सब से बढ़कर है। ~ सूर्यकांत त्रिपाठी | ||
* शिक्षा जीवन की तैयारी का शिक्षण काल है। ~ विल्मट | * शिक्षा जीवन की तैयारी का शिक्षण काल है। ~ विल्मट | ||
* युवकों की शिक्षा पर ही राज्य आधारित है। ~ अरस्तू | * युवकों की शिक्षा पर ही राज्य आधारित है। ~ अरस्तू | ||
* विद्या अमूल्य और अनश्वर धन है। ~ ग्लैडस्टन | * विद्या अमूल्य और अनश्वर धन है। ~ ग्लैडस्टन | ||
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* अहिंसा अच्छी चीज है, लेकिन शत्रुहीन होना अच्छी बात है। ~ विमल मित्र | * अहिंसा अच्छी चीज है, लेकिन शत्रुहीन होना अच्छी बात है। ~ विमल मित्र | ||
* दुश्मन का लोहा गर्म भले ही हो ,पर हथौड़ा तो ठंडा ही काम दे सकता है। ~ सरदार पटेल | * दुश्मन का लोहा गर्म भले ही हो ,पर हथौड़ा तो ठंडा ही काम दे सकता है। ~ सरदार पटेल | ||
पंक्ति 990: | पंक्ति 877: | ||
* पक्षपात सब बुराइयों की जड़ है। ~ विवेकानन्द | * पक्षपात सब बुराइयों की जड़ है। ~ विवेकानन्द | ||
* एक बुराई, दूसरी बुराई को जनम देती है। ~ शेक्सपियर | * एक बुराई, दूसरी बुराई को जनम देती है। ~ शेक्सपियर | ||
* बुराई नौका में छिद्र के समान है। वह छोटी हो या बड़ी, एक दिन नौका को डूबो देती है। ~ कालिदास | * बुराई नौका में छिद्र के समान है। वह छोटी हो या बड़ी, एक दिन नौका को डूबो देती है। ~ कालिदास | ||
* अति अगर अच्छाई की हो तो वह भी अतंत: बुराई में तब्दील हो जाती है। ~ विलियम शेक्सपियर | * अति अगर अच्छाई की हो तो वह भी अतंत: बुराई में तब्दील हो जाती है। ~ विलियम शेक्सपियर | ||
पंक्ति 1,001: | पंक्ति 885: | ||
* जिसे भविष्य का भय नहीं रहता, वही वर्तमान का आनंद उठा सकता है। ~ अज्ञात | * जिसे भविष्य का भय नहीं रहता, वही वर्तमान का आनंद उठा सकता है। ~ अज्ञात | ||
* भय ही पतन और पाप का निश्चित कारण है। ~ स्वामी विवेकानंद | * भय ही पतन और पाप का निश्चित कारण है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* जैसे ही भय आपकी ओर बढ़े, उस पर आक्रमण करते हुए उसे नष्ट कर दो। ~ चाणक्य | * जैसे ही भय आपकी ओर बढ़े, उस पर आक्रमण करते हुए उसे नष्ट कर दो। ~ चाणक्य | ||
* जो चुनौतियों का सामना करने से डरता है, उसका असफल होना तय है। ~ अज्ञात | * जो चुनौतियों का सामना करने से डरता है, उसका असफल होना तय है। ~ अज्ञात | ||
पंक्ति 1,012: | पंक्ति 893: | ||
* मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो। ~ अरस्तू | * मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो। ~ अरस्तू | ||
* दोस्त वह है, जो आपको अपनी तरह जीने की पूरी आजादी दे। ~ जिम मॅारिसन | * दोस्त वह है, जो आपको अपनी तरह जीने की पूरी आजादी दे। ~ जिम मॅारिसन | ||
* अत्याचारी से बढ़कर अभागा व्यक्ति दूसरा नहीं, क्योंकि विपत्ति के समय कोई उसका मित्र नहीं होता। | * अत्याचारी से बढ़कर अभागा व्यक्ति दूसरा नहीं, क्योंकि विपत्ति के समय कोई उसका मित्र नहीं होता। | ||
* सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है। | * सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है। | ||
* ज्ञानी दोस्त जिंदगी का सबसे बड़ा वरदान है। ~ यूरीपिडीज | * ज्ञानी दोस्त जिंदगी का सबसे बड़ा वरदान है। ~ यूरीपिडीज | ||
* कृतज्ञता मित्रता को चिरस्थायी रखती है और नए मित्र बनाती है। ~ फ्रेंकलिन | * कृतज्ञता मित्रता को चिरस्थायी रखती है और नए मित्र बनाती है। ~ फ्रेंकलिन | ||
* झूठे मित्र साये की तरह होते हैं। धूप में साथ चलते हैं और अंधेरे में साथ छोड़ देते हैं। ~ अज्ञात | * झूठे मित्र साये की तरह होते हैं। धूप में साथ चलते हैं और अंधेरे में साथ छोड़ देते हैं। ~ अज्ञात | ||
* सच्चे मित्र के तीन लक्षण हैं- अहित को रोकना, हित की रक्षा करना और विपत्ति में साथ नहीं छोड़ना। | |||
* सच्चे मित्र के तीन लक्षण हैं- अहित को रोकना, हित की रक्षा करना और विपत्ति में साथ नहीं छोड़ना। | |||
* सच्चे मित्र के सामने दुःख आधा और हर्ष दुगुना प्रतीत होता है। ~ जानसन | * सच्चे मित्र के सामने दुःख आधा और हर्ष दुगुना प्रतीत होता है। ~ जानसन | ||
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* कामयाब व्यक्ति की आधुनिक परिभाषा: जो पहली बीवी की वजह से कामयाबी हासिल करता है और कामयाबी की वजह से दूसरी बीवी। | * कामयाब व्यक्ति की आधुनिक परिभाषा: जो पहली बीवी की वजह से कामयाबी हासिल करता है और कामयाबी की वजह से दूसरी बीवी। | ||
* एक सरकारी दफ्तर के बोर्ड पर लिखा था कृप्या शोर न करें। किसी ने उसके नीचे लिख दिया। वरना हम जाग जायेंगे। | * एक सरकारी दफ्तर के बोर्ड पर लिखा था कृप्या शोर न करें। किसी ने उसके नीचे लिख दिया। वरना हम जाग जायेंगे। | ||
* हर विषय को मिनी स्कर्ट की तरह होना चाहिये। इतना छोटा कि लोगों का इन्ट्रस्ट बना रहे और जरुरी चीज़े भी कवर हो जाये। | * हर विषय को मिनी स्कर्ट की तरह होना चाहिये। इतना छोटा कि लोगों का इन्ट्रस्ट बना रहे और जरुरी चीज़े भी कवर हो जाये। | ||
* किशोरावस्था :ऐसी आयु जिसमें लड़के लड़कियों को ताड़ने लगते हैं और लड़कियां ताड़ने लगती हैं कि लड़के उन्हें ताड़ने लगे हैं। | * किशोरावस्था :ऐसी आयु जिसमें लड़के लड़कियों को ताड़ने लगते हैं और लड़कियां ताड़ने लगती हैं कि लड़के उन्हें ताड़ने लगे हैं। | ||
* आदर्श पत्नी :जो बरतन, कपड़े, झाड़ू, पोंछा … कहने का मतलब घर के सभी काम, करने में पति की मदद करे। | * आदर्श पत्नी :जो बरतन, कपड़े, झाड़ू, पोंछा … कहने का मतलब घर के सभी काम, करने में पति की मदद करे। | ||
* गाली: क्रोध के समय मुख से निकले शब्द अथवा शब्दों का समूह, जिनके उच्चारण के पश्चात् व्यक्ति के हृदय को शान्ति का अनुभव होता है। | * गाली: क्रोध के समय मुख से निकले शब्द अथवा शब्दों का समूह, जिनके उच्चारण के पश्चात् व्यक्ति के हृदय को शान्ति का अनुभव होता है। | ||
* मनोचिकित्सक: जो भारी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है, जैसे आपकी पत्नी आपसे यूँ ही पूछती रहती है। | * मनोचिकित्सक: जो भारी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है, जैसे आपकी पत्नी आपसे यूँ ही पूछती रहती है। | ||
* राय – वह इकलौती वस्तु जिसका देना अधिक सुखद है उसके लेने की अपेक्षा। | * राय – वह इकलौती वस्तु जिसका देना अधिक सुखद है उसके लेने की अपेक्षा। | ||
* दृढ़ता – वह गुण जो हममें हो तो सत्याग्रह, दूसरे में हो तो दुराग्रह। | * दृढ़ता – वह गुण जो हममें हो तो सत्याग्रह, दूसरे में हो तो दुराग्रह। | ||
* अधिकारी: वह जो आपके पहुंचने के पहले ऑफिस पहुंच जाता है और यदि कभी आप जल्दी पहुंच जाएं तो काफी देर से आता है। | * अधिकारी: वह जो आपके पहुंचने के पहले ऑफिस पहुंच जाता है और यदि कभी आप जल्दी पहुंच जाएं तो काफी देर से आता है। | ||
* नेता: वह शख्स जो अपने देश के लिये आपकी जान की कुर्बानी देने को हमेशा तैयार रहता है। | * नेता: वह शख्स जो अपने देश के लिये आपकी जान की कुर्बानी देने को हमेशा तैयार रहता है। | ||
* पड़ोसी: वह महानुभाव जो आपके मामलों को आपसे ज्यादा समझते हैं। | * पड़ोसी: वह महानुभाव जो आपके मामलों को आपसे ज्यादा समझते हैं। | ||
* शादी: यह मालूम करने का तरीका कि आपकी बीबी को कैसा पति पसन्द आता। | * शादी: यह मालूम करने का तरीका कि आपकी बीबी को कैसा पति पसन्द आता। | ||
* कान्फ्रेन्स रूम: वह स्थान जहां हर व्यक्ति बोलता है, कोई नहीं सुनता है और अंत में सब असहमत होते हैं। | * कान्फ्रेन्स रूम: वह स्थान जहां हर व्यक्ति बोलता है, कोई नहीं सुनता है और अंत में सब असहमत होते हैं। | ||
* श्रेष्ठ पुस्तक: जिसकी सब प्रशंसा करते हैं परंतु पढ़ता कोई नहीं है। | * श्रेष्ठ पुस्तक: जिसकी सब प्रशंसा करते हैं परंतु पढ़ता कोई नहीं है। | ||
* कार्यालय: वह स्थान जहां आप घर के तनावों से मुक्ति पाकर विश्राम कर सकते हैं। | * कार्यालय: वह स्थान जहां आप घर के तनावों से मुक्ति पाकर विश्राम कर सकते हैं। | ||
* मच्छर: इंजेक्शन की ऐसी सिरिंज जो उड़ सकती है। | * मच्छर: इंजेक्शन की ऐसी सिरिंज जो उड़ सकती है। | ||
* एक आशावादी सोचता है कि गिलास आधा भरा है, निराशावादी का विचार होता है कि गिलास आधा खाली है, पर एक यथार्थवादी जानता है कि वह आसपास बना रहा तो अंतत: गिलास उसे ही धोना पड़ेगा। | * एक आशावादी सोचता है कि गिलास आधा भरा है, निराशावादी का विचार होता है कि गिलास आधा खाली है, पर एक यथार्थवादी जानता है कि वह आसपास बना रहा तो अंतत: गिलास उसे ही धोना पड़ेगा। | ||
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* ईश्वर को देखा नहीं जा सकता, इसीलिए तो वह हर जगह मौजूद है। - यासुनारी कावाबाता | * ईश्वर को देखा नहीं जा सकता, इसीलिए तो वह हर जगह मौजूद है। - यासुनारी कावाबाता | ||
* यदि ईश्वर का अस्तित्व न होता, तो उसके आविष्कार की आवश्यकता पड़ती। ~ वाल्टेयर | * यदि ईश्वर का अस्तित्व न होता, तो उसके आविष्कार की आवश्यकता पड़ती। ~ वाल्टेयर | ||
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* भलाई में आनंद है, क्योंकि वह तुम्हारे स्वास्थ्य और सुख में वृद्धि करता है। ~ जरथुष्ट्र | * भलाई में आनंद है, क्योंकि वह तुम्हारे स्वास्थ्य और सुख में वृद्धि करता है। ~ जरथुष्ट्र | ||
* भलाई करना मानवता है, भला होना दिव्यता है। ~ ला मार्टिन | * भलाई करना मानवता है, भला होना दिव्यता है। ~ ला मार्टिन | ||
* भलाई अमरत्व की ओर ले जाती है, बुराई विनाश की ओर। ~ व्हिटमैन | * भलाई अमरत्व की ओर ले जाती है, बुराई विनाश की ओर। ~ व्हिटमैन | ||
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* आप अपनी आंख बंद करके ध्यान लगाएं और खुद से पूछे कि कौन सा काम करते समय आपको आनंद आता है। ऐसी कौन-सी दुनिया है, जो आपको बुलाती है। तभी तुम सही फैसला कर पाओगे। | * आप अपनी आंख बंद करके ध्यान लगाएं और खुद से पूछे कि कौन सा काम करते समय आपको आनंद आता है। ऐसी कौन-सी दुनिया है, जो आपको बुलाती है। तभी तुम सही फैसला कर पाओगे। | ||
* प्रसन्नता आत्मा को शांति देती है। ~ सैम्युअल स्माइल्स | * प्रसन्नता आत्मा को शांति देती है। ~ सैम्युअल स्माइल्स | ||
* आनंद ही ब्रह्म है, आनंद से ही सब प्राणी उत्पन्न होते हैं. उत्पन्न होने पर आनंद से ही जीवित रहते हैं और मृत्यु से आनंद में समा जाते हैं। ~ उपनिषद | * आनंद ही ब्रह्म है, आनंद से ही सब प्राणी उत्पन्न होते हैं. उत्पन्न होने पर आनंद से ही जीवित रहते हैं और मृत्यु से आनंद में समा जाते हैं। ~ उपनिषद | ||
* प्रसन्नता स्वास्थ्य देती है, विषाद रोग देते है। | * प्रसन्नता स्वास्थ्य देती है, विषाद रोग देते है। | ||
* मनुष्य अपने आनंद का निर्माता स्वयं है। ~ थोरो | * मनुष्य अपने आनंद का निर्माता स्वयं है। ~ थोरो | ||
* प्रसन्नचित्त मनुष्य अधिक जीते हैं। ~ शेक्सपियर | * प्रसन्नचित्त मनुष्य अधिक जीते हैं। ~ शेक्सपियर | ||
* प्रसन्न करने का उपाय है, स्वयं प्रसन्न रहना। | * प्रसन्न करने का उपाय है, स्वयं प्रसन्न रहना। | ||
* हर्ष के साथ शोक और भय इस प्रकार लगे हैं जैसे प्रकाश के संग छाया, सच्चा सुखी वही है जिसकी दृष्टि में दोनों समान हैं। ~ धम्मपद | * हर्ष के साथ शोक और भय इस प्रकार लगे हैं जैसे प्रकाश के संग छाया, सच्चा सुखी वही है जिसकी दृष्टि में दोनों समान हैं। ~ धम्मपद | ||
* प्रसन्नता बसन्त की तरह, ह्रदय की सब कलियां खिला देती है। ~ जीनपॉल | * प्रसन्नता बसन्त की तरह, ह्रदय की सब कलियां खिला देती है। ~ जीनपॉल | ||
* जो व्यक्ति सभी को खुश रखना चाहेगा, वह किसी को खुश नहीं रख सकता। | * जो व्यक्ति सभी को खुश रखना चाहेगा, वह किसी को खुश नहीं रख सकता। | ||
* सुख सर्वत्र मौजूद है, उसका स्त्रोत हमारे ह्रदयों में है। ~ रस्किन | * सुख सर्वत्र मौजूद है, उसका स्त्रोत हमारे ह्रदयों में है। ~ रस्किन | ||
* सुख का रहस्य त्याग में है। ~ एण्ड्रयू कारनेगी | * सुख का रहस्य त्याग में है। ~ एण्ड्रयू कारनेगी | ||
* सुख बाहर से मिलने की चीज नहीं, मगर अहंकार छोड़े बगैर इसकी प्राप्ति भी होने वाली नहीं। ~ महात्मा गांधी | * सुख बाहर से मिलने की चीज नहीं, मगर अहंकार छोड़े बगैर इसकी प्राप्ति भी होने वाली नहीं। ~ महात्मा गांधी | ||
* जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं। ~ मुंशी प्रेमचंद | * जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं। ~ मुंशी प्रेमचंद | ||
* जीवन के प्रति जिस व्यक्ति कि कम से कम शिकायतें है, वही इस जगत में अधिक से अधिक सुखी है। | * जीवन के प्रति जिस व्यक्ति कि कम से कम शिकायतें है, वही इस जगत में अधिक से अधिक सुखी है। | ||
पंक्ति 1,125: | पंक्ति 964: | ||
==स्वास्थ्य, सेहत (Health)== | ==स्वास्थ्य, सेहत (Health)== | ||
* शीघ्र सोने और प्रात:काल जल्दी उठने वाला मानव अरोग्यवान,भाग्यवान और ज्ञानवान होता है। ~ जयशंकर प्रसाद | * शीघ्र सोने और प्रात:काल जल्दी उठने वाला मानव अरोग्यवान, भाग्यवान और ज्ञानवान होता है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* जहां तक हो सके, निरन्तर हंसते रहो, यह सस्ती दवा है। ~ अज्ञात | * जहां तक हो सके, निरन्तर हंसते रहो, यह सस्ती दवा है। ~ अज्ञात | ||
* अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ, जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं। ~ साइरस | * अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ, जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं। ~ साइरस | ||
* प्रतिदिन एक सेव खाने से डॉक्टर की आवश्यकता नहीं होती। ~ अंग्रेजी कहावत | * प्रतिदिन एक सेव खाने से डॉक्टर की आवश्यकता नहीं होती। ~ अंग्रेजी कहावत | ||
* स्वास्थ्य परिश्रम में है और श्रम के अलावा वहां तक पहुंचने का कोई दूसरा राजमार्ग नहीं। ~ वेन्डेल फिलप्स | * स्वास्थ्य परिश्रम में है और श्रम के अलावा वहां तक पहुंचने का कोई दूसरा राजमार्ग नहीं। ~ वेन्डेल फिलप्स | ||
* अच्छा मजाक आत्मा का स्वास्थ्य है, चिंता उसका विष। ~ स्टैनली | * अच्छा मजाक आत्मा का स्वास्थ्य है, चिंता उसका विष। ~ स्टैनली | ||
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* एक टूटा हुआ दिल, टूटे हुए शीशे के समान होता है। इसको टूटा हुआ छोड़ देना ज्यादा बेहतर होता, क्योंकि दोनों को जोड़ने में खुद को ज्यादा दुख पहुंचता है। | * एक टूटा हुआ दिल, टूटे हुए शीशे के समान होता है। इसको टूटा हुआ छोड़ देना ज्यादा बेहतर होता, क्योंकि दोनों को जोड़ने में खुद को ज्यादा दुख पहुंचता है। | ||
* चेहरा ह्रदय का प्रतिबिम्ब है। ~ कहावत | * चेहरा ह्रदय का प्रतिबिम्ब है। ~ कहावत | ||
* सुन्दर ह्रदय का मूल्य सोने से भी बढ़कर है। ~ शेक्सपियर | * सुन्दर ह्रदय का मूल्य सोने से भी बढ़कर है। ~ शेक्सपियर | ||
* भरे दिल में सबके लिए जगह होती है पर खाली दिल में किसी के लिए नहीं। | * भरे दिल में सबके लिए जगह होती है पर खाली दिल में किसी के लिए नहीं। | ||
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* उचित रूप से देंखे तो कुछ भी इतिहास नही है, सब कुछ मात्र आत्मकथा है। ~ इमर्सन | * उचित रूप से देंखे तो कुछ भी इतिहास नही है, सब कुछ मात्र आत्मकथा है। ~ इमर्सन | ||
* इतिहास, असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है। ~ नेपोलियन बोनापार्ट | * इतिहास, असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है। ~ नेपोलियन बोनापार्ट | ||
* इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है। ~ जेम्स के. फिंक | * इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है। ~ जेम्स के. फिंक | ||
* ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले। ~ मकियावेली ” द प्रिन्स ” | * ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले। ~ मकियावेली ” द प्रिन्स ” | ||
* इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा। | * इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा। | ||
* इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जाता है। | * इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जाता है। | ||
* इतिहास स्वयं को दोहराता है, इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है। ~ सी डैरो | * इतिहास स्वयं को दोहराता है, इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है। ~ सी डैरो | ||
* इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है। | * इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है। | ||
* संक्षेप में, मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है। ~ एच जी वेल्स | |||
* संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है। ~ एच जी वेल्स | |||
* जो इतिहास को याद नहीं रखते, उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है। ~ जार्ज सन्तायन | * जो इतिहास को याद नहीं रखते, उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है। ~ जार्ज सन्तायन | ||
* सभ्यता की कहानी, सार रूप में, इंजिनीयरिंग की कहानी है – वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया। ~ एस डीकैम्प | * सभ्यता की कहानी, सार रूप में, इंजिनीयरिंग की कहानी है – वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया। ~ एस डीकैम्प | ||
पंक्ति 1,177: | पंक्ति 998: | ||
* घर के समान कोई स्कूल नहीं, न ईमानदारी व सदाचारी माता-पिता के समान कोई अध्यापक है। | * घर के समान कोई स्कूल नहीं, न ईमानदारी व सदाचारी माता-पिता के समान कोई अध्यापक है। | ||
* जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले नहीं पीना चाहिए। ~ तिरुवल्लुवर | * जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले नहीं पीना चाहिए। ~ तिरुवल्लुवर | ||
पंक्ति 1,184: | पंक्ति 1,004: | ||
* मनुष्य की प्रतिष्ठा ईमानदारी पर ही निर्भर है। ~ अज्ञात | * मनुष्य की प्रतिष्ठा ईमानदारी पर ही निर्भर है। ~ अज्ञात | ||
* ईमानदार मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट कृति है। ~ अज्ञात | * ईमानदार मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट कृति है। ~ अज्ञात | ||
पंक्ति 1,191: | पंक्ति 1,010: | ||
* किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के ह्रदय और आत्मा में बसती है। ~ महात्मा गांधी | * किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के ह्रदय और आत्मा में बसती है। ~ महात्मा गांधी | ||
* अकृतज्ञता मनुष्यत्व का विष है। ~ सर पी. सिडनी | * अकृतज्ञता मनुष्यत्व का विष है। ~ सर पी. सिडनी | ||
* मानव द्वारा अपनाया जाने वाला विवेक व माधुर्य समाज को प्रसन्नता प्रदान करता है। ~ अज्ञात | * मानव द्वारा अपनाया जाने वाला विवेक व माधुर्य समाज को प्रसन्नता प्रदान करता है। ~ अज्ञात | ||
* जिन पापों को मनुष्य करना पसंद करते हैं, उन्हें सुनना पसंद नहीं करते। | * जिन पापों को मनुष्य करना पसंद करते हैं, उन्हें सुनना पसंद नहीं करते। | ||
पंक्ति 1,202: | पंक्ति 1,018: | ||
* अन्याय का राज्य बालू की भीत है। ~ जयशंकर प्रसाद | * अन्याय का राज्य बालू की भीत है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* अधर्म पर स्थापित राज्य कभी नहीं टिकता। ~ सेनेका | * अधर्म पर स्थापित राज्य कभी नहीं टिकता। ~ सेनेका | ||
पंक्ति 1,209: | पंक्ति 1,024: | ||
* प्यार कभी निष्फल नहीं होता, चरित्र कभी नहीं हारता, धैर्य और दृढ़ता से सपने अवश्य सच हो जाते हैं। ~ पीट मेराविच | * प्यार कभी निष्फल नहीं होता, चरित्र कभी नहीं हारता, धैर्य और दृढ़ता से सपने अवश्य सच हो जाते हैं। ~ पीट मेराविच | ||
* मानव जीवन की दिशा बदलने में, एक छोटी सी बात भी अद्भुत प्रभाव रखती है। ~ स्वेट मार्डेन | * मानव जीवन की दिशा बदलने में, एक छोटी सी बात भी अद्भुत प्रभाव रखती है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
* किनारे पर खड़ा जहाज सबसे सुरक्षित होता है। लेकिन क्या जहाज इसलिए बनाए जाते हैं। जीवन में चुनौतियां लेने की ताकत ही आपकी क्षमताओं को तय करती है। | * किनारे पर खड़ा जहाज सबसे सुरक्षित होता है। लेकिन क्या जहाज इसलिए बनाए जाते हैं। जीवन में चुनौतियां लेने की ताकत ही आपकी क्षमताओं को तय करती है। | ||
* आप कुछ भी कर पाने में सक्षम हैं चाहे वह आपकी सोच हो, आपका जीवन हो या आपके सपने हों, सब सच हो सकते हैं। आप जो चाहें वह कर सकते हैं। आप इस अनंत ब्रह्मांड की तरह ही अनंत संभावनाओं से परिपूर्ण हैं। ~ शेड हेल्मस्टेटर | |||
* आप कुछ भी कर पाने में सक्षम हैं चाहे वह आपकी सोच हो, आपका जीवन हो या आपके सपने हों, सब सच हो सकते | |||
* अगर हम अपनी क्षमता के अनुसार कर्म करें तो हम अपने-आप को ही अचंभित कर डालेंगे। ~ थॉमस एडीसन | * अगर हम अपनी क्षमता के अनुसार कर्म करें तो हम अपने-आप को ही अचंभित कर डालेंगे। ~ थॉमस एडीसन | ||
* संकल्प ही मनुष्य का बल है। | * संकल्प ही मनुष्य का बल है। | ||
* संपूर्ण लेखन जैसी कोई चीज नहीं होती। ठीक वैसे ही जैसे संपूर्ण निराशा नहीं होती। – हारुकि मुराकामी | * संपूर्ण लेखन जैसी कोई चीज नहीं होती। ठीक वैसे ही जैसे संपूर्ण निराशा नहीं होती। – हारुकि मुराकामी | ||
* अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नही होता। | * अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नही होता। | ||
* वह सच्चा साहसी है जो कभी भी निराश नहीं होता। | * वह सच्चा साहसी है जो कभी भी निराश नहीं होता। | ||
* मंजिल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं करते। | * मंजिल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं करते। | ||
* वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है। | * वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है। | ||
* जिसने निश्चय कर लिया, उसके लिए केवल करना शेष रह जाता है। ~ इटालियन कहावत | * जिसने निश्चय कर लिया, उसके लिए केवल करना शेष रह जाता है। ~ इटालियन कहावत | ||
* प्रचंड वायु मे भी पहाड़ विचलित नही होते। | * प्रचंड वायु मे भी पहाड़ विचलित नही होते। | ||
* हर परिस्थिति एक सौगात है और हर अनुभव खजाना। | * हर परिस्थिति एक सौगात है और हर अनुभव खजाना। | ||
* मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है। | * मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है। | ||
* विवेक बहादुरी का उत्तम अंश है। | * विवेक बहादुरी का उत्तम अंश है। | ||
* कोई भी पूर्ण नहीं होता और कोई भी हर समय नहीं जीतता। | * कोई भी पूर्ण नहीं होता और कोई भी हर समय नहीं जीतता। | ||
* बिना उत्साह के कभी किसी उच्च लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती। ~ इमर्सन | * बिना उत्साह के कभी किसी उच्च लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती। ~ इमर्सन | ||
* सतह की ‘चमक’ कभी उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती है, जितनी कि इसके नीचे कि ‘नीवं’ होती है। | * सतह की ‘चमक’ कभी उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती है, जितनी कि इसके नीचे कि ‘नीवं’ होती है। | ||
* ऊँची जगहों पर जाने का एकमात्र मार्ग घुमावदार सीढियां हैं। | * ऊँची जगहों पर जाने का एकमात्र मार्ग घुमावदार सीढियां हैं। | ||
* अगर आप इस बात की परवाह नहीं करें कि श्रेय किसे मिलेगा, तो आप बहुत कुछ कर सकते हैं। | * अगर आप इस बात की परवाह नहीं करें कि श्रेय किसे मिलेगा, तो आप बहुत कुछ कर सकते हैं। | ||
* ऐसे असंख्य लोग हैं, जो बार-बार असफल हुए, तब कहीं जाकर वे ‘अचानक सामने’ आए। | * ऐसे असंख्य लोग हैं, जो बार-बार असफल हुए, तब कहीं जाकर वे ‘अचानक सामने’ आए। | ||
* अग्नि से सोना परखा जाता है और विपत्ति से वीर पुरुष। ~ सेनेका | * अग्नि से सोना परखा जाता है और विपत्ति से वीर पुरुष। ~ सेनेका | ||
* गुण स्वयं ही सामने आ जाते हैं, क्योंकि कस्तूरी को अपनी उपस्थिति प्रमाणित नहीं करनी पड़ती। ~ शेस्टन | * गुण स्वयं ही सामने आ जाते हैं, क्योंकि कस्तूरी को अपनी उपस्थिति प्रमाणित नहीं करनी पड़ती। ~ शेस्टन | ||
* संभव की सीमाओं को जानने का एक ही तरीका है। उनसे थोड़ा आगे असंभव के दायरे में निकल जाइए। ~ आर्थर सी क्लार्क | * संभव की सीमाओं को जानने का एक ही तरीका है। उनसे थोड़ा आगे असंभव के दायरे में निकल जाइए। ~ आर्थर सी क्लार्क | ||
* खुश रहिए। रचनात्मक बनिए। इंसान अपने अस्तित्व का अर्थ जानकर ही विश्वास से भर उठता है और यही विचार उसकी मजबूती बढ़ाता है। ~ स्टीफन ज्विग | * खुश रहिए। रचनात्मक बनिए। इंसान अपने अस्तित्व का अर्थ जानकर ही विश्वास से भर उठता है और यही विचार उसकी मजबूती बढ़ाता है। ~ स्टीफन ज्विग | ||
* अगर हम गिरते हैं, तो अधिक अच्छी तरह चलने का रहस्य सीख जाते हैं। ~ महर्षि अरविन्द घोष | * अगर हम गिरते हैं, तो अधिक अच्छी तरह चलने का रहस्य सीख जाते हैं। ~ महर्षि अरविन्द घोष | ||
* जो यह सोचते हैं कि वे किसी प्रकार की सेवा करने योग्य नहीं है, वे शायद पशुओं और वृक्षों को भूल जाते हैं। | * जो यह सोचते हैं कि वे किसी प्रकार की सेवा करने योग्य नहीं है, वे शायद पशुओं और वृक्षों को भूल जाते हैं। | ||
* लगन को कांटों कि परवाह नहीं होती। ~ प्रेमचंद | * लगन को कांटों कि परवाह नहीं होती। ~ प्रेमचंद | ||
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* ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार से समझे और परिस्थितियों के अनुसार आचरण करे। ~ अज्ञात | * ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार से समझे और परिस्थितियों के अनुसार आचरण करे। ~ अज्ञात | ||
* अगर तुम पढ़ना जानते हो, तो हर व्यक्ति स्वयं में एक पुस्तक है। ~ चैनिंग | * अगर तुम पढ़ना जानते हो, तो हर व्यक्ति स्वयं में एक पुस्तक है। ~ चैनिंग | ||
* बुद्धि की शक्ति उसके उपयोग में है, विश्राम में नहीं। ~ अज्ञात | * बुद्धि की शक्ति उसके उपयोग में है, विश्राम में नहीं। ~ अज्ञात | ||
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* न जल्दी करो, न परेशान हो| क्योंकि आप यहां एक छोटी-सी यात्रा पर हैं इसलिए आराम से रुकिए और फूलों की खुशबु का आनंद उठाइए। ~ वाल्टर हेगन | * न जल्दी करो, न परेशान हो| क्योंकि आप यहां एक छोटी-सी यात्रा पर हैं इसलिए आराम से रुकिए और फूलों की खुशबु का आनंद उठाइए। ~ वाल्टर हेगन | ||
* सही मार्ग पर चलना ‘यात्रा’ है और बिना लक्ष्य के ग़लत राह पर चलना ‘भटकना’ है। | * सही मार्ग पर चलना ‘यात्रा’ है और बिना लक्ष्य के ग़लत राह पर चलना ‘भटकना’ है। | ||
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* बहुमत की आवाज न्याय का द्योतक नही है। | * बहुमत की आवाज न्याय का द्योतक नही है। | ||
* अन्याय मे सहयोग देना, अन्याय के ही समान है। | * अन्याय मे सहयोग देना, अन्याय के ही समान है। | ||
* अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नही होता। | * अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नही होता। | ||
* अहिंसा सर्वोत्तम धर्म है। | * अहिंसा सर्वोत्तम धर्म है। | ||
* इंसाफ, सच और खूबसूरती जैसे शब्द एक – दूसरे के दोस्त हैं| जहां ये तीनों लफ्ज़ हों, वहाँ किसी और की ज़रूरत ही नहीं है। ~ साइमन वेल | * इंसाफ, सच और खूबसूरती जैसे शब्द एक – दूसरे के दोस्त हैं| जहां ये तीनों लफ्ज़ हों, वहाँ किसी और की ज़रूरत ही नहीं है। ~ साइमन वेल | ||
* अन्याय में सहयोग देना, अन्याय करने के ही समान है। ~ प्रेमचन्द | * अन्याय में सहयोग देना, अन्याय करने के ही समान है। ~ प्रेमचन्द | ||
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* अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। | * अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। | ||
* विद्या नम्रता से, प्रश्न पर प्रश्न, खोज पर खोज करने ओर दूसरों की सेवा करते रहने से आती है। | * विद्या नम्रता से, प्रश्न पर प्रश्न, खोज पर खोज करने ओर दूसरों की सेवा करते रहने से आती है। | ||
* जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता। दुःख के बिना सुख नहीं होता। ~ महात्मा गांधी | * जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता। दुःख के बिना सुख नहीं होता। ~ महात्मा गांधी | ||
* बिना गुरु के ज्ञान नही होता। | * बिना गुरु के ज्ञान नही होता। | ||
* बिना अनुभव के कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है। | * बिना अनुभव के कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है। | ||
* अल्प ज्ञान खतरनाक होता है। | * अल्प ज्ञान खतरनाक होता है। | ||
* उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन। | * उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन। | ||
* जो दूसरों को जानता है, वह विद्वान है। जो स्वयं को जानता है वह ज्ञानी। - लाओत्से | * जो दूसरों को जानता है, वह विद्वान है। जो स्वयं को जानता है वह ज्ञानी। - लाओत्से | ||
* सब दानों में ज्ञान का दान ही श्रेष्ठ दान है। ~ मनुस्मृति | * सब दानों में ज्ञान का दान ही श्रेष्ठ दान है। ~ मनुस्मृति | ||
* प्रतिभावान का गुण यह है कि वह मान्यताओं को हिला देता है। ~ गेटे | * प्रतिभावान का गुण यह है कि वह मान्यताओं को हिला देता है। ~ गेटे | ||
* विद्या का वैभव, धन से कहीं अधिक मूल्यवान और विशिष्ट है। ~ भर्तृहरि | * विद्या का वैभव, धन से कहीं अधिक मूल्यवान और विशिष्ट है। ~ भर्तृहरि | ||
* बुद्धिमान वह नहीं, जो बहुत-सी बातें जानता है, अपितु वह है, जो काम की बातें जानता है। ~ अज्ञात | * बुद्धिमान वह नहीं, जो बहुत-सी बातें जानता है, अपितु वह है, जो काम की बातें जानता है। ~ अज्ञात | ||
* बुद्धिमान व्यक्ति ही अधिक बलशाली होता है। ~ हितोपदेश | * बुद्धिमान व्यक्ति ही अधिक बलशाली होता है। ~ हितोपदेश | ||
* इस विश्व में ज्ञान के समान पवित्र और कुछ नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण | * इस विश्व में ज्ञान के समान पवित्र और कुछ नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण | ||
* ज्ञान तीन तरह से प्राप्त किया जा सकता है- पहला मनन से जो सर्वश्रेष्ठ है। दूसरा अनुसरण से जो सबसे आसान है। तीसरा अनुभव से जो कि कड़वा है। | * ज्ञान तीन तरह से प्राप्त किया जा सकता है- पहला मनन से जो सर्वश्रेष्ठ है। दूसरा अनुसरण से जो सबसे आसान है। तीसरा अनुभव से जो कि कड़वा है। | ||
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* हिन्दी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्त्रोत है। ~ सुमित्रानंदन पंत | * हिन्दी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्त्रोत है। ~ सुमित्रानंदन पंत | ||
* राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है। ~ महात्मा गांधी | * राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है। ~ महात्मा गांधी | ||
* भाषा एक नगर है, जिसके निर्माण के लिए प्रत्ये़क व्यक्ति एक-एक पत्थर लाया है। ~ एमर्सन | * भाषा एक नगर है, जिसके निर्माण के लिए प्रत्ये़क व्यक्ति एक-एक पत्थर लाया है। ~ एमर्सन | ||
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* आलस्य जीवित मनुष्य की कब्र है। ~ कूपर | * आलस्य जीवित मनुष्य की कब्र है। ~ कूपर | ||
* आलस्य दरिद्रता की कुंजी ओर सारे अवगुणों की जड़ है। ~ कार्लाइल | * आलस्य दरिद्रता की कुंजी ओर सारे अवगुणों की जड़ है। ~ कार्लाइल | ||
* जो बार बार की ठोकरों से नहीं चेतता, वह अनिष्ट को आमंत्रण देता है। | * जो बार बार की ठोकरों से नहीं चेतता, वह अनिष्ट को आमंत्रण देता है। | ||
* आलस्य में जीवन बिताना आत्महत्या के समान है। ~ सुकरात | * आलस्य में जीवन बिताना आत्महत्या के समान है। ~ सुकरात | ||
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* अगर अंधा अंधे का नेतृत्व करे तो दोनों खाई में गिरेंगे। | * अगर अंधा अंधे का नेतृत्व करे तो दोनों खाई में गिरेंगे। | ||
* नेतृत्व का महत्वपूर्ण नियम है – सीखने के आनंद की फिर से खोज करना ताकि हम अपनी क्षमताओं और उत्पादकता को बढ़ा सकें। | * नेतृत्व का महत्वपूर्ण नियम है – सीखने के आनंद की फिर से खोज करना ताकि हम अपनी क्षमताओं और उत्पादकता को बढ़ा सकें। | ||
* वास्तविक नेता सर्वसम्मति की तलाश नहीं करता, उसे निमिर्त करता है। ~ मार्टिन लूथर किंग | * वास्तविक नेता सर्वसम्मति की तलाश नहीं करता, उसे निमिर्त करता है। ~ मार्टिन लूथर किंग | ||
* तर्क और निर्णय नेता के गुण हैं। ~ टेसीटस | * तर्क और निर्णय नेता के गुण हैं। ~ टेसीटस | ||
* निर्णय करने के लिए तीन तत्वों की आवश्यकता होती है- अनुभव, ज्ञान और व्यक्त करने की क्षमता। | * निर्णय करने के लिए तीन तत्वों की आवश्यकता होती है- अनुभव, ज्ञान और व्यक्त करने की क्षमता। | ||
पंक्ति 1,372: | पंक्ति 1,128: | ||
* व्यथा और वेदना कि पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों तथा विश्वविधालयों में नहीं मिलते। | * व्यथा और वेदना कि पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों तथा विश्वविधालयों में नहीं मिलते। | ||
* विष से भी अमृत तथा बालक से भी सुभाषित ग्रहण करें। ~ मनु | * विष से भी अमृत तथा बालक से भी सुभाषित ग्रहण करें। ~ मनु | ||
* यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है। ~ महात्मा गांधी | * यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है। ~ महात्मा गांधी | ||
* नई चीज सिखने कि जिसने आशा छोड़ दे, वह बुढा है। ~ विनोबा भावे | * नई चीज सिखने कि जिसने आशा छोड़ दे, वह बुढा है। ~ विनोबा भावे | ||
* मनुष्य सफलता से कुछ नहीं सीखता, विफलता से बहुत कुछ सीखता है। ~ अरबी लोकोक्ति | * मनुष्य सफलता से कुछ नहीं सीखता, विफलता से बहुत कुछ सीखता है। ~ अरबी लोकोक्ति | ||
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* एक झूठ छिपाने के लिये दस झूठ बोलने पडते है। | * एक झूठ छिपाने के लिये दस झूठ बोलने पडते है। | ||
* जो बात सिद्धांतः गलत है, वह व्यवहार में भी उचित नहीं है। ~ डॉ. राजेंद्र प्रसाद | * जो बात सिद्धांतः गलत है, वह व्यवहार में भी उचित नहीं है। ~ डॉ. राजेंद्र प्रसाद | ||
पंक्ति 1,392: | पंक्ति 1,143: | ||
* आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान नहीं बन सकता है। ~ स्वामी विवेकानंद | * आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान नहीं बन सकता है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* हम जीवन से वही सीखते हैं, जो उससे वास्तव में सीखना चाहते हैं। ~ जैक्सन ब्राऊन | * हम जीवन से वही सीखते हैं, जो उससे वास्तव में सीखना चाहते हैं। ~ जैक्सन ब्राऊन | ||
* आत्मज्ञान, आत्मसम्मान, आत्मसंयम यह तीनों ही जीवन को परम सम्पन्न बनाते हैं। ~ टेनीसन | * आत्मज्ञान, आत्मसम्मान, आत्मसंयम यह तीनों ही जीवन को परम सम्पन्न बनाते हैं। ~ टेनीसन | ||
* साझा की गई खुशी दुगनी होती है, साझा किया गया दुख आधा होता है। ~ स्वीडन की कहावत | * साझा की गई खुशी दुगनी होती है, साझा किया गया दुख आधा होता है। ~ स्वीडन की कहावत | ||
* ज़िन्दगी जीने के दो तरीके होते है! पहला: जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो! दूसरा: जो हासिल है उसे पसंद करना सीख लो! | * ज़िन्दगी जीने के दो तरीके होते है! पहला: जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो! दूसरा: जो हासिल है उसे पसंद करना सीख लो! | ||
* जिंदगी की जड़ें जब स्पष्ट जीवनमूल्यों, उद्देश्य और समर्पण में होती हैं, वह दृढ और अडिग होती है। | * जिंदगी की जड़ें जब स्पष्ट जीवनमूल्यों, उद्देश्य और समर्पण में होती हैं, वह दृढ और अडिग होती है। | ||
* जब से मैंने जाना कि जीवन क्षणभंगुर है, में करुणा में डूब गया। ~ जेरेक्स | * जब से मैंने जाना कि जीवन क्षणभंगुर है, में करुणा में डूब गया। ~ जेरेक्स | ||
* मरते तो सभी हैं लेकिन महत्वपूर्ण यह हैं कि आपने अपनी जिंदगी किस प्रकार गुजारी हैं। | * मरते तो सभी हैं लेकिन महत्वपूर्ण यह हैं कि आपने अपनी जिंदगी किस प्रकार गुजारी हैं। | ||
* जीवन में आनन्द को कर्तव्य बनाने की अपेक्षा कर्तव्य को आनन्द बनाना अधिक महत्वपूर्ण हैं। | * जीवन में आनन्द को कर्तव्य बनाने की अपेक्षा कर्तव्य को आनन्द बनाना अधिक महत्वपूर्ण हैं। | ||
* जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि, झुकता वही है जिसमें जान होती है, अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है। | * जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि, झुकता वही है जिसमें जान होती है, अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है। | ||
* जीवन का सबसे बड़ा उपयोग इसे किसी ऐसी चीज में लगाने में है, जो इसके बाद भी रहे। ~ विलियम जेम्स | * जीवन का सबसे बड़ा उपयोग इसे किसी ऐसी चीज में लगाने में है, जो इसके बाद भी रहे। ~ विलियम जेम्स | ||
* जीवन एक आग है, जो खुद को भी झुलसा देती है, लेकिन जब एक शिशु जन्म लेता है, ये आग फिर भड़क उठती है। ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ | * जीवन एक आग है, जो खुद को भी झुलसा देती है, लेकिन जब एक शिशु जन्म लेता है, ये आग फिर भड़क उठती है। ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ | ||
* किसी चीज की कीमत यह है कि आप उसके बदले में अपनी कितनी जिंदगी लगा देते हैं। ~ हेनरी डेविड थोर | * किसी चीज की कीमत यह है कि आप उसके बदले में अपनी कितनी जिंदगी लगा देते हैं। ~ हेनरी डेविड थोर | ||
* जिंदगी लोगों से प्रेम करने,उनकी सेवा करने,उन्हें सशक्त बनाने और उन्हें प्रोत्साहित करने का नाम है। | * जिंदगी लोगों से प्रेम करने,उनकी सेवा करने,उन्हें सशक्त बनाने और उन्हें प्रोत्साहित करने का नाम है। | ||
* सार्थक जीवन में समस्याएं हो सकती हैं, परन्तु उसमें कोई पश्चाताप नहीं होना चाहिए। | * सार्थक जीवन में समस्याएं हो सकती हैं, परन्तु उसमें कोई पश्चाताप नहीं होना चाहिए। | ||
* जीवन छोटा है, पर सुंदर है। ~ सोफोक्लेस | * जीवन छोटा है, पर सुंदर है। ~ सोफोक्लेस | ||
* जिंदगी एक उबाऊ कहानी की तरह है, जिसे दो बार सुना गया हो, लेकिन एक उंघते हुए इंसान के कानों की सफाई कर देने के लिए ये बेहतरीन साधन है। ~ विलियम शेक्सपीयर | * जिंदगी एक उबाऊ कहानी की तरह है, जिसे दो बार सुना गया हो, लेकिन एक उंघते हुए इंसान के कानों की सफाई कर देने के लिए ये बेहतरीन साधन है। ~ विलियम शेक्सपीयर | ||
* जीवन विकास का सिद्धान्त है, स्थिर रहने का नहीं। ~ जवाहरलाल नेहरू | * जीवन विकास का सिद्धान्त है, स्थिर रहने का नहीं। ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
* जिंदगी में खुश रहना है तो हँसने का बहाना तलाशें। | * जिंदगी में खुश रहना है तो हँसने का बहाना तलाशें। | ||
* जिंदगी का हर पल कुछ न कुछ सिखाता है। | * जिंदगी का हर पल कुछ न कुछ सिखाता है। | ||
* जीवन एक नाटक है, यदि हम इसके कथानक को समझ ले तो सदैव प्रसन्न रह सकते हैं। | * जीवन एक नाटक है, यदि हम इसके कथानक को समझ ले तो सदैव प्रसन्न रह सकते हैं। | ||
* जीने के लिए तो एक पल ही काफी है, बशर्ते आपने उसे किस तरह जिया। | * जीने के लिए तो एक पल ही काफी है, बशर्ते आपने उसे किस तरह जिया। | ||
* जिस जीवन कि समीक्षा व परख न की गई हो, वह जीने योग्य ही नहीं है। | * जिस जीवन कि समीक्षा व परख न की गई हो, वह जीने योग्य ही नहीं है। | ||
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==सुनना, श्रवण, ध्यान देना (Listen)== | ==सुनना, श्रवण, ध्यान देना (Listen)== | ||
* सुनना एक कला | * सुनना एक कला है। इस कला के लिए कान और ध्यान दोनों चाहिए। | ||
* व्यर्थ की बातों से खुद को बचाना भी एक कला है। | * व्यर्थ की बातों से खुद को बचाना भी एक कला है। | ||
* वाणी चांदी है तो मौन सोना है। | * वाणी चांदी है तो मौन सोना है। | ||
* बीती बातों को भूलने का सर्वोत्तम तरीका है हमेश नई और रचनात्मक बातें सुनना व उनको रमण करना। | * बीती बातों को भूलने का सर्वोत्तम तरीका है हमेश नई और रचनात्मक बातें सुनना व उनको रमण करना। | ||
* मौन से मतलब वाणीविहीन बनना नहीं हैं। सही समय पर सही बात कहना। | * मौन से मतलब वाणीविहीन बनना नहीं हैं। सही समय पर सही बात कहना। | ||
* बडबोलेपन से बचना भी मौन है। ~ कानन झिंगन | * बडबोलेपन से बचना भी मौन है। ~ कानन झिंगन | ||
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* प्रेम के बिना जीवन एक ऐसे वृक्ष के समान है, जिस पर न कोई फूल हो, न फल। ~ खलील जिब्रान | * प्रेम के बिना जीवन एक ऐसे वृक्ष के समान है, जिस पर न कोई फूल हो, न फल। ~ खलील जिब्रान | ||
* एक व्यक्ति दूसरे के मन की बात जान सकता है, तो केवल सहानुभूति और प्यार से, उम्र और बुद्धि से नहीं। | * एक व्यक्ति दूसरे के मन की बात जान सकता है, तो केवल सहानुभूति और प्यार से, उम्र और बुद्धि से नहीं। | ||
* अहंकार छोडे बिना सच्चा प्रेम नही किया जा सकता। | * अहंकार छोडे बिना सच्चा प्रेम नही किया जा सकता। | ||
* दूसरो से प्रेम करना अपने आप से प्रेम करना है। | * दूसरो से प्रेम करना अपने आप से प्रेम करना है। | ||
* प्रेम एक ऐसा फल है, जो हर मौसम में मिलता है और जिसे सभी पा सकते हैं। ~ मदर टेरेसा | * प्रेम एक ऐसा फल है, जो हर मौसम में मिलता है और जिसे सभी पा सकते हैं। ~ मदर टेरेसा | ||
* हर सच्चा क्रांतिकारी वास्तव में गहन प्रेम की भावना से संचालित होता है। ~ चे ग्वेरा | * हर सच्चा क्रांतिकारी वास्तव में गहन प्रेम की भावना से संचालित होता है। ~ चे ग्वेरा | ||
* मुहब्बत त्याग की मां है, जहां जाती है, बेटे को साथ ले जाती है। ~ सुदर्शन | * मुहब्बत त्याग की मां है, जहां जाती है, बेटे को साथ ले जाती है। ~ सुदर्शन | ||
* हम जब तक स्वयं माता-पिता नहीं बन जाएं, माता-पिता का प्यार कभी नहीं जान पाते। ~ हेनरी वार्ड बीचर | * हम जब तक स्वयं माता-पिता नहीं बन जाएं, माता-पिता का प्यार कभी नहीं जान पाते। ~ हेनरी वार्ड बीचर | ||
* अपने स्नेह का पूर्ण प्रदर्शन किए बिना आप अपना स्नेह-भाव दूसरों तक नहीं पहुंचा सकते। ~ स्वेट मार्डन | * अपने स्नेह का पूर्ण प्रदर्शन किए बिना आप अपना स्नेह-भाव दूसरों तक नहीं पहुंचा सकते। ~ स्वेट मार्डन | ||
* प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है। ~ महात्मा गांधी | * प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है। ~ महात्मा गांधी | ||
* वही समाज सदैव सुखी रहकर तरक्की कर सकता है, जिसमें लोगों ने आपसी प्रेम को आत्मसात कर लिया। | * वही समाज सदैव सुखी रहकर तरक्की कर सकता है, जिसमें लोगों ने आपसी प्रेम को आत्मसात कर लिया। | ||
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* सारा उत्तरदायित्व अपने कन्धों पर लो। याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो। तुम जो कुछ बल या सहायता चाहो, सब तुम्हारे ही भीतर विद्यमान है। | * सारा उत्तरदायित्व अपने कन्धों पर लो। याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो। तुम जो कुछ बल या सहायता चाहो, सब तुम्हारे ही भीतर विद्यमान है। | ||
* उत्साह आदमी की भाग्यशिलता का पैमाना है। ~ तिरुवल्लुवर | * उत्साह आदमी की भाग्यशिलता का पैमाना है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* भाग्य साहसी का साथ देता है। | * भाग्य साहसी का साथ देता है। | ||
* मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है। | * मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है। | ||
* भाग्य साहसी का मित्र है। ~ अज्ञात | * भाग्य साहसी का मित्र है। ~ अज्ञात | ||
* मानव अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है। ~ स्वामी रामतीर्थ | * मानव अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* भाग्य भी निडर का ही साथ देता है। ~ वर्जल | * भाग्य भी निडर का ही साथ देता है। ~ वर्जल | ||
* हम स्वयं अपने भविष्य का निर्माण करते हैं, फिर इसे भाग्य का नाम दे देते हैं। | * हम स्वयं अपने भविष्य का निर्माण करते हैं, फिर इसे भाग्य का नाम दे देते हैं। | ||
पंक्ति 1,505: | पंक्ति 1,212: | ||
* उत्साह तथा रुचिपूर्वक दूसरों के दोष देखने से तुम्हारा मन भी बुरे विचारों से भर जायेगा। वह एक ऐसा कूड़ादान बन जाएगा, जिसमें दूसरों के कचरे भरे रहेंगे। | * उत्साह तथा रुचिपूर्वक दूसरों के दोष देखने से तुम्हारा मन भी बुरे विचारों से भर जायेगा। वह एक ऐसा कूड़ादान बन जाएगा, जिसमें दूसरों के कचरे भरे रहेंगे। | ||
* यदि शान्ति चाहते हो तो दूसरों के दोष मत देखो, बल्कि अपने ही दोष देखो। | * यदि शान्ति चाहते हो तो दूसरों के दोष मत देखो, बल्कि अपने ही दोष देखो। | ||
* जब हम अपनी भूल पर लज्जित होते हैं, तो यथार्थ बात अपने आप ही मुंह से निकल पड़ती है। ~ प्रेमचंद | * जब हम अपनी भूल पर लज्जित होते हैं, तो यथार्थ बात अपने आप ही मुंह से निकल पड़ती है। ~ प्रेमचंद | ||
* अपराध स्वीकार कर लेने से, वह आधा हो जाता है। ~ पुर्तगाली कहावत | * अपराध स्वीकार कर लेने से, वह आधा हो जाता है। ~ पुर्तगाली कहावत | ||
* ज्ञानी मनुष्य दूसरों की भूलों से अपनी भूलें सुधारता है। ~ पबलिस साइरस | * ज्ञानी मनुष्य दूसरों की भूलों से अपनी भूलें सुधारता है। ~ पबलिस साइरस | ||
* अपनी गलती स्वीकार करने में लज्जा की कोई बात नहीं है। ~ अज्ञात | * अपनी गलती स्वीकार करने में लज्जा की कोई बात नहीं है। ~ अज्ञात | ||
* अपनी भूल अपने ही हाथ सुधर जाए तो,यह उससे कहीं अच्छा है कि दूसरा उसे सुधारे। ~ प्रेमचंद | * अपनी भूल अपने ही हाथ सुधर जाए तो,यह उससे कहीं अच्छा है कि दूसरा उसे सुधारे। ~ प्रेमचंद | ||
* विवेकशील पुरुष दूसरे की गलतीयों से अपनी गलती सुधारते हैं। ~ साइरस | * विवेकशील पुरुष दूसरे की गलतीयों से अपनी गलती सुधारते हैं। ~ साइरस | ||
* गलतियों के लिए दूसरों को दोष देने की अपेक्षा उनसे सबक लो। ~ स्पेनिश कहावत | * गलतियों के लिए दूसरों को दोष देने की अपेक्षा उनसे सबक लो। ~ स्पेनिश कहावत | ||
* स्वार्थवश मनुष्य दोषों को नहीं देखता। ~ चाणक्य | * स्वार्थवश मनुष्य दोषों को नहीं देखता। ~ चाणक्य | ||
* त्रुटियां उसी से नहीं होंगी, जो कोई काम करें ही नहीं। ~ लेनिन | * त्रुटियां उसी से नहीं होंगी, जो कोई काम करें ही नहीं। ~ लेनिन | ||
* गलतियां किए बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान नहीं बनता है। ~ ग्लेडस्टन | * गलतियां किए बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान नहीं बनता है। ~ ग्लेडस्टन | ||
* दूसरों कि गलतियों से सीखिए क्योंकि आपको गलती करने का मौका नहीं मिलेगा। | * दूसरों कि गलतियों से सीखिए क्योंकि आपको गलती करने का मौका नहीं मिलेगा। | ||
* स्वयं के दोषों का निरीक्षण और दुसरों के गुणों का पर्यावलोकन करना उज्ज्वल व्यक्तित्व की पहचान है। | * स्वयं के दोषों का निरीक्षण और दुसरों के गुणों का पर्यावलोकन करना उज्ज्वल व्यक्तित्व की पहचान है। | ||
* एक गुण समस्त दोषो को ढ़क लेता है। | * एक गुण समस्त दोषो को ढ़क लेता है। | ||
* अपने आपको दोष देना सबसे बड़ा पाप हैं। | * अपने आपको दोष देना सबसे बड़ा पाप हैं। | ||
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* नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। ~ प्रेमचंद | * नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। ~ प्रेमचंद | ||
* महान मनुष्य की पहली पहचान उसकी नम्रता है। | * महान मनुष्य की पहली पहचान उसकी नम्रता है। | ||
* नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य के सोभा बढती है। ~ कालिदास | * नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य के सोभा बढती है। ~ कालिदास | ||
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* एक बार सिकंदर से पूछा गया कि तुम धन क्यों एकत्र नहीं करते ? तब उसका जवाब था कि इस डर से कि उसका रक्षक बनकर कहीं भ्रष्ट न हो जाऊं। | * एक बार सिकंदर से पूछा गया कि तुम धन क्यों एकत्र नहीं करते ? तब उसका जवाब था कि इस डर से कि उसका रक्षक बनकर कहीं भ्रष्ट न हो जाऊं। | ||
* धन अपना पराया नही देखता। | * धन अपना पराया नही देखता। | ||
* धन अच्छा सेवक है, परन्तु ख़राब स्वामी भी है। | * धन अच्छा सेवक है, परन्तु ख़राब स्वामी भी है। | ||
* कुबेर भी अगर आय से ज्यादा व्यय करे, तो कंगाल हो जाता है। ~ चाणक्य | |||
* कुबेर भी अगर आय से ज्यादा व्यय करे ,तो कंगाल हो जाता है। ~ चाणक्य | |||
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* जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है। ~ वाल्मीकि रामायण | * जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है। ~ वाल्मीकि रामायण | ||
* माता का ह्रदय, शिशु कि पाठशाला है। ~ बीचर | * माता का ह्रदय, शिशु कि पाठशाला है। ~ बीचर | ||
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* इच्छा हमेशा योग्यता को हरा देती है। | * इच्छा हमेशा योग्यता को हरा देती है। | ||
* सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता। ~ विल्सन एडवर्ड | * सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता। ~ विल्सन एडवर्ड | ||
* जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते है, परिस्थितियों से कोई फर्क नहीं पड़ता। | * जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते है, परिस्थितियों से कोई फर्क नहीं पड़ता। | ||
* रत्न मिट्टी से ही निकलते हैं, स्वर्ण मंजुषाओं ने तो कभी एक भी रत्न उत्पन्न नहीं किया। ~ जयशंकर प्रसाद | * रत्न मिट्टी से ही निकलते हैं, स्वर्ण मंजुषाओं ने तो कभी एक भी रत्न उत्पन्न नहीं किया। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* असम्भव शब्द, मूर्खों के शब्दकोश में पाया जाता है। ~ नेपोलियन | * असम्भव शब्द, मूर्खों के शब्दकोश में पाया जाता है। ~ नेपोलियन | ||
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* खिले हुए फूल और कुछ नहीं, बल्कि धरती की मुस्कराहट हैं। ~ ईई कमिंग्स | * खिले हुए फूल और कुछ नहीं, बल्कि धरती की मुस्कराहट हैं। ~ ईई कमिंग्स | ||
* प्रकृति की गहराई में देखें, और आप हर चीज को बेहतर समझा पाएंगे। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | * प्रकृति की गहराई में देखें, और आप हर चीज को बेहतर समझा पाएंगे। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
* धुल स्वयं अपमान सह लेती है ओर बदले में फूलों का उपहार देती है। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | * धुल स्वयं अपमान सह लेती है ओर बदले में फूलों का उपहार देती है। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | ||
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* नव वर्ष मे आपकी सभी मनोकामनाये पूरी हो। | * नव वर्ष मे आपकी सभी मनोकामनाये पूरी हो। | ||
* नव वर्ष मे हर कदम पर आपको सफलता मिले। | * नव वर्ष मे हर कदम पर आपको सफलता मिले। | ||
* नव वर्ष मे भाग्य सदैव आपका साथ दे। | * नव वर्ष मे भाग्य सदैव आपका साथ दे। | ||
* नव वर्ष आपके जीवन मे उमंग लाये। | * नव वर्ष आपके जीवन मे उमंग लाये। | ||
* नव वर्ष के आगमन पर हार्दिक बधाई। | * नव वर्ष के आगमन पर हार्दिक बधाई। | ||
* नव वर्ष मे आपकी दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की हो। | * नव वर्ष मे आपकी दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की हो। | ||
* नया साल आपके लिये लाभदायक हो। | * नया साल आपके लिये लाभदायक हो। | ||
* नव वर्ष आपके लिये हितकारी हो। | * नव वर्ष आपके लिये हितकारी हो। | ||
* नया साल आपको नया अनुभव दे। | * नया साल आपको नया अनुभव दे। | ||
* नव वर्ष सुख- सम्रध्धि से भरपूर हो। | * नव वर्ष सुख- सम्रध्धि से भरपूर हो। | ||
* नव वर्ष मे आप फले, फूले। | * नव वर्ष मे आप फले, फूले। | ||
* नया साल आपके लिये नयी खुशिया लाये। | * नया साल आपके लिये नयी खुशिया लाये। | ||
* नव वर्ष शुभ हो। | * नव वर्ष शुभ हो। | ||
* नया साल आपको नया उत्साह प्रदान करे। | * नया साल आपको नया उत्साह प्रदान करे। | ||
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* जो हानि हो चुकी है, उसके लिए शोक करना अधिक हानि को आमंत्रित करना है। | * जो हानि हो चुकी है, उसके लिए शोक करना अधिक हानि को आमंत्रित करना है। | ||
* समय और सागर की लहर किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। – रिचर्ड ब्रेथकेट | * समय और सागर की लहर किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। – रिचर्ड ब्रेथकेट | ||
* मनुष्य के लिए जीवन में सफलता पाने का रहस्य है, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना। – डीसरैली | * मनुष्य के लिए जीवन में सफलता पाने का रहस्य है, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना। – डीसरैली | ||
* ऐसा न सोचो कि अवसर तुम्हारा दरवाजा दोबारा खटखटाएगा। - शैम्फोर्ट | * ऐसा न सोचो कि अवसर तुम्हारा दरवाजा दोबारा खटखटाएगा। - शैम्फोर्ट | ||
* कोई महान व्यक्ति अवसर की कमी की शिकायत कभी नहीं करता। | * कोई महान व्यक्ति अवसर की कमी की शिकायत कभी नहीं करता। | ||
* मुझे रास्ता मिलेगा नहीं, तो मैं बना लूँगा। – सर फिलिप सिडनी | * मुझे रास्ता मिलेगा नहीं, तो मैं बना लूँगा। – सर फिलिप सिडनी | ||
* यदि मनुष्य प्यास से मर जाए तो मर जाने के बाद उसे अमृत के सरोवर का भी क्या लाभ? यदि कोई मनुष्य अवसर पर चूक जाय, तो उसका पछताना निष्फल है। | * यदि मनुष्य प्यास से मर जाए तो मर जाने के बाद उसे अमृत के सरोवर का भी क्या लाभ? यदि कोई मनुष्य अवसर पर चूक जाय, तो उसका पछताना निष्फल है। | ||
* अवसर उनकी सहायता कभी नहीं करता, जो अपनी सहायता नहीं करते। ~ सफोक्लिज | * अवसर उनकी सहायता कभी नहीं करता, जो अपनी सहायता नहीं करते। ~ सफोक्लिज | ||
* अवसर बुद्धिमान के पक्ष में लड़ता है। ~ युरिपिडीज | * अवसर बुद्धिमान के पक्ष में लड़ता है। ~ युरिपिडीज | ||
* यदि अवसर का लाभ न उठाया जाए, तो योग्यता का कोई मूल्य नहीं होता है। | * यदि अवसर का लाभ न उठाया जाए, तो योग्यता का कोई मूल्य नहीं होता है। | ||
* बुद्धिमान व्यक्ति को जितने अवसर मिलते हैं, उनसे अधिक वह पैदा करता है। ~ बेकन | * बुद्धिमान व्यक्ति को जितने अवसर मिलते हैं, उनसे अधिक वह पैदा करता है। ~ बेकन | ||
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* धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है। ~ डिजराइली | * धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है। ~ डिजराइली | ||
* वह व्यक्ति महान है,जो शांतचित्त होकर धैर्यपूर्वक कार्य करता है। ~ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | * वह व्यक्ति महान है,जो शांतचित्त होकर धैर्यपूर्वक कार्य करता है। ~ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | ||
* धैर्य और परिश्रम से हम वह प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं कर सकते। ~ ला फाण्टेन | * धैर्य और परिश्रम से हम वह प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं कर सकते। ~ ला फाण्टेन | ||
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==व्यक्तिगत, निजी, आत्म (Personal)== | ==व्यक्तिगत, निजी, आत्म (Personal)== | ||
* मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कदर | * मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कदर नहीं करता, वह हमेश उस चीज की आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है। ~ हेलेन केलर | ||
* कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। ~ बालगंगाधर तिलक | * कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। ~ बालगंगाधर तिलक | ||
* जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ महात्मा बुद्ध | * जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ महात्मा बुद्ध | ||
* मन की दुर्बलता से अधिक भयंकर और कोई पाप नहीं है। - स्वामी विवेकानंद | * मन की दुर्बलता से अधिक भयंकर और कोई पाप नहीं है। - स्वामी विवेकानंद | ||
* अपने विचारों पर नजर रखिए। | * अपने विचारों पर नजर रखिए। | ||
* किसी से यह अपेक्षा मत कीजिए की वह आपकी सहायता करेगा। | * किसी से यह अपेक्षा मत कीजिए की वह आपकी सहायता करेगा। | ||
* आपका जन्म किसी अन्य की सनक को पूरा करने के लिए नहीं हुआ हैं। | * आपका जन्म किसी अन्य की सनक को पूरा करने के लिए नहीं हुआ हैं। | ||
* अपने विचारो और बातों मैं तालमेल रखें। | * अपने विचारो और बातों मैं तालमेल रखें। | ||
* हम हमेशा खुद को खोजते हुए दूसरों की कहानियों में प्रवेश कर जाते हैं। ~ एमरे करतेश | * हम हमेशा खुद को खोजते हुए दूसरों की कहानियों में प्रवेश कर जाते हैं। ~ एमरे करतेश | ||
* सिद्धांत न त्यागें, चाहे ऐसा करने वाले आप अकेले क्यों न हों। ~ जॉन एडम्स | * सिद्धांत न त्यागें, चाहे ऐसा करने वाले आप अकेले क्यों न हों। ~ जॉन एडम्स | ||
* मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे। | * मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे। | ||
* कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है। – डा. राधाकृष्ण | * कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है। – डा. राधाकृष्ण | ||
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* कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है। ~ चाणक्य | * कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है। ~ चाणक्य | ||
* गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं, अमीरों के सम्बन्धी। ~ एनॉन | * गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं, अमीरों के सम्बन्धी। ~ एनॉन | ||
* गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है। ~ महात्मा गाँधी | * गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं। ~ डेनियल | * गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं। ~ डेनियल | ||
* निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है। लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है। निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है। तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है। जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है। ~ वासवदत्ता, मृच्छकटिकम में | * निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है। लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है। निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है। तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है। जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है। ~ वासवदत्ता, मृच्छकटिकम में | ||
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* आत्म-प्रशंसा ओछेपन का चिन्ह है। ~ वैस्कल | * आत्म-प्रशंसा ओछेपन का चिन्ह है। ~ वैस्कल | ||
* जिन्हें कहीं से प्रशंसा नहीं मिलती, वे आत्म-प्रशंसा करते हैं। ~ अज्ञात | * जिन्हें कहीं से प्रशंसा नहीं मिलती, वे आत्म-प्रशंसा करते हैं। ~ अज्ञात | ||
* अपनी प्रशंसा के गीत गाना स्वयं को हीन साबित करना है। | * अपनी प्रशंसा के गीत गाना स्वयं को हीन साबित करना है। | ||
* सच्ची बड़ाई उसी की है, जिसकी शत्रु भी प्रशंसा करे। ~ अज्ञात | * सच्ची बड़ाई उसी की है, जिसकी शत्रु भी प्रशंसा करे। ~ अज्ञात | ||
* जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है। ~ महात्मा गांधी | * जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है। ~ महात्मा गांधी | ||
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* विपत्ति मनुष्य को विचित्र साथियों से मिलाती है। | * विपत्ति मनुष्य को विचित्र साथियों से मिलाती है। | ||
* मैं अति प्रतिभाशाली व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन में निचित तौर पर अधिक जिज्ञासु हूं और किसी भी समस्या को सुलझाने में अधिक देर तक लगा रहता हूं। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | * मैं अति प्रतिभाशाली व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन में निचित तौर पर अधिक जिज्ञासु हूं और किसी भी समस्या को सुलझाने में अधिक देर तक लगा रहता हूं। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
* आपतियां हमें आत्म-ज्ञान कराती हैं, ये हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं। ~ जवाहरलाल नेहरु | * आपतियां हमें आत्म-ज्ञान कराती हैं, ये हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं। ~ जवाहरलाल नेहरु | ||
* आपदा ही एक ऐसी स्थिति है, जो हमारे जीवन कि गहराइयों में अन्तर्दृष्टि पैदा करती है। ~ विवेकानन्द | * आपदा ही एक ऐसी स्थिति है, जो हमारे जीवन कि गहराइयों में अन्तर्दृष्टि पैदा करती है। ~ विवेकानन्द | ||
* हमारी अधिकतर बाधाएं पिघल जाएंगी, अगर उनके सामने दुबकने की बजाय हम उनसे निडरतापूर्वक निपटने का मानस बनाएं। ~ ओरिसन स्वेट मार्डन | * हमारी अधिकतर बाधाएं पिघल जाएंगी, अगर उनके सामने दुबकने की बजाय हम उनसे निडरतापूर्वक निपटने का मानस बनाएं। ~ ओरिसन स्वेट मार्डन | ||
* हम अपनी समस्याओं को उसी सोच के साथ नहीं सुलझा सकतें, जिस सोच के साथ हमने उनका निर्माण किया था। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | * हम अपनी समस्याओं को उसी सोच के साथ नहीं सुलझा सकतें, जिस सोच के साथ हमने उनका निर्माण किया था। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
* इस दुनिया की असली समस्या यह है कि मूर्ख और अड़ियल लोग तो अपने बारे में हमेशा पक्के होते हैं (कि वे सही हैं) किंतु बुद्धिमान लोग हमेशा संदेह में रहते हैं (कि मैं गलत तो नहीं हूं)। | * इस दुनिया की असली समस्या यह है कि मूर्ख और अड़ियल लोग तो अपने बारे में हमेशा पक्के होते हैं (कि वे सही हैं) किंतु बुद्धिमान लोग हमेशा संदेह में रहते हैं (कि मैं गलत तो नहीं हूं)। | ||
* विकट परिस्थितियां ही महापुरुषों का विधालय है। ~ अरस्तू | * विकट परिस्थितियां ही महापुरुषों का विधालय है। ~ अरस्तू | ||
* आनंद विनोद के सामने कठिनाईयां पिघल जाती है। ~ स्वेट मार्डेन | * आनंद विनोद के सामने कठिनाईयां पिघल जाती है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
* आपात स्थिति में, मन को डांवाडोल नहीं होने देना चाहिए। ~ महावीर स्वामी | * आपात स्थिति में, मन को डांवाडोल नहीं होने देना चाहिए। ~ महावीर स्वामी | ||
* मुसीबतों से दुखी न् हो, क्योंकि दुखी होना मूर्खों का काम है। ~ हजरत अली | * मुसीबतों से दुखी न् हो, क्योंकि दुखी होना मूर्खों का काम है। ~ हजरत अली | ||
* विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई विद्यालय आज तक नहीं खुला। ~ मुंशी प्रेमचंद | * विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई विद्यालय आज तक नहीं खुला। ~ मुंशी प्रेमचंद | ||
* जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते हैं, परिस्थितियों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। | * जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते हैं, परिस्थितियों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। | ||
* बेहतर विकल्प के लिए समस्याओं से मुकाबला करना चाहिए। तभी आप में ‘स्किल’ आते हैं। परेशानियों से डरकर किसी दूसरे का सहारा लेने कि आदत न पाले तो बेहतर है। | * बेहतर विकल्प के लिए समस्याओं से मुकाबला करना चाहिए। तभी आप में ‘स्किल’ आते हैं। परेशानियों से डरकर किसी दूसरे का सहारा लेने कि आदत न पाले तो बेहतर है। | ||
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* वीर का असली दुश्मन उसका अहंकार है। ~ अज्ञात | * वीर का असली दुश्मन उसका अहंकार है। ~ अज्ञात | ||
* आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गरूर है। ~ प्रेमचन्द | * आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गरूर है। ~ प्रेमचन्द | ||
* जिसने गर्व किया, उसका पतन अवश्य हुआ है। ~ स्वामी दयानन्द सरस्वती | * जिसने गर्व किया, उसका पतन अवश्य हुआ है। ~ स्वामी दयानन्द सरस्वती | ||
* मनुष्य जितना छोटा होता है, उसका अंहकार उतना ही बड़ा होता है। ~ वाल्टेयर | * मनुष्य जितना छोटा होता है, उसका अंहकार उतना ही बड़ा होता है। ~ वाल्टेयर | ||
* ज्यों-ज्यों अभिमान कम होता है, कीर्ति बढ़ती है। ~ यंग | * ज्यों-ज्यों अभिमान कम होता है, कीर्ति बढ़ती है। ~ यंग | ||
* जो अहंकारपूर्वक प्रातः जलपान करता है, उसको सायंकाल का भोजन तिरस्कार से मिलता है। ~ फ्रेंकलिन | * जो अहंकारपूर्वक प्रातः जलपान करता है, उसको सायंकाल का भोजन तिरस्कार से मिलता है। ~ फ्रेंकलिन | ||
पंक्ति 1,773: | पंक्ति 1,391: | ||
* जो उपकार करे, उसका प्रत्युपकार करना चाहिए, यही सनातन धर्म है। ~ वाल्मीकि | * जो उपकार करे, उसका प्रत्युपकार करना चाहिए, यही सनातन धर्म है। ~ वाल्मीकि | ||
* प्रलोभन और भय का मार्ग बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है| लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं होती। ~ आचार्य तुलसी | * प्रलोभन और भय का मार्ग बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है| लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं होती। ~ आचार्य तुलसी | ||
* मनुष्य की धार्मिक वृत्ति ही उसकी सुरक्षा करती है। ~ आचार्य तुलसी | * मनुष्य की धार्मिक वृत्ति ही उसकी सुरक्षा करती है। ~ आचार्य तुलसी | ||
* धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है। ~ आचार्य तुलसी | * धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है। ~ आचार्य तुलसी | ||
* धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। ~ आचार्य तुलसी | * धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। ~ आचार्य तुलसी | ||
* अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है। ~ महात्मा गांधी | * अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है। ~ महात्मा गांधी | ||
* अभागा वह है, जो संसार के सबसे पवित्र धर्म कृतज्ञता को भूल जाती है। ~ जयशंकर प्रसाद | * अभागा वह है, जो संसार के सबसे पवित्र धर्म कृतज्ञता को भूल जाती है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
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* आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है। ~ प्रेमचन्द | * आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है। ~ प्रेमचन्द | ||
* यदि सम्मान खोकर आय बढती हो, तो उससे निर्धनता श्रेयस्कर है। ~ शेख सादी | * यदि सम्मान खोकर आय बढती हो, तो उससे निर्धनता श्रेयस्कर है। ~ शेख सादी | ||
* दूसरों का सम्मान करो, लोग तुम्हारा भी सम्मान करेंगे। ~ कन्फ्यूशियस | * दूसरों का सम्मान करो, लोग तुम्हारा भी सम्मान करेंगे। ~ कन्फ्यूशियस | ||
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* क्रांति का उदय सदा पीड़ितों के हृदय एवं त्रस्त व्यक्तियों के अन्तःकरण में हुआ करता है। ~ अज्ञात | * क्रांति का उदय सदा पीड़ितों के हृदय एवं त्रस्त व्यक्तियों के अन्तःकरण में हुआ करता है। ~ अज्ञात | ||
* क्रांति का अर्थ होता है अतीत और भविष्य के बीच एक जबर्दस्त संघर्ष। ~ फिदेल कास्त्रो | * क्रांति का अर्थ होता है अतीत और भविष्य के बीच एक जबर्दस्त संघर्ष। ~ फिदेल कास्त्रो | ||
* कुशासन के प्रति विद्रोह करना, ईश्वर की आज्ञा मानना है। ~ फ्रेंकलिन | * कुशासन के प्रति विद्रोह करना, ईश्वर की आज्ञा मानना है। ~ फ्रेंकलिन | ||
* जहां कहीं अन्याय के चरण पड़ते हैं, वहां अंततः विद्रोह का ज्वालामुखी फूटता है। ~ अज्ञात | * जहां कहीं अन्याय के चरण पड़ते हैं, वहां अंततः विद्रोह का ज्वालामुखी फूटता है। ~ अज्ञात | ||
* 'घूस का च्यवनप्राश खा कर न दीर्घायु बनो, ईमान की मिसाल अब मशाल बनके जल उठी'। ~ राजीव चतुर्वेदी | * 'घूस का च्यवनप्राश खा कर न दीर्घायु बनो, ईमान की मिसाल अब मशाल बनके जल उठी'। ~ राजीव चतुर्वेदी | ||
पंक्ति 1,817: | पंक्ति 1,423: | ||
* प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है। ~ जयशंकर प्रसाद | * प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* महान त्याग से ही महान कार्य सम्भव है। ~ स्वामी विवेकानंद | * महान त्याग से ही महान कार्य सम्भव है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं। ~ प्रेमचन्द | * यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं। ~ प्रेमचन्द | ||
* अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है। ~ एमर्सन | * अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है। ~ एमर्सन | ||
पंक्ति 1,828: | पंक्ति 1,431: | ||
* दुःख की उपेक्षा करो, वह कम हो जाएगा। ~ सद्गुरु श्रीब्रह्मचेतन्य | * दुःख की उपेक्षा करो, वह कम हो जाएगा। ~ सद्गुरु श्रीब्रह्मचेतन्य | ||
* अन्याय सहने वाले से ज्यादा दुःखी, अन्याय करने वाला होता है। ~ प्लेटो | * अन्याय सहने वाले से ज्यादा दुःखी, अन्याय करने वाला होता है। ~ प्लेटो | ||
* किसी दुःखी व्यक्ति के लिए थोड़ी सहायता, ढेरों उपदेशों से कहीं ज्यादा अच्छी है। ~ बुलवर | * किसी दुःखी व्यक्ति के लिए थोड़ी सहायता, ढेरों उपदेशों से कहीं ज्यादा अच्छी है। ~ बुलवर | ||
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* प्रत्येक स्थान और समय बोलने के योग्य नहीं होते, कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं। | * प्रत्येक स्थान और समय बोलने के योग्य नहीं होते, कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं। | ||
* वाणी का वर्चस्व रजत है किंतु मौन का मूल्य स्वर्ण के समान है। | * वाणी का वर्चस्व रजत है किंतु मौन का मूल्य स्वर्ण के समान है। | ||
* कभी-कभी मौन रह जाना, सबसे तीखी आलोचना होती है। ~ अज्ञात | * कभी-कभी मौन रह जाना, सबसे तीखी आलोचना होती है। ~ अज्ञात | ||
* धनुष से छूटा हुआ तीर ओर मुख से निकला हुआ शब्द कभी वापस नहीं लौटता। ~ अज्ञात | * धनुष से छूटा हुआ तीर ओर मुख से निकला हुआ शब्द कभी वापस नहीं लौटता। ~ अज्ञात | ||
* इसका खेद अनेक बार हुआ कि में बोल क्यों पड़ा। ~ पाइथोगोरस | * इसका खेद अनेक बार हुआ कि में बोल क्यों पड़ा। ~ पाइथोगोरस | ||
* बोलने में समझदारी से काम लेना, वाक्पटुता से अच्छा है। ~ बेकन | * बोलने में समझदारी से काम लेना, वाक्पटुता से अच्छा है। ~ बेकन | ||
* थोड़ा पढ़ना और अधिक सोचना, कम बोलना और अधिक सुनना, यही बुद्धिमान बनने का उपाय है। | * थोड़ा पढ़ना और अधिक सोचना, कम बोलना और अधिक सुनना, यही बुद्धिमान बनने का उपाय है। | ||
* जो झुकना जानता है, दुनिया उसे उठाती है, जो केवल अकड़ना जानता है, दुनिया उसे उखाड़ फेंकती है। | * जो झुकना जानता है, दुनिया उसे उठाती है, जो केवल अकड़ना जानता है, दुनिया उसे उखाड़ फेंकती है। | ||
* खामोश रहो या ऐसी बात कहो जो ख़ामोशी से बेहतर हो। ~ पाइथोगोरस | * खामोश रहो या ऐसी बात कहो जो ख़ामोशी से बेहतर हो। ~ पाइथोगोरस | ||
* मौन बातचीत की एक महान् कला है। ~ हैजलिट | * मौन बातचीत की एक महान् कला है। ~ हैजलिट | ||
* तुम्हे प्रत्येक का उपदेश सुनना चाहिए जबकि अपना उपदेश कुछ ही व्यक्तियों को दो। | * तुम्हे प्रत्येक का उपदेश सुनना चाहिए जबकि अपना उपदेश कुछ ही व्यक्तियों को दो। | ||
* जितना दिखाते हो उससे ज्यादा तुम्हारे पास होना चाहिए, जितना जानते हो उससे कम तुम्हें बोलना चाहिए। | * जितना दिखाते हो उससे ज्यादा तुम्हारे पास होना चाहिए, जितना जानते हो उससे कम तुम्हें बोलना चाहिए। | ||
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* मुस्कान प्रेम की भाषा है। ~ हेवर | * मुस्कान प्रेम की भाषा है। ~ हेवर | ||
* मुस्कान एक शक्तिशाली हथियार हैं आप इस से फोलाद भी तोड़ सकते हैं। | * मुस्कान एक शक्तिशाली हथियार हैं आप इस से फोलाद भी तोड़ सकते हैं। | ||
* हंसी प्रकृति की सबसे बड़ी नियामत है। ~ डॉ. लक्ष्मणपति वार्ष्णेय | * हंसी प्रकृति की सबसे बड़ी नियामत है। ~ डॉ. लक्ष्मणपति वार्ष्णेय | ||
* हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है। ~ महात्मा गांधी | * हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है। ~ महात्मा गांधी | ||
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* सबसे खतरनाक वह दिशा होती है, जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए। ~ अवतार सिंह पाश | * सबसे खतरनाक वह दिशा होती है, जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए। ~ अवतार सिंह पाश | ||
* अन्तरात्मा हमें न्यायाधीश के समान दण्ड देने से पूर्व मित्र की भांति चेतावनी देती है। ~ अज्ञात | * अन्तरात्मा हमें न्यायाधीश के समान दण्ड देने से पूर्व मित्र की भांति चेतावनी देती है। ~ अज्ञात | ||
* आवेश कोई भावनात्मक ऊर्जा नहीं, बल्कि आत्मा और बाहरी दुनिया का टकराव है। - आंद्रेई तारकोव्स्की | * आवेश कोई भावनात्मक ऊर्जा नहीं, बल्कि आत्मा और बाहरी दुनिया का टकराव है। - आंद्रेई तारकोव्स्की | ||
* हमेशा अपनी आत्मा की आवाज सुनो। | * हमेशा अपनी आत्मा की आवाज सुनो। | ||
* शरीर के मामले में जो स्थान साबुन का है, वही आत्मा के संदर्भ में आंसू का है। ~ यहूदी कहावत | * शरीर के मामले में जो स्थान साबुन का है, वही आत्मा के संदर्भ में आंसू का है। ~ यहूदी कहावत | ||
* जो अवगुण तुम्हे दूसरों में दृष्टिगत होते हैं, उसे अपने भीतर न रहने दो। ~ स्प्रैट | * जो अवगुण तुम्हे दूसरों में दृष्टिगत होते हैं, उसे अपने भीतर न रहने दो। ~ स्प्रैट | ||
* कोई अभियोक्ता इतना शक्तिशाली नहीं है, जितना कि अपना अन्तःकरण। ~ सोफोक्लीज | * कोई अभियोक्ता इतना शक्तिशाली नहीं है, जितना कि अपना अन्तःकरण। ~ सोफोक्लीज | ||
* अन्तःकरण आत्मा की वाणी है। ~ जे. जे. रूसो | * अन्तःकरण आत्मा की वाणी है। ~ जे. जे. रूसो | ||
* सबसे उत्तम तीर्थ निश्चल मन है। ~ शंकराचार्य | * सबसे उत्तम तीर्थ निश्चल मन है। ~ शंकराचार्य | ||
* हमें लोहे के पुट्ठे और इस्पात के स्नायु चाहिए, जिनमें वज्र सा मन निवास करे। ~ स्वामी विवेकानंद | * हमें लोहे के पुट्ठे और इस्पात के स्नायु चाहिए, जिनमें वज्र सा मन निवास करे। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
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* दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही जरूरत है,जितनी शरीर को व्यायाम कि। ~ जोसफ एडिसन | * दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही जरूरत है,जितनी शरीर को व्यायाम कि। ~ जोसफ एडिसन | ||
* इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है। ~ बेकन | * इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है। ~ बेकन | ||
* चरित्रहीन शिक्षा, मानवताविहीन विज्ञान ओर नैतिकताविहीन व्यापार खतरनाक होते हैं। ~ सत्य साईंबाबा | * चरित्रहीन शिक्षा, मानवताविहीन विज्ञान ओर नैतिकताविहीन व्यापार खतरनाक होते हैं। ~ सत्य साईंबाबा | ||
* अध्ययन से सरल कोई मनोरंजन नहीं, न कोई आनन्द इतना चिरस्थायी है। ~ लेडी मौण्टेग्यू | * अध्ययन से सरल कोई मनोरंजन नहीं, न कोई आनन्द इतना चिरस्थायी है। ~ लेडी मौण्टेग्यू | ||
* सरस्वती से बढ़कर कोई वैध नहीं और उसकी साधना से बढ़कर कोई औषध नहीं। ~ अज्ञात | * सरस्वती से बढ़कर कोई वैध नहीं और उसकी साधना से बढ़कर कोई औषध नहीं। ~ अज्ञात | ||
* वस्तुएं बल से छीनी या धन से खरीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है। | * वस्तुएं बल से छीनी या धन से खरीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है। | ||
* जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है। ~ स्वामी विवेकानंद | * जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य महान बने हैं। ~ सिसरो | * प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य महान बने हैं। ~ सिसरो | ||
* भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत का अध्ययन करो। ~ कन्फ्यूशियस | * भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत का अध्ययन करो। ~ कन्फ्यूशियस | ||
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* समस्त सफलताएं कर्म की नींव पर आधारित होती हैं। ~ एंथनी रॉबिन्स | * समस्त सफलताएं कर्म की नींव पर आधारित होती हैं। ~ एंथनी रॉबिन्स | ||
* जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ गौत्तम बुद्ध | * जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ गौत्तम बुद्ध | ||
* जो अकले चलते हैं, वे शीघ्रता से बढ़ते हैं। ~ नेपोलियन | * जो अकले चलते हैं, वे शीघ्रता से बढ़ते हैं। ~ नेपोलियन | ||
* सफलता का कोई रहस्य नहीं है, वह केवल अत्यधिक परिश्रम चाहती है। ~ हेनरी | * सफलता का कोई रहस्य नहीं है, वह केवल अत्यधिक परिश्रम चाहती है। ~ हेनरी | ||
* जिस व्यक्ति में सफलता के लिए आशा और आत्मविश्वास है, वही व्यक्ति उच्च शिखर पर पहुंचते हैं। | * जिस व्यक्ति में सफलता के लिए आशा और आत्मविश्वास है, वही व्यक्ति उच्च शिखर पर पहुंचते हैं। | ||
* लगातार प्रयत्न करने वाले लोगों की गोद में सफलता स्वयं आकर बैठ जाती हैं। ~ भारवि | * लगातार प्रयत्न करने वाले लोगों की गोद में सफलता स्वयं आकर बैठ जाती हैं। ~ भारवि | ||
* कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं। ~ महात्मा गांधी | * कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं। ~ महात्मा गांधी | ||
* सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता। ~ विल्सन | * सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता। ~ विल्सन | ||
* वही सफल होता है, जिसका काम उसे निरन्तर आनन्द देता है। ~ थोरो | * वही सफल होता है, जिसका काम उसे निरन्तर आनन्द देता है। ~ थोरो | ||
* ध्येय की सफलता के लिए पूर्ण एकाग्रता और समर्पण आवश्यक है। ~ ब्राउन | * ध्येय की सफलता के लिए पूर्ण एकाग्रता और समर्पण आवश्यक है। ~ ब्राउन | ||
* सफलता में दोषों को मिटाने की विलक्षण शक्ति है। ~ प्रेमचन्द | * सफलता में दोषों को मिटाने की विलक्षण शक्ति है। ~ प्रेमचन्द | ||
* अपने ऊपर विजय प्राप्त करना, सबसे बड़ी विजय है। ~ अज्ञात | * अपने ऊपर विजय प्राप्त करना, सबसे बड़ी विजय है। ~ अज्ञात | ||
* एक सफ़ल मनुष्य होने के लिये सुदृढ़ व्यक्तित्व की आवश्यकता है। ~ अज्ञात | * एक सफ़ल मनुष्य होने के लिये सुदृढ़ व्यक्तित्व की आवश्यकता है। ~ अज्ञात | ||
* असफलता का मतलब यह नहीं कि आप असफल हैं, इसका मतलब सिर्फ इतना है कि आप अब तक सफल नहीं हो पाए हैं। ~ रॉबर्ट शुलर | * असफलता का मतलब यह नहीं कि आप असफल हैं, इसका मतलब सिर्फ इतना है कि आप अब तक सफल नहीं हो पाए हैं। ~ रॉबर्ट शुलर | ||
* हमें अपनी असफलताओं पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। सफलता के बारे में दूसरे बात करें तो ज्यादा अच्छा होता है। लोग आपसे आपकी असफलता के बारें में नहीं पूछते, यह सवाल तो आपको अपने आप से पूछना होता है। ~ बोमन ईरानी | * हमें अपनी असफलताओं पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। सफलता के बारे में दूसरे बात करें तो ज्यादा अच्छा होता है। लोग आपसे आपकी असफलता के बारें में नहीं पूछते, यह सवाल तो आपको अपने आप से पूछना होता है। ~ बोमन ईरानी | ||
* ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है। | * ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है। | ||
* महान संकल्प ही महान फल का जनक होता है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | * महान संकल्प ही महान फल का जनक होता है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | ||
* एकाग्रता से ही विजय मिलती है। | * एकाग्रता से ही विजय मिलती है। | ||
* सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है। | * सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है। | ||
* जीवन में सफलता का रहस्य, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना है। ~ डिजरायली | * जीवन में सफलता का रहस्य, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना है। ~ डिजरायली | ||
* आत्मविश्वास सफलता का प्रमुख रहस्य है। ~ इमर्सन | * आत्मविश्वास सफलता का प्रमुख रहस्य है। ~ इमर्सन | ||
* असफलता केवल यह सिद्ध करती है कि प्रयत्न पूरे मन से नहीं हुआ। ~ श्रीराम शर्मा आचार्य | * असफलता केवल यह सिद्ध करती है कि प्रयत्न पूरे मन से नहीं हुआ। ~ श्रीराम शर्मा आचार्य | ||
* जो पढ़ते हो, उसे अमल में लाना सीखो, यही उन्नति का मार्ग है। ~ स्वामी रामतीर्थ | * जो पढ़ते हो, उसे अमल में लाना सीखो, यही उन्नति का मार्ग है। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* सिर्फ सपनों से कुछ नहीं होता, सफलता प्रयासों से हासिल होती है। ~ अज्ञात | * सिर्फ सपनों से कुछ नहीं होता, सफलता प्रयासों से हासिल होती है। ~ अज्ञात | ||
* पारस्परिक व्यवहार प्रगति का सार है। ~ बक्टन | * पारस्परिक व्यवहार प्रगति का सार है। ~ बक्टन | ||
* यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो अपना ध्यान समस्या खोजने में नहीं समाधान खोजने में लगाइए। | * यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो अपना ध्यान समस्या खोजने में नहीं समाधान खोजने में लगाइए। | ||
* सफलता कर्म करने से मिलती है। | * सफलता कर्म करने से मिलती है। | ||
* अपनी असफलताओं को खुद पर हावी मत होने दो, बल्कि असफलताओं को ही अपनी सफलता की सीढी के रूप में इस्तेमाल करो। | * अपनी असफलताओं को खुद पर हावी मत होने दो, बल्कि असफलताओं को ही अपनी सफलता की सीढी के रूप में इस्तेमाल करो। | ||
* दुनिया आपको मुफ्त में कुछ नहीं देती। सफलता जैसी बेशकीमती चीज तो बिलकुल नहीं। अतः सफलता का पकवान चखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। | * दुनिया आपको मुफ्त में कुछ नहीं देती। सफलता जैसी बेशकीमती चीज तो बिलकुल नहीं। अतः सफलता का पकवान चखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। | ||
* सफल व्यक्ति वही है जो सुबह उठकर पहले यह तय करता है कि आज उसे क्या-क्या काम करने है और रात तक वह उन सारे कामों को कई परेशानियों के बाद भी पूरा कर लेता है। | * सफल व्यक्ति वही है जो सुबह उठकर पहले यह तय करता है कि आज उसे क्या-क्या काम करने है और रात तक वह उन सारे कामों को कई परेशानियों के बाद भी पूरा कर लेता है। | ||
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* जब जादू के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं होता तो वह कला बन जाता हैं। ~ बेन ओकरी | * जब जादू के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं होता तो वह कला बन जाता हैं। ~ बेन ओकरी | ||
* एश्वर्य उपाधि में नहीं वरन् इस चेतना में है कि हम उसके योग्य हैं। ~ अरस्तू | * एश्वर्य उपाधि में नहीं वरन् इस चेतना में है कि हम उसके योग्य हैं। ~ अरस्तू | ||
* वास्तव में बड़ा वह है जो, उदार है। | * वास्तव में बड़ा वह है जो, उदार है। | ||
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* लक्ष्य प्राप्ति के लिये सहज प्रव्त्तियों को होम कर देना होता है। ~ सम्पूर्णानन्द | * लक्ष्य प्राप्ति के लिये सहज प्रव्त्तियों को होम कर देना होता है। ~ सम्पूर्णानन्द | ||
* सब मनुष्यों के कर्मों का लक्ष्य उन्नति कि चरम सीमा को प्राप्त करना है। ~ सत्य साईं बाबा | * सब मनुष्यों के कर्मों का लक्ष्य उन्नति कि चरम सीमा को प्राप्त करना है। ~ सत्य साईं बाबा | ||
* अपने लक्ष्यों को पूरा होते देखने का सिद्धान्त जीवन के सभी क्षेत्रों में काम करता है। | * अपने लक्ष्यों को पूरा होते देखने का सिद्धान्त जीवन के सभी क्षेत्रों में काम करता है। | ||
* जब भी लक्ष्य तय करो, उसके लिए जुनूनी होना होगा। नाकामियों का आप पर नकारात्मक असर नहीं होना चाहिए। लक्ष्य को हासिल करने में कितना समय लग रहा है, उससे विचलित होने की जरुरत नहीं है। | * जब भी लक्ष्य तय करो, उसके लिए जुनूनी होना होगा। नाकामियों का आप पर नकारात्मक असर नहीं होना चाहिए। लक्ष्य को हासिल करने में कितना समय लग रहा है, उससे विचलित होने की जरुरत नहीं है। | ||
* सार्थकता हासिल करने के लिए स्पष्ट तस्वीर बिल्कुल अनिवार्य है। | * सार्थकता हासिल करने के लिए स्पष्ट तस्वीर बिल्कुल अनिवार्य है। | ||
* जहां संकल्प बड़ा होता हैं, वहां विपदा और संकट बड़े नहीं हो सकते। ~ मैकियावेली | * जहां संकल्प बड़ा होता हैं, वहां विपदा और संकट बड़े नहीं हो सकते। ~ मैकियावेली | ||
* लक्ष्य जितना बड़ा होता है, उसका रास्ता भी उतना ही लंबा और बीहड़ होता है। ~ साने गुरूजी | * लक्ष्य जितना बड़ा होता है, उसका रास्ता भी उतना ही लंबा और बीहड़ होता है। ~ साने गुरूजी | ||
* सबकी सुनने और मानने वाला किसी नतीजे पर नहीं पहुंचता। | * सबकी सुनने और मानने वाला किसी नतीजे पर नहीं पहुंचता। | ||
* अपने जीवन का कोई लक्ष्य बनाइये, क्योंकि लक्ष्यविहीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान इधर-उधर भटकता रहता है। | * अपने जीवन का कोई लक्ष्य बनाइये, क्योंकि लक्ष्यविहीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान इधर-उधर भटकता रहता है। | ||
* हमारा जीवन पक्षी है, केवल थोड़ी ही दूर तक उड़ सकता है, इसने पंख फैला दिए है, देखो, जल्दी से इसकी दिशा सोच लो। | * हमारा जीवन पक्षी है, केवल थोड़ी ही दूर तक उड़ सकता है, इसने पंख फैला दिए है, देखो, जल्दी से इसकी दिशा सोच लो। | ||
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* माता-पिता जीवन देते हैं, लेकिन जीने की कला तो शिक्षक ही सिखाते हैं। ~ अरस्तु | * माता-पिता जीवन देते हैं, लेकिन जीने की कला तो शिक्षक ही सिखाते हैं। ~ अरस्तु | ||
* गुरु की डांट-डपट पिता के प्यार से अच्छी है। ~ शेख सादी | * गुरु की डांट-डपट पिता के प्यार से अच्छी है। ~ शेख सादी | ||
* अपने विवेक को अपना शिक्षक बनाओ। | * अपने विवेक को अपना शिक्षक बनाओ। | ||
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* उस विचार को रोक पाना नामुमकिन है, जिसका वक्त आ गया हो। ~ विक्टर ह्यूगो | * उस विचार को रोक पाना नामुमकिन है, जिसका वक्त आ गया हो। ~ विक्टर ह्यूगो | ||
* संसार में न कोई तुम्हारा मित्र है न शत्रु। तुम्हारा अपना विचार ही, इसके लिए उत्तरदायी है। ~ चाणक्य | * संसार में न कोई तुम्हारा मित्र है न शत्रु। तुम्हारा अपना विचार ही, इसके लिए उत्तरदायी है। ~ चाणक्य | ||
* व्यक्ति के पास जितने अधिक विचार होते हैं, उतने ही कम शब्दों में वह उनको अभिव्यक्त कर देता है। | * व्यक्ति के पास जितने अधिक विचार होते हैं, उतने ही कम शब्दों में वह उनको अभिव्यक्त कर देता है। | ||
* अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है। ~ स्वामी रामतीर्थ | * अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* मनुष्य अपने ह्रदय में जैसा विचारता है, वैसा ही बन जाता है। ~ बाइबिल | * मनुष्य अपने ह्रदय में जैसा विचारता है, वैसा ही बन जाता है। ~ बाइबिल | ||
* महान विचार कार्यरूप में परिणत होकर महान कृतियां बन जाते हैं। ~ हेजलिट | * महान विचार कार्यरूप में परिणत होकर महान कृतियां बन जाते हैं। ~ हेजलिट | ||
* अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है। | * अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है। | ||
* कंजूस : वह व्यक्ति जो जिंदगी भर गरीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके। | * कंजूस : वह व्यक्ति जो जिंदगी भर गरीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके। | ||
* अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो गलती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे। | * अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो गलती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे। | ||
* अनुभव : भूतकाल में की गई गलतियों का दूसरा नाम। | * अनुभव : भूतकाल में की गई गलतियों का दूसरा नाम। | ||
* कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं। | * कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं। | ||
* दूसरी शादी : अनुभव पर आशा की विजय। | * दूसरी शादी : अनुभव पर आशा की विजय। | ||
* मनोवैज्ञानिक : वह व्यक्ति, जो किसी खूबसूरत लड़की के कमरे में दाखिल होने पर उस लड़की के सिवाय बाकी सबको गौर से देखता है। | * मनोवैज्ञानिक : वह व्यक्ति, जो किसी खूबसूरत लड़की के कमरे में दाखिल होने पर उस लड़की के सिवाय बाकी सबको गौर से देखता है। | ||
* नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है। | * नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है। | ||
* आशावादी : वह शख्स है जो सिगरेट मांगने पहले अपनी दियासलाई जला ले। | * आशावादी : वह शख्स है जो सिगरेट मांगने पहले अपनी दियासलाई जला ले। | ||
* राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और गरीबों से वोट इस वादे पर बटोरता है कि वह एक की दूसरे से रक्षा करेगा। | * राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और गरीबों से वोट इस वादे पर बटोरता है कि वह एक की दूसरे से रक्षा करेगा। | ||
* आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके। | * आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके। | ||
* सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना। | * सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना। | ||
* ज्ञानी : वह शख्स जिसे प्रभावी ढंग से, सीधी बात को उलझाना आता है। | * ज्ञानी : वह शख्स जिसे प्रभावी ढंग से, सीधी बात को उलझाना आता है। | ||
* मनोचिकित्सक : जो भारी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है, जैसे आपकी पत्नी आपसे यूं ही पूछती रहती है। | * मनोचिकित्सक : जो भारी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है, जैसे आपकी पत्नी आपसे यूं ही पूछती रहती है। | ||
* समिति : वह व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, लेकिन यह निर्णय मिलकर करते है की साथ-साथ कुछ नहीं किया जा सकता। | * समिति : वह व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, लेकिन यह निर्णय मिलकर करते है की साथ-साथ कुछ नहीं किया जा सकता। | ||
* ईमानदार नेता : वह जिसे एक बार ख़रीद लिया जाए तो फिर जाए तो फिर वह ख़रीदा हुआ ही रहे। | * ईमानदार नेता : वह जिसे एक बार ख़रीद लिया जाए तो फिर जाए तो फिर वह ख़रीदा हुआ ही रहे। | ||
* जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता। ~ स्वामी विवेकानंद | * जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* हम दुनिया को नहीं बदल सकते, मगर दुनिया के प्रति अपना दृष्टिकोण तो बदल सकते हैं। ~ स्वामी रामदास | * हम दुनिया को नहीं बदल सकते, मगर दुनिया के प्रति अपना दृष्टिकोण तो बदल सकते हैं। ~ स्वामी रामदास | ||
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* समय पर कार्य नहीं करने से व्यक्ति लाभ और उन्नति से कोसों दूर हो जाता है। ~ बाबा फरीद | * समय पर कार्य नहीं करने से व्यक्ति लाभ और उन्नति से कोसों दूर हो जाता है। ~ बाबा फरीद | ||
* भविष्य वर्तमान के द्वारा क्रय किया जाता है। ~ जॉनसन | * भविष्य वर्तमान के द्वारा क्रय किया जाता है। ~ जॉनसन | ||
* जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है। ~ महात्मा गांधी | * जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है। ~ महात्मा गांधी | ||
* जो समय का ज्यादा दुरुपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज्यादा शिकायत करते हैं। ~ ब्रूयर | * जो समय का ज्यादा दुरुपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज्यादा शिकायत करते हैं। ~ ब्रूयर | ||
* समय पर किया हुआ थोड़ा सा भी कार्य उपकारी होता है। ~ योगवशिष्ठ | * समय पर किया हुआ थोड़ा सा भी कार्य उपकारी होता है। ~ योगवशिष्ठ | ||
* बिता हुआ समय और मुख से निकले शब्द कदापि वापस नहीं आते। ~ कहावत | * बिता हुआ समय और मुख से निकले शब्द कदापि वापस नहीं आते। ~ कहावत | ||
* जो अपने समय का सबसे ज्यादा दुरूपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज्यादा शिकायत करते हैं। - ब्रूयर | * जो अपने समय का सबसे ज्यादा दुरूपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज्यादा शिकायत करते हैं। - ब्रूयर | ||
* जीवन छोटा ही क्यों न हो, समय की बर्बादी से वह और भी छोटा हो जाता है। ~ जॉनसन | * जीवन छोटा ही क्यों न हो, समय की बर्बादी से वह और भी छोटा हो जाता है। ~ जॉनसन | ||
* वर्तमान परिस्थिति में हम क्या करते, सोचते और विश्वास करते हैं, उसी से हमारा भविष्य तय होता है। | * वर्तमान परिस्थिति में हम क्या करते, सोचते और विश्वास करते हैं, उसी से हमारा भविष्य तय होता है। | ||
* सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं हैं। | * सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं हैं। | ||
* सोने का प्रत्येक धागा मूल्यवान होता है, इसी प्रकार समय का प्रत्येक क्षण भी मूल्यवान होता है। - मेसन | * सोने का प्रत्येक धागा मूल्यवान होता है, इसी प्रकार समय का प्रत्येक क्षण भी मूल्यवान होता है। - मेसन | ||
* समय किसी की प्रतीक्षा नही करता। | * समय किसी की प्रतीक्षा नही करता। | ||
* बीता हुआ समय और कहे हुए शब्द कदापि वापस नहीं आ सकते। - कहावत | * बीता हुआ समय और कहे हुए शब्द कदापि वापस नहीं आ सकते। - कहावत | ||
* प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है। | * प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है। | ||
* समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना है। - बेकन | * समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना है। - बेकन | ||
* समय महान चिकित्सक है। | * समय महान चिकित्सक है। | ||
* एक युग विशाल नगरों का निर्माण करता है, एक क्षण उसका ध्वंस कर देता है। - सेनेका | * एक युग विशाल नगरों का निर्माण करता है, एक क्षण उसका ध्वंस कर देता है। - सेनेका | ||
* हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है। | * हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है। | ||
* राजा: कुछ ऐसा लिखो जिसे पढ़ कर ख़ुशी में गम हो और गम में पढ़ो तो ख़ुशी हो? वजीर: यह समय बीत जायेगा। | * राजा: कुछ ऐसा लिखो जिसे पढ़ कर ख़ुशी में गम हो और गम में पढ़ो तो ख़ुशी हो? वजीर: यह समय बीत जायेगा। | ||
* दौड़ना काफी नहीं है, समय पर चल पड़ना चाहिए। ~ फ़्रान्सीसी कहावत | * दौड़ना काफी नहीं है, समय पर चल पड़ना चाहिए। ~ फ़्रान्सीसी कहावत | ||
* समय पर थोड़ा सा प्रयत्न भी आगे की बहुत-से परेशानियों को बचाता है। - कहावत | * समय पर थोड़ा सा प्रयत्न भी आगे की बहुत-से परेशानियों को बचाता है। - कहावत | ||
* बुद्धिमान लोग अतीत की घटनाओं पर नहीं पछताते, वे भविष्य की चिन्ता नहीं करते, केवल वर्तमान जगत में पूर्णतया कर्म करते हैं। | * बुद्धिमान लोग अतीत की घटनाओं पर नहीं पछताते, वे भविष्य की चिन्ता नहीं करते, केवल वर्तमान जगत में पूर्णतया कर्म करते हैं। | ||
* सही काम करने के लिए समय हर वक्त ही ठीक होता हैं। – मार्टिन लूथर किंग जूनीयर | * सही काम करने के लिए समय हर वक्त ही ठीक होता हैं। – मार्टिन लूथर किंग जूनीयर | ||
* जैसे नदी बह जाती है और लौटकर नहीं आती, उसी प्रकार रात और दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते। – महाभारत | * जैसे नदी बह जाती है और लौटकर नहीं आती, उसी प्रकार रात और दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते। – महाभारत | ||
* मैंने समय को नष्ट किया है। अब समय मुझको नष्ट कर रहा है। - शेक्सपीयर | * मैंने समय को नष्ट किया है। अब समय मुझको नष्ट कर रहा है। - शेक्सपीयर | ||
* समय फिरने पर मित्र भी शत्रु हो जाते हैं। - गोस्वामी तुलसीदास | * समय फिरने पर मित्र भी शत्रु हो जाते हैं। - गोस्वामी तुलसीदास | ||
* हर संत का एक अतीत होता है और हर पापी का एक भविष्य। ~ ऑस्कर वाइल्ड | * हर संत का एक अतीत होता है और हर पापी का एक भविष्य। ~ ऑस्कर वाइल्ड | ||
* सही टाइमिंग पर लगभग हर बात सकारात्मक तरीके से कही जा सकती है। | * सही टाइमिंग पर लगभग हर बात सकारात्मक तरीके से कही जा सकती है। | ||
* हम आज अच्छे हैं, ये भी एक किस्म का पागलपन है। ~ एडवर्ड यंग | * हम आज अच्छे हैं, ये भी एक किस्म का पागलपन है। ~ एडवर्ड यंग | ||
* वक्त को बर्बाद न् करो, क्योंकि जिन्दगी इसी से बनी है। ~ फ्रेंकलिन | * वक्त को बर्बाद न् करो, क्योंकि जिन्दगी इसी से बनी है। ~ फ्रेंकलिन | ||
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* विश्वास से आश्चर्य-जनक प्रोत्साहन मिलता है। | * विश्वास से आश्चर्य-जनक प्रोत्साहन मिलता है। | ||
* विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है। ~ महात्मा गांधी | * विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है। ~ महात्मा गांधी | ||
* असन्तोष अपने ऊपर अविश्वास का फल है, यह कमजोर इच्छा का रूप है। ~ एमर्सन | * असन्तोष अपने ऊपर अविश्वास का फल है, यह कमजोर इच्छा का रूप है। ~ एमर्सन | ||
* वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता। ~ स्वामी विवेकानंद | * वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* वे ही विजयी हो सकते है, जिन्हें विश्वास है कि वे विजयी होंगे। ~ वर्जिल | * वे ही विजयी हो सकते है, जिन्हें विश्वास है कि वे विजयी होंगे। ~ वर्जिल | ||
* विश्वास का अभाव अज्ञान है। ~ स्वामी रामतीर्थ | * विश्वास का अभाव अज्ञान है। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* विश्वास जीवन कि शक्ति है। ~ टालस्टाय | * विश्वास जीवन कि शक्ति है। ~ टालस्टाय | ||
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* अगर आप सच बोलते हैं, तो आपको ज्यादा कुछ याद रखने की जरुरत नहीं है। ~ मार्क ट्वेन | * अगर आप सच बोलते हैं, तो आपको ज्यादा कुछ याद रखने की जरुरत नहीं है। ~ मार्क ट्वेन | ||
* सत्य स्वयं सिद्ध नहीं है, उसे सिद्ध करना पड़ता है। | * सत्य स्वयं सिद्ध नहीं है, उसे सिद्ध करना पड़ता है। | ||
* वस्तुगत यथार्थ वास्तव में स्वप्न के भीतर एक और स्वप्न की तरह है। ~ एडगर एलन पो | * वस्तुगत यथार्थ वास्तव में स्वप्न के भीतर एक और स्वप्न की तरह है। ~ एडगर एलन पो | ||
* डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है। ~ प्रेमचंद | * डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है। ~ प्रेमचंद | ||
* असत् का अस्तित्व नहीं है और सत् का नाश नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण | * असत् का अस्तित्व नहीं है और सत् का नाश नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण | ||
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* ईश्वर ने समझ की कोई सीमा नहीं रखी है। - बेकन | * ईश्वर ने समझ की कोई सीमा नहीं रखी है। - बेकन | ||
* संघर्ष और उथल-पुथल के बिना जीवन बिल्कुल नीरस हो जाता है। इसलिए जीवन में आने वाली विषमताओं को सह लेना ही समझदारी है। – विनोबा भावे | * संघर्ष और उथल-पुथल के बिना जीवन बिल्कुल नीरस हो जाता है। इसलिए जीवन में आने वाली विषमताओं को सह लेना ही समझदारी है। – विनोबा भावे | ||
* समझ मस्तिष्क का प्रकाश है। – विल्स | * समझ मस्तिष्क का प्रकाश है। – विल्स | ||
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* सतर्कता तभी सार्थक होती है, जब सदैव बरती जाए। | * सतर्कता तभी सार्थक होती है, जब सदैव बरती जाए। | ||
* उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | * उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | ||
* दुसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है। ~ जवाहरलाल नेहरू | * दुसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है। ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
* रोग, शत्रु और कर्ज अपने आप बढ़ते हैं। इन्हें तुंरत जड़ से ख़त्म कर देना चाहिए। | * रोग, शत्रु और कर्ज अपने आप बढ़ते हैं। इन्हें तुंरत जड़ से ख़त्म कर देना चाहिए। | ||
* आदत को अगर नहीं रोका जाय तो शीघ्र ही वे लत बन जाती हैं। | * आदत को अगर नहीं रोका जाय तो शीघ्र ही वे लत बन जाती हैं। | ||
* प्रतिष्ठा बनाने में कई वर्ष लग जाते हैं, कलंक एक क्षण में लग जाता है। ~ अज्ञात | * प्रतिष्ठा बनाने में कई वर्ष लग जाते हैं, कलंक एक क्षण में लग जाता है। ~ अज्ञात | ||
* गुस्सा आपको छोटा बनाता है, क्षमा आपको विस्तार देती है। | * गुस्सा आपको छोटा बनाता है, क्षमा आपको विस्तार देती है। | ||
* परामर्श तो अनेक प्राप्त करते है,किन्तु उससे लाभ उठाना बुद्धिमानों को ही आता है। ~ साइरस | * परामर्श तो अनेक प्राप्त करते है,किन्तु उससे लाभ उठाना बुद्धिमानों को ही आता है। ~ साइरस | ||
* सावधानी बुद्धिमानी की सबसे बड़ी संतान है। ~ विक्टर ह्यूगो | * सावधानी बुद्धिमानी की सबसे बड़ी संतान है। ~ विक्टर ह्यूगो | ||
* निन्दा से बचने का अचूक एवं शीघ्र उपचार स्वयं को सुधार लेना ही है। ~ डिमास्थनीज | * निन्दा से बचने का अचूक एवं शीघ्र उपचार स्वयं को सुधार लेना ही है। ~ डिमास्थनीज | ||
* किसी मित्र को अपना ऐसा भेद मत बताओ, जिसके जाहिर हो जाने पर बदनामी हो। ~ थेल्स | * किसी मित्र को अपना ऐसा भेद मत बताओ, जिसके जाहिर हो जाने पर बदनामी हो। ~ थेल्स | ||
* नीतिसम्मत है कि स्वार्थवश भी दुर्जन व्यक्ति को साथ नहीं लेना चाहिए। ~ अज्ञात | * नीतिसम्मत है कि स्वार्थवश भी दुर्जन व्यक्ति को साथ नहीं लेना चाहिए। ~ अज्ञात | ||
* चतुर मनुष्य अपना ज्ञान छिपाकर रखता है, पर मूर्ख अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करता है। ~ बाइबिल | * चतुर मनुष्य अपना ज्ञान छिपाकर रखता है, पर मूर्ख अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करता है। ~ बाइबिल | ||
* ना तो इतने कड़वे बनो की कोई थूक दे और ना ही इतने मीठे बनो की कोई निगल जाये। ~ टॉल्स्टॉय | * ना तो इतने कड़वे बनो की कोई थूक दे और ना ही इतने मीठे बनो की कोई निगल जाये। ~ टॉल्स्टॉय | ||
* प्रेम सबसे करो, विश्वास कुछ पर करो, बुरा किसी का मत करो। | * प्रेम सबसे करो, विश्वास कुछ पर करो, बुरा किसी का मत करो। | ||
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* जीवन की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है, नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार है। | * जीवन की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है, नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार है। | ||
* स्त्री की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्भर है। ~ अरस्तू | * स्त्री की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्भर है। ~ अरस्तू | ||
* सुयोग्य स्त्री परिवार की शोभा तथा गृह की लक्ष्मी है। ~ मनु | * सुयोग्य स्त्री परिवार की शोभा तथा गृह की लक्ष्मी है। ~ मनु | ||
* स्त्रियों की मान-हानि साक्षात् लक्ष्मी और सरस्वती की मान हानि है। ~ सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला | * स्त्रियों की मान-हानि साक्षात् लक्ष्मी और सरस्वती की मान हानि है। ~ सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला | ||
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* परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है। ~ चाणक्य | * परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है। ~ चाणक्य | ||
* किसी कार्य को खूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिए। ~ नेपोलियन | * किसी कार्य को खूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिए। ~ नेपोलियन | ||
* ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | * ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | ||
* मनुष्य जन्म से नहीं बल्कि कर्म से शूद्र या ब्राह्मण होता है। ~ गौतम बुद्ध | * मनुष्य जन्म से नहीं बल्कि कर्म से शूद्र या ब्राह्मण होता है। ~ गौतम बुद्ध | ||
* जो श्रम से लजाता है, वह सदैव परतंत्र रहता है। ~ शरण | * जो श्रम से लजाता है, वह सदैव परतंत्र रहता है। ~ शरण | ||
* कार्य की अधिकता से उकताने वाला व्यक्ति, कभी कोई बड़ा कार्य नहीं कर सकता। ~ अब्राहम लिंकन | * कार्य की अधिकता से उकताने वाला व्यक्ति, कभी कोई बड़ा कार्य नहीं कर सकता। ~ अब्राहम लिंकन | ||
* अपने से हो सके, वह काम दूसरे से न कराना। ~ महात्मा गांधी | * अपने से हो सके, वह काम दूसरे से न कराना। ~ महात्मा गांधी | ||
* सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता। ~ स्वामी रामतीर्थ | * सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है। ~ महात्मा गांधी | * काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है। ~ महात्मा गांधी | ||
* महान कार्य शक्ति से नहीं, अपितु उधम से सम्पन्न होते हैं। ~ जॉनसन | * महान कार्य शक्ति से नहीं, अपितु उधम से सम्पन्न होते हैं। ~ जॉनसन | ||
* पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है। ~ अज्ञात | * पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है। ~ अज्ञात | ||
* कमजोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण। ~ मदनमोहन मालवीय | * कमजोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण। ~ मदनमोहन मालवीय | ||
* प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत श्रम है। ~ एडीसन | * प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत श्रम है। ~ एडीसन | ||
* अच्छे कार्य करने के लिए कभी शुभ मुहूर्त मत पूछो। ~ अज्ञात | * अच्छे कार्य करने के लिए कभी शुभ मुहूर्त मत पूछो। ~ अज्ञात | ||
* बड़े कार्य, छोटे कार्यों से आरम्भ करना चाहिए। ~ शेक्सपियर | * बड़े कार्य, छोटे कार्यों से आरम्भ करना चाहिए। ~ शेक्सपियर | ||
* स्वतंत्र वही है, जो अपना काम स्वयं कर लेता है। ~ विनोबा भावे | * स्वतंत्र वही है, जो अपना काम स्वयं कर लेता है। ~ विनोबा भावे | ||
* योग्यता से बिताए हुए जीवन को,हमें वर्षों से नहीं बल्कि कर्मों के पैमाने से तौलना चाहिए। ~ शेरिडेन | * योग्यता से बिताए हुए जीवन को,हमें वर्षों से नहीं बल्कि कर्मों के पैमाने से तौलना चाहिए। ~ शेरिडेन | ||
* जागरण का अर्थ है कर्म में अवतीर्ण करना। ~ जयशंकर प्रसाद | * जागरण का अर्थ है कर्म में अवतीर्ण करना। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* जो काम आ पड़े, साधना समझ कर पूरा करो। ~ स्वामी रामदास | * जो काम आ पड़े, साधना समझ कर पूरा करो। ~ स्वामी रामदास | ||
* कहने की प्रकृति छोडो, करने का अभ्यास करो। ~ अज्ञात | * कहने की प्रकृति छोडो, करने का अभ्यास करो। ~ अज्ञात | ||
* प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है। | * प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है। | ||
* जो अपने योग्य कर्म में जी जान से लगा रहता है,वही संसार में प्रशंसा का पात्र होता है। ~ ब्राह्मण ग्रन्थ | * जो अपने योग्य कर्म में जी जान से लगा रहता है,वही संसार में प्रशंसा का पात्र होता है। ~ ब्राह्मण ग्रन्थ | ||
* कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही। | * कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही। | ||
* गलत काम करने का कोई सही तरीका नहीं हैं। | * गलत काम करने का कोई सही तरीका नहीं हैं। | ||
* जीवन में सबसे ज्यादा आनंद उसी काम को करने में है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते हो। | * जीवन में सबसे ज्यादा आनंद उसी काम को करने में है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते हो। | ||
* आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है। | * आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है। | ||
* कीर्ति वीरोचित कार्यो की सुगन्ध है। | * कीर्ति वीरोचित कार्यो की सुगन्ध है। | ||
* जीवन में ऐसा काम करो कि परिवार, गुरु और परमात्मा तीनों तुमसे खुश रहें। – स्वामी ज्योतिनंद | * जीवन में ऐसा काम करो कि परिवार, गुरु और परमात्मा तीनों तुमसे खुश रहें। – स्वामी ज्योतिनंद | ||
* कर्म करने मे ही अधिकार है, फल मे नही। | * कर्म करने मे ही अधिकार है, फल मे नही। | ||
* कर्म सरल है, विचार कठिन। | * कर्म सरल है, विचार कठिन। | ||
* अपने काम में सुन्दरता तलाशो| उससे सुंदर और कुछ हों ही नहीं सकता। ~ रूमी | * अपने काम में सुन्दरता तलाशो| उससे सुंदर और कुछ हों ही नहीं सकता। ~ रूमी | ||
* हमारे लिए चींटी से बढ़कर और कोई उपदेशक नहीं है। वह काम करती है और खामोश रहती है। | * हमारे लिए चींटी से बढ़कर और कोई उपदेशक नहीं है। वह काम करती है और खामोश रहती है। | ||
* अगर कुछ महत्व रखता है तो वह है कर्म और प्रेम। ~ सिगमंड फ्रोयड | * अगर कुछ महत्व रखता है तो वह है कर्म और प्रेम। ~ सिगमंड फ्रोयड | ||
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* कार्य की अधिकता मनुष्य को नहीं मारती, बल्कि चिंता मारती है। – स्वेट मार्डेन | * कार्य की अधिकता मनुष्य को नहीं मारती, बल्कि चिंता मारती है। – स्वेट मार्डेन | ||
* अगर इन्सान सुख-दुःख की चिंता से ऊपर उठ जाए, तो आसमान की ऊंचाई भी उसके पैरों तले आ जाय। – शेख सादी | * अगर इन्सान सुख-दुःख की चिंता से ऊपर उठ जाए, तो आसमान की ऊंचाई भी उसके पैरों तले आ जाय। – शेख सादी | ||
* चिंताएं, परेशानियां, दुःख और तकलीफें परिस्थितियों से लड़ने से नहीं दूर हो सकतीं, वे दूर होंगी अपनी अंदरूनी कमजोरी दूर करने से जिसके कारण ही वे सचमुच पैदा हुईं है। – स्वामी रामतीर्थ | * चिंताएं, परेशानियां, दुःख और तकलीफें परिस्थितियों से लड़ने से नहीं दूर हो सकतीं, वे दूर होंगी अपनी अंदरूनी कमजोरी दूर करने से जिसके कारण ही वे सचमुच पैदा हुईं है। – स्वामी रामतीर्थ | ||
* प्राणियों के लिए चिंता ही ज्वर है। – शंकराचार्य | * प्राणियों के लिए चिंता ही ज्वर है। – शंकराचार्य | ||
* बिस्तर पर चिंताओं को ले जाना, पीठ पर गट्ठर बाँध कर सोना है। - हैली बर्टन | * बिस्तर पर चिंताओं को ले जाना, पीठ पर गट्ठर बाँध कर सोना है। - हैली बर्टन | ||
* चिंता रोग का मूल है। – प्रेमचंद | * चिंता रोग का मूल है। – प्रेमचंद | ||
* चिंता करता हूँ मैं जितनी उस अतीत की, उस सुख की, उतनी ही अनंत में बनती जातीं रेखाएं दुःख की। – जयशंकर प्रसाद | * चिंता करता हूँ मैं जितनी उस अतीत की, उस सुख की, उतनी ही अनंत में बनती जातीं रेखाएं दुःख की। – जयशंकर प्रसाद | ||
* चिंता एक काली दिवार की भांति चारों ओर से घेर लेती है, जिसमें से निकलने की फिर कोई गली नहीं सूझती। – प्रेमचंद | * चिंता एक काली दिवार की भांति चारों ओर से घेर लेती है, जिसमें से निकलने की फिर कोई गली नहीं सूझती। – प्रेमचंद | ||
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* स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है। ~ गुरु गोविन्द सिंह | * स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है। ~ गुरु गोविन्द सिंह | ||
* स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है। ~ प्रेमचंद | * स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है। ~ प्रेमचंद | ||
* गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। ~ सरदार वल्लभभाई पटेल | * गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। ~ सरदार वल्लभभाई पटेल | ||
* महान वह है जो दृढतम निश्चय के साथ सत्य का अनुसरण करता है। ~ सेनेका | * महान वह है जो दृढतम निश्चय के साथ सत्य का अनुसरण करता है। ~ सेनेका | ||
* महापुरुष की महत्ता इसी में है कि वह कभी भी निराश न हो। ~ थॉमसन | * महापुरुष की महत्ता इसी में है कि वह कभी भी निराश न हो। ~ थॉमसन | ||
* जिसने कष्ट नहीं भोगा, वह अपनी शक्ति से अनभिज्ञ रहता है। | * जिसने कष्ट नहीं भोगा, वह अपनी शक्ति से अनभिज्ञ रहता है। | ||
* क्षमा से बढ़कर ओर किसी बात में पाप को पुण्य बनाने की शक्ति नहीं है। ~ जयशंकर प्रसाद | * क्षमा से बढ़कर ओर किसी बात में पाप को पुण्य बनाने की शक्ति नहीं है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* ईर्ष्या अपनी हीनता के बोध से जन्म लेती है। वह उसे दूर नहीं करती, सिर्फ दबाती है। ~ जैनेन्द्र | * ईर्ष्या अपनी हीनता के बोध से जन्म लेती है। वह उसे दूर नहीं करती, सिर्फ दबाती है। ~ जैनेन्द्र | ||
* अपराध करने के बाद भय उत्पन्न होता है ओर यही उसका दण्ड है। ~ वाल्टेयर | * अपराध करने के बाद भय उत्पन्न होता है ओर यही उसका दण्ड है। ~ वाल्टेयर | ||
* किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ। शांतिपूर्वक जियो ओर दूसरों को भी जीने दो। ~ महावीर स्वामी | * किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ। शांतिपूर्वक जियो ओर दूसरों को भी जीने दो। ~ महावीर स्वामी | ||
* आपके पास जो है, उसके लिए कृतज्ञ रहने का विकल्प चुने……… आज ही, अभी। | * आपके पास जो है, उसके लिए कृतज्ञ रहने का विकल्प चुने……… आज ही, अभी। | ||
* दुर्भाग्य घोड़े पर सवार होकर आता है और पैदल वापस जाता है। ~ फ़्रांसीसी लोकोक्ति | * दुर्भाग्य घोड़े पर सवार होकर आता है और पैदल वापस जाता है। ~ फ़्रांसीसी लोकोक्ति | ||
* आवश्यकता आविष्कार की जननी है। ~ कहावत | * आवश्यकता आविष्कार की जननी है। ~ कहावत | ||
* संतुलित व्यक्ति दूसरों के गुणों को स्वीकार करते हैं, परंतु अपने महत्व को भी कम नहीं आंकते। | * संतुलित व्यक्ति दूसरों के गुणों को स्वीकार करते हैं, परंतु अपने महत्व को भी कम नहीं आंकते। | ||
* संकल्प और सकारात्मक आत्म-चर्चा तभी तक उपयोगी है, जब तक कि हम अपनी अराधना ही न करने लगें। | * संकल्प और सकारात्मक आत्म-चर्चा तभी तक उपयोगी है, जब तक कि हम अपनी अराधना ही न करने लगें। | ||
* पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने के बजाय तारीफ़ करना ज्यादा अच्छा होता है। | * पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने के बजाय तारीफ़ करना ज्यादा अच्छा होता है। | ||
* सच तो यह है कि आशावाद और अपेक्षा के एहसास से भरे लोग शायद ही कभी निराश होते हैं। | * सच तो यह है कि आशावाद और अपेक्षा के एहसास से भरे लोग शायद ही कभी निराश होते हैं। | ||
* हमारी रूचि हमारे जीवन कि परख और हमारे मनुष्यत्व की पहचान है। ~ रस्किन | * हमारी रूचि हमारे जीवन कि परख और हमारे मनुष्यत्व की पहचान है। ~ रस्किन | ||
* अधिकारों का उपयोग नहीं करना, खुद के शोषण को आमंत्रण देना है। ~ विलियम पिट | * अधिकारों का उपयोग नहीं करना, खुद के शोषण को आमंत्रण देना है। ~ विलियम पिट | ||
* उपहार और विरोध तो सुधारक के पुरस्कार हैं। ~ प्रेमचंद | * उपहार और विरोध तो सुधारक के पुरस्कार हैं। ~ प्रेमचंद | ||
* प्रेम के बाद सहानुभूति मानव ह्रदय की पवित्रतम भावना है। ~ बर्क | * प्रेम के बाद सहानुभूति मानव ह्रदय की पवित्रतम भावना है। ~ बर्क | ||
* पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने की बजाए तारीफ करना ज्यादा अच्छा होता है। | * पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने की बजाए तारीफ करना ज्यादा अच्छा होता है। | ||
* जो दान अपनी कीर्ति-गाथा गाने को उतावला हो उठता है, वह अहंकार एवं आडम्बर मात्र रह जाता है। ~ हुट्टन | * जो दान अपनी कीर्ति-गाथा गाने को उतावला हो उठता है, वह अहंकार एवं आडम्बर मात्र रह जाता है। ~ हुट्टन | ||
* उड़ान भरने की अपेक्षा, जब हम झुकते हैं, तब विवेक के अधिक निकट होते हैं। ~ वर्ड्सवर्थ | * उड़ान भरने की अपेक्षा, जब हम झुकते हैं, तब विवेक के अधिक निकट होते हैं। ~ वर्ड्सवर्थ | ||
* बातचीत प्रिय हो, पर ओछी न हो, आश्चर्यजनक हो, पर असत्य न हो। ~ शेक्सपियर | * बातचीत प्रिय हो, पर ओछी न हो, आश्चर्यजनक हो, पर असत्य न हो। ~ शेक्सपियर | ||
* विश्व, रेखागणित के लिए भारत का ऋणी है, यूनान का नहीं। ~ डॉ. थिवो | * विश्व, रेखागणित के लिए भारत का ऋणी है, यूनान का नहीं। ~ डॉ. थिवो | ||
* स्वयं को वश में रखने से ही मनुष्यत्व प्राप्त होता है। ~ हर्बर्ट स्पेन्सर | * स्वयं को वश में रखने से ही मनुष्यत्व प्राप्त होता है। ~ हर्बर्ट स्पेन्सर | ||
* विश्व ही महापुरुष हो खोजता है न कि महापुरुष विश्व को। ~ कालिदास | * विश्व ही महापुरुष हो खोजता है न कि महापुरुष विश्व को। ~ कालिदास | ||
* महान लेखक, अपने पाठक का मित्र और शुभचिन्तक होता है। ~ मेकाले | * महान लेखक, अपने पाठक का मित्र और शुभचिन्तक होता है। ~ मेकाले | ||
* सद्व्यवहार से अच्छी और सस्ती कोई अन्य वस्तु नहीं। ~ एनन | * सद्व्यवहार से अच्छी और सस्ती कोई अन्य वस्तु नहीं। ~ एनन | ||
* शक्ति का उपयोग परहित में करना चाहिए। ~ अज्ञात | * शक्ति का उपयोग परहित में करना चाहिए। ~ अज्ञात | ||
* शब्द की शक्ति, हमारी सारी उन्नति का आधार है। ~ जैनेन्द्र कुमार | * शब्द की शक्ति, हमारी सारी उन्नति का आधार है। ~ जैनेन्द्र कुमार | ||
18:47, 1 अक्टूबर 2011 का अवतरण
माँ तुझे सलाम
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
- महात्मा गांधी
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National Anthem =
मेरे पृष्ट पर आप का स्वागत है !
Hello.
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मेरा पसंदीदा चित्र संग्रह |
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शोध क्षेत्र |
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मुझे हिन्दुस्तानी, हिन्दू और हिन्दी भाषी होने का गर्व है | |