"ओरछा": अवतरणों में अंतर
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'''ओरछा''' [[मध्य प्रदेश]] के [[बुन्देलखण्ड]] सम्भाग में [[बेतवा नदी]] के किनारे स्थित आधुनिक मध्य काल में परिहास राजाओं की राजधानी थी। | |||
*परिहास राजाओं के बाद में यह चन्देलों के अधिकार में रहीं। | *परिहास राजाओं के बाद में यह [[चन्देल वंश|चन्देलों]] के अधिकार में रहीं। | ||
*चन्देल राजाओं के पराभव के बाद ओरछा श्रीहीन हो गया। | *चन्देल राजाओं के पराभव के बाद ओरछा श्रीहीन हो गया। | ||
*उसके बाद में बुंदेलों ने ओरछा को राजधानी बनाया और इसने पुनः अपना गौरव प्राप्त किया। | *उसके बाद में बुंदेलों ने ओरछा को राजधानी बनाया और इसने पुनः अपना गौरव प्राप्त किया। | ||
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==वीथिका== | |||
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चित्र:Orchha.jpg|ओरछा का एक दृश्य (1818) | |||
चित्र:Lakshmi-Narayana-Temple-Orchha.jpg|लक्ष्मीनारायण मंदिर, ओरछा (1869) | |||
चित्र:Orchha-1.jpg|ओरछा का एक दृश्य (1818) | |||
चित्र:Sawan-Bhadon-Palace-Orchha.jpg|सावन भादों पैलेस, ओरछा (1882) | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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05:45, 8 जनवरी 2012 का अवतरण
ओरछा मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड सम्भाग में बेतवा नदी के किनारे स्थित आधुनिक मध्य काल में परिहास राजाओं की राजधानी थी।
- परिहास राजाओं के बाद में यह चन्देलों के अधिकार में रहीं।
- चन्देल राजाओं के पराभव के बाद ओरछा श्रीहीन हो गया।
- उसके बाद में बुंदेलों ने ओरछा को राजधानी बनाया और इसने पुनः अपना गौरव प्राप्त किया।
- राजा रुद्रप्रताप (1501-03ई.) वर्तमान ओरछा को बसाने वाले थे।
- 1531 ई. में इस नगर की स्थापना की गई और क़िले के निर्माण में आठ वर्ष का समय लगा।
- ओरछा के महल भारतीचन्द के समय 1539 ई. में बनकर पूर्ण हुए और राजधानी भी इसी वर्ष पुरानी राजधानी गढ़कुंडार से ओरछा लायी गयी।
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वीथिका
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ओरछा का एक दृश्य (1818)
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लक्ष्मीनारायण मंदिर, ओरछा (1869)
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ओरछा का एक दृश्य (1818)
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सावन भादों पैलेस, ओरछा (1882)