"सदस्य:DrMKVaish": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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* कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है। | * कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है। | ||
* हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है। | * हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है। | ||
* बहुमत की आवाज न्याय का द्योतक | * बहुमत की आवाज न्याय का द्योतक नहीं है। | ||
* हमारे वचन चाहे कितने भी श्रेष्ठ क्यों न हो, परन्तु दुनिया हमे हमारे कर्मो के द्वारा पहचानती है| | * हमारे वचन चाहे कितने भी श्रेष्ठ क्यों न हो, परन्तु दुनिया हमे हमारे कर्मो के द्वारा पहचानती है| | ||
* यदि आप मरने का डर है तो इसका यही अर्थ है की आप जीवन के महत्व को ही नहीं समझते| | * यदि आप मरने का डर है तो इसका यही अर्थ है की आप जीवन के महत्व को ही नहीं समझते| | ||
* अधिक सांसारिक ज्ञान अर्जित करने से अंहकार आ सकता है, परन्तु आध्यात्मिक ज्ञान जितना अधिक अर्जित करते है उतनी ही नम्रता आती है| | * अधिक सांसारिक ज्ञान अर्जित करने से अंहकार आ सकता है, परन्तु आध्यात्मिक ज्ञान जितना अधिक अर्जित करते है उतनी ही नम्रता आती है| | ||
* मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है। | * मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है। | ||
* अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल | * अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नहीं होता। | ||
* मुस्कान प्रेम की भाषा है। | * मुस्कान प्रेम की भाषा है। | ||
* सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है। | * सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है। | ||
* अहंकार छोडे बिना सच्चा प्रेम | * अहंकार छोडे बिना सच्चा प्रेम नहीं किया जा सकता। | ||
* अल्प ज्ञान खतरनाक होता है। | * अल्प ज्ञान खतरनाक होता है। | ||
* कर्म सरल है, विचार कठिन। | * कर्म सरल है, विचार कठिन। | ||
* उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन। | * उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन। | ||
* धन अपना पराया | * धन अपना पराया नहीं देखता। | ||
* पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित। लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं। | * पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित। लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं। | ||
* संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति। | * संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति। | ||
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* कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए। - दर्पदलनम् १।२९ | * कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए। - दर्पदलनम् १।२९ | ||
* तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता। - ओशो | * तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता। - ओशो | ||
* पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा | * पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नहीं करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है। महाभारत -उद्योग पर्व | ||
* विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है। - गीता (अध्याय 2/62, 63) | * विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है। - गीता (अध्याय 2/62, 63) | ||
* एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये, रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय । -रहीम | * एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये, रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय । -रहीम |
13:24, 21 जनवरी 2012 का अवतरण
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
- महात्मा गांधी
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ख़ूबसूरत बातें
- खूबसूरत है वो लब जिन पर दूसरों के लिए एक दुआ है।
- खूबसूरत है वो मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए।
- खूबसूरत है वो दिल जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए और किसी के प्यार के रंग मे रंग जाए।
- खूबसूरत है वो जज़बात जो दूसरो की भावनाओं को समझे।
- खूबसूरत है वो एहसास जिस मे प्यार की मिठास हो।
- खूबसूरत है वो बातें जिनमे शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से कहानियाँ।
- खूबसूरत है वो आँखे जिनमे कितने खूबसूरत ख्वाब समा जाएँ।
- खूबसूरत है वो आसूँ जो किसी के ग़म मे बह जाएँ।
- खूबसूरत है वो हाथ जो किसी के लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए।
- खूबसूरत है वो कदम जो अमन और शान्ति का रास्ता तय कर जाएँ।
- खूबसूरत है वो सोच जिस मे पूरी दुनिया की भलाई का ख्याल आ जाए।
डा॰ मनीष कुमारवैश्य |
National Anthem =
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