"मनाली हिमाचल प्रदेश": अवतरणों में अंतर
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मनाली छुट्टियाँ बिताने के लिए आदर्श स्थान है और लाहुल, स्पीति, बारा भंगल ([[कांगड़ा]]) और जनस्कर पर्वत श्रृंखला पर चढ़ाई करने वालों के लिए यह एक मनपसंद स्थान है। मनाली के मनोरम दृश्य और रोमांचकारी गतिविधियाँ मनाली को हर मौसम और सभी प्रकार के यात्रियों के बीच लोकप्रिय बनाती हैं। मनाली में स्थित प्रसिद्ध हिडिम्बा मंदिर का निर्माण महाराजा बहादुर सिंह ने 1553 में किया था। मनाली से मात्र तीन किलोमीटर दूर स्थित वशिष्ठ में [[महर्षि वसिष्ठ]] का प्रसिद्ध आश्रम तथा एक छोटा-सा मंदिर है। वशिष्ठ में गर्म जल के चश्मे भी हैं। मनाली के उत्तर में 4,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित [[रोहतांग दर्रा]] पीरपंजाल पर्वत श्रेणी में अवस्थित है। रोहतांग से 7 किलोमीटर उत्तर में अवस्थित '''त्रिलोकीनाथ''' के समीप चंद्रा और भागा नदियों का संगम होता है तथा व्यास नदी का उद्गम होता है। [[चित्र:Manali-Himachal-Pradesh-1.jpg|thumb|250px|मनाली, [[हिमाचल प्रदेश]]]] इसी स्थान पर [[शिव]] के त्रिलोकीनाथ रूप का मंदिर है, जहाँ हमेशा दो अखंड ज्योतियाँ प्रज्जवलित रहती हैं। मनाली से 16 किलोमीटर दूर स्थित '''राहला जल-प्रपात''' एक अन्य प्रसिद्ध स्थल है। मनाली से 6 किलोमीटर दूर [[व्यास नदी]] की बायीं ओर अवस्थित '''जगतसुख''' भगवान शिव तथा सांध्य [[गायत्री]] के शिखर कला के प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। | मनाली छुट्टियाँ बिताने के लिए आदर्श स्थान है और लाहुल, स्पीति, बारा भंगल ([[कांगड़ा]]) और जनस्कर पर्वत श्रृंखला पर चढ़ाई करने वालों के लिए यह एक मनपसंद स्थान है। मनाली के मनोरम दृश्य और रोमांचकारी गतिविधियाँ मनाली को हर मौसम और सभी प्रकार के यात्रियों के बीच लोकप्रिय बनाती हैं। मनाली में स्थित प्रसिद्ध हिडिम्बा मंदिर का निर्माण महाराजा बहादुर सिंह ने 1553 में किया था। मनाली से मात्र तीन किलोमीटर दूर स्थित वशिष्ठ में [[महर्षि वसिष्ठ]] का प्रसिद्ध आश्रम तथा एक छोटा-सा मंदिर है। वशिष्ठ में गर्म जल के चश्मे भी हैं। मनाली के उत्तर में 4,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित [[रोहतांग दर्रा]] पीरपंजाल पर्वत श्रेणी में अवस्थित है। रोहतांग से 7 किलोमीटर उत्तर में अवस्थित '''त्रिलोकीनाथ''' के समीप चंद्रा और भागा नदियों का संगम होता है तथा व्यास नदी का उद्गम होता है। [[चित्र:Manali-Himachal-Pradesh-1.jpg|thumb|250px|मनाली, [[हिमाचल प्रदेश]]]] इसी स्थान पर [[शिव]] के त्रिलोकीनाथ रूप का मंदिर है, जहाँ हमेशा दो अखंड ज्योतियाँ प्रज्जवलित रहती हैं। मनाली से 16 किलोमीटर दूर स्थित '''राहला जल-प्रपात''' एक अन्य प्रसिद्ध स्थल है। मनाली से 6 किलोमीटर दूर [[व्यास नदी]] की बायीं ओर अवस्थित '''जगतसुख''' भगवान शिव तथा सांध्य [[गायत्री]] के शिखर कला के प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। | ||
====जीप सफारी==== | ====जीप सफारी==== | ||
अनछुए स्थानों तक पहुँचने का बेहतरीन जरिया जीप सफारी है। जीप | अनछुए स्थानों तक पहुँचने का बेहतरीन जरिया जीप सफारी है। जीप मज़बूत वाहन होने के नाते दुष्कर स्थान तक आसानी से पहुंच सकती है। इसमें [[थार मरुस्थल|थार के मरुस्थल]] को पार कर सकते हैं और [[हिमालय]] पर जीप सफारी में मनाली से [[लेह]] तक का सफर तय किया जा सकता है। जीप सफारी के कुछ प्रमुख रुट हैं। लेह और [[लद्दाख]], [[कुमाऊँ]] और [[गढ़वाल]] तथा [[राजस्थान]]। | ||
==ख़रीददारी== | ==ख़रीददारी== | ||
मनाली से हस्तशिल्प का सामान और कालीन (कारपेट) की ख़रीददारी सैलानी अक्सर करते हैं। मनाली के ऊन के शॉल भी काफ़ी लोकप्रिय हैं। इन शॉलों को कशीदाकारी से सजाया जाता है। मनाली के बाज़ारों में तिब्बती हस्तशिल्प का सामान बड़ी मात्रा में मिलता है। घर की सजावट, उपहार और स्मारिकाओं की निशानी के तौर पर इन्हें ख़रीदा जा सकता है। | मनाली से हस्तशिल्प का सामान और कालीन (कारपेट) की ख़रीददारी सैलानी अक्सर करते हैं। मनाली के ऊन के शॉल भी काफ़ी लोकप्रिय हैं। इन शॉलों को कशीदाकारी से सजाया जाता है। मनाली के बाज़ारों में तिब्बती हस्तशिल्प का सामान बड़ी मात्रा में मिलता है। घर की सजावट, उपहार और स्मारिकाओं की निशानी के तौर पर इन्हें ख़रीदा जा सकता है। |
09:50, 3 जून 2012 का अवतरण
मनाली हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित कुल्लू घाटी का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। मनाली कुल्लू से उत्तर दिशा में केवल 40 किमी की दूरी पर लेह की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर घाटी के सिरे के पास स्थित है। मनाली भारत का प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल है। समुद्र तल से 2050 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मनाली व्यास नदी के किनारे बसा हुआ है। सर्दियों में मनाली का तापमान 0° से नीचे पहुँच जाता है। मनाली में आप यहाँ के ख़ूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के अलावा हाइकिंग, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कायकिंग जैसे खेलों का भी आनंद उठा सकते हैं। मनाली के जंगली फूलों और सेब के बगीचों से छनकर आती सुंगंधित हवाएँ दिलो दिमाग को ताज़गी से भर देती हैं। सबसे पहले बर्फ़ से ढकी हुई पहाडियाँ, साफ पानी वाली व्यास नदी दिखाई देती है। दूसरी ओर देवदार और पाइन के पेड़, छोटे छोटे खेत और फलों के बागान दिखाई देते हैं।
इतिहास
मनाली का नामकरण प्रथम पुरुष मनु के नाम पर किया गया है। कहा जाता है कि जब सारा संसार प्रलय में डूब गया था तो एकमात्र मनु ही जीवित बचे थे। मनाली में आकर ही उन्होंनें मनुष्य की पुर्नरचना की। इसलिए मनाली को हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल भी माना जाता है।
यातायात और परिवहन
वायुमार्ग
मनाली से 50 किलोमीटर की दूरी पर भुंटार में नज़दीकी हवाई अड्डा है। मनाली पहुँचने के लिए यहाँ से बस या टैक्सी की सेवाएँ ली सकती हैं।
रेलमार्ग
जोगिन्दर नगर नैरो गैज रेलवे स्टेशन मनाली का नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जो मनाली से 135 किलोमीटर की दूरी पर है। मनाली से 310 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ नज़दीकी ब्रॉड गेज रेलवे स्टेशन है।
सड़क मार्ग
मनाली हिमाचल और आसपास के शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें अनेक शहरों से मनाली जाती हैं।
पर्यटन
मनाली छुट्टियाँ बिताने के लिए आदर्श स्थान है और लाहुल, स्पीति, बारा भंगल (कांगड़ा) और जनस्कर पर्वत श्रृंखला पर चढ़ाई करने वालों के लिए यह एक मनपसंद स्थान है। मनाली के मनोरम दृश्य और रोमांचकारी गतिविधियाँ मनाली को हर मौसम और सभी प्रकार के यात्रियों के बीच लोकप्रिय बनाती हैं। मनाली में स्थित प्रसिद्ध हिडिम्बा मंदिर का निर्माण महाराजा बहादुर सिंह ने 1553 में किया था। मनाली से मात्र तीन किलोमीटर दूर स्थित वशिष्ठ में महर्षि वसिष्ठ का प्रसिद्ध आश्रम तथा एक छोटा-सा मंदिर है। वशिष्ठ में गर्म जल के चश्मे भी हैं। मनाली के उत्तर में 4,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित रोहतांग दर्रा पीरपंजाल पर्वत श्रेणी में अवस्थित है। रोहतांग से 7 किलोमीटर उत्तर में अवस्थित त्रिलोकीनाथ के समीप चंद्रा और भागा नदियों का संगम होता है तथा व्यास नदी का उद्गम होता है।
इसी स्थान पर शिव के त्रिलोकीनाथ रूप का मंदिर है, जहाँ हमेशा दो अखंड ज्योतियाँ प्रज्जवलित रहती हैं। मनाली से 16 किलोमीटर दूर स्थित राहला जल-प्रपात एक अन्य प्रसिद्ध स्थल है। मनाली से 6 किलोमीटर दूर व्यास नदी की बायीं ओर अवस्थित जगतसुख भगवान शिव तथा सांध्य गायत्री के शिखर कला के प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।
जीप सफारी
अनछुए स्थानों तक पहुँचने का बेहतरीन जरिया जीप सफारी है। जीप मज़बूत वाहन होने के नाते दुष्कर स्थान तक आसानी से पहुंच सकती है। इसमें थार के मरुस्थल को पार कर सकते हैं और हिमालय पर जीप सफारी में मनाली से लेह तक का सफर तय किया जा सकता है। जीप सफारी के कुछ प्रमुख रुट हैं। लेह और लद्दाख, कुमाऊँ और गढ़वाल तथा राजस्थान।
ख़रीददारी
मनाली से हस्तशिल्प का सामान और कालीन (कारपेट) की ख़रीददारी सैलानी अक्सर करते हैं। मनाली के ऊन के शॉल भी काफ़ी लोकप्रिय हैं। इन शॉलों को कशीदाकारी से सजाया जाता है। मनाली के बाज़ारों में तिब्बती हस्तशिल्प का सामान बड़ी मात्रा में मिलता है। घर की सजावट, उपहार और स्मारिकाओं की निशानी के तौर पर इन्हें ख़रीदा जा सकता है।
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