"ग़यासुद्दीन महमूदशाह": अवतरणों में अंतर
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*1533 ई. में ग़यासुद्दीन महमूद शाह [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] की गद्दी पर बैठा था। | *1533 ई. में ग़यासुद्दीन महमूद शाह [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] की गद्दी पर बैठा था। | ||
*महमूद शाह केवल पाँच वर्ष ही शासन कर पाया था कि वह शेरशाह द्वारा | *महमूद शाह केवल पाँच वर्ष ही शासन कर पाया था कि वह शेरशाह द्वारा 1538 ई. में '[[सूरजगढ़ का युद्ध|सूरजगढ़ के युद्ध]]' में पराजित हुआ। | ||
*पराजय के फलस्वरूप शेरशाह ने ग़यासुद्दीन महमूद शाह को 13 लाख दीनार देने के लिए बाध्य किया। | *पराजय के फलस्वरूप शेरशाह ने ग़यासुद्दीन महमूद शाह को 13 लाख दीनार देने के लिए बाध्य किया। | ||
*अपने प्रारम्भिक अभियान में ही शेरशाह ने [[दिल्ली]], [[आगरा]], [[बंगाल]], [[बिहार]] तथा [[पंजाब]] पर अधिकार कर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। | *अपने प्रारम्भिक अभियान में ही शेरशाह ने [[दिल्ली]], [[आगरा]], [[बंगाल]], [[बिहार]] तथा [[पंजाब]] पर अधिकार कर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। |
12:00, 6 मई 2013 का अवतरण
ग़यासुद्दीन महमूद शाह 'हुसैनशाही वंश' का अंतिम सुल्तान था। इस वंश ने 1493 से 1538 ई. तक शासन किया। ग़यासुद्दीन महमूद शाह सूर वंश के शेरशाह द्वारा पराजित हुआ था।
- 1533 ई. में ग़यासुद्दीन महमूद शाह बंगाल की गद्दी पर बैठा था।
- महमूद शाह केवल पाँच वर्ष ही शासन कर पाया था कि वह शेरशाह द्वारा 1538 ई. में 'सूरजगढ़ के युद्ध' में पराजित हुआ।
- पराजय के फलस्वरूप शेरशाह ने ग़यासुद्दीन महमूद शाह को 13 लाख दीनार देने के लिए बाध्य किया।
- अपने प्रारम्भिक अभियान में ही शेरशाह ने दिल्ली, आगरा, बंगाल, बिहार तथा पंजाब पर अधिकार कर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी।
- 'सूरजगढ़ के युद्ध' में ग़यासुद्दीन महमूद शाह को हराने के बाद ही शेरशाह ने 1539 ई. में 'चौसा के युद्ध' में हुमायूँ को पराजित किया था।
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