"कणाद रहस्यवृत्ति": अवतरणों में अंतर
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*किन्तु यह अभी तक अमुद्रित है।<ref>कणादरहस्याख्यावृत्ति की पाण्डुलिपि तंजाउर पुस्तकालय में उपलब्ध है।</ref> | *किन्तु यह अभी तक अमुद्रित है।<ref>कणादरहस्याख्यावृत्ति की पाण्डुलिपि तंजाउर पुस्तकालय में उपलब्ध है।</ref> | ||
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14:56, 15 जून 2010 का अवतरण
पद्मनाभ रचित कणाद रहस्यवृत्ति
- बलभद्र और विजयश्री के पुत्र, न्यायबोधिनीकार गोवर्धन मिश्र के ज्येष्ठ भ्राता, पद्मनाभ मिश्र (1600 ई.) द्वारा इस वृत्ति की रचना की गई।
- किन्तु यह अभी तक अमुद्रित है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कणादरहस्याख्यावृत्ति की पाण्डुलिपि तंजाउर पुस्तकालय में उपलब्ध है।
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