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*[[मगध]] | *नंद वंश [[मगध]], [[बिहार]] का लगभग 343 - 321 ई॰पू॰ के बीच का शासक वंश था, जिसका आरंभ महापद्मनंद से हुआ था। | ||
*इस वंश के शासकों की राज्य-सीमा [[व्यास नदी]] तक फैली थी। उनकी सैनिक शक्ति के भय से ही [[सिकंदर]] के सैनिकों ने व्यास नदी से आगे बढ़ना अस्वीकार कर दिया था। किंतु इस वंश का अंतिम शासक [[घनानंद सम्राट|घनानंद]] बहुत दुर्बल और अत्याचारी था। [[चाणक्य|कौटिल्य]] की सहायता से [[चंद्रगुप्त मौर्य]] ने 322 ई॰ पूर्व में नंदवंश को समाप्त करके [[मौर्य वंश]] की नींव डाली। | *नंद शासक [[मौर्य वंश]] के पूर्ववर्ती राजा थे। मौर्य वंश से पहले के वंशों के विषय में जानकारी उपलब्ध नहीं है और जो है वो तथ्य और किंवदंतियों का मिश्रण है। | ||
*इस वंश में कुल नौ शासक हुए - [[महापद्मनंद]] और बारी-बारी से राज्य करने वाले उसके आठ पुत्र। इन दो पीढ़ियों ने 40 वर्ष तक राज्य किया। इन शासकों को शूद्र माना जाता है। | *स्थानीय और जैन परम्परावादियों से पता चलता है कि इस वंश के संस्थापक '''महापद्म''', जिन्हें महापद्मपति या उग्रसेन भी कहा जाता है, समाज के निम्न वर्ग के थे। | ||
*यूनानी लेखकों ने भी इस की पुष्टि की है। | |||
*महापद्म ने अपने पूर्ववर्ती शिशुनाग राजाओं से मगध की बाग़डोर और सुव्यवस्थित विस्तार की नीति भी जानी। उनके साहस पूर्ण प्रारम्भिक कार्य ने उन्हें निर्मम विजयों के माध्यम से साम्राज्य को संगठित करने की शक्ति दी। | |||
*[[पुराण|पुराणों]] में उन्हें सभी क्षत्रियों का संहारक बतलाया गया है। उन्होंने उत्तरी, पूर्वी और मध्य [[भारत]] स्थित [[इक्ष्वाकु]], [[पांचाल]], [[काशी]], हैहय, [[कलिंग]], [[अश्मक]], [[कौरव]], [[मैथिल]], [[शूरसेन]] और वितिहोत्र जैसे शासकों को हराया। इसका उल्लेख स्वतंत्र अभिलेखों में भी प्राप्त होता है, जो नन्द वंश के द्वारा गोदावरी घाटी- [[आंध्र प्रदेश]], कलिंग- [[उड़ीसा]] तथा [[कर्नाटक]] के कुछ भाग पर कब्ज़ा करने की ओर संकेत करते हैं। | |||
*इस वंश के शासकों की राज्य-सीमा [[व्यास नदी]] तक फैली थी। उनकी सैनिक शक्ति के भय से ही [[सिकंदर]] के सैनिकों ने व्यास नदी से आगे बढ़ना अस्वीकार कर दिया था। | |||
*किंतु इस वंश का अंतिम शासक [[घनानंद सम्राट|घनानंद]] बहुत दुर्बल और अत्याचारी था। | |||
*[[चाणक्य|कौटिल्य]] की सहायता से [[चंद्रगुप्त मौर्य]] ने 322 ई॰ पूर्व में नंदवंश को समाप्त करके [[मौर्य वंश]] की नींव डाली। | |||
*इस वंश में कुल नौ शासक हुए - [[महापद्मनंद]] और बारी-बारी से राज्य करने वाले उसके आठ पुत्र। | |||
*इन दो पीढ़ियों ने 40 वर्ष तक राज्य किया। | |||
*इन शासकों को शूद्र माना जाता है। | |||
11:01, 18 जुलाई 2010 का अवतरण
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- नंद वंश मगध, बिहार का लगभग 343 - 321 ई॰पू॰ के बीच का शासक वंश था, जिसका आरंभ महापद्मनंद से हुआ था।
- नंद शासक मौर्य वंश के पूर्ववर्ती राजा थे। मौर्य वंश से पहले के वंशों के विषय में जानकारी उपलब्ध नहीं है और जो है वो तथ्य और किंवदंतियों का मिश्रण है।
- स्थानीय और जैन परम्परावादियों से पता चलता है कि इस वंश के संस्थापक महापद्म, जिन्हें महापद्मपति या उग्रसेन भी कहा जाता है, समाज के निम्न वर्ग के थे।
- यूनानी लेखकों ने भी इस की पुष्टि की है।
- महापद्म ने अपने पूर्ववर्ती शिशुनाग राजाओं से मगध की बाग़डोर और सुव्यवस्थित विस्तार की नीति भी जानी। उनके साहस पूर्ण प्रारम्भिक कार्य ने उन्हें निर्मम विजयों के माध्यम से साम्राज्य को संगठित करने की शक्ति दी।
- पुराणों में उन्हें सभी क्षत्रियों का संहारक बतलाया गया है। उन्होंने उत्तरी, पूर्वी और मध्य भारत स्थित इक्ष्वाकु, पांचाल, काशी, हैहय, कलिंग, अश्मक, कौरव, मैथिल, शूरसेन और वितिहोत्र जैसे शासकों को हराया। इसका उल्लेख स्वतंत्र अभिलेखों में भी प्राप्त होता है, जो नन्द वंश के द्वारा गोदावरी घाटी- आंध्र प्रदेश, कलिंग- उड़ीसा तथा कर्नाटक के कुछ भाग पर कब्ज़ा करने की ओर संकेत करते हैं।
- इस वंश के शासकों की राज्य-सीमा व्यास नदी तक फैली थी। उनकी सैनिक शक्ति के भय से ही सिकंदर के सैनिकों ने व्यास नदी से आगे बढ़ना अस्वीकार कर दिया था।
- किंतु इस वंश का अंतिम शासक घनानंद बहुत दुर्बल और अत्याचारी था।
- कौटिल्य की सहायता से चंद्रगुप्त मौर्य ने 322 ई॰ पूर्व में नंदवंश को समाप्त करके मौर्य वंश की नींव डाली।
- इस वंश में कुल नौ शासक हुए - महापद्मनंद और बारी-बारी से राज्य करने वाले उसके आठ पुत्र।
- इन दो पीढ़ियों ने 40 वर्ष तक राज्य किया।
- इन शासकों को शूद्र माना जाता है।