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इस नगर के आसपास का क्षेत्र गंगा, यमुना के मैदान की शुरुआत को दर्शाता है। भिंड [[यमुना नदी|यमुना]]-[[चंबल नदी|चंबल]] की उत्खात भूमि में यमुना की सहायत चंबल, कुंवारी और सिंध नदियों के किनारे कई गहरे खड्डों वाला अर्द्ध उर्वर मैदानी क्षेत्र है।
इस नगर के आसपास का क्षेत्र गंगा, यमुना के मैदान की शुरुआत को दर्शाता है। भिंड [[यमुना नदी|यमुना]]-[[चंबल नदी|चंबल]] की उत्खात भूमि में यमुना की सहायत चंबल, कुंवारी और सिंध नदियों के किनारे कई गहरे खड्डों वाला अर्द्ध उर्वर मैदानी क्षेत्र है।
====इतिहास====
====इतिहास====
भिंडी ऋषि के नाम पर इस ज़िले का नाम 'भिंड' पड़ा था। [[नवम्बर]], [[1956]] ई. में इस ज़िले को [[मध्य प्रदेश]] में शामिल किया गया। प्रारंभ में यह चार तहसीलों में विभक्त था, जबकि वर्तमान में यह ज़िला सात तहसीलों में बंटा हुआ है। भिंड का इतिहास भी काफ़ी बड़ा है। [[शुंग वंश|शुंग]], [[मौर्य राजवंश|मौर्य]], [[नंद वंश|नंद]], [[कुषाण वंश|कुषाण]], [[गुप्त राजवंश|गुप्त]], [[हूण]], [[गुर्जर प्रतिहार वंश|गुर्जर]], प्रतिहार, [[कछवाहा वंश|कछवाहा]], [[सूर वंश|सूर]], [[मुग़ल वंश|मुग़ल]] आदि शासकों का यहाँ काफ़ी समय तक शासन रहा।<ref name="aa">{{cite web |url= http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=415 |title= भिंड|accessmonthday= 01 जुलाई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= हिन्दी}}</ref> 18वीं [[शताब्दी]] में सिंधिया शासकों द्वारा अधिकार में किए जाने से पहले भिंड भदौरिया चौहान राजपूतों का क्षेत्र था। इस शहर में 'गौरीताल' नामक [[झील]] पर एक पुराना दुर्ग स्थित है, जिसमें [[शिव|भगवान शिव]] को समर्पित 'वाणखंडेश्वर' (वेंकटेश्वर) मंदिर है। यह नगर [[1948]] से ज़िले का मुख्यालय है। यहां [[1902]] में नगरपालिका का गठन किया गया था।<ref name="bb">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-4|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=225|url=}}</ref>
भिंडी ऋषि के नाम पर इस ज़िले का नाम 'भिंड' पड़ा था। [[नवम्बर]], [[1956]] ई. में इस ज़िले को [[मध्य प्रदेश]] में शामिल किया गया। प्रारंभ में यह चार तहसीलों में विभक्त था, जबकि वर्तमान में यह ज़िला सात तहसीलों में बंटा हुआ है। भिंड का इतिहास भी काफ़ी बड़ा है। [[शुंग वंश|शुंग]], [[मौर्य राजवंश|मौर्य]], [[नंद वंश|नंद]], [[कुषाण वंश|कुषाण]], [[गुप्त राजवंश|गुप्त]], [[हूण]], [[गुर्जर प्रतिहार वंश|गुर्जर]], प्रतिहार, [[कछवाहा वंश|कछवाहा]], [[सूर वंश|सूर]], [[मुग़ल वंश|मुग़ल]] आदि शासकों का यहाँ काफ़ी समय तक शासन रहा।<ref name="aa">{{cite web |url= http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=415 |title= भिंड|accessmonthday= 01 जुलाई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= हिन्दी}}</ref> 18वीं [[शताब्दी]] में सिंधिया शासकों द्वारा अधिकार में किए जाने से पहले भिंड भदौरिया चौहान राजपूतों का क्षेत्र था। इस शहर में 'गौरीताल' नामक [[झील]] पर एक पुराना दुर्ग स्थित है, जिसमें [[शिव|भगवान शिव]] को समर्पित 'वनखंडेश्वर' (वेंकटेश्वर) मंदिर है। यह नगर [[1948]] से ज़िले का मुख्यालय है। यहां [[1902]] में नगरपालिका का गठन किया गया था।<ref name="bb">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-4|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=225|url=}}</ref>
==पर्यटन स्थल==
भिंड एक पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहाँ के मंदिर और घाटियाँ पर्यटकों को खासे आकर्षित करते हैं, जिन्हें देखने की लालसा उन्हें बार-बार यहाँ आकर्षित करती है। यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल हैं-
#[[अटेर का क़िला]]
#[[गोहड़ का क़िला]]
#[[वनखंडेश्वर मंदिर]]
#[[जैन मंदिर, भिंड|जैन मंदिर]]
#[[माता रेणुका मंदिर, भिंड|माता रेणुका मंदिर]]
==कृषि तथा उद्योग==
==कृषि तथा उद्योग==
यहाँ दलहन. [[गेहूं]], [[कपास]] और [[ज्वार]]-[[बाजरा]] आपपास के क्षेत्रों में उगने वाली प्रमुख फ़सलें हैं। भिंड एक कृषि विपणन केंद्र है; कपास ओटने तथा प्रसंस्करण और [[पीतल]] के सामान बनाने के उद्योग यहां प्रमुख रूप से विकसित हैं। अन्य उद्योगों में [[दाल]] और तेल मिल, ज्वार, गेहूं, बाजरा, [[तिल]] और दलहन की मंडियां शामिल हैं। वस्त्रों की बुनाई, चर्मोद्योग, लुहारगिरी और बढ़ईगिरी भी की जाती है।  
यहाँ दलहन. [[गेहूं]], [[कपास]] और [[ज्वार]]-[[बाजरा]] आपपास के क्षेत्रों में उगने वाली प्रमुख फ़सलें हैं। भिंड एक कृषि विपणन केंद्र है; कपास ओटने तथा प्रसंस्करण और [[पीतल]] के सामान बनाने के उद्योग यहां प्रमुख रूप से विकसित हैं। अन्य उद्योगों में [[दाल]] और तेल मिल, ज्वार, गेहूं, बाजरा, [[तिल]] और दलहन की मंडियां शामिल हैं। वस्त्रों की बुनाई, चर्मोद्योग, लुहारगिरी और बढ़ईगिरी भी की जाती है।  

10:46, 1 जुलाई 2014 का अवतरण

भिंड मध्य प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर और ज़िला, जो अपनी तंग घाटियों, उपजाऊ भूमि तथा घने जंगलों के लिए जाना जाता है। यह ज़िला कुंवारी और पाहुज नदी के मध्य बसा है। भिंड के आसपास का क्षेत्र गंगा, यमुना के मैदान की शुरुआत को दर्शाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह नगर काफ़ी महत्त्वपूर्ण रहा। यहाँ कई पर्यटन स्थल भी हैं। यहाँ के मंदिर और घाटियाँ पर्यटकों को विशेष तौर पर आकर्षित करते हैं, जिन्हें देखने की लालसा में उनका यहां निरंतर आवागमन होता रहता है।

भौगोलिक तथ्य

इस नगर के आसपास का क्षेत्र गंगा, यमुना के मैदान की शुरुआत को दर्शाता है। भिंड यमुना-चंबल की उत्खात भूमि में यमुना की सहायत चंबल, कुंवारी और सिंध नदियों के किनारे कई गहरे खड्डों वाला अर्द्ध उर्वर मैदानी क्षेत्र है।

इतिहास

भिंडी ऋषि के नाम पर इस ज़िले का नाम 'भिंड' पड़ा था। नवम्बर, 1956 ई. में इस ज़िले को मध्य प्रदेश में शामिल किया गया। प्रारंभ में यह चार तहसीलों में विभक्त था, जबकि वर्तमान में यह ज़िला सात तहसीलों में बंटा हुआ है। भिंड का इतिहास भी काफ़ी बड़ा है। शुंग, मौर्य, नंद, कुषाण, गुप्त, हूण, गुर्जर, प्रतिहार, कछवाहा, सूर, मुग़ल आदि शासकों का यहाँ काफ़ी समय तक शासन रहा।[1] 18वीं शताब्दी में सिंधिया शासकों द्वारा अधिकार में किए जाने से पहले भिंड भदौरिया चौहान राजपूतों का क्षेत्र था। इस शहर में 'गौरीताल' नामक झील पर एक पुराना दुर्ग स्थित है, जिसमें भगवान शिव को समर्पित 'वनखंडेश्वर' (वेंकटेश्वर) मंदिर है। यह नगर 1948 से ज़िले का मुख्यालय है। यहां 1902 में नगरपालिका का गठन किया गया था।[2]

पर्यटन स्थल

भिंड एक पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहाँ के मंदिर और घाटियाँ पर्यटकों को खासे आकर्षित करते हैं, जिन्हें देखने की लालसा उन्हें बार-बार यहाँ आकर्षित करती है। यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल हैं-

  1. अटेर का क़िला
  2. गोहड़ का क़िला
  3. वनखंडेश्वर मंदिर
  4. जैन मंदिर
  5. माता रेणुका मंदिर

कृषि तथा उद्योग

यहाँ दलहन. गेहूं, कपास और ज्वार-बाजरा आपपास के क्षेत्रों में उगने वाली प्रमुख फ़सलें हैं। भिंड एक कृषि विपणन केंद्र है; कपास ओटने तथा प्रसंस्करण और पीतल के सामान बनाने के उद्योग यहां प्रमुख रूप से विकसित हैं। अन्य उद्योगों में दाल और तेल मिल, ज्वार, गेहूं, बाजरा, तिल और दलहन की मंडियां शामिल हैं। वस्त्रों की बुनाई, चर्मोद्योग, लुहारगिरी और बढ़ईगिरी भी की जाती है।

शिक्षण संस्थाएँ

भिंड में 'जीवाजी विश्वविद्यालय' से संबद्ध कई महाविद्यालय हैं। इनमें 'आदिनाथ जैन महाविद्यालय' और 'कुसुमबाई कन्या महाविद्यालय' शामिल हैं।

जनसंख्या

वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार यहाँ की शहरी जनसंख्या 1,53,768 तथा ज़िले की कुल जनसंख्या14,26,951 थी।[2]

कैसे पहुँचें

  1. वायु मार्ग - ग्वालियर भिंड ज़िले का नजदीकी हवाईअड्डा है, जो देश और राज्य के अनेक बड़े शहरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
  2. रेल मार्ग - भिंड रेलवे स्टेशन उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अनेक शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
  3. सड़क मार्ग - भिंड के बसअड्डे के लिए पड़ोसी राज्यों और शहरों से राज्य परिवहन निगम की नियमित बसें चलती रहती हैं।

कहाँ ठहरें

भिंड में ठहरने के लिए होटलों की उचित व्यवस्था नहीं है। इसके पड़ोसी ज़िले ग्वालियर में ठहरने के लिए उत्तम व्यवस्था है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 भिंड (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 01 जुलाई, 2014।
  2. 2.0 2.1 भारत ज्ञानकोश, खण्ड-4 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 225 |

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