"भरोसो जाहि दूसरो सो करो -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
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मोको तो रामको नाम कलपतरु, कलिकल्यान फरो॥1॥ | मोको तो रामको नाम कलपतरु, कलिकल्यान फरो॥1॥ | ||
करम उपासन ग्यान बेदमत सो जब भाँति खरो। | करम उपासन ग्यान बेदमत सो जब भाँति खरो। | ||
मोहिं तो सावनके अंधहि ज्यों, सूझत हरो- | मोहिं तो सावनके अंधहि ज्यों, सूझत हरो-हरो॥2॥ | ||
चाटत रहेउँ स्वान पातरि ज्यों कबहुँ न पेट भरो। | चाटत रहेउँ स्वान पातरि ज्यों कबहुँ न पेट भरो। | ||
सो हौं सुमिरत नाम-सुधारस, पेखत परुसि धरो॥३॥ | सो हौं सुमिरत नाम-सुधारस, पेखत परुसि धरो॥३॥ |
10:03, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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भरोसो जाहि दूसरो सो करो। |
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