"ममता तू न गई मेरे मन तें -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
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तन थाके कर कंपन लागे, ज्योति गई नैननतें॥1॥ | तन थाके कर कंपन लागे, ज्योति गई नैननतें॥1॥ | ||
सरवन बचन न सुनत काहुके बल गये सब इंद्रिनतें। | सरवन बचन न सुनत काहुके बल गये सब इंद्रिनतें। | ||
टूटे दसन बचन नहिं आवत सोभा गई | टूटे दसन बचन नहिं आवत सोभा गई मुखनतें॥2॥ | ||
कफ पित बात कंठपर बैठे सुतहिं बुलावत करतें। | कफ पित बात कंठपर बैठे सुतहिं बुलावत करतें। | ||
भाइ-बंधु सब परम पियारे नारि निकारत घरतें॥३॥ | भाइ-बंधु सब परम पियारे नारि निकारत घरतें॥३॥ |
10:03, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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ममता तू न गई मेरे मन तें॥ |
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