"रामलला नहछू -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
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बिहँसत आउ लोहारिनि हाथ बरायन हो।। | बिहँसत आउ लोहारिनि हाथ बरायन हो।। | ||
अहिरिनि हाथ दहेड़ि सगुन लेइ आवइ हो। | अहिरिनि हाथ दहेड़ि सगुन लेइ आवइ हो। | ||
उनरत जोबनु देखि नृपति मन भावइ हो | उनरत जोबनु देखि नृपति मन भावइ हो ।।5।। | ||
रूपसलोनि तँबोलिनि बीरा हाथहि हो। | रूपसलोनि तँबोलिनि बीरा हाथहि हो। | ||
पंक्ति 104: | पंक्ति 104: | ||
पदुम-पराग-मनिमानहुँ कोमल गातहि हो।। | पदुम-पराग-मनिमानहुँ कोमल गातहि हो।। | ||
जावक रचि क अँगुरियन्ह मृदुल सुठारी हो। | जावक रचि क अँगुरियन्ह मृदुल सुठारी हो। | ||
प्रभू कर चरन पछालि तौ अनि सुकुमारी हो | प्रभू कर चरन पछालि तौ अनि सुकुमारी हो ।।15।। | ||
भइ निवछावरि बहु बिधि जो जस लायक़ हो । | भइ निवछावरि बहु बिधि जो जस लायक़ हो । |
11:20, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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आदि सारदा गनपति गौरि मनाइय हो। |
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