"लाज न आवत दास कहावत -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
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तहूँ गये मद मोह लोभ अति, सरगहुँ मिटत न सावत॥4॥ | तहूँ गये मद मोह लोभ अति, सरगहुँ मिटत न सावत॥4॥ | ||
भव-सरिता कहँ नाउ संत यह कहि औरनि समुझावत। | भव-सरिता कहँ नाउ संत यह कहि औरनि समुझावत। | ||
हौं तिनसों हरि परम बैर करि तुमसों भलो | हौं तिनसों हरि परम बैर करि तुमसों भलो मनावत॥5॥ | ||
नाहिन और ठौर मो कहॅं, तातें हठि नातो लावत। | नाहिन और ठौर मो कहॅं, तातें हठि नातो लावत। | ||
राखु सरन उदार-चूड़ामनि, तुलसिदास गुन गावत॥६॥ | राखु सरन उदार-चूड़ामनि, तुलसिदास गुन गावत॥६॥ |
11:21, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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लाज न आवत दास कहावत। |
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