"माधवजू मोसम मंद न कोऊ -तुलसीदास": अवतरणों में अंतर
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चाहत अभय भेक सरनागत, खग-पति नाथ बिसारी॥5॥ | चाहत अभय भेक सरनागत, खग-पति नाथ बिसारी॥5॥ | ||
जलचर-बृंद जाल-अंतरगत होत सिमिट एक पासा। | जलचर-बृंद जाल-अंतरगत होत सिमिट एक पासा। | ||
एकहि एक खात लालच-बस, नहिं देखत निज | एकहि एक खात लालच-बस, नहिं देखत निज नासा॥6॥ | ||
मेरे अघ सारद अनेक जुग गनत पार नहिं पावै। | मेरे अघ सारद अनेक जुग गनत पार नहिं पावै। | ||
तुलसीदास पतित-पावन प्रभु, यह भरोस जिय आवै॥७॥ | तुलसीदास पतित-पावन प्रभु, यह भरोस जिय आवै॥७॥ |
11:29, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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माधवजू मोसम मंद न कोऊ। |
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