"राष्ट्रीय प्रेस दिवस": अवतरणों में अंतर
(''''राष्ट्रीय प्रेस दिवस''' (अंग्रेज़ी: ''National Press Day'') प्रत्...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | |||
|चित्र=National-Press-Day.jpg | |||
|चित्र का नाम=राष्ट्रीय प्रेस दिवस | |||
|विवरण='राष्ट्रीय प्रेस दिवस' [[भारत]] में मनाये जाने वाले राष्ट्रीय दिवसों में से एक है। यह दिन एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की मौजूदगी का प्रतीक है। | |||
|शीर्षक 1=देश | |||
|पाठ 1=[[भारत]] | |||
|शीर्षक 2=तिथि | |||
|पाठ 2=[[16 नवम्बर]] | |||
|शीर्षक 3=शुरुआत | |||
|पाठ 3=[[16 नवम्बर]], [[1966]] | |||
|शीर्षक 4=उद्देश्य | |||
|पाठ 4='राष्ट्रीय प्रेस दिवस' पत्रकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से स्वयं को फिर से समर्पित करने का अवसर प्रदान करता है। | |||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |||
|शीर्षक 6= | |||
|पाठ 6= | |||
|शीर्षक 7= | |||
|पाठ 7= | |||
|शीर्षक 8= | |||
|पाठ 8= | |||
|शीर्षक 9= | |||
|पाठ 9= | |||
|शीर्षक 10= | |||
|पाठ 10= | |||
|संबंधित लेख=[[पत्रकारिता]], [[समाचार पत्र]], [[भारत में समाचार पत्रों का इतिहास]], [[वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट]]। | |||
|अन्य जानकारी=[[4 जुलाई]], [[1966]] को [[भारत]] में प्रेस परिषद की स्थापना की गई थी, जिसने [[16 नवम्बर]], [[1966]] से अपना विधिवत कार्य शुरू किया था। तभी से 16 नवम्बर को 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' के रूप में मनाया जाता है। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | |||
'''राष्ट्रीय प्रेस दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''National Press Day'') प्रत्येक [[वर्ष]] '[[16 नवम्बर]]' को मनाया जाता है। यह दिन [[भारत]] में एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की मौजूदगी का प्रतीक है। विश्व में आज लगभग 50 देशों में प्रेस परिषद या मीडिया परिषद है। भारत में प्रेस को 'वाचडॉग' एंव प्रेस परिषद इंडिया को 'मोरल वाचडॉग' कहा गया है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस, प्रेस की स्वतंत्रता एंव जिम्मेदारियों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करता है। | '''राष्ट्रीय प्रेस दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''National Press Day'') प्रत्येक [[वर्ष]] '[[16 नवम्बर]]' को मनाया जाता है। यह दिन [[भारत]] में एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की मौजूदगी का प्रतीक है। विश्व में आज लगभग 50 देशों में प्रेस परिषद या मीडिया परिषद है। भारत में प्रेस को 'वाचडॉग' एंव प्रेस परिषद इंडिया को 'मोरल वाचडॉग' कहा गया है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस, प्रेस की स्वतंत्रता एंव जिम्मेदारियों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करता है। | ||
==शुरुआत== | ==शुरुआत== | ||
प्रथम प्रेस आयोग ने [[भारत]] में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा एंव [[पत्रकारिता]] में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से एक प्रेस परिषद की कल्पना की थी। परिणाम स्वरूप [[4 जुलाई]], [[1966]] को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई, जिसने [[16 नवम्बर]], 1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू किया। तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष 16 नवम्बर को 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' के रूप में मनाया जाता है। | प्रथम प्रेस आयोग ने [[भारत]] में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा एंव [[पत्रकारिता]] में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से एक प्रेस परिषद की कल्पना की थी। परिणाम स्वरूप [[4 जुलाई]], [[1966]] को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई, जिसने [[16 नवम्बर]], 1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू किया। तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष 16 नवम्बर को 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' के रूप में मनाया जाता है। | ||
====उद्देश्य==== | ====उद्देश्य==== | ||
'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' पत्रकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से स्वयं को फिर से समर्पित करने का अवसर प्रदान करता है। | 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' पत्रकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से स्वयं को फिर से समर्पित करने का अवसर प्रदान करता है। | ||
==पत्रकारिता का क्षेत्र== | ==पत्रकारिता का क्षेत्र== | ||
वर्तमान समय में पत्रकारिता का क्षेत्र व्यापक हो गया है। पत्रकारिता जन-जन तक सूचनात्मक, शिक्षाप्रद एवं मनोरंजनात्मक संदेश पहुँचाने की कला एंव विधा है। [[समाचार पत्र]] एक ऐसी उत्तर पुस्तिका के समान है, जिसके लाखों परीक्षक एवं अनगिनत समीक्षक होते हैं। अन्य माध्यमों के भी परीक्षक एंव समीक्षक उनके लक्षित जनसमूह ही होते हैं। तथ्यपरकता, यथार्थवादिता, संतुलन एंव वस्तुनिष्ठता इसके आधारभूत तत्व है। परंतु इनकी कमियाँ आज पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत बड़ी त्रासदी साबित होने लगी हैं। पत्रकार चाहे प्रशिक्षित हो या गैर प्रशिक्षित, यह सबको पता है कि पत्रकारिता में तथ्यपरकता होनी चाहिए। परंतु तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर, बढ़ा-चढ़ा कर या घटाकर सनसनी बनाने की प्रवृति आज [[पत्रकारिता]] में बढ़ने लगी है।<ref name="aa">{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/hindi-literature-articles/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B8-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8-16-%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A4%B0-109111600070_1.htm|title= राष्ट्रीय प्रेस दिवस : 16 नवम्बर|accessmonthday= 05 नवम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= वेब दुनिया|language= हिन्दी}}</ref> | वर्तमान समय में पत्रकारिता का क्षेत्र व्यापक हो गया है। पत्रकारिता जन-जन तक सूचनात्मक, शिक्षाप्रद एवं मनोरंजनात्मक संदेश पहुँचाने की कला एंव विधा है। [[समाचार पत्र]] एक ऐसी उत्तर पुस्तिका के समान है, जिसके लाखों परीक्षक एवं अनगिनत समीक्षक होते हैं। अन्य माध्यमों के भी परीक्षक एंव समीक्षक उनके लक्षित जनसमूह ही होते हैं। तथ्यपरकता, यथार्थवादिता, संतुलन एंव वस्तुनिष्ठता इसके आधारभूत तत्व है। परंतु इनकी कमियाँ आज पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत बड़ी त्रासदी साबित होने लगी हैं। पत्रकार चाहे प्रशिक्षित हो या गैर प्रशिक्षित, यह सबको पता है कि पत्रकारिता में तथ्यपरकता होनी चाहिए। परंतु तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर, बढ़ा-चढ़ा कर या घटाकर सनसनी बनाने की प्रवृति आज [[पत्रकारिता]] में बढ़ने लगी है।<ref name="aa">{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/hindi-literature-articles/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B8-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8-16-%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A4%B0-109111600070_1.htm|title= राष्ट्रीय प्रेस दिवस : 16 नवम्बर|accessmonthday= 05 नवम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= वेब दुनिया|language= हिन्दी}}</ref> |
06:04, 5 नवम्बर 2014 का अवतरण
राष्ट्रीय प्रेस दिवस
| |
विवरण | 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' भारत में मनाये जाने वाले राष्ट्रीय दिवसों में से एक है। यह दिन एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की मौजूदगी का प्रतीक है। |
देश | भारत |
तिथि | 16 नवम्बर |
शुरुआत | 16 नवम्बर, 1966 |
उद्देश्य | 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' पत्रकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से स्वयं को फिर से समर्पित करने का अवसर प्रदान करता है। |
संबंधित लेख | पत्रकारिता, समाचार पत्र, भारत में समाचार पत्रों का इतिहास, वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट। |
अन्य जानकारी | 4 जुलाई, 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई थी, जिसने 16 नवम्बर, 1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू किया था। तभी से 16 नवम्बर को 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' के रूप में मनाया जाता है। |
राष्ट्रीय प्रेस दिवस (अंग्रेज़ी: National Press Day) प्रत्येक वर्ष '16 नवम्बर' को मनाया जाता है। यह दिन भारत में एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की मौजूदगी का प्रतीक है। विश्व में आज लगभग 50 देशों में प्रेस परिषद या मीडिया परिषद है। भारत में प्रेस को 'वाचडॉग' एंव प्रेस परिषद इंडिया को 'मोरल वाचडॉग' कहा गया है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस, प्रेस की स्वतंत्रता एंव जिम्मेदारियों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करता है।
शुरुआत
प्रथम प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा एंव पत्रकारिता में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से एक प्रेस परिषद की कल्पना की थी। परिणाम स्वरूप 4 जुलाई, 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई, जिसने 16 नवम्बर, 1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू किया। तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष 16 नवम्बर को 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
उद्देश्य
'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' पत्रकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से स्वयं को फिर से समर्पित करने का अवसर प्रदान करता है।
पत्रकारिता का क्षेत्र
वर्तमान समय में पत्रकारिता का क्षेत्र व्यापक हो गया है। पत्रकारिता जन-जन तक सूचनात्मक, शिक्षाप्रद एवं मनोरंजनात्मक संदेश पहुँचाने की कला एंव विधा है। समाचार पत्र एक ऐसी उत्तर पुस्तिका के समान है, जिसके लाखों परीक्षक एवं अनगिनत समीक्षक होते हैं। अन्य माध्यमों के भी परीक्षक एंव समीक्षक उनके लक्षित जनसमूह ही होते हैं। तथ्यपरकता, यथार्थवादिता, संतुलन एंव वस्तुनिष्ठता इसके आधारभूत तत्व है। परंतु इनकी कमियाँ आज पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत बड़ी त्रासदी साबित होने लगी हैं। पत्रकार चाहे प्रशिक्षित हो या गैर प्रशिक्षित, यह सबको पता है कि पत्रकारिता में तथ्यपरकता होनी चाहिए। परंतु तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर, बढ़ा-चढ़ा कर या घटाकर सनसनी बनाने की प्रवृति आज पत्रकारिता में बढ़ने लगी है।[1]
खबरों में निहित स्वार्थ
खबरों में पक्षधरता एवं अंसतुलन भी प्रायः देखने को मिलता है। इस प्रकार खबरों में निहित स्वार्थ साफ झलकने लग जाता है। आज समाचारों में विचार को मिश्रित किया जा रहा है। समाचारों का संपादकीयकरण होने लगा है। विचारों पर आधारित समाचारों की संख्या बढ़ने लगी है। इससे पत्रकारिता में एक अस्वास्थ्यकर प्रवृति विकसित होने लगी है। समाचार विचारों की जननी होती है। इसलिए समाचारों पर आधारित विचार तो स्वागत योग्य हो सकते हैं, परंतु विचारों पर आधारित समाचार अभिशाप की तरह है।
मीडिया तथा समाज
पत्रकारिता आज़ादी से पहले एक मिशन थी। आज़ादी के बाद यह एक प्रोडक्शन बन गई। बीच में आपात काल के दौरान जब प्रेस पर सेंसर लगा था, तब पत्रकारिता एक बार फिर थोड़े समय के लिए भ्रष्टाचार मिटाओं अभियान को लेकर मिशन बन गई थी। धीरे-धीरे पत्रकारिता प्रोडक्शन से सेन्सेशन एवं सेन्सेशन से कमीशन बन गई है। परंतु इन तमाम सामाजिक बुराइयों के लिए सिर्फ मीडिया को दोषी ठहराना उचित नहीं है। जब गाड़ी का एक पुर्जा टूटता है तो दूसरा पुर्जा भी टूट जाता है और धीरे-धीरे पूरी गाड़ी बेकार हो जाती है। समाज में कुछ ऐसी ही स्थिति लागू हो रही है। समाज में हमेशा बदलाव आता रहता है। विकल्प उत्पन्न होते रहते हैं। ऐसी अवस्था में समाज असमंजस की स्थिति में आ जाता है। इस स्थिति में मीडिया समाज को नई दिशा देता है। मीडिया समाज को प्रभावित करता है, लेकिन कभी-कभी येन-केन प्रकारेण मीडिया समाज से प्रभावित होने लगता है।[1]
मीडिया 'समाज का दर्पण एवं दीपक'
मीडिया को 'समाज का दर्पण एवं दीपक' दोनों माना जाता है। इनमें जो समाचार मीडिया है, चाहे वे समाचार पत्र हों या समाचार चैनल, उन्हें मूलतः समाज का दर्पण माना जाता है। दर्पण का काम है समतल दर्पण की तरह काम करना, ताकि वह समाज की हू-ब-हू तस्वीर समाज के सामने पेश कर सकें। परंतु कभी-कभी निहित स्वार्थों के कारण ये समाचार मीडिया समतल दर्पण की जगह उत्तल या अवतल दर्पण की तरह काम करने लग जाते हैं। इससे समाज की उल्टी, अवास्तविक, काल्पनिक एवं विकृत तस्वीर भी सामने आ जाती है। तात्पर्य यह है कि खोजी पत्रकारिता के नाम पर आज पीली व नीली पत्रकारिता हमारे कुछ पत्रकारों के गुलाबी जीवन का अभिन्न अंग बनती जा रही है। भारतीय प्रेस परिषद ने अपनी रिपोर्ट में कहा भी है कि "भारत में प्रेस ने ज्यादा गलतियाँ की है एंव अधिकारियों की तुलना में प्रेस के ख़िलाफ़ अधिक शिकायतें दर्ज हैं।"
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 राष्ट्रीय प्रेस दिवस : 16 नवम्बर (हिन्दी) वेब दुनिया। अभिगमन तिथि: 05 नवम्बर, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख