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*इन सभी राजाओं ने कुल एक सौ अड़तीस वर्षों तक राज्य किया।<ref>[[विष्णुपुराण]] 4.22.24</ref> इस वंश का राज्यकाल संभवतः 745 ई. पू. से 690 ई. पू. के बीच माना जाता है। उक्त राजाओं के नाम सभी पुराणों में एक से मिलते हैं। जनक तथा नंदवर्धन राजाओं के नामांतर केवल वायुपुराण में प्राप्त है।
*इन सभी राजाओं ने कुल एक सौ अड़तीस वर्षों तक राज्य किया।<ref>[[विष्णुपुराण]] 4.22.24</ref> इस वंश का राज्यकाल संभवतः 745 ई. पू. से 690 ई. पू. के बीच माना जाता है। उक्त राजाओं के नाम सभी पुराणों में एक से मिलते हैं। जनक तथा नंदवर्धन राजाओं के नामांतर केवल वायुपुराण में प्राप्त है।
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*पालक एक अत्याचारी शासक था। प्रजा ने उसके विरुद्ध सफल विद्रोह कर उसे गद्दी से हटाकर आर्यक को वहाँ का राजा बनाया।
*पालक एक अत्याचारी शासक था। प्रजा ने उसके विरुद्ध सफल विद्रोह कर उसे गद्दी से हटाकर आर्यक को वहाँ का राजा बनाया।



07:46, 23 जून 2017 के समय का अवतरण

पालक प्रद्योत भारतीय इतिहास में 'प्रद्योत राजवंश' के संस्थापक राजा प्रद्योत का पुत्र था। संभवतः अपने अग्रज गोपाल को हटाकर वह उज्जयिनी के राजसिंहासन पर बैठा था।

  • पालक को मगध नरेश उदयन ने कई बार पराजित किया, किंतु अंततः पालक की उदयन की हत्या करने की योजना फलीभूत हो गई।
  • प्रद्योत राजवंश में कुल पाँच राजा हुए, जिनके नाम क्रम से इस प्रकार हैं-
  1. प्रद्योत
  2. पालक
  3. विशाखयूप
  4. जनक (अजक)
  5. नंदवर्धन (नंदिवर्धन अथवा वर्तिवर्धन)
  • इन सभी राजाओं ने कुल एक सौ अड़तीस वर्षों तक राज्य किया।[1] इस वंश का राज्यकाल संभवतः 745 ई. पू. से 690 ई. पू. के बीच माना जाता है। उक्त राजाओं के नाम सभी पुराणों में एक से मिलते हैं। जनक तथा नंदवर्धन राजाओं के नामांतर केवल वायुपुराण में प्राप्त है।
  • चण्ड प्रद्योत के पश्चात् उसका पुत्र पालक संभवतः अपने अग्रज गोपाल को हटाकर उज्जयिनी के राजसिंहासन पर बैठा था।[2]
  • पालक एक अत्याचारी शासक था। प्रजा ने उसके विरुद्ध सफल विद्रोह कर उसे गद्दी से हटाकर आर्यक को वहाँ का राजा बनाया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विष्णुपुराण 4.22.24
  2. प्रद्योत (हिन्दी) ट्रांसलिटरल फाउंडेशन। अभिगमन तिथि: 18 जून, 2015।

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