"एस. एच. कपाड़िया": अवतरणों में अंतर
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'''सरोश होमी कपाड़िया''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''S. H. Kapadia'', जन्म- [[29 सितम्बर]], [[1947]], [[मुम्बई]]; मृत्यु- [[4 जनवरी]], [[2016]]) [[भारत]] के 38वें मुख्य न्यायाधीश थे। एस. एच. कपाड़िया [[12 मई]], [[2010]] में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए थे तथा [[28 सितंबर]], [[2012]] में इस पद से सेवानिवृत्त हुए। एक न्यायाधीश के अतिरिक्त एस. एच. कपाड़िया अर्थशास्त्र, लोक वित्त, सैद्धांतिक भौतिकी के भी गहरे जानकार थे। [[हिन्दू]] और [[बौद्ध दर्शन|बौद्ध दर्शनों]] का भी उन्होंने गहन अध्ययन किया था। | '''सरोश होमी कपाड़िया''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''S. H. Kapadia'', जन्म- [[29 सितम्बर]], [[1947]], [[मुम्बई]]; मृत्यु- [[4 जनवरी]], [[2016]]) [[भारत]] के 38वें [[भारत के मुख्य न्यायाधीश|मुख्य न्यायाधीश]] थे। एस. एच. कपाड़िया [[12 मई]], [[2010]] में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए थे तथा [[28 सितंबर]], [[2012]] में इस पद से सेवानिवृत्त हुए। एक न्यायाधीश के अतिरिक्त एस. एच. कपाड़िया अर्थशास्त्र, लोक वित्त, सैद्धांतिक भौतिकी के भी गहरे जानकार थे। [[हिन्दू]] और [[बौद्ध दर्शन|बौद्ध दर्शनों]] का भी उन्होंने गहन अध्ययन किया था। | ||
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एस. एच. कपाड़िया का जन्म 29 सितम्बर, 1947 को [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]] में हुआ था। [[पारसी|पारसी समुदाय]] से सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले वे प्रथम व्यक्ति थे। 2 जी, वोडाफोन, सहारा और सल्वा जुडूम जैसे कई महत्वपूर्ण फैसलों के लिए न्यायाधीश एस. एच. कपाड़िया जाने जाते थे। एस. एच. कपाड़िया के क़ानूनी सफर की शुरुआत एक लॉ फर्म में काम करने के साथ से हुई थी। उनका जीवन जीने का तरीका काफ़ी सादा था। [[मुम्बई उच्च न्यायालय]] के शुरुआती दिनों में वे नाश्ते में सिर्फ [[चना|चने]] खाते थे। सेवानिवृत्ति के बाद भी [[2012]] में एस. एच. कपाड़िया ने किसी कमेटी में कोई पद नहीं लिया, वे बस अपने ऑफिस से ही काम करते रहे। | एस. एच. कपाड़िया का जन्म 29 सितम्बर, 1947 को [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]] में हुआ था। [[पारसी|पारसी समुदाय]] से [[सर्वोच्च न्यायालय]] के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले वे प्रथम व्यक्ति थे। 2 जी, वोडाफोन, सहारा और सल्वा जुडूम जैसे कई महत्वपूर्ण फैसलों के लिए न्यायाधीश एस. एच. कपाड़िया जाने जाते थे। एस. एच. कपाड़िया के क़ानूनी सफर की शुरुआत एक लॉ फर्म में काम करने के साथ से हुई थी। उनका जीवन जीने का तरीका काफ़ी सादा था। [[मुम्बई उच्च न्यायालय]] के शुरुआती दिनों में वे नाश्ते में सिर्फ [[चना|चने]] खाते थे। सेवानिवृत्ति के बाद भी [[2012]] में एस. एच. कपाड़िया ने किसी कमेटी में कोई पद नहीं लिया, वे बस अपने ऑफिस से ही काम करते रहे। | ||
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05:57, 29 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण
एस. एच. कपाड़िया
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पूरा नाम | सरोश होमी कपाड़िया |
जन्म | 29 सितम्बर, 1947 |
जन्म भूमि | मुम्बई, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 4 जनवरी, 2016 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | न्यायपालिका |
प्रसिद्धि | भारत के 38वें मुख्य न्यायाधीश |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, भारत के मुख्य न्यायाधीश |
कार्यकाल | मुख्य न्यायाधीश, भारत - 12 मई, 2010 से 28 सितंबर, 2012 तक |
अद्यतन | 15:47, 11 मई 2017 (IST)
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सरोश होमी कपाड़िया (अंग्रेज़ी: S. H. Kapadia, जन्म- 29 सितम्बर, 1947, मुम्बई; मृत्यु- 4 जनवरी, 2016) भारत के 38वें मुख्य न्यायाधीश थे। एस. एच. कपाड़िया 12 मई, 2010 में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए थे तथा 28 सितंबर, 2012 में इस पद से सेवानिवृत्त हुए। एक न्यायाधीश के अतिरिक्त एस. एच. कपाड़िया अर्थशास्त्र, लोक वित्त, सैद्धांतिक भौतिकी के भी गहरे जानकार थे। हिन्दू और बौद्ध दर्शनों का भी उन्होंने गहन अध्ययन किया था।
परिचय
एस. एच. कपाड़िया का जन्म 29 सितम्बर, 1947 को मुम्बई, महाराष्ट्र में हुआ था। पारसी समुदाय से सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले वे प्रथम व्यक्ति थे। 2 जी, वोडाफोन, सहारा और सल्वा जुडूम जैसे कई महत्वपूर्ण फैसलों के लिए न्यायाधीश एस. एच. कपाड़िया जाने जाते थे। एस. एच. कपाड़िया के क़ानूनी सफर की शुरुआत एक लॉ फर्म में काम करने के साथ से हुई थी। उनका जीवन जीने का तरीका काफ़ी सादा था। मुम्बई उच्च न्यायालय के शुरुआती दिनों में वे नाश्ते में सिर्फ चने खाते थे। सेवानिवृत्ति के बाद भी 2012 में एस. एच. कपाड़िया ने किसी कमेटी में कोई पद नहीं लिया, वे बस अपने ऑफिस से ही काम करते रहे।
मुख्य न्यायाधीश
उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश रहे सरोश होमी कपाड़िया को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने 12 मई को भारत के 38वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई थी। राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उनके कैबिनेट के सहयोगी, निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति के. जी. बालाकृष्णन और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। वे 12 मई, 2010 से 28 सितंबर, 2012 तक प्रधान न्यायाधीश के पद पर रहे।
एस. एच. कपाड़िया पांच न्यायाधीशों वाली उस संवैधानिक पीठ से जुड़े रहे थे, जिसने नौंवी अनुसूची में शामिल क़ानून की न्यायिक पुनरीक्षा का ऐतिहासिक फैसला दिया था। न्यायमूर्ति कपाड़िया, कर क़ानूनों के विशेष जानकार थे। वह कड़े न्यायिक अनुशासन के लिए जाने जाते थे। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश का पदभार ऐसे समय ग्रहण किया था, जब भारतीय न्यायपालिका भ्रष्टाचार संबंधी विवादों में घिरी थी। न्यायमूर्ति एस. एच. कपाड़िया सुप्रीम कोर्ट में लगभग 771 फैसलों में संबद्ध रहे। भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनका 28 महीने का कार्यकाल बेहद चुनौतीपूर्ण रहा, क्योंकि न केवल उच्चतम न्यायालय बल्कि उच्च न्यायालय एवं निचली अदालतों में भी बड़ी संख्या में मामले लंबित थे, जिनकी संख्या कम करने की आवश्यकता बहुत अधिक थी।
प्रमुख तथ्य
- एस. एच. कपाड़िया ने 10 सितंबर, 1974 को एक अधिवक्ता के तौर पर अपनी व्यावसायिक शुरुआत मुंबई से की थी।
- 8 अक्तूबर, 1991 को वे मुम्बई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए।
- 23 मार्च, 1993 को उन्हें मुम्बई उच्च न्यायालय का स्थाई न्यायाधीश नियुक्त कर दिया गया।
- 5 अगस्त, 2003 को एस. एच. कपाड़िया उत्तरांचल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने।
- न्यायाधीश एस. एच. कपाड़िया 18 दिसंबर, 2003 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनाये गए।
- एस. एच. कपाड़िया 12 मई, 2010 को भारत के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए।
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