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[[चित्र:Toy-Cart-Baluchistan.jpg|thumb|250px|खिलौना गाड़ी, नौशारो, बलूचिस्तान]]
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'''बलूचिस्तान''' [[पाकिस्तान]] का पश्चिमी प्रांत है। बलूचिस्तान नाम का क्षेत्र बड़ा है और यह [[ईरान]] (सिस्तान व बलूचिस्तान प्रांत) तथा [[अफ़ग़ानिस्तान]] के सटे हुए क्षेत्रों में बँटा हुआ है। यहाँ की राजधानी [[क्वेटा]] है। यहाँ के लोगों की प्रमुख भाषा बलूच या बलूची के नाम से जानी जाती है। [[1944]] में बलूचिस्तान के स्वतंत्रता का विचार जनरल मनी के विचार में आया था पर 1947 में ब्रिटिश इशारे पर इसे पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। [[1970]] के दशक में एक बलोच राष्ट्रवाद का उदय हुआ जिसमें बलोचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र करने की माँग उठी। यह प्रदेश पाकिस्तान के सबसे कम आबाद इलाकों में से एक है।  
'''बलूचिस्तान''' / '''बलोचिस्तान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Balochistan'') [[पाकिस्तान]] का पश्चिमी प्रांत है। बलूचिस्तान नाम का क्षेत्र बड़ा है और यह [[ईरान]] (सिस्तान व बलूचिस्तान प्रांत) तथा [[अफ़ग़ानिस्तान]] के सटे हुए क्षेत्रों में बँटा हुआ है। यहाँ की राजधानी [[क्वेटा]] है। यहाँ के लोगों की प्रमुख भाषा बलूच या बलूची के नाम से जानी जाती है। [[1944]] में बलूचिस्तान के स्वतंत्रता का विचार जनरल मनी के विचार में आया था पर 1947 में ब्रिटिश इशारे पर इसे पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। [[1970]] के दशक में एक बलोच राष्ट्रवाद का उदय हुआ जिसमें बलोचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र करने की माँग उठी। यह प्रदेश पाकिस्तान के सबसे कम आबाद इलाकों में से एक है।  
;नाल
==इतिहास==
{{मुख्य|नाल}}
[[भारत]] पिछले 15,000 वर्षों से अस्तित्व में है। अफ़ग़ानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान और हिन्दुस्तान सभी भारत के हिस्से थे। बलूचिस्तान आर्यों की प्राचीन धरती आर्यावर्त का एक हिस्सा है। प्राचीन काल में [[वैदिक काल|वैदिक युग]] में पारस (कालांतर में फारस) से लेकर [[गंगा]], [[सरयू नदी|सरयू]] और [[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]] तक की भूर्मी आर्यों की भूमि थी जिसमें [[सिंधु घाटी]] का क्षेत्र सबसे महत्वपूर्ण था। [[आर्य|आर्यों]] के पंचनंद या पंचकुल अर्थात पुरु, यदु, तुर्वस, अनु और द्रुहु के कुल में से किसी एक कुल के हैं। [[प्राचीन भारत का इतिहास|भारत का प्राचीन इतिहास]] कहता है कि अफगानी, बलूच, पख्तून, पंजाबी, कश्मीरी आदि पश्‍चिम भारत के लोग पुरु वंश से संबंध रखते हैं अर्थात वे सभी पौरव हैं। पुरु वंश में ही आगे चलकर [[कुरु वंश|कुरु]] हुए जिनके वंशज [[कौरव]] कहलाए। 7,200 ईसा पूर्व अर्थात आज से 9,200 वर्ष पूर्व ययाति के इन पांचों पुत्रों में से पुरु का धरती के सबसे अधिक हिस्से पर राज था। बलूच भी मानते हैं कि हमारे इतिहास की शुरुआत 9 हजार वर्ष पूर्व हुई थी।
*नाल [[सिंधु घाटी सभ्यता|प्राक् सैन्धव]] स्थल तथा एक [[संस्कृति|सांस्कृतिक]] परम्परा के रूप में जाना जाने वाला यह नगर दक्षिणी बलूचिस्तान में स्थित है।  
====हिंगलाज शक्तिपीठ====
*यहाँ से प्राप्त मृद्भाण्ड परम्परागत पाण्डु [[रंग]] के हैं किंतु उनमें [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] पट्टी मिलती है।  
बलूचिस्तान में देवी [[सती]] के [[शक्तिपीठ|51 शक्तिपीठों]] में से एक [[हिंगलाज शक्तिपीठ|शक्तिपीठ हिंगलाज माता]] का है। बलूचिस्तान की भूमि पर दुर्गम पहाड़ियों के बीच माता का मंदिर है जहां माता का सिर गिरा था। यह मंदिर बलूचिस्तान के राज्य मंज में स्थित हिंगोल नदी के पास स्थित पहाड़ी पर है। इस स्थान पर भगवान [[राम|श्रीराम]], [[परशुराम]] के पिता [[जमदग्नि]], [[गोरखनाथ|गुरु गोरखनाथ]], [[गुरु नानक|गुरु नानक देव]] भी आ चुके हैं। चारणों की कुल देवी हिंगलाज की माता ही थी। ये चारण लोग बलूची ही थे और आज इनका नाम कुछ और कबीले से जुड़ा हुआ है। बलूचिस्तान में [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] की सैंकड़ों मूर्तियां पाई गईं। यहां किसी काल में [[बौद्ध धर्म]] अपने चरम पर था।
====गांधार जनपद का हिस्सा====
बलूचिस्तान [[भारत]] के [[महाजनपद|16 महाजनपदों]] में से एक जनपद संभवत: [[गांधार]] जनपद का हिस्सा था। [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] का लगभग 321 ई.पू. का शासन पश्चिमोत्तर में अफ़ग़ानिस्तान और बलूचिस्तान तक फैला था। दार्द, हूण हुंजा, अम्बिस्ट आम्ब, पख्तू, [[कम्बोज]], [[गांधार]], [[कैकय]], वाल्हीक बलख, अभिसार (राजौरी), [[कश्मीर]], मद्र, यदु, तृसु, [[खांडव वन|खांडव]], सौवीर सौराष्ट्र, [[कुरु जनपद|कुरु]], [[पांचाल]], [[कौशल महाजनपद|कौशल]], [[शूरसेन महाजनपद|शूरसेन]], [[किरात (देश)|किरात]], [[निषाद राष्ट्र|निषाद]], [[मत्स्य महाजनपद|मत्स]], [[चेदि महाजनपद|चेदि]], उशीनर, [[वत्स महाजनपद|वत्स]], [[कौशाम्बी]], विदेही, [[अंग महाजनपद|अंग]], प्राग्ज्योतिष (असम), घंग, [[मालवा]], अश्मक, [[कलिंग]], [[कर्णाटक]], [[द्रविड़ देश|द्रविड़]], चोल, शिवि शिवस्थान-सीस्टान-सारा बलूच क्षेत्र, सिंध का निचला क्षेत्र दंडक महाराष्ट्र सुरभिपट्टन मैसूर, [[आंध्र प्रदेश|आंध्र]] तथा सिंहल सहित लगभग 200 जनपद [[महाभारत]] में वर्णित हैं। इनमें से प्रमुख 30 ने महाभारत के युद्ध में भाग लिया था।<ref name="webdunia">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/current-affairs/balochistan-history-and-politics-116082300014_1.html |title=बलूचिस्तान का प्राचीन इतिहास और समस्या की वजहें|accessmonthday=19 जनवरी|accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेब दुनिया|language=हिंदी }}</ref>
==भूगोल==
बलूचिस्तान का वर्तमान भौगोलिक क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम [[पाकिस्तान]], [[ईरान]] के दक्षिण-पूर्वी प्रांत सिस्तान तथा बलूचिस्तान और [[अफ़ग़ानिस्तान]] के बलूचिस्तान प्रांत तक फैला हुआ है, लेकिन इसका अधिकांश इलाका पाकिस्तान के कब्जे में है, जो पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का लगभग 44 प्रतिशत हिस्सा है। इसी इलाके में अधिकांश बलूच आबादी रहती है। यह सबसे ग़रीब और उपेक्षित इलाका भी है। बलूचिस्तान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से पर ईरान, दक्षिण-पश्चिमी हिस्से पर अफ़ग़ानिस्तान और पश्चिमी भाग पर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है। सबसे बड़ा हिस्सा तकरीबन पाकिस्तान के कब्जे में है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस संपूर्ण क्षेत्र में यूरेनियम, गैस और तेल के भंडार पाए गए हैं।<ref name="webdunia"/>


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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14:30, 19 जनवरी 2018 का अवतरण

खिलौना गाड़ी, नौशारो, बलूचिस्तान

बलूचिस्तान / बलोचिस्तान (अंग्रेज़ी: Balochistan) पाकिस्तान का पश्चिमी प्रांत है। बलूचिस्तान नाम का क्षेत्र बड़ा है और यह ईरान (सिस्तान व बलूचिस्तान प्रांत) तथा अफ़ग़ानिस्तान के सटे हुए क्षेत्रों में बँटा हुआ है। यहाँ की राजधानी क्वेटा है। यहाँ के लोगों की प्रमुख भाषा बलूच या बलूची के नाम से जानी जाती है। 1944 में बलूचिस्तान के स्वतंत्रता का विचार जनरल मनी के विचार में आया था पर 1947 में ब्रिटिश इशारे पर इसे पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। 1970 के दशक में एक बलोच राष्ट्रवाद का उदय हुआ जिसमें बलोचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र करने की माँग उठी। यह प्रदेश पाकिस्तान के सबसे कम आबाद इलाकों में से एक है।

इतिहास

भारत पिछले 15,000 वर्षों से अस्तित्व में है। अफ़ग़ानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान और हिन्दुस्तान सभी भारत के हिस्से थे। बलूचिस्तान आर्यों की प्राचीन धरती आर्यावर्त का एक हिस्सा है। प्राचीन काल में वैदिक युग में पारस (कालांतर में फारस) से लेकर गंगा, सरयू और ब्रह्मपुत्र तक की भूर्मी आर्यों की भूमि थी जिसमें सिंधु घाटी का क्षेत्र सबसे महत्वपूर्ण था। आर्यों के पंचनंद या पंचकुल अर्थात पुरु, यदु, तुर्वस, अनु और द्रुहु के कुल में से किसी एक कुल के हैं। भारत का प्राचीन इतिहास कहता है कि अफगानी, बलूच, पख्तून, पंजाबी, कश्मीरी आदि पश्‍चिम भारत के लोग पुरु वंश से संबंध रखते हैं अर्थात वे सभी पौरव हैं। पुरु वंश में ही आगे चलकर कुरु हुए जिनके वंशज कौरव कहलाए। 7,200 ईसा पूर्व अर्थात आज से 9,200 वर्ष पूर्व ययाति के इन पांचों पुत्रों में से पुरु का धरती के सबसे अधिक हिस्से पर राज था। बलूच भी मानते हैं कि हमारे इतिहास की शुरुआत 9 हजार वर्ष पूर्व हुई थी।

हिंगलाज शक्तिपीठ

बलूचिस्तान में देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हिंगलाज माता का है। बलूचिस्तान की भूमि पर दुर्गम पहाड़ियों के बीच माता का मंदिर है जहां माता का सिर गिरा था। यह मंदिर बलूचिस्तान के राज्य मंज में स्थित हिंगोल नदी के पास स्थित पहाड़ी पर है। इस स्थान पर भगवान श्रीराम, परशुराम के पिता जमदग्नि, गुरु गोरखनाथ, गुरु नानक देव भी आ चुके हैं। चारणों की कुल देवी हिंगलाज की माता ही थी। ये चारण लोग बलूची ही थे और आज इनका नाम कुछ और कबीले से जुड़ा हुआ है। बलूचिस्तान में भगवान बुद्ध की सैंकड़ों मूर्तियां पाई गईं। यहां किसी काल में बौद्ध धर्म अपने चरम पर था।

गांधार जनपद का हिस्सा

बलूचिस्तान भारत के 16 महाजनपदों में से एक जनपद संभवत: गांधार जनपद का हिस्सा था। चन्द्रगुप्त मौर्य का लगभग 321 ई.पू. का शासन पश्चिमोत्तर में अफ़ग़ानिस्तान और बलूचिस्तान तक फैला था। दार्द, हूण हुंजा, अम्बिस्ट आम्ब, पख्तू, कम्बोज, गांधार, कैकय, वाल्हीक बलख, अभिसार (राजौरी), कश्मीर, मद्र, यदु, तृसु, खांडव, सौवीर सौराष्ट्र, कुरु, पांचाल, कौशल, शूरसेन, किरात, निषाद, मत्स, चेदि, उशीनर, वत्स, कौशाम्बी, विदेही, अंग, प्राग्ज्योतिष (असम), घंग, मालवा, अश्मक, कलिंग, कर्णाटक, द्रविड़, चोल, शिवि शिवस्थान-सीस्टान-सारा बलूच क्षेत्र, सिंध का निचला क्षेत्र दंडक महाराष्ट्र सुरभिपट्टन मैसूर, आंध्र तथा सिंहल सहित लगभग 200 जनपद महाभारत में वर्णित हैं। इनमें से प्रमुख 30 ने महाभारत के युद्ध में भाग लिया था।[1]

भूगोल

बलूचिस्तान का वर्तमान भौगोलिक क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान, ईरान के दक्षिण-पूर्वी प्रांत सिस्तान तथा बलूचिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत तक फैला हुआ है, लेकिन इसका अधिकांश इलाका पाकिस्तान के कब्जे में है, जो पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का लगभग 44 प्रतिशत हिस्सा है। इसी इलाके में अधिकांश बलूच आबादी रहती है। यह सबसे ग़रीब और उपेक्षित इलाका भी है। बलूचिस्तान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से पर ईरान, दक्षिण-पश्चिमी हिस्से पर अफ़ग़ानिस्तान और पश्चिमी भाग पर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है। सबसे बड़ा हिस्सा तकरीबन पाकिस्तान के कब्जे में है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस संपूर्ण क्षेत्र में यूरेनियम, गैस और तेल के भंडार पाए गए हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 बलूचिस्तान का प्राचीन इतिहास और समस्या की वजहें (हिंदी) वेब दुनिया। अभिगमन तिथि: 19 जनवरी, 2018।

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