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#[[कर्नाटक]] में शिकार कथाओं से प्रेरित एक पारम्परिक बोर्ड खेल ‘आडू हुली’ में दो खिलाड़ी शामिल होते हैं। एक 4 बाघों को नियंत्रित करता है और दूसरा 16 बकरियों के झुंड को नियंत्रित करता है। | #[[कर्नाटक]] में शिकार कथाओं से प्रेरित एक पारम्परिक बोर्ड खेल ‘आडू हुली’ में दो खिलाड़ी शामिल होते हैं। एक 4 बाघों को नियंत्रित करता है और दूसरा 16 बकरियों के झुंड को नियंत्रित करता है। | ||
#‘सोलह सीढ़ी’ में दो खिलाड़ी एक युद्ध का खेल खेलते हैं जिसमें प्रत्येक खिलाड़ी के पास 16 एक जैसी गोटियाँ होती हैं। इसका उद्देश्य रणनीतिक चाल के माध्यम से दुश्मन के इलाके पर | #‘सोलह सीढ़ी’ में दो खिलाड़ी एक युद्ध का खेल खेलते हैं जिसमें प्रत्येक खिलाड़ी के पास 16 एक जैसी गोटियाँ होती हैं। इसका उद्देश्य रणनीतिक चाल के माध्यम से दुश्मन के इलाके पर क़ब्ज़ा कर सामने वाले को हराना होता है। | ||
#‘दहड़ी’ एक रणनीतिक खेल है जिसमें एक साथ तीन गोटियाँ एक पंक्ति में लगाकर अधिक से अधिक अंक प्राप्त करने होते हैं। दो खिलाड़ियों को 9-9 सिक्के दिये जाते हैं, जिनमें से प्रत्येक को उन्हें खेलते हुये तीन सिक्के एक पंक्ति में लगाने की कोशिश करनी होती है। हालांकि यह नोट्स और क्रॉसेस के समान है लेकिन उससे अधिक जटिल है क्योंकि सिक्कों को अपनी जगह से हिलाया जा सकता है और प्रतिद्वंद्वी के सिक्कों को हटाया जा सकता है। | #‘दहड़ी’ एक रणनीतिक खेल है जिसमें एक साथ तीन गोटियाँ एक पंक्ति में लगाकर अधिक से अधिक अंक प्राप्त करने होते हैं। दो खिलाड़ियों को 9-9 सिक्के दिये जाते हैं, जिनमें से प्रत्येक को उन्हें खेलते हुये तीन सिक्के एक पंक्ति में लगाने की कोशिश करनी होती है। हालांकि यह नोट्स और क्रॉसेस के समान है लेकिन उससे अधिक जटिल है क्योंकि सिक्कों को अपनी जगह से हिलाया जा सकता है और प्रतिद्वंद्वी के सिक्कों को हटाया जा सकता है। | ||
14:09, 9 मई 2021 के समय का अवतरण
बोर्ड खेल या बोर्ड गेम या पट्टे का खेल एक ऐसा खेल है, जिसमें पूर्व चिन्हित सतह या बोर्ड पर कुछ नियमों के अनुसार काउंटरों या रुपयों को रखा, हटाया या चलाया जाता है। खेल पूरी रणनीति, मौके या दोनों के मिश्रण से और आमतौर पर एक लक्ष्य पर आधारित होता है, जिसे एक खिलाड़ी हासिल करना चाहता है।
बेंगलुरु के मंदिरों में
भारत में कई तरह के बोर्ड खेल खेलने की समृद्ध परम्परा है। हड़प्पाकालीन धौलावीरा से लेकर अजंता के चित्रों तक में इनके प्रमाण मिलते हैं। हमारे महाकाव्यों में कुछ प्रमुख घटनाएँ इन खेलों से सम्बंधित मानी जाती हैं। कर्नाटक में इस तरह के बोर्ड खेल बादामी में कुछ गुफ़ाओं के फर्श, विश्व विरासत स्थल हम्पी और होयसल मंदिरों में देखे जा सकते हैं।[1]
स्थान
पारम्परिक रूप से ये खेल मंदिर परिसर और अन्य स्थानों, जैसे- कट्टियाँ (पेड़ों के चारों ओर बने चबूतरे), मंडपों, कल्याणी और अन्य स्थानीय संरचनाओं पर बैठकर खेले जाते थे। बेंगलुरु अध्याय ने बेंगलुरु शहर के मंदिरों और मंदिर परिसरों में बने इन बोर्ड खेलों के प्रलेखन और उनके ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व को समझने के लिये एक परियोजना शुरू की है। कई मंदिरों में उनकी जगती, कट्टी, सीढ़ियाँ या चबूतरों के किनारों पर बोर्ड खेल उत्कीर्ण हैं, जैसे- नवकंकड़ी, आडू हुली अता (बाघ और बकरी), विमान और मंकला आदि।
विभिन्न बोर्ड खेल
- कुछ खेल जिनका प्रलेखन किया गया है, में ‘चौका बारा’ भी शामिल है जो भारत के सबसे पुराने बोर्ड खेलों में से एक है और अभी भी देश के कुछ हिस्सों में खेला जाता है। इसे मैसुरु में ‘चौका बारा’ और उत्तर कर्नाटक में ‘चक्करा’ या ‘चक्का’ के रूप में जाना जाता है। यह लूडो के समान होता है और इसे चार खिलाड़ी खेल सकते हैं।
- कर्नाटक में शिकार कथाओं से प्रेरित एक पारम्परिक बोर्ड खेल ‘आडू हुली’ में दो खिलाड़ी शामिल होते हैं। एक 4 बाघों को नियंत्रित करता है और दूसरा 16 बकरियों के झुंड को नियंत्रित करता है।
- ‘सोलह सीढ़ी’ में दो खिलाड़ी एक युद्ध का खेल खेलते हैं जिसमें प्रत्येक खिलाड़ी के पास 16 एक जैसी गोटियाँ होती हैं। इसका उद्देश्य रणनीतिक चाल के माध्यम से दुश्मन के इलाके पर क़ब्ज़ा कर सामने वाले को हराना होता है।
- ‘दहड़ी’ एक रणनीतिक खेल है जिसमें एक साथ तीन गोटियाँ एक पंक्ति में लगाकर अधिक से अधिक अंक प्राप्त करने होते हैं। दो खिलाड़ियों को 9-9 सिक्के दिये जाते हैं, जिनमें से प्रत्येक को उन्हें खेलते हुये तीन सिक्के एक पंक्ति में लगाने की कोशिश करनी होती है। हालांकि यह नोट्स और क्रॉसेस के समान है लेकिन उससे अधिक जटिल है क्योंकि सिक्कों को अपनी जगह से हिलाया जा सकता है और प्रतिद्वंद्वी के सिक्कों को हटाया जा सकता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ इन्टैक विरासत, जुलाई-दिसंबर, 2020 |प्रकाशक: भारतीय सांस्कृतिक निधि की समाचार पत्रिका |पृष्ठ संख्या: 71 |