"सोमेश्वर द्वितीय भुवनैकमल्ल": अवतरणों में अंतर
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*अपने पिता की मृत्यु (1068 ई.) के बाद सोमेश्वर द्वितीय विशाल [[चालुक्य साम्राज्य|चालुक्य राज्य]] का स्वामी बना। | *अपने पिता की मृत्यु (1068 ई.) के बाद सोमेश्वर द्वितीय विशाल [[चालुक्य साम्राज्य|चालुक्य राज्य]] का स्वामी बना। | ||
*उत्तरी भारत की यात्राओं में जिस विक्रमादित्य ने [[अंग]], बंग, [[मगध]] आदि की विजय कर अदभुत पराक्रम प्रदर्शित किया था, वह [[सोमेश्वर प्रथम]] का कनिष्क पुत्र था। | *उत्तरी भारत की यात्राओं में जिस [[विक्रमादित्य षष्ठ|विक्रमादित्य]] ने [[अंग]], बंग, [[मगध]] आदि की विजय कर अदभुत पराक्रम प्रदर्शित किया था, वह [[सोमेश्वर प्रथम]] का कनिष्क पुत्र था। | ||
*पिता की मृत्यु के समय वह सुदूर दक्षिण में चोल राज्य के साथ संघर्ष में व्याप्त था। | *पिता की मृत्यु के समय वह सुदूर दक्षिण में चोल राज्य के साथ संघर्ष में व्याप्त था। | ||
*सोमेश्वर प्रथम की इच्छा थी, कि उसके बाद उसका सुयोग्य पुत्र विक्रमादित्य ही चालुक्य राज का स्वामी बने। पर उसकी अनुपस्थिति से लाभ उठाकर सोमेश्वर द्वितीय ने कल्याणी की राजगद्दी पर क़ब्ज़ा कर लिया, और विक्रमादित्य ने भी उसे चालुक्य राज्य के न्याय्य राजा के रूप में स्वीकृत किया। | *सोमेश्वर प्रथम की इच्छा थी, कि उसके बाद उसका सुयोग्य पुत्र विक्रमादित्य ही चालुक्य राज का स्वामी बने। पर उसकी अनुपस्थिति से लाभ उठाकर सोमेश्वर द्वितीय ने कल्याणी की राजगद्दी पर क़ब्ज़ा कर लिया, और विक्रमादित्य ने भी उसे चालुक्य राज्य के न्याय्य राजा के रूप में स्वीकृत किया। | ||
*सोमेश्वर द्वितीय सर्वथा अयोग्य शासक था। | *सोमेश्वर द्वितीय सर्वथा अयोग्य शासक था। | ||
*उसके असद्व्यवहार से जनता दुखी हो गई, और चालुक्यों की राजशक्ति क्षीण होने लगी। | *उसके असद्व्यवहार से जनता दुखी हो गई, और चालुक्यों की राजशक्ति क्षीण होने लगी। | ||
*इस स्थिति में 1076 ई. में विक्रमादित्य ने उसे राजगद्दी से उतारकर स्वयं कल्याणी के राजसिंहासन पर अधिकार कर लिया। | *इस स्थिति में 1076 ई. में [[विक्रमादित्य षष्ठ|विक्रमादित्य]] ने उसे राजगद्दी से उतारकर स्वयं कल्याणी के राजसिंहासन पर अधिकार कर लिया। | ||
11:26, 1 अक्टूबर 2010 का अवतरण
- अपने पिता की मृत्यु (1068 ई.) के बाद सोमेश्वर द्वितीय विशाल चालुक्य राज्य का स्वामी बना।
- उत्तरी भारत की यात्राओं में जिस विक्रमादित्य ने अंग, बंग, मगध आदि की विजय कर अदभुत पराक्रम प्रदर्शित किया था, वह सोमेश्वर प्रथम का कनिष्क पुत्र था।
- पिता की मृत्यु के समय वह सुदूर दक्षिण में चोल राज्य के साथ संघर्ष में व्याप्त था।
- सोमेश्वर प्रथम की इच्छा थी, कि उसके बाद उसका सुयोग्य पुत्र विक्रमादित्य ही चालुक्य राज का स्वामी बने। पर उसकी अनुपस्थिति से लाभ उठाकर सोमेश्वर द्वितीय ने कल्याणी की राजगद्दी पर क़ब्ज़ा कर लिया, और विक्रमादित्य ने भी उसे चालुक्य राज्य के न्याय्य राजा के रूप में स्वीकृत किया।
- सोमेश्वर द्वितीय सर्वथा अयोग्य शासक था।
- उसके असद्व्यवहार से जनता दुखी हो गई, और चालुक्यों की राजशक्ति क्षीण होने लगी।
- इस स्थिति में 1076 ई. में विक्रमादित्य ने उसे राजगद्दी से उतारकर स्वयं कल्याणी के राजसिंहासन पर अधिकार कर लिया।
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