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03:42, 21 अक्टूबर 2010 का अवतरण

(632 से 682ई.)

  • दुर्लभक दुर्लभ वर्धन का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था।
  • इसके अनेक सिक्के प्राप्त हुए हैं।
  • इन पर इसे 'श्रीप्रताप' कहा गया है।
  • उसने प्रतापुर नगर बसाया था।
  • उसने 'प्रतापादित्य' की उपाधि धारण की सिंहासन ग्रहण किया।
  • 'प्रतापपुर नगर' की स्थापना दुर्लभक द्वारा की गयी।
  • उसके तीन पुत्रों का क्रम इस प्रकार था -
  1. चन्द्रपीड, तारापीड एवं मुक्तापीड अथवा ब्रजादित्य,
  2. उदयादित्य, एवं
  3. ललितादित्य।
  • इन तीनों तारापीड को कल्हण ने क्रूर शासक बताया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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