"विग्रहराज चतुर्थ बीसलदेव": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
*महाकवि सोमदेव ने वीसलदेव के चरित्र की प्रशंसा में 'ललित विग्रहराज' नामक ग्रंथ लिखा।  
*महाकवि सोमदेव ने वीसलदेव के चरित्र की प्रशंसा में 'ललित विग्रहराज' नामक ग्रंथ लिखा।  
*विग्रहराज के बाद कुछ समय तक अपर गांगेय, पृथ्वीराज द्वितीय एवं सोमेश्वर ने शासन किया।
*विग्रहराज के बाद कुछ समय तक अपर गांगेय, पृथ्वीराज द्वितीय एवं सोमेश्वर ने शासन किया।


{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
पंक्ति 23: पंक्ति 21:
{{चौहान वंश}}  
{{चौहान वंश}}  
{{भारत के राजवंश}}
{{भारत के राजवंश}}
[[Category:भारत के राजवंश]]       
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:इतिहास कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

10:05, 31 अक्टूबर 2010 का अवतरण

  • विग्रहराज ने चालुक्य नरेश कुमार पाल को परास्त किया।
  • दिल्ली पर अधिकार कर उसने हांसी को जीता।
  • उसके राज्य की सीमा पंजाब, राजपूताना तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक फैली थी।
  • उसका समकालीन लाहौर का तुर्क शासक खुशरूशाह था जिसने उसके राज्य पर आक्रमण किया।
  • इसने अपने पराक्रम से शाकंभरी चौहानों को उत्तर भारत में एक महत्वपूर्ण शक्ति बनाया।
  • विग्रहराज चतुर्थ वीसलदेव महान कवि एवं लेखक भी था।
  • उसने 'हरिकेल' जैसे नाटकों की रचना की।
  • महाकवि सोमदेव ने वीसलदेव के चरित्र की प्रशंसा में 'ललित विग्रहराज' नामक ग्रंथ लिखा।
  • विग्रहराज के बाद कुछ समय तक अपर गांगेय, पृथ्वीराज द्वितीय एवं सोमेश्वर ने शासन किया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख