सदस्य:DrMKVaish

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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तिरंगा
तिरंगा
भारत माता
भारत माता


माँ तुझे सलाम



मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।

- महात्मा गांधी


National Anthem =

चित्र:A R Rahman - Jana Gana Mana (2007) - Asha Bhonsle.ogg


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हिन्दुस्तानी तिरंगा
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मेरा भारत
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  1. बस्ती ज़िला
  2. गोरखपुर ज़िला
  3. संत कबीर नगर ज़िला
  4. सिद्धार्थनगर ज़िला

  1. पिण्डारी
  2. महुआ डाबर
  3. मगहर
  4. अष्टभुजा शुक्ल

  1. डाक टिकट
  2. डाक टिकटों में महात्मा गाँधी
  3. डाक सूचक संख्या
  4. भारतीय स्टेट बैंक
  5. पंजाब नैशनल बैंक

  1. बीमारी और फ़िल्म
  2. प्रोजेरिया
  3. सीज़ोफ़्रेनिया
  4. अल्ज़ाइमर
  5. ऑटिज़्म
  6. पार्किंसन
  7. डेंगू
  8. प्लेग
  9. रेबीज़
  10. बवासीर
  11. पोलियो
  12. मिर्गी
  13. हिस्टीरिया
  14. कब्ज

  1. वैष्णो देवी
  2. शक्तिपीठ
  3. अमरनाथ
  4. कैलाश मानसरोवर
  5. स्वस्तिक
  6. शंख
  7. गंगाजल
  8. रामसेतु
  9. माउंट एवरेस्ट
  10. कुण्डलिनी
  11. पद्मनाभस्वामी मंदिर
  12. गाडविन आस्टिन
  13. भारत के सात आश्चर्य

  1. महत्त्वपूर्ण दिवस
  2. गणतंत्र दिवस
  3. हिन्दी दिवस
  4. विश्व हिन्दी दिवस
  5. विश्व हास्य दिवस
  6. मातृ दिवस
  7. विश्व रक्तदान दिवस
  8. विश्व पर्यावरण दिवस
  9. विश्व स्वास्थ्य दिवस
  10. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
  11. विश्व रेडक्रॉस दिवस

  1. परमवीर चक्र
  2. अशोक चक्र
  3. महावीर चक्र
  4. वीर चक्र
  5. कीर्ति चक्र
  6. शौर्य चक्र
  7. जीवन रक्षा पदक
  8. अर्जुन पुरस्कार

  1. पृथ्वी-2 मिसाइल
  2. ब्रह्मोस मिसाइल
  3. अग्नि-2 मिसाइल
  4. शौर्य मिसाइल

  1. दिलीप कुमार
  2. धर्मेन्द्र
  3. संजीव कुमार
  4. राज कुमार
  5. शशि कपूर
  6. देव आनंद

  1. दुर्गा माता के 108 नाम
  2. शिव जी के 108 नाम
  3. आरती पूजन
  4. गायत्री माता की आरती
  5. सोमवार व्रत की आरती
  6. मंगलवार व्रत की आरती
  7. बुधवार व्रत की आरती
  8. वृहस्पतिवार व्रत की आरती
  9. शुक्रवार व्रत की आरती
  10. शनिवार व्रत की आरती
  11. रविवार व्रत की आरती
  12. रामायण जी की आरती
  13. गीता जी की आरती
  14. श्रीमद् भागवत पुराण की आरती
  15. वैष्णो माता की आरती
  16. दुर्गा जी की आरती
  17. शारदा माता की आरती
  18. शीतला माता की आरती
  19. काली माता की आरती
  20. संतोषी माता की आरती
  21. सरस्वती माता की आरती
  22. लक्ष्मी रमणा जी की आरती
  23. रानी सती जी की आरती
  24. गंगा माता की आरती
  25. यमुना माता की आरती
  26. तुलसी माता की आरती
  27. पार्वती माता की आरती
  28. अन्नपूर्णा देवी की आरती
  29. नैना देवी की आरती
  30. शाकम्भरी देवी की आरती
  31. विन्ध्येश्वरी माता की आरती
  32. चिन्तपूर्णी देवी की आरती
  33. नवग्रह आरती
  34. श्यामबाबा जी की आरती
  35. गणेश जी की आरती
  36. कृष्ण जी की आरती
  37. युगलकिशोर जी की आरती
  38. केदार नाथ जी की आरती
  39. बद्री नाथ जी की आरती
  40. रामचंद्र जी की आरती
  41. साईबाबा जी की आरती
  42. सूर्यदेव जी की आरती
  43. शनिदेव जी की आरती
  44. वृहस्पतिदेव जी की आरती
  45. भैंरव जी की आरती
  46. सरस्वती प्रार्थना
  47. राम स्तुति
  48. गणेश स्तुति
  49. नवदुर्गा रक्षामंत्र
  50. संकटमोचन हनुमानाष्टक
  51. सरस्वती चालीसा
  52. शिव चालीसा
  53. शनि चालीसा
  54. विन्ध्येश्‍वरी चालीसा
  55. गायत्री चालीसा
  56. कृष्ण चालीसा
  57. साईं चालीसा
  58. श्याम चालीसा
  59. भैरव चालीसा
  60. शीतला चालीसा
  61. संतोषी चालीसा
  62. गंगा चालीसा

  1. कर्णवेध संस्कार
  2. नामकरण संस्कार
  3. विवाह संस्कार
  4. गर्भाधान संस्कार
  5. चूड़ाकरण संस्कार
  6. अन्नप्राशन संस्कार
  7. जातकर्म संस्कार
  8. सीमन्तोन्नयन संस्कार
  9. पुंसवन संस्कार
  10. निष्क्रमण संस्कार
  11. समावर्तन संस्कार
  12. वानप्रस्थ संस्कार
  13. पितृमेध या अन्त्यकर्म संस्कार
  14. श्राद्ध संस्कार
  15. विद्यारंभ संस्कार

  1. सिंह
  2. बंदर
  3. कंगारू

  1. सौरमण्डल
  2. सूर्य (तारा)
  3. बुध ग्रह
  4. शुक्र ग्रह
  5. मंगल ग्रह
  6. यम ग्रह
  7. सूर्य ग्रहण
  8. चन्द्र ग्रहण
  9. क्षुद्र ग्रह
  10. धूमकेतु
  11. हैली धूमकेतु
  12. ल्यूलिन धूमकेतु
  13. एपोफिस क्षुद्र ग्रह

  1. एस एम एस
  2. बरमूडा त्रिकोण
  3. बुर्ज ख़लीफ़ा
  4. हिममानव
  5. विलोम शब्द
  6. पर्यायवाची शब्द
  7. कबीर के दोहे
  8. मधुशाला
  9. पुनर्जन्म
  10. गुलाल
  11. मिट्टी
  12. भारतीय नाम
  13. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005
  14. भारत में प्रथम
  15. आविष्कार और आविष्कारक
  16. जनगणना
  17. स्वप्न
  18. भूकंप

  1. अनमोल वचन 1
  2. अनमोल वचन 2
  3. अनमोल वचन 3
  4. अनमोल वचन 4
  5. अनमोल वचन 5
  6. अनमोल वचन 6
  7. अनमोल वचन 7
  8. महात्मा गाँधी के अनमोल वचन
  9. स्वामी विवेकानन्द के अनमोल वचन

  1. पीपल
  2. नीम
  3. बरगद
  4. अशोक वृक्ष
  5. चन्दन
  6. बाँस
  7. तुलसी
  8. पुदीना

  1. साबूदाना
  2. हल्दी
  3. केसर
  4. खजूर
  5. लहसुन
  6. आंवला
  7. लौंग
  8. शहद
  9. अदरक
  10. सोयाबीन
  11. बादाम

  1. अण्णा हज़ारे
  2. स्वामी रामदेव
  3. किरण बेदी
  4. मेधा पाटकर
  5. अरविंद केजरीवाल
  6. सत्य साईं बाबा
  7. राहुल गांधी
  8. दलाईलामा तेनजिन ग्यात्सो
  9. पंडित जसराज
  10. श्रीनिवास अयंगर रामानुजन

  1. इंडियन प्रीमियर लीग
  2. इंडियन प्रीमियर लीग 2008
  3. इंडियन प्रीमियर लीग 2009
  4. इंडियन प्रीमियर लीग 2010
  5. इंडियन प्रीमियर लीग 2011
  6. मुंबई इंडियंस
  7. चेन्नई सुपर किंग्स
  8. कोलकाता नाईटराइडर्स
  9. डेक्कन चार्जर्स
  10. राजस्थान रॉयल्स
  11. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलौर
  12. किंग्स इलेवन पंजाब
  13. दिल्ली डेयरडेविल्स
  14. सहारा पुणे वॉरियर्स
  15. कोच्चि टस्कर्स केरल
  16. सचिन तेंदुलकर
  17. कपिल देव
  18. सुनील गावस्कर
  19. रवि शास्त्री
  20. मंसूर अली खान पटौदी
यह सदस्य भारतीय है।
मेरा परिचय
नाम -->
डा॰ मनीष कुमार वैश्य

जन्मदिन --> 8 जुलाई
जन्मस्थान --> बस्ती ज़िला
ई.मेल --> drmkvaish26@yahoo.com
फ़ोन --> 09451908700

प्रशासक आदित्य चौधरी प्रशासक . वार्ता 18:55, 4 फ़रवरी 2011 (IST)

‍‍‍डाक टिकटों में महात्मा गाँधी लेख के लिए मैं
डा॰ मनीष कुमार वैश्य को सम्मानित कर रहा हूँ।
प्रशासक आदित्य चौधरी प्रशासक . वार्ता 18:55, 4 फ़रवरी 2011 (IST)

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8 जुलाई
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मेरा भारत
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8 जुलाई
डा॰ मनीष कुमार वैश्य
मेरा भारत
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8 जुलाई
ताज महल, आगरा
मेरा भारत
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TAJ MAHAL, AGRA


शोध क्षेत्र
भारतवर्ष में कॉवर के त्योहार का बहुत ज़्यादा महत्व है। इस तौहार में आमलोग भगवन शिव की भक्ति में डुबकर कॉवर उठाते है। इन कॉवर उठाने वाले शिव भक्तो को कॉवरिया कहते है। यह त्योहार हिन्दी कैलेण्डर के अनुसार श्रावण ( सावन ) के महीने में पड़ता है। कॉवर के इस त्योहार में शिव भक्त एक निश्चित स्थान से गेरुआ वस्त्र धारण कर कन्धे पर कॉवर लेकर और कॉवर में गंगाजल रखकर उठाते है तथा कई किलोमीटर की नंगे पैर पैदल यात्रा करके एक निश्चित स्थान के शिव मंदिर में आकर भगवन शिव और माता पर्वती पर गंगाजल चढाते है। यह गंगाजल का अभिषेक श्रद्धा और विश्वास के महापर्व शिव रात्रि के दिन होता है। कॉवर का त्योहार भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है लेकिन विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, उत्तराँचल, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल के राज्यों में मनाया जाता है।

आषाढ़ी पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर तीर्थनगरी में गंगा स्नान करने व गुरु पूजन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश, यूपी, दिल्ली के कोने-कोने से आज पूर्णिमा स्नान के साथ ही कस्बे में एक माह तक चलने वाला कॉवर मेला प्रारम्भ हो जाएगा।

मकर संकंराति के अवसर पर बरमान से बांदकपुर भगवान भोलेशंकर के चरणों में जल चढ़ाने के लिए जा रहे कावडिय़ों का गुरुवार को तालसेमरा में संतश्री १०८ सीताराम महराज बादकपुर जाकर भगवान भोलेशंकर के चरणों में अर्पित करते हैं। कॉवरियों द्वारा यह सारी यात्रा पैदल ही की जाती है। स्वागत करने वालों में लक्ष्मीनारायण जारोलिया, पप्पू जारोलिया, हरदास पटेल, अशोक पटेल आदि शामिल हैं।

बेवर: महाशिव रात्रि के पावन पर्व पर काबड़ियों ने फर्रुखाबाद से जल भरकर विभिन्न शिवालयों में चढ़ाकर मन्नत मांगी तो कुछ काबड़ियों ने भोलेनाथ से पुन: जल लेकर आने का वादा किया। श्रद्धा और विश्वास के महापर्व शिव रात्रि के दिन भोले बाबा के भक्तों ने घटिया घाट, श्रंगीरामपुर से जल भरकर पूरे मनोयोग के साथ पैदल चलकर कॉवर धारण कर मंछना, मैनपुरी हजारी मंदिर सरसईनावर में शिवालयों पर जल चढ़ाया। कॉबड़ियों की टोली, भोले तेरी बम बम बम भोले के जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। कॉबरधारी पुनीत दुबे, रानू शाक्य, पुष्पेन्द्र राठौर, शोभाराम, मुन्ना सिंह, मूलचन्द्र ने बताया कि कॉवर धारण करना कठिन व्रत है। जिसमें बहुत से नियमों का पालन करना अनिवार्य है। भक्त जन होते हैं। एक तो ऐसे जिनकी मन्नत भोले बाबा पूरी कर चुके होते है तथा दूसरे जल चढ़ाकर मन्नत मांगकर पुन: आने का वादा करते है। जल भरकर दूध वाले वृक्षों के नीचे से चलना सर्वथा मना है। भोले नाथ बड़े दयालू है। जो भी शिवलिंग पर पूजा अर्चन कर जल चढ़ता है भोले नाथ उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। हम लोग लगभग 75 किमी पैदल चलकर जल चढ़ाएंगे।

सर्वविदित है कि श्रावण के महीने में कॉवर चढ़ाना बेहद पुनीत माना जाता है। सच्ची भक्ति भावना से जो भी भोले बाबा के नाम की कॉवर चढ़ाता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

रांची, तैयार हो जाइए, बाबा भोले नाथ की पूजा में लीन होने के लिए। भगवान शिव का प्रसन्न करने के लिए। उनका जलाभिषेक करने का महीना आ गया है। भगवान शंकर को खुश करने का विशेष महीना श्रावण ( सावन ) आषढ खत्म होते ही शनिवार कृष्ण पक्ष 16 जुलाई से शुरु हो जायेगा। सावन की पहली सोमवारी 18 जुलाई को है। अगले सप्ताह से शुरु होने वाले सावन को लेकर शिवालयों और अन्य मंदिरों में विशेष तैयारियां की जा रही है। देवघर स्थित प्रसिध्द श्रावणी मेले की तैयारियों को भी अंतिम रुप दिया जा रहा है। इधर, राजधानी रांची स्थित पहाड़ी मंदिर में भी सावन महीने को लेकर विशेष तैयारियां की गयी है। मंदिर को आकर्षक तरीके से संजाने-संवारने का काम चल रहा है। खूंटी स्थित अमरेश्वरधाम में भी तैयारियों को अंतिम रुप दिया जा रहा है। इस सावन में चार सोमवारी अगस्त को चौथी सोमवारी पडेगी। धार्मिक मान्यता है कि सावन की सोमवारी बाबा भोलेनाथ को जल चढाने से बाबा की असीम कृपा भक्तों को मिलती है। श्रध्दालु भक्त बाबा को जल चढाने के लिए कॉवर लेकर मिलो पैदल भी चलते हैं। सबसे अधिक भक्तों की भीड बाबा की नगरी देवघर पहुँचती है। वहीं कई श्रध्दालु भक्त वाराणसी और तारकेश्वर (पश्चिम बंगाल) आदि सावन सात्विक होने का महीना सावन सात्विक हो कर बाबा की आराधना की विशेष महत्व है। मत्स्यपुराण के मुताबिक सावन में मछली को अंडा होता है यानि एक नये प्राणी का आगमन । इसी वजह से सावन में मछली खाने से लोग परहेज करते हैं। वहीं सावन माह में लहसून-प्याज को भी त्याग करते हैं। संजने लगी हैं कांवर की दुकानें सजने लगी हैं कॉवर की दुकानें, गेरुवा वस्त्र की सिलाई और नये स्टोक की बिक्री के लिए तैयार पूरे ज़िलों एवं ग्रामीण क्षेत्रों तक बाबा भोले की नगरी देवघर जाने की तैयारी के लिए श्रध्दालु भक्त कॉवर की ख़रीदारी करते हैं ऐसे में नये स्टोक आ चुके हैं। इस सप्ताह बिक्री परवान पर होगी वहीं गेरुवा वस्त्र की नये स्टोक भी दुकानों में पहुँच चुके है। लोग वस्त्रों के अलावा झोले टॉर्च आदि की ख़रीदारी में लग गये हैं।

संस्कृत सुभाषित एवं सूक्तियाँ हिन्दी में अर्थ सहित----

(१) न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः । स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥ ( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने वाला । स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी ॥ ) (२) रत्नं रत्नेन संगच्छते । ( रत्न , रत्न के साथ जाता है ) (३) गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः । ( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण है , बल प्रयोग नहीं ) (४) निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् । ( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक है । ) (५) अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति । ( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं होता , उसमें बहुत जल भरा होता है । ) (६) अङ्गुलिप्रवेशात्‌ बाहुप्रवेश: | ( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश किया जता है । ) (७) अति तृष्णा विनाशाय. ( अधिक लालच नाश कराती है । ) (८) अति सर्वत्र वर्जयेत् । ( अति ( को करने ) से सब जगह बचना चाहिये । ) (९) अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्‌. ( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय के चरती है । ) (१०) अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌. ( अति-भक्ति चोर का लक्षण है । ) (११) अल्पविद्या भयङ्करी. ( अल्पविद्या भयंकर होती है । ) (१२) कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌. ( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है । ) (१३) ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:. ( ज्ञानहीन पशु के समान हैं । ) (१४) प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्‌. ( सोलह वर्ष की होने पर गदही भी अप्सरा बन जाती है । ) (१५) प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌. ( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरण करना चाहिये । ) (१६) मधुरेण समापयेत्‌. ( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना चाहिये । ) (१७) मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना. ( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है । ) (१८) शठे शाठ्यं समाचरेत् । ( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये । ) (१९) सत्यं शिवं सुन्दरम्‌. ( सत्य , कल्याणकारी और सुन्दर । ( किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी ) ) (२०) सा विद्या या विमुक्तये. ( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है । ) (२१) त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् । ( स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता है । ) (२२) कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है। - नीतिवाक्यामृत-३।१२


  • सबकी गति है एक सी अंत समय पर होय, जो आये हैं जायेंगे राजा रंक फ़कीर।

जनम होत नंगे भये, चौपायों की चाल, न वाणी न वाक्‍य थे पशुवत पाये शरीर। धीरे धीरे बदल गये चौपायों से बन इंसान। वाक्‍य और वाणी मिली वस्‍त्र पहन कर हुये बने महान। जाति बनी और ज्ञान बढ़ा तो बॉंट दिया फिर इंसान। अंत समय नंगे फिर भये, गये सब वेद शास्‍त्र और ज्ञान।।

  • अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियाँ बनाते हैं।
  • कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।
  • हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है।
  • बहुमत की आवाज न्याय का द्योतक नही है।
  • हमारे वचन चाहे कितने भी श्रेष्ठ क्यों न हो, परन्तु दुनिया हमे हमारे कर्मो के द्वारा पहचानती है|
  • यदि आप मरने का डर है तो इसका यही अर्थ है की आप जीवन के महत्व को ही नहीं समझते|
  • अधिक सांसारिक ज्ञान अर्जित करने से अंहकार आ सकता है, परन्तु आध्यात्मिक ज्ञान जितना अधिक अर्जित करते है उतनी ही नम्रता आती है|
  • मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है।
  • अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नही होता।
  • मुस्कान प्रेम की भाषा है।
  • सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है।
  • अहंकार छोडे बिना सच्चा प्रेम नही किया जा सकता।
  • अल्प ज्ञान खतरनाक होता है।
  • कर्म सरल है, विचार कठिन।
  • उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन।
  • धन अपना पराया नही देखता।
  • पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित। लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं।
  • संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं ; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति।
  • हजारों मष्तिषकों में बुद्धिपूर्ण विचार आते रहे हैं ।लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें।
  • उच्चस्तरीय स्वार्थ का नाम ही परमार्थ है। परमार्थ के लिये त्याग आवश्यक है पर यह एक बहुत बडा निवेश है जो घाटा उठाने की स्थिति में नहीं आने देता।


  • जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। (जननी (माता) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है) - महर्षि वाल्मीकि (रामायण)
  • ऊँच अटारी मधुर वतास। कहैं घाघ घर ही कैलाश। - घाघ भड्डरी (अकबर के समकालीन, कानपुर ज़िले के निवासी)
  • तुलसी इस संसार मे, सबसे मिलिये धाय। ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय॥
  • प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। - ईसा मसीह
  • जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, गलत राह पर जाने से रोके और अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। - वेद
  • दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत। इंसान जरा सैर करे, घर से निकल कर॥ - दाग
  • देश-प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है। यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों की परख होती है। - बलभद्र प्रसाद गुप्त ‘रसिक’
  • त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहां भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं। - बस्र्आ
  • स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है।
  • शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम। (यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते है)
  • आहार, स्वप्न (नींद) और ब्रम्हचर्य इस शरीर के तीन स्तम्भ हैं। - महर्षि चरक
  • मुक्त बाज़ार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है।यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें ख़रीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है। - अरुंधती राय
  • ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ एक चेहरा दिया है और तुम उस पर कई चेहरे चढ़ा लेते हो, जो व्यक्ति सोने का बहाना कर रहा है उसे आप उठा नहीं सकते। - नवाजो
  • कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए। - दर्पदलनम् १।२९
  • गुणवान पुरुषों को भी अपने स्वरूप का ज्ञान दूसरे के द्वारा ही होता है। आंख अपनी सुन्दरता का दर्शन दर्पण में ही कर सकती है। - वासवदत्ता
  • तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता। - ओशो
  • पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नही करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है । महाभारत -उद्योग पर्व
  • इस जन्म में परिश्रम से की गई कमाई का फल मिलता है और उस कमाई से दिए गए दान का फल अगले जन्म में मिलता है। -गुरुवाणी
  • विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है। -गीता (अध्याय 2/62, 63)
  • .एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये, रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय । -रहीम
  • जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग, चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग । -रहीम
  • रहीमन देखि बडेन को, लघु ना दिजिए डारी, जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारी । -रहीम


  • जो समय को नष्‍ट करता है, समय भी उसे नष्‍ट कर देता है, समय का हनन करने वाले व्‍यक्ति का चित्‍त सदा उद्विग्‍न रहता है और वह असहाय तथा भ्रमित होकर यूं ही भटकता रहता है, प्रति पल का उपयोग करने वाले कभी भी पराजित नहीं हो सकते, समय का हर क्षण का उपयोग मनुष्‍य को विलक्षण और अदभुत बना देता है।
  • जैसे का साथ तैसा, वह भी ब्‍याज सहित व्‍यवहार करना ही सर्वोत्‍तम नीति है, शठे शाठयम और उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्‍तये के सूत्र को अमल में लाना ही गुणकारी उपाय है।
  • गुड़, घी से सींचा गयो नीम ना मीठा होय। लोहे से लोहा कटे, जानि परे सब कोय।। यानि शठ जाने शठ ही की बानीं, दुष्‍ट व्‍यक्ति को लाखों यत्‍न के बाद भी नहीं सुधारा जा सकता, उसे तो दुष्‍टता से ही काबू किया जा सकता है।
  • खेती, पाती, बीनती, औ घोड़े की तंग। अपने हाथ संवारिये चाहे लाख लोग हो संग।। खेती करना, पत्र लिखना और पढ़ना तथा घोड़ा या जिस वाहन पर सवारी करनी हो उसकी जाँच और तैयारी मनुष्‍य को स्‍वयं ही खुद करनी चाहिये, भले ही लाखों लोग साथ हों और अनेकों सेवक हों, वरना मनुष्‍य का नुक़सान तय शुदा है।
  • जो किसी से कुछ ले कर भूल जाते हैं, अपने ऊपर किये उपकार को मानते नहीं, एहसान को भुला देते हैं उन्हें कृतघ्‍नी कहा जाता है और जो सदा इसे याद रख कर प्रति उपकार करने और अहसान चुकाने का प्रयास करते हैं, उन्‍हें कृतज्ञ कहा जाता है।
  • दूसरों को ख़ुशी देना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है!
वृक्ष तथा विभिन्न वनस्पतियां धारती पर हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी हैं। भारतीय संस्कृति में भी प्राचीन समय से ही वृक्षो तथा वनस्पतियों को पूजनीय माना जाता रहा हैं। विभिन्न वनस्पतियां हमारे स्वास्थ्य की रक्षा में भी सहायक सिद्ध होती हैं। ऐसा ही एक छोटा परन्तु बहुत महत्त्वपूर्ण पौधा तुलसी है। तुलसी को हजारों वर्षों से विभिन्न रोगों के इलाज के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जा रहा हैं। आयुर्वेद में भी तुलसी तथा उसके विभिन्न औषधीय प्रयोगों का विशेष स्थान हैं। आपके आंगन में लगा छोटा सा तुलसी का पौधा, अनेक बीमारियो का इलाज करने के आचर्यजनक गुण लिए हुए होता हैं।

सर्दी के मौसम में खांसी जुकाम होना एक आम समस्या हैं। इनसे बचे रहने का सबसे सरल उपाय है तुलसी की चाय। तुलसी की चाय बनाने के लिए, तुलसी की दस पन्द्रह ग्राम ताजी पत्रितयां लें और धो कर कुचल लें। फिर उसे एक कप पानी में डालें उसमें पीपला मूल, सौंठ, इलायची पाउड़र तथा एक चम्मच चीनी मिला लें, इस मिश्रण को उबालकर बिना छाने सुबह गर्मा-गर्म पीना चाहिये। इस प्रकार की चाय पीने से शरीर में चुस्ती स्फूर्ति आती है और भूख बढ़ती हैं। जिन लोगों को सर्दियों में बारबार चाय पीने की आदत है। उनके लिए तुलसी की चाय बहुत लाभदायक होगी। जो न केवल उन्हें स्वास्थ्य लाभ देगी अपितु उन्हें साधारण चाय के हानिकारक प्रभावो से भी बचाएगीं। सर्दी, जवर, अरूचि, सुस्ती, दाह, वायु तथा पित्त संबंधी विकारों को दूर करने के लिए भी तुलसी की औषधीय रचना और अपना महत्व हैं। इसके लिए तुलसी की दस पन्द्रह ग्राम ताजी धुली पत्तियों को लगभग 150 ग्राम पानी में उबाल लें। जब लगभग आधा या चौथाई पानी ही शेष रह जाए। तो उसमें उतनी ही मात्रा में दूध तथा जरूरत के अनुसार मिश्री मिला लें। यह अनेक रोगों को तो दूर करता ही है साथ ही क्षुधावर्धक भी होता हैं। इसी विधि के अनुसार काढ़ा बनाकर उसमें एक दो इलायची का चूर्ण और दस पन्द्रह सुधामूली डालकर सर्दियों में पीना बहुत लाभकारी होता हैं। इसमें शारीरिक पुष्टता बढ़ती हैं। तुलसी के पत्ते का चूर्ण बनाकर मर्तबान में रख लें, जब भी चाय बनाएं तो दस पन्द्रह ग्राम इस चूर्ण का प्रयोग करें यह चाय ज्वर, दमा, जुकाम, कफ तथा गले के रोगों के लिए बहुत लाभकारी हैं। तुलसी का काढ़ा बनाने के लिए तीन चार काली मिर्च के साथ तुलसी की सात आठ पत्रितयों को रगड़ लें और अच्छी तरह मिलाकर एक गिलास द्रव तैयार करें इक्कीस दिनों तक सुबह लगातार ख़ाली पेट इस काढ़े का सेवन करने से मस्तिष्क की गर्मी दूर होती है और उसे शांति मिलती हैं। क्योंकि यह काढ़ा हृदयोत्तेजक होता है, इसलिए यह हृदय को पुष्ट करता है और हृदय संबंधी रोगों से बचाव करता हैं। एसिडिटी संधिवात मधुमेह, स्थूलता, खुजली, यौन दुर्बलता, प्रदाह आदि अनेक बीमारियों के उपचार के लिए तुलसी की चटनी बनाई जा सकती हैं। इसके लिए लगभग दस-दस ग्राम धानिया, पुदिना लें उसमें थोड़ा सा लहसुन अदरख, सेंधा नमक, खजूर का गुड़, अंकुरित मेथी, अंकुरित चने, अंकुरित मूग, तिल और लगभग पांच ग्राम तुलसी के पत्ते मिलाकर महीन पीस लें। अब इसमें एक नींबू का रस और लगभग पन्द्रह ग्राम नारियल की छीन डाले। इस चटनी को रोटी के साथ या साग में मिलाकर खाया जा सकता हैं। चटनी से कैल्शियम, पोटेशियम, गंधाक, आयरन, प्रोटीन तथा एन्जाइम आदि हमारे शरीर को प्राप्त होते हैं। एक बात ध्यान रखें कि यह चटनी दो घांटे तक ही अच्छी रहती है। अत: इसका प्रयोग सदा ताजा बनाकर ही करें दो घांटे के बाद इसके गुण में परिवर्तन आ जाता हैं। इस चटनी को कभी फ्रिज में नहीं रखें। शीतऋतु में तुलसी का पाक भी एक गुणकारी औषधि के रूप में प्रयोग किया जा सकता हैं। इसके लिए तुलसी के बीजों को निकाल कर आटे जैसा बारीक पीस लें अब लगभग 125 ग्राम चने के आटे में मोयन के लिए देसी घी व थोड़ा सा दूध डालकर उसे लोहे या पीतल की कड़ाही में घी डालकर धीमी आंच पर भूनें। बाद में लगभग 125 ग्राम खोआ डालकर, उसे भूनें इसके बात उसमें बादाम की गिरि व तुलसी के बीजों का चूर्ण मिला लें। जब लाल हो जाए, तो इसमें इलायची व काली मिर्च ड़ालकर इस मिश्रण को तुरंत उतार लें। अब मिश्री की चाशनी में केसर डालकर, इस मिश्रण को उसमें डाल दें और अच्छी तरह मिलाएं, गाढ़ा होने पर थाली में ठंड़ा कर टुकड़े करें सर्दी में प्रतिदिन 20 से 100 ग्राम मात्रा दूध के साथ खाने से बल वीर्य बढ़ता हैं। इससे पेट के रोग वातजन्य रोग, शीघ्रपतन, कामशीलता, मस्तिष्क की कमज़ोरी, पुराना जुकाम, कफ आदि में बहुत लाभ होता हैं। अरिष्ट आसव बनाने के लिए 100 ग्राम बबूल की छाल को लगभग डेढ़ किलो पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी एक चौथाई न हो जाएं। अब इसे छानकर इसमें लगभग अस्सी ग्राम तुलसी का चूर्ण, पांच सौ ग्राम गुड़, 10 ग्राम पीपल तथा 80 ग्राम आंवले के फूल मिला दें। काली मिर्च, जायफल, दालचीनी,ाीतलचीनी, नागकेसर, तमालपत्र तथा छोटी इलायचीं,

;टैगोर व मदर टेरेसा की जयंती पर विशेष डाक टिकट व ट्रेन
  • डाक विभाग, कोलकाता नोबल पुरस्कार से सम्मानित विश्व कवि कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर की 150 वीं जयंती तथा मिशनरीज आफ चैरिटी की संस्थापक मदर टेरेसा की 100वीं जन्म शताब्दी पर डाक टिकट जारी करेगा। संयोग से वर्ष 2010 में टैगोर की 150वी और मदर टेरेसा की 100वीं जयंती है। कोलकाता जीपीओ के निदेशक अनिल कुमार ने बताया कि कविगुरु ने एक नाटक डाक घर लिखा था तथा बचपन में वह पोस्टऑफिस में ही काम करना चाहते थे। कविगुरु और मदर पर डाक टिकट के अलावा डायरी, ग्रीटिंग कार्ड और कैलेंडर भी इस वर्ष जारी किये जायेंगे। श्री कुमार ने बताया कि इस बारे में शोध कार्य किया जा रहा है कि मदर टेरेसा के मिशनरोज ऑफ चैरिटी के जरिए गरीबों की सेवा तथा उनके जीवन के अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यो को ‘बेहतर तरीके’ से कैसे व्यक्त किया जा सके।
  • इसके अलावा इस साल टैगोर तथा मदर पर डाक टिकट, डायरियां, ग्रीटिंग कार्ड और कलेंडर जारी किए जाएंगे। कॉफी के मग पर दोनों महान विभूतियां के दुर्लभ चित्र और संदेश लिखकर उन्हें बेचा जाएगा। ये सभी वस्तुएं फिलाटेलिक ब्यूरो में उपलब्ध रहेंगे, जिन्हें कलेक्टर्स (संग्रहकर्ता) को पार्सल या वीपीपी से भेजा जायेगा. डाक विभाग को आशा है कि इन उत्पादों की कोलकाता में काफ़ी कद्र होगी, क्योंकि देश भर में सर्वाधिक 52 हजार स्टैंप कलेक्टर यहां हैं। उन्होंने बताया कि यह टिकट संग्रहण ब्यूरो में उपलब्ध होगा तथा मांग पर ज़िलाधिकारी को भेजा जाएगा।
  • श्री कुमार ने बताया कि अभिनेता उत्तम कुमार और जादूगर पीसी सरकार पर आधारित उत्पादों की बिक्री भी खासी हुई थी. नदिया ज़िले के कृष्णनगर पोस्ट ऑफिस से भगवान कृष्ण पर आधारित 10 हजार कैलेंडर बेचे गये थे। उन्होंने बताया कि वह लोगों को डाक टिकट के क़रीब लाना चाहते हैं, क्योंकि इसके जरिये देश के इतिहास, संस्कृति, जीवन और विकास का पता चलता है।
  • इधर रेलवे की ओर से घोषणा की गयी है कि मदर टेरेसा के नाम पर मदर एक्सप्रेस की शुरूआत की जायेगी. गुरुवार को रेल मंत्री ममता बनर्जी इसकी शुरूआत सियालदह से करेंगी. यह ट्रेन देश भर के विभिन्न स्टेशनों पर अगले छह महीने तक जायेगी।
  • उदघाटन के मौके पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सुपीरियर जनरल सिस्टर प्रेमा, सिस्टर निर्मला, सिस्टर ऐंसी, सिस्टर जोसफ, सिस्टर गेरार्ड, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री दिनेश त्रिवेदी, केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री मुकुल राय, केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री सुलतान अहमद, सुदीप बनर्जी, सोमेन मित्रा, शोभन चटर्जी, शिखा मित्रा, शुभाप्रसन्ना, सांवली मित्रा, डेरेक ओ ब्रायन व अन्य मौजूद रहेंगे।
विभिन्न क्षेत्रों भारत में प्रथम

6. फील्ड मार्शल- S.H.F.J. मानेकशा 9. वायसराय एक्जिक्यूटिव कौंसिल के प्रथम भारतीय सदस्य- एस. पी. सिन्हा 26. भारत में निर्मित प्रथम भारतीय फिल्म (silent film)- राजा हरिश्चन्द्र, 1913 में 27. भारत में निर्मित प्रथम भारतीय फिल्म (silent film) के निर्माण कर्ता- दादा साहेब फाल्के 28. प्रथम भारतीय रंगीन फिल्म- किशन कन्हैया (1937) 29. सिनेमास्कोप फिल्म- कागज के फूल (1959) 30. लाइफ टाइम अचिवमेंट के ऑस्कर पुरस्कार विजेता- सत्यजीत राय (1992) 31. बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन ऑस्कर विजेता- भानु अथैया (1982) 39. किसी विधानसभा की प्रथम महिला अध्यक्ष- श्रीमती शन्नो देवी 45. ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाली प्रथम भारोत्तोलक- कर्णम मल्लेश्वरी देवी (सिडनी, 2000) 46. शतरंज में प्रथम विश्व चैम्पियन भारतीय - विश्वनाथन आनंद 49. दलित वर्ग से प्रथम लोकसभा अध्यक्ष- G. M. C. बालयोगी 51. भारत की प्रथम महिला एयर वाईस मार्शल- पी. बंदोपाध्याय 59. प्रथम विश्व सुन्दरी (मिस वर्ड)- कु. रीता फारिया 62. अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट में 100 विकेट लेने वाली प्रथम महिला- डायना एडुलजी

AA
BB
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D D2
E E2
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F1
F2

Ability, योग्यता, कौशल

केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है | ~ प्रेमचंद

कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है | ~ प्रेमचंद

गुण छोटे लोगों में द्वेष और महान व्यक्तियों में स्पर्धा पैदा करता है | ~ फील्डिंग

कार्यकुशल व्यक्ति के लिए यश और धन की कमी नहीं है | ~ अज्ञात

मनुष्य अपने गुणों से आगे बढता है न कि दूसरों कि कृपा से | ~ लाला लाजपतराय

यदि तुम अपने आपको योग्य बना लो, तो सहायता स्वयमेव तुम्हे आ मिलेगी | ~ स्वामी रामतीर्थ

महान व्यक्ति न किसी का अपमान करता है ओर न उसको सहता है | ~ होम

नैतिक बल के द्वारा ही मनुष्य दूसरों पर अधिकार कर सकता है | ~ स्वामी रामदास

मनुष्य धन अथवा कुल से नहीं, दिव्य स्वभाव और भव्य आचरण से महान बनता है | ~ आविद

ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे | ~ विनोबा भावे


Advice, सलाह, परामर्श, मशवरा

बिना मांगे किसी को हरगिज नसीहत मत दो | ~ जर्मन कहावत

जब हम किसी नई परियोजना पर विचार करते हैं तो बड़े गौर से उसका अध्ययन करते हैं – महज सतही तौर पर नहीं, बल्कि उसके हर एक पहलू का। – वाल्ट डिज्नी


Anger, क्रोध, ग़ुस्सा, ताव

क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है | ~ महात्मा गांधी

मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है | ~ बाइबिल

क्रोध करने का मतलब है, दूसरों की गलतियों कि सजा स्वयं को देना |

जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर विचार करो | ~ कन्फ्यूशियस

क्रोध से धनि व्यक्ति घृणा और निर्धन तिरस्कार का पात्र होता है | ~ कहावत

क्रोध मूर्खता से प्रारम्भ और पश्चाताप पर खत्म होता है | ~ पाईथागोरस

क्रोध के सिंहासनासीन होने पर बुद्धि वहां से खिसक जाती है | ~ एम. हेनरी

जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में नहीं कह सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है | ~ रवीन्द्रनाथ ठाकुर

क्रोध मस्तिष्क के दीपक को बुझा देता है | अतः हमें सदैव शांत व स्थिरचित्त रहना चाहिए | ~ इंगरसोल


Beauty, सौंदर्य, सुंदरता, शबाब

सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है | ~ सादी

वास्तविक सोन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है | ~ महात्मा गांधी

सुन्दर वही हो सकता है जो कल्याणकारी हो | ~ भगवतीचरण वर्मा

सोंदर्य आकार और सममिति पर निर्भर होता है | चाहे कोई जीव छोटा हो या बेहद बड़ा वह खूबसूरती को परिभाषित नहीं करता , क्योंकि उसको एक दृष्टि मात्र में देखने पर उसकी स्पष्ट नहीं होती है, इसलिए वे परिपूर्ण की श्रेणी में नहीं आते | ~ अरस्तु

मेरी नजर में मेरा करीबी दोस्त कभी भी वृद्ध नहीं हो सकता | वह वैसा ही रहेगा जैसा मैंने उसे पहली बार देखा था, उसकी खुबसूरती वैसी ही दिखेगी जैसी मैंने पहली नजर में देखी थी | ~ विलियम शेक्सपियर

अतिशय सुंदरता कभी-कभी हमें भयानक रूप से ठेस भी पहुंचा सकती है। -एदुआर्दो गैलियानो

खूबसूरती एक अनुभव है, इसके सिवा कुछ भी नही| इसे बयां करने के लिए स्थापित मानक नही हैं, न ही नाक – नक्श का वणर्न करना काफी है| ~ डी. एच. लॉरेंस़

खूबसूरती चेहरे पर नही होती| ये तो दिल की रोशनी है, बहुत ध्यान से देखनी पड‍़ती है| ~ खलील जिब्रान

जो सुंदरता आंखों द्वारा देखी जाती है , वह कुछ ही पल कि होती है , यह जरूरी भी नहीं कि हमारे भीतर से भी वही खूबसूरती दिखाई दे | ~ जॉर्ज सेंड

दुनिया की सबसे अच्छी और खूबसूरत चीजें कभी देखी या छुई नहीं गई, वे बस दिल के साथ घुल – मिल गईं| ~ हेलेन कलर

सुंदर चीजों पर यकीन बनाये रखिये| याद रहे- सूरज डूब गया तो वसंत भी नहीं आएगा| ~ गिल्सन|

एक शख्स हर दिन संगीत सुने, थोड़ी सी कविता पढ़े और अपने जीवन की सुंदर तस्वीर रोज देखे … उसे सुंदरता की परिभाषा तलाशने की ज़रूरत ही नहीं, क्योंकि भगवान ने सरे संसार का सौंदर्य उसकी झोली में डाल रखा है|~ गोयथे|

खूबसूरती में मानव खुद को पूर्णता के स्तर पर देखता है, कुछ परिस्थितियों में वह खुद की पूजा करता है, मनुष्य यह मान लेता कि यह पूरा विश्व खूबसूरती से भरा हुआ है यह भूल जाता है कि जो सुंदरता वह देख रहा है वह उसके ‌‍द्वारा बनाई हुई है | मानव ने अकेले ही इस जहान को खूबसूरती अर्पित कि है | ~ फ्रेडरिक नीत्शे

सुंदरता जब आपको आकर्षित कर रही होती है, व्यक्तित्व तब तक आपके दिल पर कब्ज़ा कर चुका होता है| ~ अज्ञात

हम सारी दुनिया घूमते और खूबसूरती तलाशते रहते हैं .. कभी मुड़ के भी नहीं देखते .. अपने पास ही छुपी हुई खूबसूरती की और| ~ इमर्सन

कभी भी कुछ सुंदर देखने का मौका मत छोडो, सच तो यह है कि खूबसूरती भगवान की लिखावट है .. हर चेहरे पर, धुले-धुले आसमान में, हर फूल में उसकी लिखावट नज़र आएगी .. और हे भगवान, इस सौंदर्य के लिये हम आपके आभारी हैं| ~ राल्फ वाल्डो इमर्सन|

सुंदरता सबको चाहिए| इसके लिये आओ, बाहर आओ| पूजाघर में और खेल के मैदानों में सौंदर्य बिखरा पड़ा है .. उससे अपना तन और मन भर लो| ~ जोन मुइर


Book, पुस्तक, किताब, ग्रंथ

सभी अच्छी पुस्तकों को पढ़ना पिछली शताब्दियों के बेहतरीन व्यक्तियों के साथ संवाद करने जैसा है | ~ रेने डकार्टेस

जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अधिक सहायक हैं | ~ जवाहरलाल नेहरू

किताबों में इतना खजाना छुपा हैं, जितना कोई लुटेरा कभी लूट नहीं सकता | ~ वाल्ट डिज्नी

लोगों को मारा जा सकता है | लेखकों को भी, लेकिन किताबों को मारना संभव नहीं | ~ अमोस ओज

किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना| ~ चाणक्य

बिना ग्रंथों का कक्ष , बिना आत्मा की देह है | ~ शरण

पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं | ~ महात्मा गांधी

विचारों के युद्ध में, पुस्तकें ही अस्त्र हैं | ~ जार्ज बर्नार्ड शॉ

आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक | ~ टसर

अच्छा ग्रंथ एक महान आत्मा का अमूल्य जीवन रक्त है | ~ मिल्टन


Change, परिवर्तन, बदलना, अस्थिर

बदलाव से पूरी मुक्ति मतलब गलतियों से पूरी मुक्ति है, लेकिन यह तो अकेली सर्वज्ञता का विशेषाधिकार है। – सी सी काल्टन

परिवर्तन ही सृष्टि है,जीवन होना मृत्यु है | ~ अज्ञात

सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं है |


Character, चरित्र, स्वभाव, ख़ासियत

तुम बर्फ के समान विशुद्ध रहो और हिम के समान स्थिर तो भी लोक निन्दा से नहीं बच पाओगे |

अच्छी आदतों से शक्ति की बचत होती है, अवगुण से बर्बादी | ~ जेम्स एलन

हमारी दुनिया को सबसे ज़्यादा एक नए नैतिक ढांचे की दरकार है | ~ ह्यूगो शावेज

चरित्र एक वृक्ष है, मान एक छाया। हम हमेशा छाया की सोचते हैं, लेकिन असलियत तो वृक्ष ही है। -अब्राहम लिंकन

किसी व्यक्ति के चरित्र को उसके द्वारा प्रयुक्त विशेषणों से जाना जा सकता है | ~ मार्क ट्वेन

बुद्धि के साथ सरलता, नम्रता तथा विनय के योग से ही सच्चा चरित्र बनता है|

आचरण अच्छा हो तो मन में अच्छे विचार ही आते हैं।

सुन्दर आचरण, सुन्दर देह से अच्छा है | ~ इमर्सन

जैसे आचरण की तुम दूसरों से अपेक्षा रखते हो, वैसा ही आचरण तुम दूसरों के प्रति करो | ~ ल्यूक

अपकीर्ति दण्ड में नहीं, अपितु अपराध में है | ~ एलफिरी

दूसरों को क्षति पंहुचाकर अपनी भलाई कि आशा नहीं करनी चाहिए |

चरित्रवान व्यक्ति अपने पद और शक्ति का अनुचित लाभ नहीं उठाते |

चरित्र आत्मसम्मान की नींव है |

अपने चारित्रिक सुधार का आर्किटेक्ट खुद को बनना होगा |

जैसा अन्न, वैसा मन।

अपकीर्ति अमर है, जब कोई उसे मृतक समझता है, तब भी वह जीवित रहती है | ~ प्ल्यूटस

जो मानव अपने अवगुण और दूसरों के गुण देखता है, वही महान व्यक्ति बन सकता है | ~ सुकरात

बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं | ~ स्वामी विवेकानंद

आत्म निर्भरता सद् व्यवहार की आधारशिला है | ~ इमर्सन

वृक्ष, सरोवर, सज्जन और मेघ-ये चारों परमार्थ हेतु देह धारण करते हैं | ~ महात्मा कबीर

चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए | ~ महात्मा गांधी

संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं | ~ रूसो

अच्छा स्वभाव, सोंदर्य के अभाव को पूरा कर देता है | ~ एडीसन

व्यवहार वह दर्पण है, जिसमें प्रत्ये़क का प्रतिबिम्ब देखा जा सकता है | ~ गेटे


Compassion, दया, सहानुभूति, मेहरबानी

हम सभी ईश्वर से दया की प्रार्थना करते हैं और वही प्रार्थना हमें दया करना भी सिखाती है। -शेक्सपियर

दयालु चेहरा सदैव सुंदर होता है। -बेली

मुझे दया के लिए भेजा है, शाप देने के लिए नहीं। – हजरत मोहम्मद

जो सचमुच दयालु है, वही सचमुच बुद्धिमान है, और जो दूसरों से प्रेम नहीं करता उस पर ईश्वर की कृपा नहीं होती। -होम

दया के छोटे-छोटे से कार्य, प्रेम के जरा-जरा से शब्द हमारी पृथ्वी को स्वर्गोपम बना देते हैं। -जूलिया कार्नी

न्याय करना ईश्वर का काम है, आदमी का काम तो दया करना है। -फ्रांसिस

दयालुता हमें ईश्वर तुल्य बनती है। -क्लाडियन

दया मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। -प्रेमचंद

दया सबसे बड़ा धर्म है। – महाभारत

दया दोतरफी कृपा है। इसकी कृपा दाता पर भी होती है और पात्र पर भी। -शेक्सपियर

जो असहायों पर दया नहीं करता, उसे शक्तिशालियों के अत्याचार सहने पड़ते हैं। -शेख सादी

दयालुता दयालुता को जन्म देती है। -सोफोक्लीज

परोपकारियों का मार्ग न समुद्र रोक सकता है और न पर्वत | ~ अज्ञात


Competition, प्रतियोगिता, मुक़ाबला

स्पर्धा और प्रतिस्पर्धा से वातावरण दीप्त और उद्दीप्त रहता है | ~ जैनेन्द्र कुमार


Confidence, आत्मविश्वास, निश्चय

आत्मविश्वास किसी भी कार्य के लिए आवश्यक तत्व है | क्योंकि एक बड़ी खाई को दो छोटी छलांगों में पार नहीं किया जा सकता| ~ अज्ञात

आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलिब्धयां भी पकड़ से परे हैं| ~ जिम लोहर

पेड़ की शाखा पर बैठा पंछी कभी भी इसलिए नहीं डरता कि डाल हिल रही है, क्योंकि पंछी डाली में नहीं अपने पंखों पर भरोसा करता है|

आत्मविश्वास हमारे उत्साह को जगाकर हमें जीवन में महान उपलब्धियों के मार्ग पर ले जाता है|

अनुभूतियों के सरोवर में, आत्म-विश्वास के कमाल खिलते हैं | ~ अमृतलाल नागर

आत्मविश्वासी व्यक्ति अपने कार्य को पूरा करके ही छोड़ता है | ~ स्वेट मार्डेन

आत्मविश्वास वह संबल है, जो रास्ते की हर बाधा को धराशायी कर सकता है |


Courage, साहस, हिम्मत, पराक्रम

निराश हुए बिना पराजय को सह लेना, पृथ्वी पर साहस की सबसे बड़ी मिसाल है | ~ इंगरसोल

हमारी सुरक्षा, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे ग्रह के लिए बदलाव लाने का हममें साहस और प्रतिबद्धता होनी चाहिए। ~ बराक ओबामा (अमेरिकी राष्ट्रपति)

मानव के सभी गुणों में साहस पहला गुण है, क्योंकि यह सभी गुणों की जिम्मेदारी लेता है | ~ चर्चिल

प्रेरणा कि हर अभिव्यक्ति में पुरुषार्थ और पराक्रम कि आवश्यकता है | ~ जैनेन्द्र कुमार

जो हर झाड़ी की जांच करता है, वह वन में क्या घुस पाएगा | ~ जर्मन कहावत

यह संकल्प कर लें कि यह जोखिम लेने योग्य है, तो आपको तत्काल कर्म करने का साहस जुटा लेना चाहिए |

सच्चा साहसी वह है, जो बड़ी से बड़ी विपत्ति को बुद्धिमत्तापूर्वक सह सकता है | ~ शेक्सपीयर

हर परिस्थिति में शांत रहने वाला निश्चित ही शिखर को छुता है |

साहस का अर्थ होता है यह पता होना कि किस बात से डरना नहीं चाहिए| ~ प्लेटो

वह सच्चा साहसी है, जो कभी निराश नहीं होता |


Coward, कायर

कायर तभी धमकी देता है, जब सुरक्षित होता है | ~ गेटे

जो दूसरों की स्वाधीनता छीनते हैं, वास्तव में कायर हैं | ~ अब्राहम लिंकन

कायरता से कहीं ज्यादा अच्छा है, लड़ते-लड़ते मर जाना | ~ महात्मा गांधी

कुरीति के अधीन होना कायरता है, उसका विरोध करना पुरुषार्थ है | ~ महात्मा गांधी

सौभाग्य वीर से डरता है और सिर्फ भीरु को भयभीत करता है | ~ सेनेका

कायर अपने जीवन काल में ही अनेक बार मरते है, परन्तु वीर पुरुष केवल एक ही बार मरते हैं |


Creation, सृजन, रचना, निर्माण

एक बीज बढ़ते हुए कभी कोई आवाज नहीं करता, मगर एक पेड़ जब गिरता है तो जबरदस्त शोर और प्रचार के साथ, विनाश में शोर है, सृजन हमेशा मौन रहकर समृद्धि पाता है।


Death, मृत्यु, अंत, ख़तम, नाश

मृत्यु और विनाश बिना बुलाए ही आया करते हैं। क्योंकि ये हमारे मित्र के रूप में नहीं शत्रु के रूप में आते हैं। – भगवतीचरण वर्मा


Discipline, अनुशासन, आत्मसंयम

हम दबाव से अनुशासन नहीं सीख सकते | ~ महात्मा गांधी


Donation, दान, चंदा

दान से वस्तु घटती नहीं बल्कि बढ़ती है |

जब घर में धन और नाव में पानी आने लगे, तो उसे दोनों हाथों से निकालें. ऐसा करने में बुद्धिमानी है, हमें धन की अधिकता सुखी नहीं बनाती| - संत कबीर


Dream, सपना, ख़याल

हमारे कई सपने शुरू में असंभव लगते हैं, फिर असंभाव्य और फिर जब हमें संकल्पशक्ति आती है तो ये सपने अवश्यंभावी हो जाते हैं। ~ क्रिस्टोफर रीव

सपने देखना बेहद जरुरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंजिल को हासिल नहीं किया जा सकता, सबसे ज्यादा जरुरी है जिंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना | ~ डा. अब्दुल कलाम

स्वप्न दृष्टा और यथार्थ के सृष्टा बनिए | ~अज्ञात

अभिलाषा तभी फलदायक होती है, जब वह दृढ निश्चय में परिणित कर दे जाती है | ~ स्वेट मार्डेन


Duty, कर्तव्य, धर्म, फर्ज़

सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं | ~ प्रेमचंद

कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता | कर्तव्य-पालन में ही चित्त की शांति है | ~ प्रेमचंद

कृतज्ञता एक कर्तव्य है,जिसे पूरा करना चाहिए | ~ रूसो

विदेश में विद्या ,घर में पत्नी ,रोगी के लिए औषधि और मृतक का मित्र धर्म है | ~ अज्ञात

कर्तव्य एक चुम्बक है, जिसकी ओर आकर्षित हुआ अधिकार दौड़ा आता है | ~ अज्ञात


Education, शिक्षा,

शिक्षा जीवन की परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता का नाम है | ~ जॉन जी. हिबन

बच्चों को शिक्षित करना तो जरूरी है ही, उन्हें अपने आप को शिक्षित करने के लिए छोड़ देना भी उतना ही जरूरी है | ~ अर्नेस्ट डिमनेट

संसार में जितने प्रकार की प्राप्तियां हैं, शिक्षा सब से बढ़कर है | ~ सूर्यकांत त्रिपाठी

शिक्षा जीवन की तैयारी का शिक्षण काल है | ~ विल्मट

युवकों की शिक्षा पर ही राज्य आधारित है | ~ अरस्तू

विद्या अमूल्य और अनश्वर धन है | ~ ग्लैडस्टन


Enemy, दुश्मन, शत्रु, विरोधी

अहिंसा अच्छी चीज है, लेकिन शत्रुहीन होना अच्छी बात है | ~ विमल मित्र

दुश्मन का लोहा गर्म भले ही हो ,पर हथौड़ा तो ठंडा ही काम दे सकता है | ~ सरदार पटेल


Evil, बुराई, दुष्ट

पक्षपात सब बुराइयों की जड़ है | ~ विवेकानन्द

एक बुराई, दूसरी बुराई को जनम देती है | ~ शेक्सपियर

बुराई नौका में छिद्र के समान है | वह छोटी हो या बड़ी , एक दिन नौका को डूबो देती है | ~ कालिदास

अति अगर अच्छाई की हो तो वह भी अतंत: बुराई में तब्दील हो जाती है| ~ विलियम शेक्सपियर


Fear, डर, भय, ख़ौफ़

जिसे भविष्य का भय नहीं रहता, वही वर्तमान का आनंद उठा सकता है | ~ अज्ञात

भय ही पतन और पाप का निश्चित कारण है | ~ स्वामी विवेकानंद

जैसे ही भय आपकी ओर बढ़े, उस पर आक्रमण करते हुए उसे नष्ट कर दो | ~ चाणक्य

जो चुनौतियों का सामना करने से डरता है, उसका असफल होना तय है | ~ अज्ञात


Friendship, दोस्ती, मित्रता, मैत्री

मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो | ~ अरस्तू

दोस्त वह है, जो आपको अपनी तरह जीने की पूरी आजादी दे| ~ जिम मॅारिसन

अत्याचारी से बढ़कर अभागा व्यक्ति दूसरा नहीं, क्योंकि विपत्ति के समय कोई उसका मित्र नहीं होता |

सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है।

ज्ञानी दोस्त जिंदगी का सबसे बड़ा वरदान है | ~ यूरीपिडीज

कृतज्ञता मित्रता को चिरस्थायी रखती है और नए मित्र बनाती है | ~ फ्रेंकलिन

झूठे मित्र साये की तरह होते हैं | धूप में साथ चलते हैं और अंधेरे में साथ छोड़ देते हैं | ~ अज्ञात

सच्चे मित्र के तीन लक्षण हैं- अहित को रोकना, हित की रक्षा करना और विपत्ति में साथ नहीं छोड़ना |

सच्चे मित्र के सामने दुःख आधा और हर्ष दुगुना प्रतीत होता है | ~ जानसन


Funny, मज़ाकिया, अजीब

कामयाब व्यक्ति की आधुनिक परिभाषा: जो पहली बीवी की वजह से कामयाबी हासिल करता है और कामयाबी की वजह से दूसरी बीवी।

एक सरकारी दफ्तर के बोर्ड पर लिखा था कृप्या शोर न करें! किसी ने उसके नीचे लिख दिया! वरना हम जाग जायेंगे!

हर विषय को मिनी स्कर्ट की तरह होना चाहिये! इतना छोटा कि लोगों का इन्ट्रस्ट बना रहे और जरुरी चीज़े भी कवर हो जाये!

किशोरावस्था :ऐसी आयु जिसमें लड़के लड़कियों को ताड़ने लगते हैं और लड़कियां ताड़ने लगती हैं कि लड़के उन्हें ताड़ने लगे हैं.

आदर्श पत्नी :जो बरतन, कपड़े, झाड़ू, पोंछा … कहने का मतलब घर के सभी काम, करने में पति की मदद करे.

गाली: क्रोध के समय मुख से निकले शब्द अथवा शब्दों का समूह …, जिनके उच्चारण के पश्चात् व्यक्ति के हृदय को शान्ति का अनुभव होता है.

मनोचिकित्सक: जो भारी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है, जैसे आपकी पत्नी आपसे यूँ ही पूछती रहती है.

राय – वह इकलौती वस्तु जिसका देना अधिक सुखद है उसके लेने की अपेक्षा.

दृढ़ता – वह गुण जो हममें हो तो सत्याग्रह, दूसरे में हो तो दुराग्रह.

अधिकारी : वह जो आपके पहुंचने के पहले ऑफिस पहुंच जाता है और यदि कभी आप जल्दी पहुंच जाएं तो काफी देर से आता है।

नेता: वह शख्स जो अपने देश के लिये आपकी जान की कुर्बानी देने को हमेशा तैयार रहता है।

पड़ोसी: वह महानुभाव जो आपके मामलों को आपसे ज्यादा समझते हैं।

शादी: यह मालूम करने का तरीका कि आपकी बीबी को कैसा पति पसन्द आता।

कान्फ्रेन्स रूम: वह स्थान जहां हर व्यक्ति बोलता है, कोई नहीं सुनता है और अंत में सब असहमत होते हैं।

श्रेष्ठ पुस्तक: जिसकी सब प्रशंसा करते हैं परंतु पढ़ता कोई नहीं है।

कार्यालय: वह स्थान जहां आप घर के तनावों से मुक्ति पाकर विश्राम कर सकते हैं।

मच्छर: इंजेक्शन की ऐसी सिरिंज जो उड़ सकती है.

एक आशावादी सोचता है कि गिलास आधा भरा है, निराशावादी का विचार होता है कि गिलास आधा खाली है, पर एक यथार्थवादी जानता है कि वह आसपास बना रहा तो अंतत: गिलास उसे ही धोना पड़ेगा।


God, भगवान, प्रभु, अल्लाह

ईश्वर को देखा नहीं जा सकता, इसीलिए तो वह हर जगह मौजूद है।- यासुनारी कावाबाता

यदि ईश्वर का अस्तित्व न होता, तो उसके आविष्कार की आवश्यकता पड़ती | ~ वाल्टेयर


Goodness, भलाई, साधुता, भद्रता

भलाई में आनंद है, क्योंकि वह तुम्हारे स्वास्थ्य और सुख में वृद्धि करता है | ~ जरथुष्ट्र

भलाई करना मानवता है, भला होना दिव्यता है | ~ ला मार्टिन

भलाई अमरत्व की ओर ले जाती है, बुराई विनाश की ओर | ~ व्हिटमैन


Happiness, सुख, आनंद, ख़ुशी

आप अपनी आंख बंद करके ध्यान लगाएं और खुद से पूछे कि कौन सा काम करते समय आपको आनंद आता है | ऐसी कौन-सी दुनिया है, जो आपको बुलाती है | तभी तुम सही फैसला कर पाओगे |

प्रसन्नता आत्मा को शांति देती है | ~ सैम्युअल स्माइल्स

आनंद ही ब्रह्म है, आनंद से ही सब प्राणी उत्पन्न होते हैं. उत्पन्न होने पर आनंद से ही जीवित रहते हैं और मृत्यु से आनंद में समा जाते हैं| ~ उपनिषद

प्रसन्नता स्वास्थ्य देती है, विषाद रोग देते है।

मनुष्य अपने आनंद का निर्माता स्वयं है। ~ थोरो

प्रसन्नचित्त मनुष्य अधिक जीते हैं | ~ शेक्सपियर

प्रसन्न करने का उपाय है, स्वयं प्रसन्न रहना।

हर्ष के साथ शोक और भय इस प्रकार लगे हैं जैसे प्रकाश के संग छाया, सच्चा सुखी वही है जिसकी दृष्टि में दोनों समान हैं| ~ धम्मपद

प्रसन्नता बसन्त की तरह, ह्रदय की सब कलियां खिला देती है | ~ जीनपॉल

जो व्यक्ति सभी को खुश रखना चाहेगा, वह किसी को खुश नहीं रख सकता |

सुख सर्वत्र मौजूद है, उसका स्त्रोत हमारे ह्रदयों में है | ~ रस्किन

सुख का रहस्य त्याग में है | ~ एण्ड्रयू कारनेगी

सुख बाहर से मिलने की चीज नहीं, मगर अहंकार छोड़े बगैर इसकी प्राप्ति भी होने वाली नहीं | ~ महात्मा गांधी

जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं | ~ मुंशी प्रेमचंद

जीवन के प्रति जिस व्यक्ति कि कम से कम शिकायतें है, वही इस जगत में अधिक से अधिक सुखी है |


Hate, घृणा, नफ़रत, द्वेष

पाप से घृणा करो, पापी से नहीं | ~ महात्मा गांधी


Health, स्वास्थ्य, सेहत

शीघ्र सोने और प्रात:काल जल्दी उठने वाला मानव अरोग्यवान,भाग्यवान और ज्ञानवान होता है | ~ जयशंकर प्रसाद

जहां तक हो सके, निरन्तर हंसते रहो, यह सस्ती दवा है | ~ अज्ञात

अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ, जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं | ~ साइरस

प्रतिदिन एक सेव खाने से डॉक्टर की आवश्यकता नहीं होती | ~ अंग्रेजी कहावत

स्वास्थ्य परिश्रम में है और श्रम के अलावा वहां तक पहुंचने का कोई दूसरा राजमार्ग नहीं | ~ वेन्डेल फिलप्स

अच्छा मजाक आत्मा का स्वास्थ्य है, चिंता उसका विष | ~ स्टैनली


Heart, दिल, ह्रदय

एक टूटा हुआ दिल, टूटे हुए शीशे के समान होता है. इसको टूटा हुआ छोड़ देना ज्यादा बेहतर होता, क्योंकि दोनों को जोड़ने में खुद को ज्यादा दुख पहुंचता है।

चेहरा ह्रदय का प्रतिबिम्ब है | ~ कहावत

सुन्दर ह्रदय का मूल्य सोने से भी बढ़कर है | ~ शेक्सपियर

भरे दिल में सबके लिए जगह होती है पर खाली दिल में किसी के लिए नहीं |


History, इतिहास, प्राचीन

उचित रूप से देंखे तो कुछ भी इतिहास नही है , सब कुछ मात्र आत्मकथा है ।~ इमर्सन

इतिहास , असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है।~ नेपोलियन बोनापार्ट

इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है ।~ जेम्स के. फिंक

ज्ञानी लोगों का कहना है कि जो भी भविष्य को देखने की इच्छा हो भूत (इतिहास) से सीख ले ।~ मकियावेली ” द प्रिन्स ”

इतिहास से हम सीखते हैं कि हमने उससे कुछ नही सीखा।

इतिहास सदा विजेता द्वारा ही लिखा जाता है ।

इतिहास स्वयं को दोहराता है , इतिहास के बारे में यही एक बुरी बात है । ~ सी डैरो

इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा, उनके धन और बल की रक्षा के लिये लिखा जाता है ।

संक्षेप में , मानव इतिहास सुविचारों का इतिहास है । ~ एच जी वेल्स

जो इतिहास को याद नहीं रखते , उनको इतिहास को दुहराने का दण्ड मिलता है ।~ जार्ज सन्तायन

सभ्यता की कहानी , सार रूप में , इंजिनीयरिंग की कहानी है – वह लम्बा और विकट संघर्ष जो प्रकृति की शक्तियो को मनुष्य के भले के लिये काम कराने के लिये किया गया । ~ एस डीकैम्प


Home, घर, कुटुंब, निवास

घर के समान कोई स्कूल नहीं, न ईमानदारी व सदाचारी माता-पिता के समान कोई अध्यापक है |

जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले नहीं पीना चाहिए | ~ तिरुवल्लुवर


Honesty, ईमानदारी, सच्चाई

मनुष्य की प्रतिष्ठा ईमानदारी पर ही निर्भर है | ~ अज्ञात

ईमानदार मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट कृति है | ~ अज्ञात


Human, मनुष्य, मानव

किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के ह्रदय और आत्मा में बसती है | ~ महात्मा गांधी

अकृतज्ञता मनुष्यत्व का विष है | ~ सर पी. सिडनी

मानव द्वारा अपनाया जाने वाला विवेक व माधुर्य समाज को प्रसन्नता प्रदान करता है | ~ अज्ञात

जिन पापों को मनुष्य करना पसंद करते हैं, उन्हें सुनना पसंद नहीं करते |


Injustice, अन्याय, बेइंसाफी

अन्याय का राज्य बालू की भीत है | ~ जयशंकर प्रसाद

अधर्म पर स्थापित राज्य कभी नहीं टिकता | ~ सेनेका


Inspirational, प्रेरणादायक

प्यार कभी निष्फल नहीं होता, चरित्र कभी नहीं हारता, धैर्य और दृढ़ता से सपने अवश्य सच हो जाते हैं| ~ पीट मेराविच

मानव जीवन की दिशा बदलने में, एक छोटी सी बात भी अद्भुत प्रभाव रखती है | ~ स्वेट मार्डेन

किनारे पर खड़ा जहाज सबसे सुरक्षित होता है। लेकिन क्या जहाज इसलिए बनाए जाते हैं। जीवन में चुनौतियां लेने की ताकत ही आपकी क्षमताओं को तय करती है।

आप कुछ भी कर पाने में सक्षम हैं चाहे वह आपकी सोच हो, आपका जीवन हो या आपके सपने हों, सब सच हो सकते हैं| आप जो चाहें वह कर सकते हैं| आप इस अनंत ब्रह्मांड की तरह ही अनंत संभावनाओं से परिपूर्ण हैं| ~ शेड हेल्मस्टेटर

अगर हम अपनी क्षमता के अनुसार कर्म करें तो हम अपने-आप को ही अचंभित कर डालेंगे | ~ थॉमस एडीसन

संकल्प ही मनुष्य का बल है।

संपूर्ण लेखन जैसी कोई चीज नहीं होती। ठीक वैसे ही जैसे संपूर्ण निराशा नहीं होती। – हारुकि मुराकामी

अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नही होता।

वह सच्चा साहसी है जो कभी भी निराश नहीं होता |

मंजिल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं करते |

वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है।

जिसने निश्चय कर लिया, उसके लिए केवल करना शेष रह जाता है | ~ इटालियन कहावत

प्रचंड वायु मे भी पहाड़ विचलित नही होते।

हर परिस्थिति एक सौगात है और हर अनुभव खजाना |

मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है।

विवेक बहादुरी का उत्तम अंश है।

कोई भी पूर्ण नहीं होता और कोई भी हर समय नहीं जीतता |

बिना उत्साह के कभी किसी उच्च लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती | ~ इमर्सन

सतह की ‘चमक’ कभी उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती है, जितनी कि इसके नीचे कि ‘नीवं’ होती है |

ऊँची जगहों पर जाने का एकमात्र मार्ग घुमावदार सीढियां हैं |

अगर आप इस बात की परवाह नहीं करें कि श्रेय किसे मिलेगा, तो आप बहुत कुछ कर सकते हैं |

ऐसे असंख्य लोग हैं, जो बार-बार असफल हुए, तब कहीं जाकर वे ‘अचानक सामने’ आए |

अग्नि से सोना परखा जाता है और विपत्ति से वीर पुरुष | ~ सेनेका

गुण स्वयं ही सामने आ जाते हैं, क्योंकि कस्तूरी को अपनी उपस्थिति प्रमाणित नहीं करनी पड़ती | ~ शेस्टन

संभव की सीमाओं को जानने का एक ही तरीका है| उनसे थोड़ा आगे असंभव के दायरे में निकल जाइए| ~ आर्थर सी क्लार्क

खुश रहिए | रचनात्मक बनिए | इंसान अपने अस्तित्व का अर्थ जानकर ही विश्वास से भर उठता है और यही विचार उसकी मजबूती बढ़ाता है | ~ स्टीफन ज्विग

अगर हम गिरते हैं, तो अधिक अच्छी तरह चलने का रहस्य सीख जाते हैं | ~ महर्षि अरविन्द घोष

जो यह सोचते हैं कि वे किसी प्रकार की सेवा करने योग्य नहीं है, वे शायद पशुओं और वृक्षों को भूल जाते हैं |

लगन को कांटों कि परवाह नहीं होती | ~ प्रेमचंद


Insult, अपमान, तिरस्कार

तलवार का घाव भर जाता है, पर अपमान का नहीं | ~ एक कहावत


Intelligent, बुद्धिमान, मनीषी

ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार से समझे और परिस्थितियों के अनुसार आचरण करे | ~ अज्ञात

अगर तुम पढ़ना जानते हो, तो हर व्यक्ति स्वयं में एक पुस्तक है | ~ चैनिंग

बुद्धि की शक्ति उसके उपयोग में है, विश्राम में नहीं | ~ अज्ञात


Journey, यात्रा, सैर

न जल्दी करो, न परेशान हो| क्योंकि आप यहां एक छोटी-सी यात्रा पर हैं इसलिए आराम से रुकिए और फूलों की खुशबु का आनंद उठाइए | ~ वाल्टर हेगन

सही मार्ग पर चलना ‘यात्रा’ है और बिना लक्ष्य के ग़लत राह पर चलना ‘भटकना’ है।


Justice, न्याय, इंसाफ

बहुमत की आवाज न्याय का द्योतक नही है।

अन्याय मे सहयोग देना, अन्याय के ही समान है।

अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नही होता।

अहिंसा सर्वोत्तम धर्म है।

इंसाफ, सच और खूबसूरती जैसे शब्द एक – दूसरे के दोस्त हैं| जहां ये तीनों लफ्ज़ हों, वहाँ किसी और की ज़रूरत ही नहीं है| ~ साइमन वेल

अन्याय में सहयोग देना, अन्याय करने के ही समान है | ~ प्रेमचन्द


kabir ke dohe, कबीर के दोहे

जहां दया तहं धर्म है, जहां लोभ तहं पाप। जहां क्रोध तहं काल है, जहां क्षमा आप॥

चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह। जिनको कछू न चाहिए, सोई साहंसाह ॥

हीरा पड़ा बाज़ार में, रहा छार लपटाय। बहुतक मूरख चलि गए, पारख लिया उठाय॥

माया दीपक नर पतंग, भ्रमि भ्रमि ईवै पडंत। कहै कबीर गुरु ज्ञान ते, एक आध उबरंत॥

माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय । एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय ॥

सुख मे सुमिरन ना किया, दु:ख में करते याद । कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ॥

सात समंदर की मसि करौं लेखनि सब बनराइ। धरती सब कागद करौं हरि गुण लिखा न जाइ॥

साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय। सार-सार को गहि रहै थोथा देई उडाय॥

रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय । हीरा जन्म अमोल था, कोड़ी बदले जाय ॥

तिनका कबहुँ ना निंदये, जो पाँव तले होय । कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय ॥

चाह मिटी, चिंता मिटी मनवा बेपरवाह । जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहनशाह॥

बडा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नही फल लागे अति दूर ॥

जो तोको काँटा बुवै ताहि बोव तू फूल। तोहि फूल को फूल है वाको है तिरसुल॥

उठा बगुला प्रेम का तिनका चढ़ा अकास। तिनका तिनके से मिला तिन का तिन के पास॥

साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय । मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय । माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥

साधू गाँठ न बाँधई उदर समाता लेय। आगे पाछे हरी खड़े जब माँगे तब देय॥

साँई इतना दीजिए जामें कुटुंब समाय । मैं भी भूखा ना रहूँ साधु न भुखा जाय॥

गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय । बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय ॥

दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय। जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥

माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर । कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर ॥

माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर । आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥


Knowledge, ज्ञान, विद्या, बोध

अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है |

विद्या नम्रता से, प्रश्न पर प्रश्न, खोज पर खोज करने ओर दूसरों की सेवा करते रहने से आती है |

जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता | दुःख के बिना सुख नहीं होता | ~ महात्मा गांधी

बिना गुरु के ज्ञान नही होता।

बिना अनुभव के कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है।

अल्प ज्ञान खतरनाक होता है।

उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन।

जो दूसरों को जानता है, वह विद्वान है। जो स्वयं को जानता है वह ज्ञानी। -लाओत्से

सब दानों में ज्ञान का दान ही श्रेष्ठ दान है | ~ मनुस्मृति

प्रतिभावान का गुण यह है कि वह मान्यताओं को हिला देता है | ~ गेटे

विद्या का वैभव, धन से कहीं अधिक मूल्यवान और विशिष्ट है | ~ भर्तृहरि

बुद्धिमान वह नहीं, जो बहुत-सी बातें जानता है, अपितु वह है, जो काम की बातें जानता है | ~ अज्ञात

बुद्धिमान व्यक्ति ही अधिक बलशाली होता है | ~ हितोपदेश

इस विश्व में ज्ञान के समान पवित्र और कुछ नहीं है | ~ योगीराज श्रीकृष्ण

ज्ञान तीन तरह से प्राप्त किया जा सकता है-

पहला मनन से जो सर्वश्रेष्ठ है |
दूसरा अनुसरण से जो सबसे आसान है |
तीसरा अनुभव से जो कि कड़वा है |


Language, भाषा, बोली

हिन्दी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्त्रोत है | ~ सुमित्रानंदन पंत

राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है | ~ महात्मा गांधी

भाषा एक नगर है, जिसके निर्माण के लिए प्रत्ये़क व्यक्ति एक-एक पत्थर लाया है | ~ एमर्सन


Laziness, आलस्य, आलस

आलस्य जीवित मनुष्य की कब्र है | ~ कूपर

आलस्य दरिद्रता की कुंजी ओर सारे अवगुणों की जड़ है | ~ कार्लाइल

जो बार बार की ठोकरों से नहीं चेतता, वह अनिष्ट को आमंत्रण देता है |

आलस्य में जीवन बिताना आत्महत्या के समान है | ~ सुकरात


Leadership, नेतृत्व, अगुआई, संचालन

अगर अंधा अंधे का नेतृत्व करे तो दोनों खाई में गिरेंगे।

नेतृत्व का महत्वपूर्ण नियम है – सीखने के आनंद की फिर से खोज करना ताकि हम अपनी क्षमताओं और उत्पादकता को बढ़ा सकें।

वास्तविक नेता सर्वसम्मति की तलाश नहीं करता, उसे निमिर्त करता है| ~ मार्टिन लूथर किंग

तर्क और निर्णय नेता के गुण हैं | ~ टेसीटस

निर्णय करने के लिए तीन तत्वों की आवश्यकता होती है- अनुभव, ज्ञान और व्यक्त करने की क्षमता |


Learn, सीखना, जानना, प्राप्त करना

व्यथा और वेदना कि पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों तथा विश्वविधालयों में नहीं मिलते |

विष से भी अमृत तथा बालक से भी सुभाषित ग्रहण करें | ~ मनु

यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है |~ महात्मा गांधी

नई चीज सिखने कि जिसने आशा छोड़ दे, वह बुढा है | ~ विनोबा भावे

मनुष्य सफलता से कुछ नहीं सीखता, विफलता से बहुत कुछ सीखता है | ~ अरबी लोकोक्ति


Lie, झूठ, असत्य, चालबाज़ी

एक झूठ छिपाने के लिये दस झूठ बोलने पडते है।

जो बात सिद्धांतः गलत है, वह व्यवहार में भी उचित नहीं है | ~ डॉ. राजेंद्र प्रसाद


Life, जीवन, प्राण

आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान नहीं बन सकता है| ~ स्वामी विवेकानंद

हम जीवन से वही सीखते हैं , जो उससे वास्तव में सीखना चाहते हैं | ~ जैक्सन ब्राऊन

आत्मज्ञान, आत्मसम्मान, आत्मसंयम यह तीनों ही जीवन को परम सम्पन्न बनाते हैं | ~ टेनीसन

साझा की गई खुशी दुगनी होती है, साझा किया गया दुख आधा होता है| ~ स्वीडन की कहावत

ज़िन्दगी जीने के दो तरीके होते है! पहला: जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो! दूसरा: जो हासिल है उसे पसंद करना सीख लो!

जिंदगी की जड़ें जब स्पष्ट जीवनमूल्यों, उद्देश्य और समर्पण में होती हैं , वह दृढ और अडिग होती है |

जब से मैंने जाना कि जीवन क्षणभंगुर है, में करुणा में डूब गया | ~ जेरेक्स

मरते तो सभी हैं लेकिन महत्वपूर्ण यह हैं कि आपने अपनी जिंदगी किस प्रकार गुजारी हैं|

जीवन में आनन्द को कर्तव्य बनाने की अपेक्षा कर्तव्य को आनन्द बनाना अधिक महत्वपूर्ण हैं|

जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि, झुकता वही है जिसमें जान होती है, अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है।

जीवन का सबसे बड़ा उपयोग इसे किसी ऐसी चीज में लगाने में है, जो इसके बाद भी रहे| ~ विलियम जेम्स

जीवन एक आग है, जो खुद को भी झुलसा देती है, लेकिन जब एक शिशु जन्म लेता है, ये आग फिर भड़क उठती है | ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ

किसी चीज की कीमत यह है कि आप उसके बदले में अपनी कितनी जिंदगी लगा देते हैं| ~ हेनरी डेविड थोर

जिंदगी लोगों से प्रेम करने,उनकी सेवा करने,उन्हें सशक्त बनाने और उन्हें प्रोत्साहित करने का नाम है |

सार्थक जीवन में समस्याएं हो सकती हैं, परन्तु उसमें कोई पश्चाताप नहीं होना चाहिए |

जीवन छोटा है, पर सुंदर है | ~ सोफोक्लेस

जिंदगी एक उबाऊ कहानी की तरह है, जिसे दो बार सुना गया हो, लेकिन एक उंघते हुए इंसान के कानों की सफाई कर देने के लिए ये बेहतरीन साधन है | ~ विलियम शेक्सपीयर

जीवन विकास का सिद्धान्त है, स्थिर रहने का नहीं | ~ जवाहरलाल नेहरू

जिंदगी में खुश रहना है तो हँसने का बहाना तलाशें |

जिंदगी का हर पल कुछ न कुछ सिखाता है |

जीवन एक नाटक है, यदि हम इसके कथानक को समझ ले तो सदैव प्रसन्न रह सकते हैं |

जीने के लिए तो एक पल ही काफी है, बशर्ते आपने उसे किस तरह जिया |

जिस जीवन कि समीक्षा व परख न की गई हो, वह जीने योग्य ही नहीं है |


Listen, सुनना, श्रवण, ध्यान देना

सुनना एक कला है. इस कला के लिए कान और ध्यान दोनों चाहिए|

व्यर्थ की बातों से खुद को बचाना भी एक कला है|

वाणी चांदी है तो मौन सोना है|

बीती बातों को भूलने का सर्वोत्तम तरीका है हमेश नई और रचनात्मक बातें सुनना व उनको रमण करना|

मौन से मतलब वाणीविहीन बनना नहीं हैं | सही समय पर सही बात कहना,

बडबोलेपन से बचना भी मौन है| ~ कानन झिंगन


Love, प्यार, प्रेम, मुहब्बत

प्रेम के बिना जीवन एक ऐसे वृक्ष के समान है, जिस पर न कोई फूल हो, न फल | ~ खलील जिब्रान

एक व्यक्ति दूसरे के मन की बात जान सकता है, तो केवल सहानुभूति और प्यार से, उम्र और बुद्धि से नहीं |

अहंकार छोडे बिना सच्चा प्रेम नही किया जा सकता।

दूसरो से प्रेम करना अपने आप से प्रेम करना है।

प्रेम एक ऐसा फल है, जो हर मौसम में मिलता है और जिसे सभी पा सकते हैं | ~ मदर टेरेसा

हर सच्चा क्रांतिकारी वास्तव में गहन प्रेम की भावना से संचालित होता है | ~ चे ग्वेरा

मुहब्बत त्याग की मां है, जहां जाती है, बेटे को साथ ले जाती है | ~ सुदर्शन

हम जब तक स्वयं माता-पिता नहीं बन जाएं, माता-पिता का प्यार कभी नहीं जान पाते| ~ हेनरी वार्ड बीचर

अपने स्नेह का पूर्ण प्रदर्शन किए बिना आप अपना स्नेह-भाव दूसरों तक नहीं पहुंचा सकते | ~ स्वेट मार्डन

प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है | ~ महात्मा गांधी

वही समाज सदैव सुखी रहकर तरक्की कर सकता है, जिसमें लोगों ने आपसी प्रेम को आत्मसात कर लिया |


Luck, भाग्य, तक़दीर, मुकद्द

सारा उत्तरदायित्व अपने कन्धों पर लो | याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो | तुम जो कुछ बल या सहायता चाहो, सब तुम्हारे ही भीतर विद्यमान है |

उत्साह आदमी की भाग्यशिलता का पैमाना है | ~ तिरुवल्लुवर

भाग्य साहसी का साथ देता है।

मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है|

भाग्य साहसी का मित्र है | ~ अज्ञात

मानव अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है | ~ स्वामी रामतीर्थ

भाग्य भी निडर का ही साथ देता है | ~ वर्जल

हम स्वयं अपने भविष्य का निर्माण करते हैं, फिर इसे भाग्य का नाम दे देते हैं |


Memory, स्मृति, याद, स्मरणशक्ति

स्मृति एक अद्भुत उपकरण हैं| वह अमिट नहीं हैं| लेकिन वह क्षणभगुंर भी नहीं हैं| ~ प्राइमो लेवी


Mistake, ग़लती, भूल, दोष

उत्साह तथा रुचिपूर्वक दूसरों के दोष देखने से तुम्हारा मन भी बुरे विचारों से भर जायेगा | वह एक ऐसा कूड़ादान बन जाएगा, जिसमें दूसरों के कचरे भरे रहेंगे |

यदि शान्ति चाहते हो तो दूसरों के दोष मत देखो, बल्कि अपने ही दोष देखो |

जब हम अपनी भूल पर लज्जित होते हैं, तो यथार्थ बात अपने आप ही मुंह से निकल पड़ती है | ~ प्रेमचंद

अपराध स्वीकार कर लेने से, वह आधा हो जाता है | ~ पुर्तगाली कहावत

ज्ञानी मनुष्य दूसरों की भूलों से अपनी भूलें सुधारता है | ~ पबलिस साइरस

अपनी गलती स्वीकार करने में लज्जा की कोई बात नहीं है | ~ अज्ञात

अपनी भूल अपने ही हाथ सुधर जाए तो,यह उससे कहीं अच्छा है कि दूसरा उसे सुधारे | ~ प्रेमचंद

विवेकशील पुरुष दूसरे की गलतीयों से अपनी गलती सुधारते हैं | ~ साइरस

गलतियों के लिए दूसरों को दोष देने की अपेक्षा उनसे सबक लो | ~ स्पेनिश कहावत

स्वार्थवश मनुष्य दोषों को नहीं देखता | ~ चाणक्य

त्रुटियां उसी से नहीं होंगी, जो कोई काम करें ही नहीं | ~ लेनिन

गलतियां किए बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान नहीं बनता है | ~ ग्लेडस्टन

दूसरों कि गलतियों से सीखिए क्योंकि आपको गलती करने का मौका नहीं मिलेगा |

स्वयं के दोषों का निरीक्षण और दुसरों के गुणों का पर्यावलोकन करना उज्ज्वल व्यक्तित्व की पहचान है

एक गुण समस्त दोषो को ढ़क लेता है।

अपने आपको दोष देना सबसे बड़ा पाप हैं |


Modesty, नम्रता, विनयशीलता

नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है | ~ प्रेमचंद

महान मनुष्य की पहली पहचान उसकी नम्रता है |

नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य के सोभा बढती है | ~ कालिदास


Money, धन, मुद्रा, स्र्पये, माल

एक बार सिकंदर से पूछा गया कि तुम धन क्यों एकत्र नहीं करते ? तब उसका जवाब था कि इस डर से कि उसका रक्षक बनकर कहीं भ्रष्ट न हो जाऊं।

धन अपना पराया नही देखता।

धन अच्छा सेवक है, परन्तु ख़राब स्वामी भी है।

कुबेर भी अगर आय से ज्यादा व्यय करे ,तो कंगाल हो जाता है | ~ चाणक्य


Mother, मां, जननी, माता

जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है | ~ वाल्मीकि रामायण

माता का ह्रदय, शिशु कि पाठशाला है | ~ बीचर


Motivational, प्रेरक, उत्तेजित करना

इच्छा हमेशा योग्यता को हरा देती है |

सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता | ~ विल्सन एडवर्ड

जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते है, परिस्थितियों से कोई फर्क नहीं पड़ता |

रत्न मिट्टी से ही निकलते हैं, स्वर्ण मंजुषाओं ने तो कभी एक भी रत्न उत्पन्न नहीं किया | ~ जयशंकर प्रसाद

असम्भव शब्द, मूर्खों के शब्दकोश में पाया जाता है | ~ नेपोलियन


Nature, प्रकृति, क़ुदरत

खिले हुए फूल और कुछ नहीं, बल्कि धरती की मुस्कराहट हैं| ~ ईई कमिंग्स

प्रकृति की गहराई में देखें, और आप हर चीज को बेहतर समझा पाएंगे| ~ अल्बर्ट आइंस्टीन

धुल स्वयं अपमान सह लेती है ओर बदले में फूलों का उपहार देती है | ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर


New Year, नव वर्ष, नया साल

नव वर्ष मे आपकी सभी मनोकामनाये पूरी हो।

नव वर्ष मे हर कदम पर आपको सफलता मिले।

नव वर्ष मे भाग्य सदैव आपका साथ दे।

नव वर्ष आपके जीवन मे उमंग लाये।

नव वर्ष के आगमन पर हार्दिक बधाई।

नव वर्ष मे आपकी दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की हो।

नया साल आपके लिये लाभदायक हो।

नव वर्ष आपके लिये हितकारी हो।

नया साल आपको नया अनुभव दे।

नव वर्ष सुख- सम्रध्धि से भरपूर हो।

नव वर्ष मे आप फले, फूले।

नया साल आपके लिये नयी खुशिया लाये।

नव वर्ष शुभ हो।

नया साल आपको नया उत्साह प्रदान करे।


Opportunity, अवसर, मौक़ा

जो हानि हो चुकी है, उसके लिए शोक करना अधिक हानि को आमंत्रित करना है |

समय और सागर की लहर किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। – रिचर्ड ब्रेथकेट

मनुष्य के लिए जीवन में सफलता पाने का रहस्य है, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना। – डीसरैली

ऐसा न सोचो कि अवसर तुम्हारा दरवाजा दोबारा खटखटाएगा। -शैम्फोर्ट

कोई महान व्यक्ति अवसर की कमी की शिकायत कभी नहीं करता।

मुझे रास्ता मिलेगा नहीं, तो मैं बना लूँगा। – सर फिलिप सिडनी

यदि मनुष्य प्यास से मर जाए तो मर जाने के बाद उसे अमृत के सरोवर का भी क्या लाभ? यदि कोई मनुष्य अवसर पर चूक जाय, तो उसका पछताना निष्फल है।

अवसर उनकी सहायता कभी नहीं करता, जो अपनी सहायता नहीं करते | ~ सफोक्लिज

अवसर बुद्धिमान के पक्ष में लड़ता है | ~ युरिपिडीज

यदि अवसर का लाभ न उठाया जाए, तो योग्यता का कोई मूल्य नहीं होता है |

बुद्धिमान व्यक्ति को जितने अवसर मिलते हैं, उनसे अधिक वह पैदा करता है | ~ बेकन


Patience, धैर्य, सब्र, सहनशीलता

धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है | ~ डिजराइली

वह व्यक्ति महान है,जो शांतचित्त होकर धैर्यपूर्वक कार्य करता है | ~ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

धैर्य और परिश्रम से हम वह प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं कर सकते | ~ ला फाण्टेन


Peace, शांति, अमन, चैन

शांति, बौद्धिक क्षमता में कई गुना इजाफा करती है | ~ अज्ञात


Personal, व्यक्तिगत, निजी, आत्म

मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी कदर नहीं करता, वह हमेश उस चीज की आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है | ~ हेलेन केलर

कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं | ~ बालगंगाधर तिलक

जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते | ~ महात्मा बुद्ध

मन की दुर्बलता से अधिक भयंकर और कोई पाप नहीं है। -स्वामी विवेकानंद

अपने विचारों पर नजर रखिए |

किसी से यह अपेक्षा मत कीजिए की वह आपकी सहायता करेगा |

आपका जन्म किसी अन्य की सनक को पूरा करने के लिए नहीं हुआ हैं |

अपने विचारो और बातों मैं तालमेल रखें |

हम हमेशा खुद को खोजते हुए दूसरों की कहानियों में प्रवेश कर जाते हैं | ~ एमरे करतेश

सिद्धांत न त्यागें, चाहे ऐसा करने वाले आप अकेले क्यों न हों | ~ जॉन एडम्स

मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे।

कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है। – डा. राधाकृष्ण


Political, राजनीतिक, सियासी

चुनाव जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का विश्वविधालय है | ~ जवाहरलाल नेहरू


Poverty, गरीबी, निर्धनता, तंगी

कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है | ~ चाणक्य

गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी | ~ एनॉन

गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है । ~ महात्मा गाँधी

गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं । ~ डेनियल

निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है । निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है । ~ वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में


Praise, प्रशंसा, बड़ाई

आत्म-प्रशंसा ओछेपन का चिन्ह है | ~ वैस्कल

जिन्हें कहीं से प्रशंसा नहीं मिलती, वे आत्म-प्रशंसा करते हैं | ~ अज्ञात

अपनी प्रशंसा के गीत गाना स्वयं को हीन साबित करना है |

सच्ची बड़ाई उसी की है, जिसकी शत्रु भी प्रशंसा करे | ~ अज्ञात

जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है | ~ महात्मा गांधी


Problem, समस्या, मसला

विपत्ति मनुष्य को विचित्र साथियों से मिलाती है |

मैं अति प्रतिभाशाली व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन में निचित तौर पर अधिक जिज्ञासु हूं और किसी भी समस्या को सुलझाने में अधिक देर तक लगा रहता हूं | ~ अल्बर्ट आइंस्टीन

आपतियां हमें आत्म-ज्ञान कराती हैं,ये हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं | ~ जवाहरलाल नेहरु

आपदा ही एक ऐसी स्थिति है,जो हमारे जीवन कि गहराइयों में अन्तर्दृष्टि पैदा करती है | ~ विवेकानन्द

हमारी अधिकतर बाधाएं पिघल जाएंगी, अगर उनके सामने दुबकने की बजाय हम उनसे निडरतापूर्वक निपटने का मानस बनाएं| ~ ओरिसन स्वेट मार्डन

हम अपनी समस्याओं को उसी सोच के साथ नहीं सुलझा सकतें, जिस सोच के साथ हमने उनका निर्माण किया था| ~ अल्बर्ट आइंस्टीन

इस दुनिया की असली समस्या यह है कि मूर्ख और अड़ियल लोग तो अपने बारे में हमेशा पक्के होते हैं ( कि वे सही हैं ) किंतु बुद्धिमान लोग हमेशा संदेह में रहते हैं ( कि मैं गलत तो नहीं हूं ) |

विकट परिस्थितियां ही महापुरुषों का विधालय है | ~ अरस्तू

आनंद विनोद के सामने कठिनाईयां पिघल जाती है | ~ स्वेट मार्डेन

आपात स्थिति में, मन को डांवाडोल नहीं होने देना चाहिए | ~ महावीर स्वामी

मुसीबतों से दुखी न् हो, क्योंकि दुखी होना मूर्खों का काम है | ~ हजरत अली

विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई विद्यालय आज तक नहीं खुला | ~ मुंशी प्रेमचंद

जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते हैं, परिस्थितियों से कोई फर्क नहीं पड़ता है |

बेहतर विकल्प के लिए समस्याओं से मुकाबला करना चाहिए | तभी आप में ‘स्किल’ आते हैं | परेशानियों से डरकर किसी दूसरे का सहारा लेने कि आदत न पाले तो बेहतर है |


Promise, वादा, वचन, प्रतिज्ञा

शाशक के पास वचन तोड़ने के हमेशा वैधानिक कारण होते हैं| ~ मैकियावेली


Proud, अभिमानी, घमंडी, दंभी, गर्व

वीर का असली दुश्मन उसका अहंकार है | ~ अज्ञात

आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गरूर है | ~ प्रेमचन्द

जिसने गर्व किया, उसका पतन अवश्य हुआ है | ~ स्वामी दयानन्द सरस्वती

मनुष्य जितना छोटा होता है, उसका अंहकार उतना ही बड़ा होता है | ~ वाल्टेयर

ज्यों-ज्यों अभिमान कम होता है, कीर्ति बढ़ती है | ~ यंग

जो अहंकारपूर्वक प्रातः जलपान करता है, उसको सायंकाल का भोजन तिरस्कार से मिलता है | ~ फ्रेंकलिन


Punishment, सज़ा, दंड

दंड द्वारा प्रजा की रक्षा की जानी चाहिए लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिए | ~ रामायण


Raheem Ke Dohe, रहीम के दोहे

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥

माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि। फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥

बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय। रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥

जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। चन्दन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग॥

गरज आपनी आप सों रहिमन कहीं न जाया। जैसे कुल की कुल वधू पर घर जात लजाया॥

एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय। रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अगाय॥

जो बड़ेन को लघु कहे, नहिं रहीम घटि जांहि। गिरिधर मुरलीधर कहे, कछु दुख मानत नांहि॥

आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि। ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥

तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥

अब रहीम मुसकिल परी, गाढ़े दोऊ काम। सांचे से तो जग नहीं, झूठे मिलैं न राम॥

चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह। जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥

रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर। जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥

रहिमह ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत। काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥

रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि। उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥

खीरा को मुंह काटि के, मलियत लोन लगाय। रहिमन करुए मुखन को, चहियत इहै सजाय॥

देनहार कोउ और है, भेजत सो दिन रैन। लोग भरम हम पै धरैं, याते नीचे नैन॥

खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान। रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥

बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय। औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥

जे गरीब सों हित करै, धनि रहीम वे लोग। कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥

रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय। हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥

मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय। फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥

टूटे सुजन मनाइए, जो टूटे सौ बार। रहिमन फिरि फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार॥

छमा बड़न को चाहिये, छोटन को उत्पात। कह ‘रहीम’ हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥

वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग। बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥

रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि। जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥


Religion, धर्म, मज़हब

जो उपकार करे, उसका प्रत्युपकार करना चाहिए, यही सनातन धर्म है | ~ वाल्मीकि

प्रलोभन और भय का मार्ग बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है| लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं होती| ~ आचार्य तुलसी

मनुष्य की धार्मिक वृत्ति ही उसकी सुरक्षा करती है| ~ आचार्य तुलसी

धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है| ~ आचार्य तुलसी

धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता| ~ आचार्य तुलसी

अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है | ~ महात्मा गांधी

अभागा वह है, जो संसार के सबसे पवित्र धर्म कृतज्ञता को भूल जाती है | ~ जयशंकर प्रसाद


Resolution, संकल्प, प्रण

इस संसार में प्रत्येक वस्तु संकल्प शक्ति पर निर्भर है | ~ डिजरायली


Respect, सम्मान, प्रतिष्ठा, आदर

आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है | ~ प्रेमचन्द

यदि सम्मान खोकर आय बढती हो, तो उससे निर्धनता श्रेयस्कर है | ~ शेख सादी

दूसरों का सम्मान करो, लोग तुम्हारा भी सम्मान करेंगे | ~ कन्फ्यूशियस


Revolution, क्रांति,

क्रांति का उदय सदा पीड़ितों के हृदय एवं त्रस्त व्यक्तियों के अन्तःकरण में हुआ करता है | ~ अज्ञात

क्रांति का अर्थ होता है अतीत और भविष्य के बीच एक जबर्दस्त संघर्ष | ~ फिदेल कास्त्रो

कुशासन के प्रति विद्रोह करना, ईश्वर की आज्ञा मानना है | ~ फ्रेंकलिन

जहां कहीं अन्याय के चरण पड़ते हैं, वहां अंततः विद्रोह का ज्वालामुखी फूटता है | ~ अज्ञात

“घूस का च्यवनप्राश खा कर न दीर्घायु बनो, ईमान की मिसाल अब मशाल बनके जल उठी” ~ राजीव चतुर्वेदी


Sacrifice, त्याग, न्योछावर, बलिदान

प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है | ~ जयशंकर प्रसाद

महान त्याग से ही महान कार्य सम्भव है | ~ स्वामी विवेकानंद

यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं | ~ प्रेमचन्द

अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है | ~ एमर्सन


Sad, दुख, उदास, म्लान

दुःख की उपेक्षा करो, वह कम हो जाएगा | ~ सद्गुरु श्रीब्रह्मचेतन्य

अन्याय सहने वाले से ज्यादा दुःखी, अन्याय करने वाला होता है | ~ प्लेटो

किसी दुःखी व्यक्ति के लिए थोड़ी सहायता, ढेरों उपदेशों से कहीं ज्यादा अच्छी है | ~ बुलवर


Science, विज्ञान

धर्म, कला और विज्ञान वास्तव में एक ही वृक्ष की शाखा – प्रशाखाएं हैं | ~ अल्बर्ट आइंस्टीन


Silent, शांत, चुप, ख़ामोश

प्रत्येक स्थान और समय बोलने के योग्य नहीं होते, कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं |

वाणी का वर्चस्व रजत है किंतु मौन का मूल्य स्वर्ण के समान है |

कभी-कभी मौन रह जाना, सबसे तीखी आलोचना होती है | ~ अज्ञात

धनुष से छूटा हुआ तीर ओर मुख से निकला हुआ शब्द कभी वापस नहीं लौटता | ~ अज्ञात

इसका खेद अनेक बार हुआ कि में बोल क्यों पड़ा | ~ पाइथोगोरस

बोलने में समझदारी से काम लेना, वाक्पटुता से अच्छा है | ~ बेकन

थोड़ा पढ़ना और अधिक सोचना, कम बोलना और अधिक सुनना, यही बुद्धिमान बनने का उपाय है |

जो झुकना जानता है, दुनिया उसे उठाती है, जो केवल अकड़ना जानता है, दुनिया उसे उखाड़ फेंकती है |

खामोश रहो या ऐसी बात कहो जो ख़ामोशी से बेहतर हो | ~ पाइथोगोरस

मौन बातचीत की एक महान् कला है | ~ हैजलिट

तुम्हे प्रत्येक का उपदेश सुनना चाहिए जबकि अपना उपदेश कुछ ही व्यक्तियों को दो |

जितना दिखाते हो उससे ज्यादा तुम्हारे पास होना चाहिए, जितना जानते हो उससे कम तुम्हें बोलना चाहिए |


Smile, मुसकान, मुसकुराहट

मुस्कान प्रेम की भाषा है | ~ हेवर

मुस्कान एक शक्तिशाली हथियार हैं आप इस से फोलाद भी तोड़ सकते हैं|

हंसी प्रकृति की सबसे बड़ी नियामत है | ~ डॉ. लक्ष्मणपति वार्ष्णेय

हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है | ~ महात्मा गांधी


Soul, आत्मा, रूह

सबसे खतरनाक वह दिशा होती है, जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए | ~ अवतार सिंह पाश

अन्तरात्मा हमें न्यायाधीश के समान दण्ड देने से पूर्व मित्र की भांति चेतावनी देती है | ~ अज्ञात

आवेश कोई भावनात्मक ऊर्जा नहीं, बल्कि आत्मा और बाहरी दुनिया का टकराव है।- आंद्रेई तारकोव्स्की

हमेशा अपनी आत्मा की आवाज सुनो |

शरीर के मामले में जो स्थान साबुन का है, वही आत्मा के संदर्भ में आंसू का है | ~ यहूदी कहावत

जो अवगुण तुम्हे दूसरों में दृष्टिगत होते हैं, उसे अपने भीतर न रहने दो | ~ स्प्रैट

कोई अभियोक्ता इतना शक्तिशाली नहीं है, जितना कि अपना अन्तःकरण | ~ सोफोक्लीज

अन्तःकरण आत्मा की वाणी है | ~ जे. जे. रूसो

सबसे उत्तम तीर्थ निश्चल मन है | ~ शंकराचार्य

हमें लोहे के पुट्ठे और इस्पात के स्नायु चाहिए, जिनमें वज्र सा मन निवास करे |~ स्वामी विवेकानंद


Study, अध्ययन, पढ़ना

दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही जरूरत है,जितनी शरीर को व्यायाम कि | ~ जोसफ एडिसन

इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है | ~ बेकन

चरित्रहीन शिक्षा, मानवताविहीन विज्ञान ओर नैतिकताविहीन व्यापार खतरनाक होते हैं | ~ सत्य साईंबाबा

अध्ययन से सरल कोई मनोरंजन नहीं, न कोई आनन्द इतना चिरस्थायी है | ~ लेडी मौण्टेग्यू

सरस्वती से बढ़कर कोई वैध नहीं और उसकी साधना से बढ़कर कोई औषध नहीं | ~ अज्ञात

वस्तुएं बल से छीनी या धन से खरीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है |

जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है | ~ स्वामी विवेकानंद

प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य महान बने हैं | ~ सिसरो

भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत का अध्ययन करो | ~ कन्फ्यूशियस


Success, सफलता, विजय

समस्त सफलताएं कर्म की नींव पर आधारित होती हैं | ~ एंथनी रॉबिन्स

जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते | ~ गौत्तम बुद्ध

जो अकले चलते हैं, वे शीघ्रता से बढ़ते हैं | ~ नेपोलियन

सफलता का कोई रहस्य नहीं है, वह केवल अत्यधिक परिश्रम चाहती है | ~ हेनरी

जिस व्यक्ति में सफलता के लिए आशा और आत्मविश्वास है, वही व्यक्ति उच्च शिखर पर पहुंचते हैं |

लगातार प्रयत्न करने वाले लोगों की गोद में सफलता स्वयं आकर बैठ जाती हैं | ~ भारवि

कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं| ~ महात्मा गांधी

सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता | ~ विल्सन

वही सफल होता है, जिसका काम उसे निरन्तर आनन्द देता है | ~ थोरो

ध्येय की सफलता के लिए पूर्ण एकाग्रता और समर्पण आवश्यक है | ~ ब्राउन

सफलता में दोषों को मिटाने की विलक्षण शक्ति है | ~ प्रेमचन्द

अपने ऊपर विजय प्राप्त करना, सबसे बड़ी विजय है | ~ अज्ञात

एक सफ़ल मनुष्य होने के लिये सुदृढ़ व्यक्तित्व की आवश्यकता है | ~ अज्ञात

असफलता का मतलब यह नहीं कि आप असफल हैं, इसका मतलब सिर्फ इतना है कि आप अब तक सफल नहीं हो पाए हैं| ~ रॉबर्ट शुलर

हमें अपनी असफलताओं पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए | सफलता के बारे में दूसरे बात करें तो ज्यादा अच्छा होता है| लोग आपसे आपकी असफलता के बारें में नहीं पूछते, यह सवाल तो आपको अपने आप से पूछना होता है| ~ बोमन ईरानी

ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है।

महान संकल्प ही महान फल का जनक होता है | ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी

एकाग्रता से ही विजय मिलती है।

सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है।

जीवन में सफलता का रहस्य, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना है | ~ डिजरायली

आत्मविश्वास सफलता का प्रमुख रहस्य है | ~ इमर्सन

असफलता केवल यह सिद्ध करती है कि प्रयत्न पूरे मन से नहीं हुआ | ~ श्रीराम शर्मा आचार्य

जो पढ़ते हो, उसे अमल में लाना सीखो, यही उन्नति का मार्ग है | ~ स्वामी रामतीर्थ

सिर्फ सपनों से कुछ नहीं होता, सफलता प्रयासों से हासिल होती है | ~ अज्ञात

पारस्परिक व्यवहार प्रगति का सार है | ~ बक्टन

यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो अपना ध्यान समस्या खोजने में नहीं समाधान खोजने में लगाइए |

सफलता कर्म करने से मिलती है |

अपनी असफलताओं को खुद पर हावी मत होने दो, बल्कि असफलताओं को ही अपनी सफलता की सीढी के रूप में इस्तेमाल करो |

दुनिया आपको मुफ्त में कुछ नहीं देती | सफलता जैसी बेशकीमती चीज तो बिलकुल नहीं | अतः सफलता का पकवान चखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी |

सफल व्यक्ति वही है जो सुबह उठकर पहले यह तय करता है कि आज उसे क्या-क्या काम करने है और रात तक वह उन सारे कामों को कई परेशानियों के बाद भी पूरा कर लेता है |


Talent, प्रतिभा, योग्यता, कौशल

जब जादू के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं होता तो वह कला बन जाता हैं | ~ बेन ओकरी

एश्वर्य उपाधि में नहीं वरन् इस चेतना में है कि हम उसके योग्य हैं | ~ अरस्तू

वास्तव में बड़ा वह है जो, उदार है |


Target, लक्ष्य, योजना, गंतव्य

लक्ष्य प्राप्ति के लिये सहज प्रव‌्त्तियों को होम कर देना होता है | ~ सम्पूर्णानन्द

सब मनुष्यों के कर्मों का लक्ष्य उन्नति कि चरम सीमा को प्राप्त करना है | ~ सत्य साईं बाबा

अपने लक्ष्यों को पूरा होते देखने का सिद्धान्त जीवन के सभी क्षेत्रों में काम करता है |

जब भी लक्ष्य तय करो, उसके लिए जुनूनी होना होगा | नाकामियों का आप पर नकारात्मक असर नहीं होना चाहिए | लक्ष्य को हासिल करने में कितना समय लग रहा है, उससे विचलित होने की जरुरत नहीं है |

सार्थकता हासिल करने के लिए स्पष्ट तस्वीर बिल्कुल अनिवार्य है |

जहां संकल्प बड़ा होता हैं, वहां विपदा और संकट बड़े नहीं हो सकते | ~ मैकियावेली

लक्ष्य जितना बड़ा होता है, उसका रास्ता भी उतना ही लंबा और बीहड़ होता है | ~ साने गुरूजी

सबकी सुनने और मानने वाला किसी नतीजे पर नहीं पहुंचता |

अपने जीवन का कोई लक्ष्य बनाइये, क्योंकि लक्ष्यविहीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान इधर-उधर भटकता रहता है |

हमारा जीवन पक्षी है, केवल थोड़ी ही दूर तक उड़ सकता है, इसने पंख फैला दिए है, देखो, जल्दी से इसकी दिशा सोच लो |


Teacher, शिक्षक, अध्यापक, उस्ताद, गुरु

माता-पिता जीवन देते हैं, लेकिन जीने की कला तो शिक्षक ही सिखाते हैं | ~ अरस्तु

गुरु की डांट-डपट पिता के प्यार से अच्छी है | ~ शेख सादी

अपने विवेक को अपना शिक्षक बनाओ |


Thinking, सोच, ख़याल, विचार, मत

उस विचार को रोक पाना नामुमकिन है, जिसका वक्त आ गया हो | ~ विक्टर ह्यूगो

संसार में न कोई तुम्हारा मित्र है न शत्रु | तुम्हारा अपना विचार ही, इसके लिए उत्तरदायी है | ~ चाणक्य

व्यक्ति के पास जितने अधिक विचार होते हैं, उतने ही कम शब्दों में वह उनको अभिव्यक्त कर देता है |

अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है | ~ स्वामी रामतीर्थ

मनुष्य अपने ह्रदय में जैसा विचारता है, वैसा ही बन जाता है | ~ बाइबिल

महान विचार कार्यरूप में परिणत होकर महान कृतियां बन जाते हैं | ~ हेजलिट

अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है।

कंजूस : वह व्यक्ति जो जिंदगी भर गरीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके।

अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो गलती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे।

अनुभव : भूतकाल में की गई गलतियों का दूसरा नाम ।

कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं।

दूसरी शादी : अनुभव पर आशा की विजय।

मनोवैज्ञानिक : वह व्यक्ति, जो किसी खूबसूरत लड़की के कमरे में दाखिल होने पर उस लड़की के सिवाय बाकी सबको गौर से देखता है।

नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है।

आशावादी : वह शख्स है जो सिगरेट मांगने पहले अपनी दियासलाई जला ले।

राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और गरीबों से वोट इस वादे पर बटोरता है कि वह एक की दूसरे से रक्षा करेगा।

आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके।

सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना ।

ज्ञानी : वह शख्स जिसे प्रभावी ढंग से, सीधी बात को उलझाना आता है।

मनोचिकित्सक : जो भारी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है, जैसे आपकी पत्नी आपसे यूं ही पूछती रहती है|

समिति : वह व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, लेकिन यह निर्णय मिलकर करते है की साथ-साथ कुछ नहीं किया जा सकता|

ईमानदार नेता : वह जिसे एक बार ख़रीद लिया जाए तो फिर जाए तो फिर वह ख़रीदा हुआ ही रहे|

जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता | ~स्वामी विवेकानंद

हम दुनिया को नहीं बदल सकते, मगर दुनिया के प्रति अपना दृष्टिकोण तो बदल सकते हैं | ~ स्वामी रामदास


Time, समय, काल, वक़्त

समय पर कार्य नहीं करने से व्यक्ति लाभ और उन्नति से कोसों दूर हो जाता है | ~ बाबा फरीद

भविष्य वर्तमान के द्वारा क्रय किया जाता है | ~ जॉनसन

जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है | ~ महात्मा गांधी

जो समय का ज्यादा दुरुपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज्यादा शिकायत करते हैं | ~ ब्रूयर

समय पर किया हुआ थोड़ा सा भी कार्य उपकारी होता है | ~ योगवशिष्ठ

बिता हुआ समय और मुख से निकले शब्द कदापि वापस नहीं आते | ~ कहावत

जो अपने समय का सबसे ज्यादा दुरूपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज्यादा शिकायत करते हैं। -ब्रूयर

जीवन छोटा ही क्यों न हो, समय की बर्बादी से वह और भी छोटा हो जाता है | ~ जॉनसन

वर्तमान परिस्थिति में हम क्या करते, सोचते और विश्वास करते हैं, उसी से हमारा भविष्य तय होता है |

सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं हैं|

सोने का प्रत्येक धागा मूल्यवान होता है, इसी प्रकार समय का प्रत्येक क्षण भी मूल्यवान होता है। -मेसन

समय किसी की प्रतीक्षा नही करता।

बीता हुआ समय और कहे हुए शब्द कदापि वापस नहीं आ सकते। -कहावत

प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है।

समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना है। -बेकन

समय महान चिकित्सक है।

एक युग विशाल नगरों का निर्माण करता है, एक क्षण उसका ध्वंस कर देता है। -सेनेका

हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है।

राजा: कुछ ऐसा लिखो जिसे पढ़ कर ख़ुशी में गम हो और गम में पढ़ो तो ख़ुशी हो? वजीर: यह समय बीत जायेगा!

दौड़ना काफी नहीं है, समय पर चल पड़ना चाहिए | ~ फ़्रान्सीसी कहावत

समय पर थोड़ा सा प्रयत्न भी आगे की बहुत-से परेशानियों को बचाता है। -कहावत

बुद्धिमान लोग अतीत की घटनाओं पर नहीं पछताते, वे भविष्य की चिन्ता नहीं करते, केवल वर्तमान जगत में पूर्णतया कर्म करते हैं |

सही काम करने के लिए समय हर वक्त ही ठीक होता हैं | – मार्टिन लूथर किंग जूनीयर

जैसे नदी बह जाती है और लौटकर नहीं आती, उसी प्रकार रात और दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते। – महाभारत

मैंने समय को नष्ट किया है। अब समय मुझको नष्ट कर रहा है। -शेक्सपीयर

समय फिरने पर मित्र भी शत्रु हो जाते हैं। -गोस्वामी तुलसीदास

हर संत का एक अतीत होता है और हर पापी का एक भविष्य| ~ ऑस्कर वाइल्ड

सही टाइमिंग पर लगभग हर बात सकारात्मक तरीके से कही जा सकती है |

हम आज अच्छे हैं, ये भी एक किस्म का पागलपन है | ~ एडवर्ड यंग

वक्त को बर्बाद न् करो, क्योंकि जिन्दगी इसी से बनी है | ~ फ्रेंकलिन


Trust, विश्वास, यक़ीन, भरोसा

विश्वास से आश्चर्य-जनक प्रोत्साहन मिलता है।

विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है | ~ महात्मा गांधी

असन्तोष अपने ऊपर अविश्वास का फल है, यह कमजोर इच्छा का रूप है | ~ एमर्सन

वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता | ~ स्वामी विवेकानंद

वे ही विजयी हो सकते है, जिन्हें विश्वास है कि वे विजयी होंगे | ~ वर्जिल

विश्वास का अभाव अज्ञान है | ~ स्वामी रामतीर्थ

विश्वास जीवन कि शक्ति है | ~ टालस्टाय


Truth, सच, सत्य, साँच

अगर आप सच बोलते हैं, तो आपको ज्यादा कुछ याद रखने की जरुरत नहीं है | ~ मार्क ट्वेन

सत्य स्वयं सिद्ध नहीं है, उसे सिद्ध करना पड़ता है |

वस्तुगत यथार्थ वास्तव में स्वप्न के भीतर एक और स्वप्न की तरह है | ~ एडगर एलन पो

डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है | ~ प्रेमचंद

असत् का अस्तित्व नहीं है और सत् का नाश नहीं है | ~ योगीराज श्रीकृष्ण


Tulsidas ke dohe, तुलसीदास के दोहे

राम नाम मनि दीप धरू जीह देहरी द्वार। तुलसी भीतर बाहरौ जौ चाहसि उजियार।।

दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान। तुलसी दया न छांड़िए, जब लग घट में प्राण॥

काम क्रोध मद लोभ की जौ लौं मन में खान। तौ लौं पण्डित मूरखौं तुलसी एक समान।।

सुरनर मुनि कोऊ नहीं, जेहि न मोह माया प्रबल। अस विचारी मन माहीं, भजिय महा मायापतिहीं॥

आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह। तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह।।

देव दनुज मुनि नाग मनुज सब माया विवश बिचारे। तिनके हाथ दास तुलसी प्रभु कहा अपनपो हारे॥

तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुँ ओर। बसीकरन एक मंत्र है परिहरू बचन कठोर।।

बिना तेज के पुरुष की अवशि अवज्ञा होय। आगि बुझे ज्यों राख की आप छुवै सब कोय।।

तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक।।


Understanding, समझना, सुबोध

ईश्वर ने समझ की कोई सीमा नहीं रखी है। - बेकन

संघर्ष और उथल-पुथल के बिना जीवन बिल्कुल नीरस हो जाता है। इसलिए जीवन में आने वाली विषमताओं को सह लेना ही समझदारी है। – विनोबा भावे

समझ मस्तिष्क का प्रकाश है। – विल्स


Unity, एकता, योग, मेल

एकता से हमारा अस्तित्व कायम रहता है, विभाजन से हमारा पतन होता है | ~ जॉन डिकिन्सन


Winner, विजेता, विजय, जीत

जीतता वह है जिसमें शौर्य,धैर्य,साहस,सत्व और धर्म होता है | ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी


Wise, अक़्लमंद, चतुर, होशियार

सतर्कता तभी सार्थक होती है, जब सदैव बरती जाए |

उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन | ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर

दुसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है | ~ जवाहरलाल नेहरू

रोग, शत्रु और कर्ज अपने आप बढ़ते हैं। इन्हें तुंरत जड़ से ख़त्म कर देना चाहिए।

आदत को अगर नहीं रोका जाय तो शीघ्र ही वे लत बन जाती हैं।

प्रतिष्ठा बनाने में कई वर्ष लग जाते हैं, कलंक एक क्षण में लग जाता है | ~ अज्ञात

गुस्सा आपको छोटा बनाता है, क्षमा आपको विस्तार देती है।

परामर्श तो अनेक प्राप्त करते है,किन्तु उससे लाभ उठाना बुद्धिमानों को ही आता है | ~ साइरस

सावधानी बुद्धिमानी की सबसे बड़ी संतान है | ~ विक्टर ह्यूगो

निन्दा से बचने का अचूक एवं शीघ्र उपचार स्वयं को सुधार लेना ही है | ~ डिमास्थनीज

किसी मित्र को अपना ऐसा भेद मत बताओ , जिसके जाहिर हो जाने पर बदनामी हो | ~ थेल्स

नीतिसम्मत है कि स्वार्थवश भी दुर्जन व्यक्ति को साथ नहीं लेना चाहिए | ~ अज्ञात

चतुर मनुष्य अपना ज्ञान छिपाकर रखता है, पर मूर्ख अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करता है | ~ बाइबिल

ना तो इतने कड़वे बनो की कोई थूक दे और ना ही इतने मीठे बनो की कोई निगल जाये | ~ टॉल्स्टॉय

प्रेम सबसे करो, विश्वास कुछ पर करो, बुरा किसी का मत करो |


Woman, महिला, स्री

जीवन की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है, नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार है |

स्त्री की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्भर है | ~ अरस्तू

सुयोग्य स्त्री परिवार की शोभा तथा गृह की लक्ष्मी है | ~ मनु

स्त्रियों की मान-हानि साक्षात् लक्ष्मी और सरस्वती की मान हानि है | ~ सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला


Work, काम, कार्य, कृत्य

परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है | ~ चाणक्य

किसी कार्य को खूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिए | ~ नेपोलियन

ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता | ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी

मनुष्य जन्म से नहीं बल्कि कर्म से शूद्र या ब्राह्मण होता है | ~ गौतम बुद्ध

जो श्रम से लजाता है, वह सदैव परतंत्र रहता है | ~ शरण

कार्य की अधिकता से उकताने वाला व्यक्ति, कभी कोई बड़ा कार्य नहीं कर सकता | ~ अब्राहम लिंकन

अपने से हो सके, वह काम दूसरे से न कराना | ~ महात्मा गांधी

सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता | ~ स्वामी रामतीर्थ

काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है | ~ महात्मा गांधी

महान कार्य शक्ति से नहीं, अपितु उधम से सम्पन्न होते हैं | ~ जॉनसन

पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है | ~ अज्ञात

कमजोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण | ~ मदनमोहन मालवीय

प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत श्रम है | ~ एडीसन

अच्छे कार्य करने के लिए कभी शुभ मुहूर्त मत पूछो | ~ अज्ञात

बड़े कार्य, छोटे कार्यों से आरम्भ करना चाहिए | ~ शेक्सपियर

स्वतंत्र वही है, जो अपना काम स्वयं कर लेता है | ~ विनोबा भावे

योग्यता से बिताए हुए जीवन को,हमें वर्षों से नहीं बल्कि कर्मों के पैमाने से तौलना चाहिए | ~ शेरिडेन

जागरण का अर्थ है कर्म में अवतीर्ण करना | ~ जयशंकर प्रसाद

जो काम आ पड़े, साधना समझ कर पूरा करो | ~ स्वामी रामदास

कहने की प्रकृति छोडो, करने का अभ्यास करो | ~ अज्ञात

प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है।

जो अपने योग्य कर्म में जी जान से लगा रहता है,वही संसार में प्रशंसा का पात्र होता है | ~ ब्राह्मण ग्रन्थ

कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही।

गलत काम करने का कोई सही तरीका नहीं हैं |

जीवन में सबसे ज्यादा आनंद उसी काम को करने में है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते हो।

आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है।

कीर्ति वीरोचित कार्यो की सुगन्ध है।

जीवन में ऐसा काम करो कि परिवार, गुरु और परमात्मा तीनों तुमसे खुश रहें। – स्वामी ज्योतिनंद

कर्म करने मे ही अधिकार है, फल मे नही।

कर्म सरल है, विचार कठिन।

अपने काम में सुन्दरता तलाशो| उससे सुंदर और कुछ हों ही नहीं सकता| ~ रूमी

हमारे लिए चींटी से बढ़कर और कोई उपदेशक नहीं है। वह काम करती है और खामोश रहती है।

अगर कुछ महत्व रखता है तो वह है कर्म और प्रेम| ~ सिगमंड फ्रोयड


Worry, चिंता, आकुलता

कार्य की अधिकता मनुष्य को नहीं मारती, बल्कि चिंता मारती है। – स्वेट मार्डेन

अगर इन्सान सुख-दुःख की चिंता से ऊपर उठ जाए, तो आसमान की ऊंचाई भी उसके पैरों तले आ जाय। – शेख सादी

चिंताएं, परेशानियां, दुःख और तकलीफें परिस्थितियों से लड़ने से नहीं दूर हो सकतीं, वे दूर होंगी अपनी अंदरूनी कमजोरी दूर करने से जिसके कारण ही वे सचमुच पैदा हुईं है। – स्वामी रामतीर्थ

प्राणियों के लिए चिंता ही ज्वर है। – शंकराचार्य

बिस्तर पर चिंताओं को ले जाना, पीठ पर गट्ठर बाँध कर सोना है। -हैली बर्टन

चिंता रोग का मूल है। – प्रेमचंद

चिंता करता हूँ मैं जितनी उस अतीत की, उस सुख की, उतनी ही अनंत में बनती जातीं रेखाएं दुःख की। – जयशंकर प्रसाद

चिंता एक काली दिवार की भांति चारों ओर से घेर लेती है, जिसमें से निकलने की फिर कोई गली नहीं सूझती। – प्रेमचंद


Youth, युवा, जवानी

युवा होने का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि भावनाओं का पुंज और उत्साह का स्त्रोत हो | ~ गणेश शंकर


Other Quotes

स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है | ~ गुरु गोविन्द सिंह

स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है | ~ प्रेमचंद

गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है | ~ सरदार वल्लभभाई पटेल

महान वह है जो दृढतम निश्चय के साथ सत्य का अनुसरण करता है | ~ सेनेका

महापुरुष की महत्ता इसी में है कि वह कभी भी निराश न हो | ~ थॉमसन

जिसने कष्ट नहीं भोगा, वह अपनी शक्ति से अनभिज्ञ रहता है |

क्षमा से बढ़कर ओर किसी बात में पाप को पुण्य बनाने की शक्ति नहीं है | ~ जयशंकर प्रसाद

ईर्ष्या अपनी हीनता के बोध से जन्म लेती है | वह उसे दूर नहीं करती, सिर्फ दबाती है | ~ जैनेन्द्र

अपराध करने के बाद भय उत्पन्न होता है ओर यही उसका दण्ड है | ~ वाल्टेयर

किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ | शांतिपूर्वक जियो ओर दूसरों को भी जीने दो | ~ महावीर स्वामी

आपके पास जो है, उसके लिए कृतज्ञ रहने का विकल्प चुने……… आज ही, अभी |

दुर्भाग्य घोड़े पर सवार होकर आता है और पैदल वापस जाता है | ~ फ़्रांसीसी लोकोक्ति

आवश्यकता आविष्कार की जननी है | ~ कहावत

संतुलित व्यक्ति दूसरों के गुणों को स्वीकार करते हैं, परंतु अपने महत्व को भी कम नहीं आंकते |

संकल्प और सकारात्मक आत्म-चर्चा तभी तक उपयोगी है, जब तक कि हम अपनी अराधना ही न करने लगें |

पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने के बजाय तारीफ़ करना ज्यादा अच्छा होता है |

सच तो यह है कि आशावाद और अपेक्षा के एहसास से भरे लोग शायद ही कभी निराश होते हैं |

हमारी रूचि हमारे जीवन कि परख और हमारे मनुष्यत्व की पहचान है | ~ रस्किन

अधिकारों का उपयोग नहीं करना, खुद के शोषण को आमंत्रण देना है | ~ विलियम पिट

उपहार और विरोध तो सुधारक के पुरस्कार हैं | ~ प्रेमचंद

प्रेम के बाद सहानुभूति मानव ह्रदय की पवित्रतम भावना है | ~ बर्क

पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने की बजाए तारीफ करना ज्यादा अच्छा होता है |

जो दान अपनी कीर्ति-गाथा गाने को उतावला हो उठता है, वह अहंकार एवं आडम्बर मात्र रह जाता है | ~ हुट्टन

उड़ान भरने की अपेक्षा, जब हम झुकते हैं, तब विवेक के अधिक निकट होते हैं | ~ वर्ड्सवर्थ

बातचीत प्रिय हो, पर ओछी न हो, आश्चर्यजनक हो, पर असत्य न हो | ~ शेक्सपियर

विश्व, रेखागणित के लिए भारत का ऋणी है, यूनान का नहीं | ~ डॉ. थिवो

स्वयं को वश में रखने से ही मनुष्यत्व प्राप्त होता है | ~ हर्बर्ट स्पेन्सर

विश्व ही महापुरुष हो खोजता है न कि महापुरुष विश्व को | ~ कालिदास

महान लेखक, अपने पाठक का मित्र और शुभचिन्तक होता है | ~ मेकाले

सद्व्यवहार से अच्छी और सस्ती कोई अन्य वस्तु नहीं | ~ एनन

शक्ति का उपयोग परहित में करना चाहिए | ~ अज्ञात

शब्द की शक्ति, हमारी सारी उन्नति का आधार है | ~ जैनेन्द्र कुमार


ओ३म् (ॐ) नाम में हिन्दू, मुस्लिम या ईसाइ जैसी कोई बात नहीं है। यह सोचना कि ओ३म् किसी एक धर्म की निशानी है, ठीक बात नहीं, अपितु यह तो तब से चला आया है जब कोई अलग धर्म ही नहीं बना था। बल्कि ओ३म् तो किसी ना किसी रूप में सभी मुख्य संस्कृतियों का प्रमुख भाग है। यह तो अच्छाई, शक्ति, ईश्वर भक्ति और आदर का प्रतीक है। उदाहरण के लिए अगर हिन्दू अपने सब मन्त्रों और भजनों में इसको शामिल करते हैं तो ईसाई और यहूदी भी इसके जैसे ही एक शब्द आमेन का प्रयोग धार्मिक सहमति दिखाने के लिए करते हैं। मुस्लिम इसको आमीन कह कर याद करते हैं, बौद्ध इसे ओं मणिपद्मे हूं कह कर प्रयोग करते हैं। सिख मत भी इक ओंकार अर्थात एक ओ३म के गुण गाता है। अंग्रेज़ी का शब्द omni, जिसके अर्थ अनंत और कभी ख़त्म न होने वाले तत्त्वों पर लगाए जाते हैं (जैसे omnipresent, omnipotent) भी वास्तव में इस ओ३म् शब्द से ही बना है। इतने से यह सिद्ध है कि ओ३म् किसी मत, मज़हब या सम्प्रदाय से न होकर पूरी इंसानियत का है। ठीक उसी तरह जैसे कि हवा, पानी, सूर्य, ईश्वर, वेद आदि सब पूरी इंसानियत के लिए हैं न कि केवल किसी एक सम्प्रदाय के लिए।

यजुर्वेद [2/13, 40/15, 17] ऋग्वेद [1/3/7] आदि स्थानों पर तथा इसके अलावा गीता और उपनिषदों में ओ३म् का बहुत गुणगान हुआ है। मांडूक्य उपनिषद तो इसकी महिमा को ही समर्पित है।

ओ३म् का अर्थ

वैदिक साहित्य इस बात पर एकमत है कि ओ३म् ईश्वर का मुख्य नाम है। योग दर्शन [1/27, 28] में यह स्पष्ट है। यह ओ३म् शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है - अ, उ, म । प्रत्येक अक्षर ईश्वर के अलग अलग नामों को अपने में समेटे हुए है। जैसे अ से व्यापक, सर्वदेशीय, और उपासना करने योग्य है। उ से बुद्धिमान, सूक्ष्म, सब अच्छाइयों का मूल, और नियम करने वाला है। म से अनंत, अमर, ज्ञानवान, और पालन करने वाला है। ये तो बहुत थोड़े से उदाहरण हैं जो ओ३म् के प्रत्येक अक्षर से समझे जा सकते हैं। वास्तव में अनंत ईश्वर के अनगिनत नाम केवल इस ओ३म् शब्द में ही आ सकते हैं, और किसी में नहीं।

वास्तव में हरेक ध्वनि हमारे मन में कुछ भाव उत्पन्न करती है। सृष्टि की शुरूआत में जब ईश्वर ने ऋषियों के हृदयों में वेद प्रकाशित किये तो हरेक शब्द से सम्बंधित उनके निश्चित अर्थ ऋषियों ने ध्यान अवस्था में प्राप्त किये। ऋषियों के अनुसार ओ३म् शब्द के तीन अक्षरों से भिन्न भिन्न अर्थ निकलते हैं, जिनमें से कुछ ऊपर दिए गए हैं।

ऊपर दिए गए शब्द-अर्थ सम्बन्ध का ज्ञान ही वास्तव में वेद मन्त्रों के अर्थ में सहायक होता है और इस ज्ञान के लिए मनुष्य को योगी अर्थात ईश्वर को जानने और अनुभव करने वाला होना चाहिए। परन्तु दुर्भाग्य से वेद पर अधिकतर उन लोगों ने कलम चलाई है जो योग तो दूर, यम नियमों की परिभाषा भी नहीं जानते थे। सब पश्चिमी वेद भाष्यकार इसी श्रेणी में आते हैं। तो अब प्रश्न यह है कि जब तक साक्षात ईश्वर का प्रत्यक्ष ना हो तब तक वेद कैसे समझें ? तो इसका उत्तर है कि ऋषियों के लेख और अपनी बुद्धि से सत्य असत्य का निर्णय करना ही सब बुद्धिमानों को अत्यंत उचित है। ऋषियों के ग्रन्थ जैसे उपनिषद्, दर्शन, ब्राह्मण ग्रन्थ, निरुक्त, निघंटु, सत्यार्थ प्रकाश, भाष्य भूमिका इत्यादि की सहायता से वेद मन्त्रों पर विचार करके अपने सिद्धांत बनाने चाहियें और इसमें यह भी है कि पढने के साथ साथ यम नियमों का कड़ाई से पालन बहुत जरूरी है। वास्तव में वेदों का सच्चा स्वरुप तो समाधि अवस्था में ही स्पष्ट होता है, जो कि यम नियमों के अभ्यास से आती है।

व्याकरण मात्र पढने से वेदों के अर्थ कोई भी नहीं कर सकता। वेद समझने के लिए आत्मा की शुद्धता सबसे आवश्यक है। उदाहरण के लिए संस्कृत में गो शब्द का वास्तविक अर्थ है गतिमान। इससे इस शब्द के बहुत से अर्थ जैसे पृथ्वी, नक्षत्र आदि दिखने में आते हैं। परन्तु मूर्ख और हठी लोग हर स्थान पर इसका अर्थ गाय ही कहते हैं और मंत्र के वास्तविक अर्थ से दूर हो जाते हैं। वास्तव में किसी शब्द के वास्तविक अर्थ के लिए उसके मूल को जानना जरूरी है, और मूल बिना समाधि को जाना नहीं जा सकता। परन्तु इसका यह अर्थ नहीं कि हम वेद का अभ्यास ही न करें। किन्तु अपने सर्व सामर्थ्य से कर्मों में शुद्धता से आत्मा में शुद्धता धारण करके वेद का अभ्यास करना सबका कर्त्तव्य है।

यह शब्द अर्थ सम्बन्ध योगाभ्यास से स्पष्ट होता जाता है। परन्तु कुछ उदाहरण तो प्रत्यक्ष ही हैं। जैसे म से ईश्वर के पालन आदि गुण प्रकाशित होते हैं। पालन आदि गुण मुख्य रूप से माता से ही पहचाने जाते हैं। अब विचारना चाहिए कि सब संस्कृतियों में माता के लिए क्या शब्द प्रयोग होते हैं। संस्कृत में माता, हिन्दी में माँ, उर्दू में अम्मी, अंग्रेज़ी में मदर, मम्मी, मॉम आदि, फ़ारसी में मादर, चीनी भाषा में माकुन इत्यादि, सो इतने से ही स्पष्ट हो जाता है कि पालन करने वाले मातृत्व गुण से म का और सभी संस्कृतियों से वेद का कितना अधिक सम्बन्ध है। एक छोटा बच्चा भी सबसे पहले इस म को ही सीखता है और इसी से अपने भाव व्यक्त करता है। इसी से पता चलता है कि ईश्वर की सृष्टि और उसकी विद्या वेद में कितना गहरा सम्बन्ध है।

यम नियम -- यम नियमों का अभ्यास इसका सबसे बड़ा साधन है, यम व नियम संक्षेप से नीचे दिए जाते हैं।

यम
  1. अहिंसा (किसी सज्जन और बेगुनाह को मन, वचन या कर्म से दुःख न देना)
  2. सत्य (जो मन में सोचा हो वही वाणी से बोलना और वही अपने कर्म में करना)
  3. अस्तेय (किसी की कोई चीज विना पूछे न लेना)
  4. ब्रह्मचर्य (अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना विशेषकर अपनी यौन इच्छाओं पर पूर्ण नियंत्रण)
  5. अपरिग्रह (सांसारिक वस्तु भोग व धन आदि में लिप्त न होना)
नियम
  1. शौच (मन, वाणी व शरीर की शुद्धता)
  2. संतोष (पूरे प्रयास करते हुए सदा प्रसन्न रहना, विपरीत परिस्थितियों से दुखी न होना)
  3. तप (सुख, दुःख, हानि, लाभ, सर्दी, गर्मी, भूख, प्यास, डर आदि की वजह से कभी भी धर्म को न छोड़ना)
  4. स्वाध्याय (अच्छे ज्ञान, विज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रयास करना)
  5. ईश्वर प्रणिधान (अपने सब काम ऐसे करना जैसे कि ईश्वर सदा देख रहा है और फिर काम करके उसके फल की चिंता ईश्वर पर ही छोड़ देना)
  • ध्यान का नियम -- यम नियम तो आत्मा रुपी बर्तन की सफाई के लिए है ताकि उसमें ईश्वर अपने प्रेम का भोजन दे सके। वह भोजन सुबह शाम एकाग्र मन के साथ ईश्वर से माँगना चाहिए। ओ३म् का उच्चारण इसी भोजन मांगने की प्रक्रिया है, अब क्या करना चाहिए वह नीचे लिखते हैं।
  1. किसी जगह जहाँ शुद्ध हवा हो, वहां अच्छी जगह पर कमर सीधी कर के बैठ जाएँ, आँख बंद करके थोड़ी देर गहरे सांस धीरे धीरे लीजिये और छोड़िये जिससे शरीर में कोई तनाव न रहे।
  2. दिन में 4 बार ओ३म् का उच्चारण बहुत उपयोगी है, पहला सुबह सोकर उठते ही, दूसरा शौच व स्नान के बाद, तीसरा सूर्यास्त के समय शाम को और चौथा रात सोने से एकदम पहले. इसके अलावा जब कभी ख़ाली बैठे किसी की प्रतीक्षा या यात्रा कर रहे हों तो भी इसे कर सकते हैं।
  3. धीरे धीरे उच्चारण की लम्बाई बढ़ा सकते हैं, पर उतनी ही जितनी अपने सामर्थ्य में हो।
  4. कम से कम एक समय में 5 बार जरूर उच्चारण करें, मुंह से बोलने के बजाय मन में भी उच्चारण कर सकते हैं।
  5. अपने हर बार के उच्चारण में ईश्वर को पाने की इच्छा और उसके लिए प्रयास करने का वादा मन ही मन ईश्वर से करना चाहिए।
  6. हर बार उठने से पहले यह प्रतिज्ञा करनी कि अगली बार बैठूँगा तो इस बार से श्रेष्ठ चरित्र का व्यक्ति होकर बैठूँगा, अर्थात हर बार उठने के बाद अपने जीवन का हर काम अपनी इस प्रतिज्ञा को पूरा करते हुए करना, कभी ईश्वर को दी हुई प्रतिज्ञा नहीं तोड़ना।
परिवर्तन , संभावना , गति , क्रिया प्रतिक्रिया
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मुझे हिन्दुस्तानी, हिन्दू और हिन्दी भाषी होने का गर्व है |

_ डा॰ मनीष कुमार वैश्य _