व्यतिरेक अलंकार
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जहाँ कारण बताते हुए उपमेय की श्रेष्ठता उपमान से बताई गई हो, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।[1]
- उदाहरण -
का सरवरि तेहिं देउं मयंकू। चांद कलंकी वह निकलंकू।। मुख की समानता चन्द्रमा से कैसे दूँ? चन्द्रमा में तो कलंक है, जबकि मुख निष्कलंक है।
इन्हें भी देखें: अलंकार, रस एवं छन्द
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी व्याकरण (हिन्दी) हिन्दीग्रामरलर्न.कॉम। अभिगमन तिथि: 15, 2014।