मुशीरुल हसन
मुशीरुल हसन
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पूरा नाम | मुशीरुल हसन |
जन्म | 15 अगस्त, 1949 |
मृत्यु | 10 दिसंबर, 2018 |
पति/पत्नी | जोया हसन |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | शिक्षा |
मुख्य रचनाएँ | 'द नेहेरूज़, पर्सनल हिस्ट्रीज़' |
विद्यालय | अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय |
पुरस्कार-उपाधि | 'पद्मश्री' (2007) |
प्रसिद्धि | इतिहासकार, कुलपति (जामिला मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय) |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | प्रोफ़ेसर मुशीरुल हसन को भारत-पाकिस्तान विभाजन, सांप्रदायिकता और दक्षिण एशिया में इस्लाम पर उनके काम के लिए जाना जाता है। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
मुशीरुल हसन (अंग्रेज़ी: Mushirul Hasan, जन्म- 15 अगस्त, 1949; मृत्यु- 10 दिसंबर, 2018) भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार और जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के कुलपति थे। इसके साथ ही वे भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक रहे। प्रोफेसर मुशीरुल हसन में भरपूर जीवन और उर्जा थी। उनको भारत विभाजन और दक्षिण एशिया में इस्लाम के इतिहास को लेकर किए गए उनके काम के लिए जाना जाता है। इसके लिए उन्हें 'पद्मश्री' समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। मुशीरुल हसन वर्ष 2004 से 2009 तक जामिया मिलिया इस्लामिया में कुलपति रहे। वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के उपाध्यक्ष तथा इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे।
परिचय
15 अगस्त, 1949 को जन्मे मुशीरुल हसन ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से एम.ए. की परीक्षा पास की। उसके बाद केवल 20 साल की उम्र में दिल्ली के रामजस कॉलेज में प्रवक्ता के रूप में अपने शिक्षण कॅरियर की शुरूआत की। 1972 में वह इंग्लैंड पढ़ाई करने के लिए चले गए। भारत लौटने के बाद केवल 32 साल की उम्र में वह प्रोफ़ेसर बन गए। भारत में वह सबसे कम उम्र में प्रोफ़ेसर बनने वाले व्यक्ति थे। साल 1992 में मुशीरुल हसन जामिया मिलिया इस्लामिया के वाइस चांसलर बने और फिर साल 2004 से 2009 तक जामिया के वाइस चांसलर रहे। वह नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ़ इंडिया के महानिदेशक, इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के अध्यक्ष और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ एडवांस स्टडीज़ के उपाध्यक्ष रहे।
यूरोप से लौटने के बाद ही मुशीरुल हसन ने जामिया में अध्यापन शुरू कर दिया था, क्योंकि जामिया के साथ उनका पुराना रिश्ता था। उनके पिता जामिया में इतिहास के प्रोफेसर थे। कुछ समय के लिए उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में भी अध्यापन किया था और फिर जामिया चले आए। उन्होंने अपनी सहपाठी जोया हसन से शादी की। जब वे जामिया में पढ़ाते थे तो उस वक्त वे जेएनयू में रहते थे, क्योंकि जोया हसन को वहां रिहायश मिली हुई थी और इसलिए वे दोनों जगह पर लोकप्रिय थे।
प्रोफेसर मुशीरुल हसन के भीतर जामिया को लेकर बहुत लगाव था। वरिष्ठ पत्रकार कमर आगा के अनुसार- "उनके कार्यकाल के दौरान जामिया का कायाकल्प हो गया और आज यह भारत के सबसे खूबसूरत विश्वविद्यालयों में शामिल है। जामिया के लिए उनके दिल में खास जगह थी। कुलपति बनने के बाद उन्होंने एक बड़ी भूमिका निभाई। उनके पास एक दृष्टि थी और अपने विचारों और नीतियों को लागू करने में वे कभी नहीं हिचके।" जामिया के लिए मुशीरुल हसन के लगाव को याद करते हुए जेएनयू के प्रोफेसर जयती घोष के अनुसार- "वह एक अतिसक्रिय कुलपति थे, जिन्होंने जामिया के आधुनिकीकरण में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। कुलपति के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान ही जामिया एक गुणवत्तापूर्ण संस्थान में विकसित हुआ।"
जामिया के शाहजहाँ
प्रोफ़ेसर मुशीरुल हसन को भारत-पाकिस्तान विभाजन, सांप्रदायिकता और दक्षिण एशिया में इस्लाम पर उनके काम के लिए जाना जाता है। उन्हें जवाहरलाल नेहरू पर लिखी उनकी किताब 'द नेहेरूज़, पर्सनल हिस्ट्रीज़' के लिए भी जाना जाता है। लेकिन लगभग दो दर्जन किताबें लिखने के अलावा उन्हें आर्किटेक्ट ऑफ़ मॉडर्न जामिया भी कहा जाता है। मुशीरुल हसन 2004 से 2009 तक जामिया के वीसी थे। इस दौरान उन्होंने जामिया को अंतरराष्ट्रीय स्तर की यूनिवर्सिटी बना दिया। उन्होंने कई नए शैक्षिक विषयों की शुरुआत की। विश्वविद्यालय हेतु कई महत्वपूर्ण इमारतें बनवाईं। उन्होंने जामिया में इतना काम करवाया कि उन्हें लोग जामिया के शाहजहां कहने लगे थे।
मृत्यु
प्रोफेसर मुशीरुल हसन का निधन 10 दिसंबर, 2018 को हुआ। उनके देहांत पर इस्लामिया के शाहिद अशरफ़ ने कहा, "प्रो. हसन प्रेरेणादायक कुलपति थे और उन्होंने जेएमआई के ढांचागत विकास तथा शिक्षा के स्तर को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई।" इतिहासकार एस. इरफ़ान हबीब ने उन्हें आधुनिक भारत के बेहतरीन इतिहासकारों में से एक बताया। राहुल गांधी और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने उनकी मौत पर दुख प्रकट किया। राहुल गांधी ने फ़ेसबुक पर लिखा- "उनके जाने से अकादमिक दुनिया में एक तरह का ख़ालीपन आ गया है। वे हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।" मुशीरुल हसन की मौत को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसौदिया ने अपूरणीय क्षति बताया।
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